NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
कश्मीर में पत्रकार तक मुश्किल में, कोर्ट का केंद्र को जल्द स्थिति सामान्य करने का निर्देश
कश्मीर में पिछले 40 दिनों से इंटरनेट और मोबाइल सेवा नहीं होने से घाटी के पत्रकारों को खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि सरकार का दावा है कि सभी समाचार पत्र काम कर रहे हैं और सरकार हरसंभव मदद मुहैया करा रही है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
16 Sep 2019
jammu and kashmir
Image courtesy:Bar & Bench

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केन्द्र से कहा कि कश्मीर में जनजीवन सामान्य करने के लिए जल्द से जल्द सभी संभव कदम उठाए। आपको बता दें कि कश्मीर में पिछले 40 दिनों से इंटरनेट और मोबाइल सेवा नहीं होने से घाटी के पत्रकारों तक को खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि सरकार का दावा है कि सभी समाचार पत्र काम कर रहे हैं और सरकार हरसंभव मदद मुहैया करा रही है।  

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ को अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने राज्य में हालात सामान्य करने के लिये प्राधिकारियों द्वारा उठाये गये कदमों के बारे में सूचित किया। इस पर पीठ ने अटार्नी जनरल को इस मामले में उठाये गये कदमों की जानकारी देते हुये हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।

कश्मीर घाटी में मोबाइल और इंटरनेट सेवायें कथित रूप से ठप होने के बारे में जब शीर्ष अदात को बताया गया तो पीठ ने कहा कि इन मुद्दों पर जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय विचार कर सकता है। पीठ ने कहा, ‘क्या आज भी वही स्थिति है? हम कह रहे हैं कि यदि कुछ स्थानीय मुद्दे हैं तो बेहतर होगा कि उन पर उच्च न्यायालय विचार करे। उच्च न्यायालय के लिये यह जानकारी प्राप्त करना आसान होगा कि मोबाइल और इंटरनेट सेवा ठप होने को लेकर राज्य में क्या हो रहा है।’

कश्मीर टाइम्स की कार्यकारी संपादक अनुराधा भसीन की ओर से अधिवक्ता वृन्दा ग्रोवर ने पीठ से कहा कि कश्मीर घाटी में मोबाइल, इंटरनेट सेवा और सार्वजनिक परिवहन सेवा काम नहीं कर रही है और उनके लिये उच्च न्यायालय जाना मुश्किल होगा।

अनुराधा भसीन ने अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान रद्द किये जाने के बाद जहां राज्य में पत्रकारों के काम करने पर लगाये गये प्रतिबंध हटाने का अनुरोध किया वहीं कुछ अन्य याचिकाकर्ताओं ने कश्मीर में सार्वजनिक परिवहन सेवा ठप होने और चिकित्सीय सुविधाओं की कमी का मुद्दा उठाया।

हालांकि, वेणुगोपाल ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा उठाये गये मुद्दे ‘सही नहीं लगते’ क्योंकि कश्मीर में स्थित समाचार पत्र प्रकाशित हो रहे हैं और सरकार उन्हें हर तरह की सहायता देने की पेशकश कर रही है। पीठ ने कहा, ‘यह एक या दो समाचार पत्रों का मामला नहीं है। वे कह रहे हैं कि सामान्य संचार व्यवस्था ठप है। हम जानना चाहते हैं कि क्या यह ब्रेक डाउन है या शटडाउन और किस वजह से।’

वेणुगोपाल ने पीठ से कहा कि श्रीनगर में मीडिया सेन्टर स्थापित किया गया है जहां सुबह आठ बजे से रात 11 बजे तक पत्रकारों को इंटरनेट और फोन सुविधायें उपलब्ध करायी जा रही हैं। पत्रकारों को अपना काम करने के लिये आने जाने के पास और वाहन भी उपलब्ध कराये जा रहे हैं।

पीठ ने अटार्नी जनरल से कहा, ‘आप ये सारी बातें हलफनामें पर दें। इस बीच, हम आप पर (सरकार) भरोसा करते हैं कि आप सेवायें बहाल करने और हालात सामान्य बनाने का प्रयास करेंगे।

