NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
क्या एक पूर्व सज़ायाफ्ता व्यक्ति चुनाव लड़ सकता है?
आज सिक्किम में एक सवाल खड़ा हो गया है कि क्या कोई व्यक्ति सज़ा काटने के बाद चुनाव लड़ सकता है या नहीं।
विवान एबन
05 Feb 2019
Translated by महेश कुमार
Prem Singh Tamang (file photo)

लोकसभा चुनावों कई लिए भारत में वोट पड़ने से कुछ महीने पहले, एक चुनावी मुद्दे ने सिक्किम को हिला रखा है। सिक्किम उन कुछ राज्यों में से एक है जहाँ विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनावों के साथ होते हैं, इसलिए चुनाव के समय मुद्दे राज्य विशेष आधारित होते हैं। यहां मुद्दा यह है कि क्या प्रेम सिंह तमांग (गोले) चुनाव लड़ने के योग्य हैं या नहीं।

2014 के चुनावों में पवन कुमार चामलिंग के मुख्य प्रतिद्वंदी के रूप में दिखाई देने वाले गोयले ने 2009 में सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) के खिलाफ विद्रोह का झंडा उठाया था, उस वक्त वे भवन और आवास विभाग के मंत्री थे। 2013 में, उन्होंने सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (SKM) लॉन्च किया। हालांकि, दिसंबर 2016 में उन्हें एक पुराने मामले जब 1994 और 1999 के बीच वे एस.डी.एफ. सरकार में पशुपालन, गिरिजाघर और उद्योग विभाग मंत्री थे, भ्रष्टाचार में संलिप्त होने के लिए भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा के तहत अपराध के लिए एक सत्र अदालत द्वारा साधारण कारावास की सज़ा सुनाई गई थी। एक साल सलाखों के पीछे रहने के बाद 10 अगस्त, 2018 को उनकी सज़ा समाप्त हो गई थी।

जन प्रतिनिधित्व 1951 कानून

2002 में, जन प्रतिनिधित्व कानून में तीन बार संशोधन किया गया। पहले संशोधन में अधिनियम की धारा 8 के तहत अयोग्यता के लिए अतिरिक्त आधार जोड़े गए। अयोग्यता के तीन आधार इस प्रकार थे: सती आयोग (रोकथाम) अधिनियम, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, और आतंकवाद निरोधक अधिनियम के तहत अपराधों के लिए हुई सज़ा। इस धारा में भी संशोधन किया गया था ताकि सूचीबद्ध कानूनों के प्रावधानों के तहत दोषी पाए गए व्यक्ति को कारावास की सज़ा पूरी करने पर छह साल की अवधि के लिए चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य ठहराया जा सके, और अगर  जुर्माने का मामला है तो उस तारीख से इसे माना जाएगा जिस तारीख से  जुर्माना दिया गया है।

दूसरा संशोधन अधिनियम केवल बिहार में प्रतिनिधि निकायों से संबंधित था। तीसरे संशोधन ने उम्मीदवारों पर यह जिम्मेदारी आयद की कि इस बारे में जानकारी प्रस्तुत करें कि क्या उन्हें धारा 8 के तहत उल्लेखित किसी भी अपराध के लिए अभियुक्त या दोषी तो नहीं पाया गया हैं। संशोधन में अध्याय VII को भी प्रस्तुत किया गया है, जो संसद के सदस्यों को सदन का सदस्य बनने के 90 दिनों के भीतर अपनी आय/संपत्ति और देनदारियों की घोषणा करने का प्रावधान देता है।

सिक्किम विवाद

इस प्रकार, ऐसा प्रतीत होता है कि प्रेम सिंह तमांग चुनाव नहीं लड़ सकते क्योंकि उन्हे सज़ा काटने के बाद अभी एक साल भी पूरा नहीं हुआ है। हालाँकि,यह मामला 2015 से जटिल हुआ है, जब संसद ने द रीपीलिंग एंड अमेंडिंग एक्ट, 2015 पारित किया था जिसके माध्यम से जनप्रतिनिधित्व कानून के तीन उल्लेखित संशोधनों को पूरी तरह से निरस्त कर दिया गया था। अब यह वह आधार बन गया है, जिसे ढाल बनाकर एसकेएम ने घोषणा की है कि गोयले चुनाव लड़ सकते हैं। तमांग, रंजिंग, एक वकील और एसकेएम के एक सदस्य ने सिक्किम क्रॉनिकल को बताया कि पार्टी ने इस मुद्दे पर केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय को सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत एक आवेदन प्रस्तुत किया था। मंत्रालय नेद रीपीलिंग एंड अमेंडिंग एक्ट, 2015 का उल्लेख करते हुए जवाब दिया है। इसलिए, मंत्रालय की प्रतिक्रिया के आधार पर, गोयले की अयोग्यता का कोई बड़ा आधार उत्पन्न नहीं होता है।

