NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
कुपोषण से जूझ रहे झारखंड और मध्य प्रदेश, बाल कल्याण सूचकांक में निचले पायदान पर
सूचकांक के अनुसार केरल ने स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षण सुविधाओं में जबरदस्त प्रदर्शन करके शीर्ष स्थान हासिल किया है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
27 Aug 2019
kuposhan
फोटो साभार :दलित दस्तक

कुपोषण को दूर करने के लिए भले ही सरकारें तमाम दावे कर रही हों, लेकिन हकीकत इससे कोसो दूर ही नज़र आती है। भारत में मातृ एवं बाल स्वास्थ्य और पोषण से संबंधी 30 से अधिक सरकारी कार्यक्रम और योजनाएँ हैं, परंतु इसके बावजूद भी भारत कुपोषण के संकट से जूझ रहा है। भाषा की खबर के अनुसार बच्चों की कुशलता को मापने वाले एक सूचकांक में झारखंड और मध्य प्रदेश खराब पोषण तथा शिशुओं के जीने की कम दर के कारण निचले पायदान पर हैं। इस सूचकांक का आकलन बच्चों के स्वास्थ्य संबंधी विकास, सकारात्मक संबंध और संरक्षण संबंधी विषयों के आधार पर किया जाता है।

सूचकांक के अनुसार केरल ने स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षण सुविधाओं में जबरदस्त प्रदर्शन करके शीर्ष स्थान हासिल किया है।

मंगलवार को प्रकाशित ‘द चाइल्ड वेल-बीइंग इंडेक्स’ रिपोर्ट से तीन मानकों के आधार पर बच्चों की कुशलता, उनकी सेहत को मापा जाता है। गैर सरकारी संगठनों वर्ल्ड विजन इंडिया और आईएफएमआर लीड ने इस सूचकांक को विकसित किया है।

इसके तहत प्रत्येक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश में बच्चों की स्थिति का आकलन किया जाता है। सूचकांक में केरल, तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश शीर्ष पर रहे। वहीं सबसे निचले पायदानों पर क्रमश: मेघालय,झारखंड और मध्य प्रदेश आये हैं।

वर्ल्ड विजन इंडिया के राष्ट्रीय निदेशक और सीईओ चेरियन थॉमस ने कहा, ‘‘यह रिपोर्ट बच्चों की कुशलता को मापने के लिए बहुआयामी तरीकों को उजागर करती है। इसमें महज गरीबी को ही नहीं मापा जाता, बल्कि उससे परे अन्य मानकों पर भी स्तर मापा जाता है।’’

राष्ट्रीय पोषण मिशन में भी अन्य सरकारी योजनाओं की तरह ही आवंटित राशि के आंशिक प्रयोग का सामना कर रही है। इस योजना के लिये वर्ष 2018-19 में आवंटित कुल संसाधनों का मात्र 16 प्रतिशत ही प्रयोग में लाया गया था। इसके अलावा रियल टाइम डेटा मॉनिटरिंग, स्थिरता और जवाबदेही की कमी के कारण यह मिशन काफी प्रभावित हो सकता है, इसलिये हमे निगरानी प्रणाली को और मज़बूत करने तथा स्थिरता एवं जवाबदेही को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।

बच्चों के जीवन की सुरक्षा करने की जिम्मेदारी संविधान सरकार को देता है। ऐसे में किसी भी बच्चे के कुपोषण और स्वास्थ्य के संकट को हल न कर पाने की जिम्मेदारी भी चुनी हुई सरकार की ही होती है। ऐसे में ये समझना जरूरू है कि जिंदगी-मौत के बीच सरकारी मोहलत नहीं होती।

(भाषा इनपुट के साथ)

jharkhand and Madhya Pradesh struggling with malnutrition
Child welfare index
Kerala has tremendous health nutrition and educational facilities
Maternal and child health and nutrition in India
World vision india
NGO
IFMR Lead

Related Stories


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    किसान-योद्धा ग़ुलाम मोहम्मद जौला के निधन पर शोक
    16 May 2022
    गुलाम मोहम्मद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत के साथ भारतीय किसान यूनियन की बुनियाद डालने वाले जुझारू किसान नेता थे। अपने जीवन के अंतिम दिनों तक वे किसान आंदोलन में सक्रिय रहे।
  • abhisar sharma
    न्यूज़क्लिक टीम
    भाजपा से मुकाबला कर पाएगी कांग्रेस ?
    16 May 2022
    आज न्यूज़चक्र के इस एपिसोड में अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं कांग्रेस के चिंतन शिविर की। वे सवाल उठा रहे हैं कि क्या आने वाले चुनावों में कांग्रेस भाजपा को चुनौती दे पाएगी?
  • रवि शंकर दुबे
    विश्लेषण: कांग्रेस के ‘चिंतन शिविर’ से क्या निकला?
    16 May 2022
    राजस्थान के उदयपुर में आयोजित हुए कांग्रेस के तीन दिवसीय चिंतन शिविर में कई बड़े फ़ैसले लिए गए।
  • मुकुंद झा
    मुंडका अग्निकांड के लिए क्या भाजपा और आप दोनों ज़िम्मेदार नहीं?
    16 May 2022
    नगर निगम में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) इस घटना के लिए दिल्ली सरकार को ज़िम्मेदार बता रही है, जबकि दिल्ली सरकार में सत्तधारी आम आदमी पार्टी (आप) इसके लिए बीजेपी को ज़िम्मेदार बता रही है।…
  • एम.ओबैद
    बिहार : सरकारी प्राइमरी स्कूलों के 1.10 करोड़ बच्चों के पास किताबें नहीं
    16 May 2022
    पहली से आठवीं तक के क़रीब 1 करोड़ 67 लाख बच्चों में से 1 करोड़ 10 लाख बच्चों के पास आज भी किताबें उपलब्ध नहीं हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License