NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
कन्हैया कुमार : सवालों को हथकड़ियाँ... जवाबों की मशाल
“जब सवालों को हथकड़ियाँ पहनाई जा रही हों, तो जवाब ख़ुद-ब-ख़ुद सड़कों पर मशालें लेकर निकलने लगते हैं।”
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
15 Jan 2019
कन्हैया कुमार (फाइल फोटो)
Image Courtesy : ndtv

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में 9 फरवरी, 2016 को कथित तौर पर हुई देशविरोधी नारेबाज़ी के मामले में दिल्ली पुलिस ने तीन साल बाद सोमवार को छात्र नेता कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बान समेत 10 छात्रों के खिलाफ पटियाला हाउस कोर्ट में अपनी चार्जशीट दाखिल की है। इनके खिलाफ राजद्रोह का आरोप लगाया गया है। जिसके बाद आज मंगलवार को कन्हैया कुमार ने अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर एक विस्तृत टिप्पणी जारी की है। न्यूज़क्लिक इसे अपने पाठकों के लिए जस का तस प्रस्तुत कर रहा है :-

जब सवालों को हथकड़ियाँ पहनाई जा रही हों, तो जवाब ख़ुद-ब-ख़ुद सड़कों पर मशालें लेकर निकलने लगते हैं।

मोदी जी ने चाहे रोज़गार, शिक्षा, किसान-मज़दूरों आदि से जुड़ी नीतियों के रिपोर्ट कार्ड में ज़ीरो नंबर पाया हो, लेकिन वे कम से कम अपने ख़िलाफ़ बोलने वालों को जेल भिजवाने के मामले में डिस्टिंक्शन के साथ पास हुए हैं। अब बस इतनी उम्मीद है कि तारीख़ पर तारीख़ का खेल न खेलकर स्पीडी ट्रायल होगा ताकि जल्द से जल्द दूध का दूध और पानी का पानी हो सके। जिस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने दो बार मुझे निर्दोष बताया है, उसे एक बार फिर मीडिया ट्रायल बना रही सरकार के असली इरादों को समझने की ज़रूरत है।

आज जब सरकार नोटबंदी, जीएसटी आदि का अर्थव्यवस्था पर भयानक असर, बढ़ती बेरोज़गारी, सांप्रदायिक हिंसा, संवैधानिक संस्थाओं पर हमले, राफ़ेल घोटाला जैसे मामलों में पूरी तरह घिर चुकी है तब सवाल करने वालों को घेरने की उसकी कोशिशें फिर से तेज़ हो गई हैं। जब जेएनयू को फ़र्ज़ी वीडियो और ख़बरों के आधार पर घेरा गया तब यहाँ कौन-सी आवाज़ें उठ रही थीं? 2016 में उस समय हम संघर्ष कर रहे थे रोहित वेमुला को न्याय दिलाने के लिए, शिक्षा के बजट में की गई कटौती पर सरकार से जवाब माँगने के लिए, एफ़टीआईआई को सरकार की चापलूसी करने वाले कलाकार की मनमानी से बचाने के लिए, स्कॉलरशिप वापस पाने के लिए, कॉलेज-विश्वविद्यालयों की सीटों पर रिज़र्वेशन की हत्या को रोकने के लिए, किसान-मज़दूरों के शोषण को राष्ट्रीय मुद्दा बनाने के लिए और तमाम उन बातों के लिए जिनके लिए संघर्ष किए बग़ैर लोकतंत्र ज़िंदा नहीं रह सकता।

जिनकी राजनीति ही असली मुद्दो से ध्यान हटाकर जनता को हिंदू-मुस्लिम के झगड़ों और फ़र्ज़ी राष्ट्रवाद के विवादों को भड़काने पर टिकी हो, वे लोकसभा चुनावों से पहले अब अपनी कोशिशें तेज़ करेंगे ही। अंबानी के बच्चों का बिज़नेस चमकाने का कोई मौका नहीं खोने वाली मोदी सरकार देश भर में ग़रीबों, दलितों, मुसलमानों आदि के बच्चों को फ़र्ज़ी मुकदमों में फँसाने में लगी हुई है। जब 2016 में बेरोज़गारी के बेलगाम होने का सच सामने आया तो सरकार ने आँकड़ों को ही ठिकाने लगा दिया।

