NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अर्थव्यवस्था
कुल उत्पादन के एक तिहाई के लिए एमएसपी, बाकी का क्या?
सरकार चावल और गेहूँ के उत्पादन का केवल एक तिहाई हिस्सा खरीदती है और इसी के लिए एमएसपी का भुगतान किया जाता है।
सुबोध वर्मा
09 Jul 2018
Translated by महेश कुमार
MSP

हाल भी में धान और कई मोटे अनाज सहित 14 खरीफ की फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा पर मोदी सरकार और भाजपा आत्ममुग्ध होते थक नहीं रही और एक शर्मनाक चापलूस मुख्यधारा मीडिया इसे और बढ़ावा दे रहा है। हालांकि कईयों ने इस और भी इशारा किया है कि यह स्वामीनाथन आयोग द्वारा प्रस्तावित एमएसपी इनपुट की कुल लागत जमा 50 प्रतिशत के फोर्मुले से कम बताया और जो भाजपा और मोदी का चुनावी वादे भी था।

लेकिन यह मामला कम एमएसपी से बड़ा है। खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के मुहैया कराये गये पिछले वर्षों के आँकड़ों से पता चलता है कि केंद्रीय और राज्य सरकार की एजेंसियों द्वारा गेहूँ की खरीद लगभग 28-30 प्रतिशत तक ही सीमित रही। 2017-18 में, सरकार ने कुल उत्पादन का 30.8 मिलियन टन गेहूँ खरीदा जबकि कुल उत्पादन 98.61 मिलियन टन था। जो कुल उत्पादन की खरीद का 31 प्रतिशत है। 2016-17 में जब सूखे का फसलों पर असर हुआ और यह साल इस लहज़े से एक बुरा साल रहा तो खरीद केवल 23 प्रतिशत तक गिर गयी थी।

MSP 1

तो, बाकी गेहूँ का क्या होता है? इसका काफी बड़ा हिस्सा का उपभोग खुद छोटे और सीमांत किसानों और यहाँ तक कि मध्यम किसानों द्वारा किया जाता है। इस तरह वे जीवित रह रहे हैं। सरकार के मुताबिक पंजाब और हरियाणा जैसे समृद्ध राज्यों के किसान बिहार जैसे गरीब राज्यों के किसानों की तुलना में अपने उत्पादन का बड़ा हिस्सा (जिसे बाज़ार में बेचे जा सकने वाला अतिरिक्त उत्पादन कहा जाता है) बेचते हैं। साथ ही, इन राज्यों में खरीद मशीनरी अधिक व्यापक है। पंजाब में साल 2014-15 और 2016-17 के दौरान सालाना जो औसत 15.7 मिलियन टन गेहूँ पैदा हुआ उसमें से 14 मिलियन टन बाज़ार में बेचा गया और 10.9 मिलियन टन ही सरकार ने एमएसपी पर खरीदाI लेकिन बिहार में सालाना 4.5 मिलियन टन उत्पादन किया गया, 3.7 मिलियन टन का बाज़ार में बिक्री के लिए गया और सरकार ने कुछ भी नहीं खरीदा। और बाज़ार में भी इसे घोषित एमएसपी से कम दाम पर बेचा गया!

यह सिर्फ गेहूँ की समस्या नहीं है। धान के किसानों की स्थिति भी ऐसी ही हैI औसत खरीद कुल उत्पादन के 30-35 प्रतिशत के बीच है। शेष एमएसपी के नीचे कीमतों पर खुले बाजार में बेच जाता है या स्वयं उपभोग किया जाता है। सरकार के अध्ययनों से पता चला है कि ओडिशा में, सीमांत किसान अपने धान का सिर्फ 5 प्रतिशत सरकार को बेच पाते हैं। जबकि बड़े किसान सरकार को 36 प्रतिशत से ज़्यादा बेचते हैं। जाहिर है, एमएसपी का लाभ बड़े किसानों को मिलता है।

MSP 2

मोटे अनाज (बाजरा, ज्वार, रागी इत्यादि) के मामले में, स्थिति बेहद दयनीय है। 2017-18 में, लगभग 45 मिलियन टन मोटे अनाज का उत्पादन किया गया था, लेकिन सरकार द्वारा केवल 86,000 टन खरीदा गया। कुल उत्पादन का यह 0.2 प्रतिशत है। याद रखें - मोटे अनाज मुख्य रूप से वर्षा वाले इलाकों में छोटे किसानों द्वारा उत्पादित होते हैं। उन्हें सबसे अधिक मूल्य समर्थन की आवश्यकता है और लेकिन उन्हें मिलता सबसे कम हैI

MSP 3

एमएसपी के लिए वास्तव में पूरे खेती समुदाय को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार द्वारा खरीद को ज़बरदस्त बढ़ावा देने की ज़रूरत है। लेकिन मोदी सरकार की ऐसा करने की कोई योजना नहीं है। यहाँ तक कि खरीफ की फसलों के लिए नए एमएसपी की घोषणा की जा रही है, लेकिन उसने खरीद प्रणाली के मामले को स्थगित कर दिया और दावा किया कि यह काम बाद में किया जाएगा।

