NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
आईआईटी कानपुर ने कहा, फ़ैज़ की नज़्म पढ़ने के लिए जगह और समय उचित नहीं था
कमेटी की रिपोर्ट के बाद सवाल यह उठता है कि क्या कविता, गीत या किसी भी कला के लिए 'उचित' समय या स्थान होता है, और यदि होता है तो इस कौन निर्धारित करता है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
16 Mar 2020
फ़ैज़
Image courtesy: Social Media

नागरिकता कानून (सीएए) के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के दौरान पिछले साल 17 दिसम्बर को आईआईटी कानपुर में छात्रों द्वारा फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की नज़्म 'हम देखेंगे' गाने के बाद हुए विवाद के संबंध में बनी कमेटी की रिपोर्ट आ गई है। आईआईटी-कानपुर प्रशासन की ओर से गठित की गई इस कमेटी ने फ़ैज़ की नज़्म पढ़ने को ‘समय और स्थान के लिए अनुपयुक्त’ पाया है।

छात्रों ने सीएए और जामिया में छात्रों पर हुई पुलिस हिंसा का विरोध करते हुए प्रदर्शन किया था, जिसमें फ़ैज़ की इस इंक़लाबी नज़्म को भी पढ़ा गया था। फ़ैज़ की नज़्म पर आपत्ति जताते हुए आईआईटी के अस्थायी प्रोफ़ेसर वशी मंत शर्मा ने 'बेवकूफ़ाना' और 'भोला' तर्क दिया था कि यह नज़्म हिंदू-विरोधी है। मज़ेदार बात यह है कि इस्लामिक मान्यता के अनुसार 'क़यामत' के ज़िक्र का इस्तेमाल करते हुए लिखी इस नज़्म को पाकिस्तान में 'इस्लाम विरोधी बताया गया था।

प्रोफ़ेसर की इस आपत्ति के बाद प्रशासन ने एक कमेटी बनाई थी, जिसको यह जांच करनी थी कि इस नज़्म को पढ़ना उचित था या नहीं, और यह नज़्म हिंदू-विरोधी थी या नहीं।

इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के अनुसार कमेटी ने कहा है, "वह अस्थिर समय था। वहां अलग-अलग विचारधाराओं के लोग मौजूद थे, जो उत्तेजित थे। ऐसे में किसी को भी ज़्यादा उग्र बनाने वाली बातें करने से बचना चाहिए। अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में हम कई चीज़ें कर सकते हैं, लेकिन अस्थिरता के समय में हमें वो काम नहीं करने चाहिए।"

प्रदर्शन में पांच छात्रों और छह शिक्षकों की भूमिका पर कमेटी ने कहा कि ये ‘वांछनीय नहीं’ था और सुझाव दिया कि इनकी काउंसलिंग होनी चाहिए।

कमेटी का यह फ़ैसला हास्यास्पद लगता है। यह मामला ही शुरू से हास्यास्पद लग रहा है, कि एक इंक़लाबी नज़्म को धर्म से जोड़ कर देखा जाना, और देखना भी तो ग़लत धर्म से जोड़ कर देखा जाना।

कमेटी की रिपोर्ट के बाद सवाल यह उठता है कि क्या कविता, गीत या किसी भी कला के लिए 'उचित' समय या स्थान होता है, और यदि होता है तो इस कौन निर्धारित करता है।

जब फ़ैज़ की नज़्म के लिए उचित समय और स्थान की ज़रूरत है, तो क्या महाभारत और रामायण जैसे महाकाव्यों के लिए भी 'उचित' समय और स्थान निर्धारित किया जाना चाहिए?

IIT kanpur
Faiz Ahmed Faiz
CAA
NRC

Related Stories

शाहीन बाग़ : देखने हम भी गए थे प तमाशा न हुआ!

शाहीन बाग़ ग्राउंड रिपोर्ट : जनता के पुरज़ोर विरोध के आगे झुकी एमसीडी, नहीं कर पाई 'बुलडोज़र हमला'

चुनावी वादे पूरे नहीं करने की नाकामी को छिपाने के लिए शाह सीएए का मुद्दा उठा रहे हैं: माकपा

CAA आंदोलनकारियों को फिर निशाना बनाती यूपी सरकार, प्रदर्शनकारी बोले- बिना दोषी साबित हुए अपराधियों सा सुलूक किया जा रहा

मज़दूर दिवस : हम ऊंघते, क़लम घिसते हुए, उत्पीड़न और लाचारी में नहीं जियेंगे

लाल क़िले पर गुरु परब मनाने की मोदी नीति के पीछे की राजनीति क्या है? 

शाहीन बाग़ की पुकार : तेरी नफ़रत, मेरा प्यार

फ़ैज़, कबीर, मीरा, मुक्तिबोध, फ़िराक़ को कोर्स-निकाला!

दबाये जाने की तमाम कोशिशों के बावजूद भारत का बहुलतावादी लोकतंत्र बचा रहेगा: ज़ोया हसन

उत्तरप्रदेश में चुनाव पूरब की ओर बढ़ने के साथ भाजपा की मुश्किलें भी बढ़ रही हैं 


बाकी खबरें

  • विजय विनीत
    ग्राउंड रिपोर्ट: चंदौली पुलिस की बर्बरता की शिकार निशा यादव की मौत का हिसाब मांग रहे जनवादी संगठन
    30 May 2022
    "हमें तो पुलिस के किसी भी जांच पर भरोसा नहीं है। जब पुलिस वाले ही क़ातिल हैं तो पुलिसिया न्याय पर हम कैसे यकीन कर लें? सीबीआई जांच होती तो बेटी के क़ातिल जेल में होते। हमें डरे हुए हैं। "
  • एम.ओबैद
    मिड डे मिल रसोईया सिर्फ़ 1650 रुपये महीने में काम करने को मजबूर! 
    30 May 2022
    "हम लोगों को स्कूल में जितना काम करना पड़ता है। उस हिसाब से वेतन नहीं मिलता है। इतने पैसे में परिवार नहीं चलता है।"
  • अरुण कुमार
    गतिरोध से जूझ रही अर्थव्यवस्था: आपूर्ति में सुधार और मांग को बनाये रखने की ज़रूरत
    30 May 2022
    इस समय अर्थव्यवस्था गतिरोध का सामना कर रही है। सरकार की ओर से उठाये जाने वाले जिन क़दमों का ऐलान किया गया है, वह बस एक शुरुआत है।
  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    जौनपुर: कालेज प्रबंधक पर प्रोफ़ेसर को जूते से पीटने का आरोप, लीपापोती में जुटी पुलिस
    30 May 2022
    स्टूडेंट्स से प्रयोगात्मक परीक्षा में अवैध वसूली करने का कोई आदेश नहीं है। यह सुनते ही वह बिफर पड़े। नाराज होकर प्रबंधक ने पहले गाली-गलौच किया और बाद में जूते निकालकर मेरी पिटाई शुरू कर दी। उन्होंने…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत
    30 May 2022
    देश में एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 0.04 फ़ीसदी यानी 17 हज़ार 698 हो गयी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License