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भारत
राजनीति
कर्नाटक में जो हो रहा है वह लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत है?
लोकसभा चुनाव के बाद अचानक अतंरआत्मा की आवाज पर कांग्रेस-जेडीएस गठबधंन के 14 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है। इसके बाद से कर्नाटक सरकार एक बार फिर से खतरे में है।
अमित सिंह
09 Jul 2019
फाइल फोटो
Image Courtesy: indiatoday.in

कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस की गठबंधन सरकार एक बार फिर से खतरे में है। इस बार के संकट की शुरुआत तब हुई जब एक-एक करके कांग्रेस-जेडीएस गठबधंन के 14 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है। 

अब तक खबर यह है कि ये 14 विधायक पुणे से करीब 90 किलोमीटर दूर किसी स्थान पर हैं और वे गोवा जाने या बेंगलुरु लौटने का निर्णय लेने से पहले अपने इस्तीफे पर विधानसभा के फैसले का इंतजार करेंगे। 

आपको बता दें कि कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार के संकट के केंद्र बिंदु ये 14 विधायक मुम्बई ठहरे हुए थे और सोमवार शाम को गोवा रवाना हुए थे। सूत्रों के मुताबिक वे फिलहाल महाराष्ट्र में ही पुणे से सतारा की ओर करीब 90 किलोमीटर दूर किसी स्थान पर हैं। उनके इस्तीफे स्वीकार कर लिये जाते हैं तो वे बेंगलुरु लौट भी सकते हैं।

12 जुलाई से मानसून सत्र

कर्नाटक विधानमंडल का मानसून सत्र 12 जुलाई को शुरू होगा। कर्नाटक की साल भर पुरानी कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार इन विधायकों के इस्तीफे की वजह से गिरने की कगार पर पहुंच गयी है।

कर्नाटक विधानसभा में एक नामित विधायक समेत 225 सदस्य हैं। सदन में इसकी आधी सदस्य संख्या 113 होती है। इन इस्तीफों से पहले विधानसभा में कांग्रेस के 78, जद(एस) के 37 और भाजपा के 105 विधायक थे। कांग्रेस-जद(एस) गठबंधन को विधानसभा में 119 विधायकों का समर्थन प्राप्त था। 

21 मंत्रियों ने भी दिया है इस्तीफा 

कांग्रेस और जेडीएस विधायक दल में बगावत तथा कुछ विधायकों के इस्तीफा देने के बाद कर्नाटक में अपनी सरकार बचाने के लिए कड़ी मशक्कत कर रहे गठबंधन के दोनों दलों के मंत्रियों ने मंत्रिमंडल में फेरबदल करने और असंतुष्ट विधायकों को उसमें जगह देने का मार्ग प्रशस्त करने के वास्ते ‘स्वेच्छा’ से इस्तीफे दे दिये है।

सोमवार को कांग्रेस के सभी 21 मंत्रियों और जद (एस) के नौ मंत्रियों ने 13 महीने पुरानी गठबंधन सरकार से अपने इस्तीफे सौंप दिए हैं। आपको बता दें कि कुमारस्वामी अमेरिका की अपनी दस दिवसीय यात्रा से रविवार रात को लौटे थे। अब मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी का कहना है कि जल्द से जल्द मंत्रिपरिषद का पुनर्गठन किया जाएगा। 

आरोप प्रत्यारोप का दौर

उधर, कर्नाटक में विपक्षी भाजपा ने एचडी कुमारस्वामी से इस्तीफे की मांग की है। पार्टी नेता शोभा करंदलाजे ने कहा है कि मुख्यमंत्री को फौरन कुर्सी छोड़नी चाहिए क्योंकि उनकी सरकार अल्पमत में है। वहीं, पार्टी की कर्नाटक इकाई के प्रमुख बीएस येदियुरप्पा ने कहा है कि नए चुनाव कराने का सवाल ही नहीं है।

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा, ‘यह छठी बार है कि भाजपा ने राज्य में गठबंधन सरकार को अस्थिर करने का प्रयत्न किया है। वह पहले पांच बार प्रयास कर चुकी है लेकिन वह बुरी तरह विफल रही। इस बार भी वह विफल रहेगी। वह सरकार अस्थिर करने के लिए सत्ता और केंद्रीय एजेंसियों का उपयोग कर रही है।’