जम्मू कश्मीर प्रशासन की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ‘राज्य में पांच अगस्त के बाद एक भी गोली नहीं चलाई गयी है।’ वेणुगोपाल ने कहा कि राज्य में प्रशासन तीन ओर से हमले का सामना कर रहा है। पहला हमला अलगाववादियों द्वारा है, दूसरा आतकवादियों द्वारा जिन्हें सीमापार से भेजा जा रहा है ओर तीसरा हमला स्थानीय आतंकवादियों से है जिनहें बाहर से वित्तीय मदद मिल रही है।

उन्होंने कहा कि 1990 से इस साल पांच अगस्त तक राज्य में आतंकी हिंसा की 71,038 घटनाओं में 41,866 व्यक्तियों ने अपनी जान गंवाई। इन घटनाओं में 5,292 सुरक्षाकर्मियों की भी जान गयी है। जब कुछ अन्य याचिकाकर्ताओं ने कश्मीर में चिकित्सा सुविधाओं की कथित कम की का मुद्दा उठाया तो वेणुगोपाल ने कहा कि घाटी में पांच अगस्त से 15 सितंबर तक अस्पतालों के बहिरंग मरीज विभाग में करीब 10.52 लाख मरीजों को देखा गया है।

मेहता ने कहा कि कश्मीर मंडल में 105 थाना क्षेत्रों में से 93 में प्रतिबंध हटा लिये गये हैं जो करीब 88.06 फीसदी है। उन्होंने कहा कि जम्मू और लद्दाख मंडल में शत प्रतिशत प्रतिबंध हटा लिये गये हैं। सालिसीटर जनरल ने कहा कि राज्य में दवाओं की कोई कमी नहीं है और आवश्यक वस्तुओं का तीन महीने का स्टाक पहले से ही वहां है। उन्होने कहा, ‘न्यायालय के समक्ष पेश तस्वीर गलत है।’

पीठ ने जब यह कहा कि केन्द्र और राज्य को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हालात सामान्य बनें तो मेहता ने कहा, ‘इस निर्देश का अन्यत्र देश के भीतर नहीं बल्कि बाहर दुरुपयोग हो सकता है।’ इस पर पीठ ने कहा, ‘हम कोई निर्देश नहीं दे रहे हैं। हमने यही कहा है कि राष्ट्रीय हित ध्यान में रखते हुये चयनित आधार पर स्थिति बहाल की जायेगी।'

केंद्र ने कोर्ट में भले ही मीडिया को लेकर 'सबकुछ ठीक है' जैसा बयान दिया लेकिन समाचार एजेंसी भाषा की ही ख़बर के अनुसार कश्मीर में पिछले 40 दिनों से इंटरनेट और मोबाइल सेवा नहीं होने से घाटी के पत्रकारों को खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है और सरकार द्वारा बनाया गया एक अस्थायी मीडिया केंद्र ही बाकी दुनिया के साथ उनके संपर्क का एक मात्र जरिया बना हुआ है।
केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में प्रदेशों में बांटने के फैसले की पूर्व संध्या पर चार अगस्त की शाम से घाटी में पाबंदियां लागू हैं।

लैंडलाइन फोन सेवा को इस महीने के शुरू में फिर से बहाल किया गया है लेकिन मोबाइल सेवाएं और इंटरनेट-किसी भी प्लेटफॉर्म पर- अब भी बंद हैं। परेशान पत्रकारों ने अब मांग की है कि सरकार को कम से कम मीडिया संस्थानों के ब्रॉडबैंड कनेक्शन बहाल करने चाहिए।
एक वरिष्ठ फोटो पत्रकार इरफान अहमद ने कहा, “हमारा अपने मुख्यालयों से न्यूनतम संपर्क है। हम अक्सर असाइनमेंट या कुछ दूसरे कामों की वजह से अपने कार्यालयों से बाहर रहते हैं और ऐसे में मुख्यालय में बैठे व्यक्ति या हमारे घरवालों के लिये भी मोबाइल फोन सेवाओं की अनुपस्थिति में हमसे संपर्क करना बेहद मुश्किल होता है।”

एक दैनिक अखबार के लिये काम करने वाले एक अन्य स्थानीय पत्रकार मुदासिर ने कहा कि संचार बाधित होने की वजह से सूचना संग्रहण का काम भी मुश्किल हो रहा है।

