NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
कर्णाटक चुनाव नतीजों के पाँच निर्णायक कारक
जानिए कैसे बीजेपी और कांग्रेस के चुनाव प्रचारों में किसानों, लोकलुभावन स्कीमों, भ्रष्टाचार, जाति आदि का प्रयोग हो रहा हैI
सुबोध वर्मा
08 May 2018
Karnataka Elections

कर्णाटक चुनाव में अब कम ही दिन बाकि रह गये हैं और प्रचार अपने चरम पर हैI ज़्यादातर ओपिनियन पोल त्रिशंकु विधानसभा की आशंका जाता रहे हैं जबकि दो मुख्य विरोधी दल, बीजेपी और कांग्रेस, अपनी-अपनी जीत पक्की बता रहे हैंI मुख्यधारा का मीडिया यूँ भी व्यक्तियों से प्रभावित रहता है और मुख्यतः रैलियों, नेताओं के बयानों, और आजकल तो सोशल मीडिया पर किये गये पोस्ट पर ही ध्यान रखते हैंI इन सबसे कुछ कुछ जानकारी तो ज़रूर मिलती है लेकिन क्या सिर्फ इससे आप जाँ सकते हैं कि नेताओं के बयानों के बारे में लोग दरअसल क्या सोच रहे हैं?

कर्णाटक को समझने के लिए उन पाँच मुख्य कारकों को देखना चाहिए जो नतीजों को प्रभावित करेंगेI दोनों ही मुख्य विरोधी दल इन कारकों से अलग-अलग तरह से देख रही हैI

किसानी का संकट

कर्णाटक राज्य पिछले 13 सालों से सूखे की मार झेल रहा है, राज्य के कुछ हिस्से तो 15 सालों सेI पिछले 5 सालों में कर्ज़े की वजह से 3,000 किसानों ने आत्महत्या कीI नदियों और ज़मीन के नीचे का पानी लगातार कम होता जा रहा जिससे किसानों के लिए ऐसा संकट खड़ा हो गया है जो शायद ख़त्म ही न हो पाएI राज्य में यह संकट एक बड़ा मुद्दा है क्योंकि राज्य की दो तिहाई आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है और इनमें से ज़्यादातर कृषि पर निर्भर हैंI सभी पार्टियाँ इस मुद्दे को लेकर प्रचार कर रही हैंI

इस स्थिति में किसी को भी लगेगा कि इसका फ़ायदा बीजेपी को होगा क्योंकि कांग्रेस की सरकार से किसान नाराज़ होंगेI लेकिन बीजेपी की केंद्र सरकार का कृषि संकट को लेकर रवैया इतना खराब रहा है कि वे किसानों के वोट अपने खाते में डलवाने में बहुत कामयाब रहेंगे, कहा नहीं जा सकताI बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बी.एस. येद्दुरप्पा पहले ही महादायी नदी के पानी के मुद्दे को लेकर अपने बुने शब्दों के झाँसे की वजह से पहले ही अपनी विश्वसनीयता खो चुके हैंI    

लोकलुभावनी स्कीमें

सिद्धारमैया के नेतृत्त्व वाली कांग्रेस की सरकार ने कई लोकलुभावनी स्कीमें शुरू की हैं, जैसे- अन्न भाग्य, आरोग्य भाग्य, क्षीर भाग्य, इंदिरा कैंटीन आदिI ख़बरों के मुताबिक यह तमाम स्कीमें कर्णाटक के लोगों को काफी भायी हैंI यह स्कीमें कोई बेहद ज़रूरी नहीं हैं और न ही इनसे व्यवस्थागत कमज़ोरियों का कोई समाधान ही निकल सकता हैI लेकिन इनसे लोगों के बीच सरकार की छवि अच्छी हुई है और इनसे परेशान लोगों को कुछ मदद मिली हैI चुनाव प्रचार को देखें तो पता चलेगा कि बीजेपी इन स्कीमों की काट नहीं निकाल पाई हैI लोकलुभावन क़दमों की निंदा मुश्किल है इसलिए बीजेपी ने अपना ध्यान इनसे हटाकर अन्य मुद्दों पर ही रखा हैI यानी कि ये स्कीमें जनता के उस रोष को थोड़ा कम कर सकती हैं जो अमुमन सत्ताधारी पार्टी के प्रति होता हैI 