सरकार का इरादा भंडारण क्षमता से स्पष्ट है। यदि आप अनाज खरीदते हैं, तो आपको उचित कवर स्टोरेज स्पेस की आवश्यकता होगी। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के आँकड़ों के अनुसार, 36.2 मिलियन टन अनाज के लिए भंडारण क्षमता उपलब्ध है, जिसमें 2.6 मिलियन टन सीएपी (कवर और प्लिंथ) है, जो खुला भंडारण है। लगभग 21 मिलियन टन भंडारण क्षमता का - कुल 60 प्रतिशत है - जिसे निजी पार्टियों से किराए पर ली जाती है, जिसके लिए एफसीआई ने 834 करोड़ रुपये का किराया दिया है। यहाँ तक कि अगर किसी एक मौसम में खाद्यान्न के कुल उत्पादन का आधा हिस्सा किसानों द्वारा सरकार को बेचा जाता है तो गोदामों में अनाज़ बहने लगेग और बहुमूल्य अनाज को सड़ने के लिये छोड़ दिया जाएगा। स्टील सिलो बनाने की योजना, कुछ समय पहले शुरू हुई थी, जिसके परिणामस्वरूप केवल 60,000 टन की क्षमता ही बन पायी।

जाहिर है, एमएसपी अभ्यास एक गड़बड़ है, इस साल की घोषणा चुनाव में राजनीतिक लाभ को नजर रख कर की गयी। सरकार को बहुत अच्छी तरह से पता है कि ज्यादतर किसानों को थोक खरीद द्वारा कवर नहीं किया जा रहा है। दरअसल यह एक डबल धोखाधड़ी है - न ही एमएसपी कुल लागत से 50 प्रतिशत अधिक है, न ही यह किसानों के बहुमत को कवर करने जा रहा है। लेकिन फिर, यह सरकार इस तरह से ही काम करती है।

MSP
मोदी सरकार
स्वामीनाथन आयोग
स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें
कृषि संकट

Related Stories

किसानों और सत्ता-प्रतिष्ठान के बीच जंग जारी है

छोटे-मझोले किसानों पर लू की मार, प्रति क्विंटल गेंहू के लिए यूनियनों ने मांगा 500 रुपये बोनस

अगर फ़्लाइट, कैब और ट्रेन का किराया डायनामिक हो सकता है, तो फिर खेती की एमएसपी डायनामिक क्यों नहीं हो सकती?

किसान-आंदोलन के पुनर्जीवन की तैयारियां तेज़

MSP पर लड़ने के सिवा किसानों के पास रास्ता ही क्या है?

क्यों है 28-29 मार्च को पूरे देश में हड़ताल?

28-29 मार्च को आम हड़ताल क्यों करने जा रहा है पूरा भारत ?

सावधान: यूं ही नहीं जारी की है अनिल घनवट ने 'कृषि सुधार' के लिए 'सुप्रीम कमेटी' की रिपोर्ट 

मोदी सरकार की वादाख़िलाफ़ी पर आंदोलन को नए सिरे से धार देने में जुटे पूर्वांचल के किसान

ग़ौरतलब: किसानों को आंदोलन और परिवर्तनकामी राजनीति दोनों को ही साधना होगा


बाकी खबरें

  • समीना खान
    विज्ञान: समुद्री मूंगे में वैज्ञानिकों की 'एंटी-कैंसर' कम्पाउंड की तलाश पूरी हुई
    31 May 2022
    आख़िरकार चौथाई सदी की मेहनत रंग लायी और  वैज्ञानिक उस अणु (molecule) को तलाशने में कामयाब  हुए जिससे कैंसर पर जीत हासिल करने में मदद मिल सकेगी।
  • cartoon
    रवि शंकर दुबे
    राज्यसभा चुनाव: टिकट बंटवारे में दिग्गजों की ‘तपस्या’ ज़ाया, क़रीबियों पर विश्वास
    31 May 2022
    10 जून को देश की 57 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होने हैं, ऐसे में सभी पार्टियों ने अपने बेस्ट उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। हालांकि कुछ दिग्गजों को टिकट नहीं मिलने से वे नाराज़ भी हैं।
  • एम. के. भद्रकुमार
    यूक्रेन: यूरोप द्वारा रूस पर प्रतिबंध लगाना इसलिए आसान नहीं है! 
    31 May 2022
    रूसी तेल पर प्रतिबंध लगाना, पहले की कल्पना से कहीं अधिक जटिल कार्य साबित हुआ है।
  • अब्दुल रहमान
    पश्चिम बैन हटाए तो रूस वैश्विक खाद्य संकट कम करने में मदद करेगा: पुतिन
    31 May 2022
    फरवरी में यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका और उसके सहयोगियों ने रूस पर एकतरफा प्रतिबंध लगाए हैं। इन देशों ने रूस पर यूक्रेन से खाद्यान्न और उर्वरक के निर्यात को रोकने का भी आरोप लगाया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट
    31 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,338 नए मामले सामने आए हैं। जबकि 30 मई को कोरोना के 2,706 मामले सामने आए थे। 
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License