kanhaiya kumarfb.jpg

भाजपा को तीन राज्यों के चुनावों में हार का स्वाद चखाने के बाद अब पूरे देश में लोगों की एकजुटता इस जन विरोधी पार्टी के अच्छे दिनों और जनता के बुरे दिनों को ख़त्म करने वाली है। हम लड़ेंगे ताकि संतोषी को भात कहते-कहते मरना नहीं पड़े, किसानों को खेत में आत्महत्या नहीं करनी पड़े, रामचंद्र छत्रपति को साहसी पत्रकारिता करने के कारण धर्म को धंधा बनाने वालों का शिकार नहीं होना पड़े, किसी लड़की को रेप के बाद भाजपा जैसे पार्टी की साज़िशों का सामना नहीं करना पड़े और किसी विद्यार्थी को फ़ीस नहीं चुका पाने के कारण अपनी जान देने पर मजबूर नहीं होना पड़े।

देशद्रोही कौन है? वे जो नफ़रत फैलाकर देश को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं या वे जो रोहित, अख़लाक़, नजीब आदि को न्याय दिलाने की आवाज़ उठा रहे हैं? वे जो नोटबंदी जैसे फ़ैसले से ग़रीबों की रोटी पर लात मारकर 100 से ज़्यादा लोगों की जान ले चुके हैं या वे जो शिक्षा के बजट में कटौती का विरोध कर रहे हैं? वे जो नाथूराम गोडसे की पूजा करते हैं या वे जो देश में शांति और समानता की बात करते हैं?

सवालों का चाहे कितनी बार हथकड़ियाँ पहनाई जाएँ, जवाब कैद से निकलने का कमाल दिखा ही देते हैं।

लड़ेंगे, जीतेंगे।

 

Kanhaiya Kumar
JNU
JNU Sedition case
Umar khalid
Anirban Bhattacharya
delhi police
JNUSU
BJP
ABVP
patiyala house court
Narendra modi

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट


बाकी खबरें

  • असद रिज़वी
    CAA आंदोलनकारियों को फिर निशाना बनाती यूपी सरकार, प्रदर्शनकारी बोले- बिना दोषी साबित हुए अपराधियों सा सुलूक किया जा रहा
    06 May 2022
    न्यूज़क्लिक ने यूपी सरकार का नोटिस पाने वाले आंदोलनकारियों में से सदफ़ जाफ़र और दीपक मिश्रा उर्फ़ दीपक कबीर से बात की है।
  • नीलाम्बरन ए
    तमिलनाडु: छोटे बागानों के श्रमिकों को न्यूनतम मज़दूरी और कल्याणकारी योजनाओं से वंचित रखा जा रहा है
    06 May 2022
    रबर के गिरते दामों, केंद्र सरकार की श्रम एवं निर्यात नीतियों के चलते छोटे रबर बागानों में श्रमिक सीधे तौर पर प्रभावित हो रहे हैं।
  • दमयन्ती धर
    गुजरात: मेहसाणा कोर्ट ने विधायक जिग्नेश मेवानी और 11 अन्य लोगों को 2017 में ग़ैर-क़ानूनी सभा करने का दोषी ठहराया
    06 May 2022
    इस मामले में वह रैली शामिल है, जिसे ऊना में सरवैया परिवार के दलितों की सरेआम पिटाई की घटना के एक साल पूरा होने के मौक़े पर 2017 में बुलायी गयी थी।
  • लाल बहादुर सिंह
    यूपी में संघ-भाजपा की बदलती रणनीति : लोकतांत्रिक ताकतों की बढ़ती चुनौती
    06 May 2022
    नज़रिया: ऐसा लगता है इस दौर की रणनीति के अनुरूप काम का नया बंटवारा है- नॉन-स्टेट एक्टर्स अपने नफ़रती अभियान में लगे रहेंगे, दूसरी ओर प्रशासन उन्हें एक सीमा से आगे नहीं जाने देगा ताकि योगी जी के '…
  • भाषा
    दिल्ली: केंद्र प्रशासनिक सेवा विवाद : न्यायालय ने मामला पांच सदस्यीय पीठ को सौंपा
    06 May 2022
    केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच इस बात को लेकर विवाद है कि राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासनिक सेवाएं किसके नियंत्रण में रहेंगी।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License