कन्नड़ राष्ट्रवाद बनाम साम्प्रदायिकता

बीजेपी व्यवस्थित रूप से राज्य में सांप्रदायिक दरार को पैदा कर रही है और बढ़ावा दे रही हैI 2011 की जनगणना के मुताबिक राज्य की आबादी में 13% हिस्सा मुसलमानों का हैI बीजेपी ने चुनावों में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारा हैI बीजेपी का दावा है कि पिछले कुछ सालों में राज्य में 23 हिन्दुत्ववादी कार्यकर्त्ताओं की हत्या की जा चुकी हैI जबकि, एक हालिया रिपोर्ट में यह सामने आया है कि इनमें से कम-से-कम एक तो ज़िन्दा है, बाकियों में से कई भी मुसलमानों के हाथों नहीं मारे गयेI उनका प्रचार और मैनिफेस्टो फिर भी इसी तरह की सोच से भरा हुआ हैI हाल के महीनों में ऐसी कई खबरें आयीं हैं जिनके मुताबिक, पर्दे के पीछे, हिन्दुत्ववादी तीखा प्रचार कई समय से चल रहा हैI

इस सांप्रदायिक ध्रुवीकरण से निपटने के लिए सिद्धारमैया ने भी एक रणनीति निकाली हैI उन्होंने कन्नड़ गरिमा और राष्ट्रवाद की दुहायी देते कन्नड़ जनता को लामबंद करने की कोशिश की हैI बीजेपी की नफ़रत की राजनीति का विरोध करते हुए उन्होंने कर्णाटक राज्य का एक झंडा प्रस्तावित किया, कन्नड़ भाषा की सर्वोच्चता का समर्थन किया और इससे सांप्रदायिक दरार के विरोध के लिए ज़मीन तैयार कीI नये फाइनेंस कमीशन की सिफारिशों में दक्षिणी राज्यों के साथ जो भेदभाव किया गया, उसके खिलाफ़ उन्होंने खुलकर बोलाI ऐसे ही एक और चुनावी पैंतरा चलते हुए उन्होंने माँग की है कि राज्य के लिंगायत समुदाय को बीजेपी नेतृत्त्व वाली केंद्र सरकार धार्मिक अल्पसंख्यक घोषित करेI इससे लिंगायत समाज के लोगों के वोट कांग्रेस की तरफ जायेंगे कि नहीं यह तो नहीं कहा जा सकता लेकिन इससे बीजेपी की समर्थक इस समुदाय में एक दरार तो ज़रूर पड़ती नज़र आ रही हैI  

जाति

जाति समीकरण और जोड़-घटा को राजनेता और मुख्यधारा का मीडिया दोनों ही कुछ ज़्यादा ही तवज्जो देते हैं और इनसे अमूमन ऐसे नतीजे निकलते हैं जो सच्चाई से परे होते हैंI तमाम तरह के जातिय समीकरणों के आधार पर विभिन्न समीक्षक बहसों में लगे हैं कि ये पार्टी जीतेगी या वो पार्टी जीतेगीI उदाहरण के तौर पर, कईयों के कहना है कि कांग्रेस को ओबीसी, दलितों और मुसलमानों का समर्थन प्राप्त है इसलिए उनका हारना असंभव सा लगता हैI कुछ कह रहे हैं कि लिंगायत और वीरशैव भी बीजेपी को छोड़ कर कांग्रेस को वोट देंगेI मैसूर के पुराने क्षेत्र में, सब कयास लगा रहे हैं कि क्षेत्र की एक शक्तिशाली जाति वोक्कालिगा जद(एस) को समर्थन देने वाले हैं इसलिए यहाँ ज़्यादातर सीटें वही जीतेंगेI इन चुनावों में टक्कर काँटे की है जो हो सकता है कि इन जातिय समीकरणों से कुछ हद तक प्रभावित होंI लेकिन असल राजनीतिक और आर्थिक मुद्दे ही ज़्यादा बड़े निर्णायक तत्व साबित होंगेI  