उन्होंने कहा, “हमें अक्सर पता नहीं चलता कि शहर में क्या हो रहा है और दूसरे जिलों से भी सूचनाएं आनी मुश्किल हो गई हैं। हमें घटनाओं के बारे में आधिकारिक वर्णन पर निर्भर होना पड़ता है। अन्य जिलों के अधिकारियों और सूत्रों तक पहुंचना अब बहुत मुश्किल हो गया है।”
प्रतिबंध लगाए जाने के बाद शुरुआती कुछ दिनों में पत्रकार टीवी चैनलों की ओबी वैन के अलावा किसी और जरिये से खबर भेजना संभव नहीं था।

कई पत्रकार अपनी खबरों को पेन ड्राइव में डालकर हवाईअड्डों पर जाकर विमान यात्रियों के जरिये अपनी खबर भेजते थे। यात्री तब मीडिया हाउस को फोन कर संपर्क कर पेनड्राइव देते थे।करीब एक हफ्ते बाद राज्य सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ने एक स्थानीय होटल के कॉन्फ्रेंस कक्ष में अस्थायी तौर पर मीडिया सुविधा केंद्र स्थापित किया गया।

यहां राज्य और राज्य के बाहर के सैकड़ों पत्रकारों के लिये चार कंप्यूटर और एक मात्र मोबाइल फोन है जो नाकाफी साबित होता था।
पत्रकारों की शिकायतों के बाद हालांकि यहां कुछ कंप्यूटर बढ़ाए गए हैं और नेटवर्क की स्पीड में भी इजाफा किया गया है।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

Jammu and Kashmir
Kashmir conflict
Journalist in kashmir
Article 370
kashmiri awaam
modi sarkar
Media in Kashmir

Related Stories

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

कश्मीर में हिंसा का नया दौर, शासकीय नीति की विफलता

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

कश्मीरी पंडितों के लिए पीएम जॉब पैकेज में कोई सुरक्षित आवास, पदोन्नति नहीं 

यासीन मलिक को उम्रक़ैद : कश्मीरियों का अलगाव और बढ़ेगा

आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उम्रक़ैद

क्यों अराजकता की ओर बढ़ता नज़र आ रहा है कश्मीर?

कैसे जम्मू-कश्मीर का परिसीमन जम्मू क्षेत्र के लिए फ़ायदे का सौदा है


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    क्या पुलिस लापरवाही की भेंट चढ़ गई दलित हरियाणवी सिंगर?
    25 May 2022
    मृत सिंगर के परिवार ने आरोप लगाया है कि उन्होंने शुरुआत में जब पुलिस से मदद मांगी थी तो पुलिस ने उन्हें नज़रअंदाज़ किया, उनके साथ दुर्व्यवहार किया। परिवार का ये भी कहना है कि देश की राजधानी में उनकी…
  • sibal
    रवि शंकर दुबे
    ‘साइकिल’ पर सवार होकर राज्यसभा जाएंगे कपिल सिब्बल
    25 May 2022
    वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कांग्रेस छोड़कर सपा का दामन थाम लिया है और अब सपा के समर्थन से राज्यसभा के लिए नामांकन भी दाखिल कर दिया है।
  • varanasi
    विजय विनीत
    बनारस : गंगा में डूबती ज़िंदगियों का गुनहगार कौन, सिस्टम की नाकामी या डबल इंजन की सरकार?
    25 May 2022
    पिछले दो महीनों में गंगा में डूबने वाले 55 से अधिक लोगों के शव निकाले गए। सिर्फ़ एनडीआरएफ़ की टीम ने 60 दिनों में 35 शवों को गंगा से निकाला है।
  • Coal
    असद रिज़वी
    कोल संकट: राज्यों के बिजली घरों पर ‘कोयला आयात’ का दबाव डालती केंद्र सरकार
    25 May 2022
    विद्युत अभियंताओं का कहना है कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 की धारा 11 के अनुसार भारत सरकार राज्यों को निर्देश नहीं दे सकती है।
  • kapil sibal
    भाषा
    कपिल सिब्बल ने छोड़ी कांग्रेस, सपा के समर्थन से दाखिल किया राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन
    25 May 2022
    कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे कपिल सिब्बल ने बुधवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के समर्थन से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया। सिब्बल ने यह भी बताया कि वह पिछले 16 मई…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License