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भारत
राजनीति
कोलकाता के ब्रिगेड मैदान में उमड़ा ‘लाल सागर’
सीपीआई (एम) के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि, वामपंथ '' बंगाल बचाओ, देश बचाओ '' का आह्वान करते हुए बदलाव की असली लड़ाई लड़ेगा।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
04 Feb 2019
#peoplesbrigade

रविवार को, कोलकाता का ब्रिगेड परेड ग्राउंड हाथ में लाल झंडे लिए लोगों से पटा हुआ था। ऐसा लग रहा था जैसे लाल रंग का कोई समन्दर उमड़ा हो। वाम मोर्चा की अगुआई वाली रैली के लिए दस लाख से अधिक लोग इकट्ठा हुए| रैली में सभी लोगों ने आगामी चुनावों में पश्चिम बंगाल से तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और  केंद्र से भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकने  का संकल्प लिया। सुबह से ही यह मैदान इंडियन पीपुल्स थिएटर एसोसिएशन, रवीन्द्र संगीत, सलिल चौधरी, कैफी आज़मी और अन्य प्रगतिशील कलाकारों के गीतों गूंज रहा था।

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‘पीपुल्स ब्रिगेड’ जिसका आह्वान वाम मोर्चा ने किया था उसे संबोधित करते हुए, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, '' जनविरोधी नीतियों को बदलने की जरूरत है और अगर हमारे देश को तबाही से बचाना है,तो वैकल्पिक नीतियों को आगे बढ़ाने की जरूरत है।” 

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इसे "दलित-कार्यकर्ताओं, छात्रों और युवाओं की सबसे बड़ी सभा" करार देते हुए सीपीआई (एम) के पोलित ब्यूरो सदस्य और लोकसभा सांसद, मोहम्मद सलीम ने कहा, "इस मार्च को रोकने का कोई भी प्रयास ' लाल सागर'( लाल समंदर) राजनीतिक परिदृश्य में एक सुनामी पैदा करेगा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सांप्रदायिक ब्रिगेड और उनकी गुप्त सहयोगी टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी और बंगाल में उनकी पार्टी जैसी अलोकतांत्रिक और सांप्रदायिक ताकतों को दूर करेगा।"

दरअसल, लेफ्ट फ्रंट के आह्वान पर “देश बचाने के लिए बीजेपी और बंगाल बचाने के लिए TMC” को बाहर निकालने के लिए लोगों का ये जनसैलाब उमड़ था, जिसने एकजुट होकर जोरदार तरीके से ब्रिगेड का समर्थन किया और नारेबाजी की।

सीपीआई (एम) के राज्य सचिव, सूर्यकांता मिश्रा ने लाखों की संख्या में आए लोगों को "सच्चा नेता" बताया और कहा, आज आए लाख लोगों में से प्रत्येक को अपने क्षेत्र में कम से कम 50 व्यक्तियों तक इस संकल्प को पहुंचाने की अपील की। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को केंद्र से बाहर करने के बाद, बंगाल में टीएमसी द्वारा संचालित सरकार को बाहर करने में सिर्फ कुछ दिन ही लगेंगे, उन्होंने कहा कि यह BJP और TMC के बीच "गुप्त" समझ है, जो दोनों को पार्टियों को "जीवित" बनाए रख रही थी।

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उन्होंने कहा कि श्रमिकों, किसानों और आम लोगों का संघर्ष केवल अपने फायदे के लिए नहीं है, बल्कि देश भर के लोगों के लिए है।

रैली को संबोधित करते हुए, वाम मोर्चा के अध्यक्ष बिमान बसु ने क्षेत्र स्तर पर ऐसी सैकड़ों "मिनी ब्रिगेड रैलियों" का आयोजन करने और इस लड़ाई को "विरोधी शिविर" तक ले जाने का आह्वान किया।

माकपा नेता और पूर्व राज्य मंत्री देबलीना हेम्ब्रम ने एक प्रेरणादायक भाषण दिया और लोगों को अपनी मातृभाषा, संथालीऔर कभी-कभी बांग्ला में बोलकर उत्साहित किया। उन्होंने देश में आदिवासियों की दुर्दशा पर ध्यान दिलाते हुए कहा कि वे भोजन, शिक्षा, आवास और नौकरियों के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन केवल उनके प्रसिद्ध नृत्यों की बात कर उनके साथ "प्रदर्शन वस्तुओं" की तरह व्यवहार किया जा रहा है।

उन्होंने भीड़ से ऊंचे नारों और लाल सलाम के बीच कहा कि,“हम आदिवासी प्रकृति की गोद में रहते हैं, नृत्य स्वाभाविक रूप से हमारे लिए आता है, हमें उसके लिए प्रेरणा की आवश्यकता नहीं है। हमें अपनी भाषा के लिए शिक्षा, मान्यता और प्रतिष्ठा की आवश्यकता है। हमें स्कूलों, कॉलेजों और आवास की आवश्यकता है” उन्होंने कहा कि यह “वाम मोर्चा” था जिसने हमें सम्मान दिया था। वह सम्मान अबखत्म कर दिया गया है। हमें पैसे से नहीं खरीदा जा सकता है, जो TMC इन सात वर्षों के लिए हमें लूटने के बाद करने की कोशिश कर रही है।”

रैली को देश के सभी प्रमुख वाम दलों के नेताओं ने संबोधित किया।

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भाकपा नेता सुधाकर रेड्डी ने कहा कि वामपंथी ताकतों का एक एकीकृत आंदोलन और जमीन पर एक जन आंदोलन आने वाले दिनों में राजनीति के आयाम को बदल देगा। इसका असर आने वाले लोकसभा चुनावों में भी दिखाई देगा ।

क्रांतिकारी सोशलिस्ट पार्टी की नेता क्षिती गोस्वामी ने कहा कि बंगाल अंधेरे दौर से गुजर रहा है, और यह विशाल रैली राज्य और देश में लोकतांत्रिक विरोधी ताकतों के शासन को समाप्त करने के लिए उनके संघर्ष में लाल झंडे वालों को जगाने का काम करेगी।

भाकपा (माले) के नेता दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि रैली से पता चला है कि वामपंथी नीतियां पश्चिम बंगाल के आम जन से जुड़ीं थी  और बीजेपी और टीएमसी जैसी फासीवादी ताकतें उनका मजाक नहीं उड़ा सकती थीं।

 

फारवर्ड ब्लॉक के नेता देवव्रत बिस्वास ने कहा कि असली लड़ाई नरेंद्र मोदी और ममता बनर्जी जैसी "अत्याचारी ताकतों" को सत्ता से बेदखल करने के लिए है, जिससे पश्चिम बंगाल में लाखो लोगों कि यह शक्तिशाली और विशाल  रैली "मूड परिवर्तन" का संकेत दे रही है।

 

 

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