मोदी सरकार और संघ परिवार के हालिया दलित-विरोधी कार्यों जैसे पीओए एक्ट में बदलाव करना, अत्याचारों का बढ़ना और इन तबकों के लिए दी जाने वाले अनुदानों में कटौती करना आदि से लगता नहीं कि राज्य के 17% दलित और 6% आदिवासी बीजेपी के साथ जायेंगेI हालांकि, बसपा ने जद(एस) के लिए समर्थन घोषित किया है, लेकिन बेंगलूरू में पहली रैली करने के बाद मायावती वापस राज्य में नहीं लौटी हैं, जिससे संकेत मिल रहे हैं कि वो कांग्रेस के भी साथ हैंI

भ्रष्टाचार

सामान्यतया, भ्रष्टाचार व्यापक राजनीतिक स्तर पर असर करता है न कि अलग-अलग सीटों कोI उदाहरण के लिए 2014 के आम चुनावों में, एक आम धारणा बनी कि कांग्रेस भ्रष्टाचार में डूबी हुई है और इसके बावजूद कई भ्रष्ट लोग अपनी-अपनी सीटों से चुनाव जीत गयेI लेकिन कर्णाटक में स्थिति बहुत अजीब है क्योंकि बीजेपी के मुख्यमंत्री पर के दावेदार येद्दुरप्पा ने जेल की हवा खा चुके हैं, भ्रष्टाचार के मामले में अपदस्त किये जा चुके हैं और भीर भी वो प्रचार का नेतृत्त्व कर रहे हैंI बेल्लारी के खदान केस में आरोपी रेड्डी भाईयों को भी बीजेपी ने ही उम्मेदवार के तौर पर मैदान में उतारा हैI तो, भ्रष्टाचार के मुद्दे पर तो बीजेपी समझौता कर ही चुकी हैI सिद्धारमैया के खिलाफ़ उनके आरोपों में भी दम नहीं है क्योंकि उन्हें आमतौर पर एक कम भ्रष्ट नेता माना जाता हैI इन चुनावों में भ्रष्टाचार एक मुद्दा तो है लेकिन इसका ज़्यादा नुकसान बीजेपी को ही दिख रहा हैI   

karnataka
Karnataka Assembly
Karnataka Assembly Elections 2018
BJP
Result

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    मुंडका अग्निकांड: सरकारी लापरवाही का आरोप लगाते हुए ट्रेड यूनियनों ने डिप्टी सीएम सिसोदिया के इस्तीफे की मांग उठाई
    17 May 2022
    मुण्डका की फैक्ट्री में आगजनी में असमय मौत का शिकार बने अनेकों श्रमिकों के जिम्मेदार दिल्ली के श्रम मंत्री मनीष सिसोदिया के आवास पर उनके इस्तीफ़े की माँग के साथ आज सुबह दिल्ली के ट्रैड यूनियन संगठनों…
  • रवि शंकर दुबे
    बढ़ती नफ़रत के बीच भाईचारे का स्तंभ 'लखनऊ का बड़ा मंगल'
    17 May 2022
    आज की तारीख़ में जब पूरा देश सांप्रादायिक हिंसा की आग में जल रहा है तो हर साल मनाया जाने वाला बड़ा मंगल लखनऊ की एक अलग ही छवि पेश करता है, जिसका अंदाज़ा आप इस पर्व के इतिहास को जानकर लगा सकते हैं।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    यूपी : 10 लाख मनरेगा श्रमिकों को तीन-चार महीने से नहीं मिली मज़दूरी!
    17 May 2022
    यूपी में मनरेगा में सौ दिन काम करने के बाद भी श्रमिकों को तीन-चार महीने से मज़दूरी नहीं मिली है जिससे उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
  • सोन्या एंजेलिका डेन
    माहवारी अवकाश : वरदान या अभिशाप?
    17 May 2022
    स्पेन पहला यूरोपीय देश बन सकता है जो गंभीर माहवारी से निपटने के लिए विशेष अवकाश की घोषणा कर सकता है। जिन जगहों पर पहले ही इस तरह की छुट्टियां दी जा रही हैं, वहां महिलाओं का कहना है कि इनसे मदद मिलती…
  • अनिल अंशुमन
    झारखंड: बोर्ड एग्जाम की 70 कॉपी प्रतिदिन चेक करने का आदेश, अध्यापकों ने किया विरोध
    17 May 2022
    कॉपी जांच कर रहे शिक्षकों व उनके संगठनों ने, जैक के इस नए फ़रमान को तुगलकी फ़ैसला करार देकर इसके खिलाफ़ पूरे राज्य में विरोध का मोर्चा खोल रखा है। 
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License