यह मामला संसद में भी उठाया गया जहां केंद्र सरकार ने इस राजनीतिक गतिरोध में अपनी भूमिका से इनकार किया जबकि कांग्रेस ने उस पर साजिश रचने का आरोप लगाया। लोकसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा इस्तीफा अभियान शुरू किया गया था। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस के बड़े नेता इस्तीफा दे रहे है।’

सबकी नजरें विधानसभा अध्यक्ष पर

अगर कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के बागी 13 विधायकों के इस्तीफे मंजूर हो जाते हैं तो वह अल्पमत में आ जाएगी। विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार को इन इस्तीफों पर फैसला लेना है। 

यानी गठबंधन सरकार का भविष्य रमेश कुमार पर टिका हुआ है। रमेश कुमार ने कहा है कि वे संविधान के हिसाब से फैसला लेंगे। उनका कहना था, ‘अभी तक किसी भी विधायक ने मुझसे मुलाकात नहीं की है। अगर कोई मुझसे मिलना चाहता है तो मैं अपने दफ्तर में उपलब्ध हूं।’

कांग्रेस ने मंगलवार को सरकार को बचाने के लिए रणनीति पर विचार करने के लिए एक बैठक बुलाई थी। लेकिन पार्टी के 12 विधायक उससे नदारद रहे।

अगर इन विधायकों के इस्तीफे मंजूर हो जाते हैं तो जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन के पास 103 विधायक बचेंगे। इसके साथ ही राज्य विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 113 से गोता लगाकर 105 पर आ जाएगा। भाजपा के पास इतने ही विधायक हैं और दो निर्दलीयों ने उसे समर्थन देने की घोषणा की है।

कितना खतरनाक?

कर्नाटक में जो राजनीतिक उठापठक चल रही है, वह नई तो नहीं है लेकिन इससे चुनावी राजनीति और लोकतंत्र कितना प्रभावित होगा, यह सवाल जरूर उठ रहा है? 

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक उर्मिलेश कहते हैं,'कर्नाटक में जो हो रहा है ऐसा पहले भी कई राज्यों में हो चुका है लेकिन अभी यह लोकतंत्र के लिए इसलिए खतरनाक है कि चुनाव की प्रक्रिया को लेकर बहुत सारे लोगों के जेहन में सवाल पैदा हो रहे हैं। ऐसे में जहां पर निर्वाचित सरकारें हैं उनको गिराने के प्रयास किए जाएंगें तो एक निराशा पैदा होगी। हालांकि दलबदल कानून रोकने के बहुत सारे कानून हैं लेकिन इनका सही ढंग से पालन नहीं किया जा रहा है। अब विधायकों का इस्तीफा दिलवाकर सदन में बहुमत हासिल करने का जो तरीका अपनाया जा रहा है वह हमारे लोकतंत्र को कही लेकर नहीं जाएगा। बल्कि इसे और गर्त में पहुंचाएगा।'

कर्नाटक में चल रहे इस राजनीतिक नाटक में कांग्रेस और जेडीएस की ओर से लगातार बीजेपी पर यह आरोप लगाया जा रहा है कि बीजेपी कर्नाटक सरकार को अस्थिर करके अपनी सरकार बनाना चाहती है। लेकिन बहुत सारे विश्लेषकों को लगता है कि इस बार चूक कांग्रेस और जेडीएस की तरफ से भी हुई है। 

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक नीरजा चौधरी कहती हैं,'कांग्रेस और जेडीएस ने कर्नाटक में जबसे सरकार बनाई है तब से भाजपा उसे अस्थिर करने की कोशिश कर रही है। इस बात को लेकर गठबंधन को सावधान रहना चाहिए था। बीजेपी इस बार बहुत ही सफाई से इस काम को अंजाम दे रही है। वह सामने नहीं आ रही है। इसे गठबंधन की आपसी लड़ाई बता रही है। इस पूरे मामले में जेडीएस और कांग्रेस पूरी तरह से फेल हुए हैं। कांग्रेस के नेता दिल्ली में उलझे रहे और मुख्यमंत्री ऐसे माहौल में दस दिन की छुट्टी मनाने विदेश में हैं। जबकि इन्हें पता था कि लोकसभा चुनाव में मिली अच्छी जीत के बाद बीजेपी ऐसा प्रयास जरूर करेगी। कांग्रेस और जेडीएस ने बीजेपी को इतना मौका दिया कि इस तरह के हालात कर्नाटक में बने।'

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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