हालांकि, सत्तारूढ़ एसडीएफ ने 2 फरवरी, 2019 को जारी एक बयान के माध्यम से, एसकेएम की स्थिति के बारे में कुछ मुद्दों का उल्लेख किया है। सबसे पहले, धारा 4 के तहतद रीपीलिंग एंड अमेंडिंग एक्ट, 2015 कहता है कि:

“इस अधिनियम के वापस लिए जाने के बाद या किसी अधिनियम के निरस्त होने से किसी ऐसे अधिनियम को प्रभावित नहीं किया जा सकेगा जिसमें इस तरह के अधिनियम को लागू, निगमित या संदर्भित किया गया हो… और न ही यह अधिनियम कानून के किसी सिद्धांत या नियम, या स्थापित क्षेत्राधिकार, प्रपत्र या वाद के पाठ्यक्रम को प्रभावित करेगा। अभ्यास या प्रक्रिया, या मौजूदा उपयोग, कस्टम, विशेषाधिकार, प्रतिबंध, छूट, कार्यालय या नियुक्ति, इसके बावजूद कि क्रमशः किसी भी तरीके से पुष्टि, मान्यता प्राप्त या व्युत्पन्न, या किसी भी अधिनियम में यहां से निरस्त किया गया हो सकता है ... "

हालांकि, यह व्याख्या का मामला है। यदि द रीपीलिंग एंड अमेंडिंग एक्ट, 2015 ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में 2002 के संशोधन अधिनियमों को निरस्त कर दिया है, तो इसका भी पालन करना चाहिए कि प्रधान अधिनियम में उन संशोधनों को भी निरस्त किया जाए। हालाँकि, द रीपीलिंग एंड अमेंडिंग एक्ट, 2015  की धारा 4 में कहा गया है कि उल्लेखित अधिनियमों की वापसी का असर मुख्य अधिनियमों पर नहीं पड़ेगा। इसलिए, ऐसा प्रतीत होता है कि वापसी का उद्देश्य किसी विशेष संशोधन को संशोधित करना नहीं है, बल्कि विधानों की मौजूदा बड़ी सूची को हल्का करना है।

बड़ी तस्वीर

गोयले चुनाव लड़ सकते हैं या नहीं, इसका फैसला सबसे अच्छा होगा कि चुनाव आयोग पर छोड़ दिया जाए। हालांकि, यह  विशेष स्थिति बड़े सवाल खड़े कर रही है। क्या एक ऐसे व्यक्ति को जिसे सज़ा सुनाई गई है, क्या नागरिक होने के नाते उसके अधिकारों को सीमित कर देना चाहिए? एक और बात क्या उन लोगों को जो गैर-राजनीतिक गंभीर अपराधों के लिए दोषी ठहराए गए हैं को सार्वजनिक पद पर कब्जा करने की अनुमति दी जानी चाहिए? इन सवालों पर विचार करना चाहिए, चाहे सिक्किम के लोग हों, या फिर सारा भारत।

SIKKIM
SDF
Sikkim Krantikari Morcha
Sikkim Democratic Front
Prem Singh Tamang
Golay
Pawan Kumar Chamling
election commission of India
Representation of the People Act
Disqualification
Conviction

Related Stories

2 सालों में 19 लाख ईवीएम गायब! कब जवाब देगा चुनाव आयोग?

दिल्ली नगर निगम चुनाव टाले जाने पर विपक्ष ने बीजेपी और चुनाव आयोग से किया सवाल

जनादेश-2022:  इस बार कहीं नहीं दिखा चुनाव आयोग, लगा कि सरकार ही करा रही है चुनाव!

विधानसभा चुनाव: वीडियो वैन के इस्तेमाल पर निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देश जारी

चुनाव आयोग की विश्वसनीयता ख़त्म होती जा रही है

पंजाब विधानसभा चुनाव की नई तारीख़, अब 20 फरवरी को पड़ेंगे वोट

यूपी; नोट करें: आपके आस-पड़ोस में कब पड़ेंगे वोट, किस दिन आएगी आपकी बारी

राजनीति: राज्यसभा की आठ सीटें खाली लेकिन उपचुनाव सिर्फ़ एक पर

बंगाल उपचुनाव: तृणमूल ने ‘‘देरी’’ के लिए निर्वाचन आयोग की आलोचना की

कोरोना संकट के बीच अदालतों के सख़्त रवैए के बाद भी सरकारों की मनमानी?


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    डिजीपब पत्रकार और फ़ैक्ट चेकर ज़ुबैर के साथ आया, यूपी पुलिस की FIR की निंदा
    04 Jun 2022
    ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर पर एक ट्वीट के लिए मामला दर्ज किया गया है जिसमें उन्होंने तीन हिंदुत्व नेताओं को नफ़रत फैलाने वाले के रूप में बताया था।
  • india ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट
    03 Jun 2022
    India की बात के इस एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, अभिसार शर्मा और भाषा सिंह बात कर रहे हैं मोहन भागवत के बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को मिली क्लीनचिट के बारे में।
  • GDP
    न्यूज़क्लिक टीम
    GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफ़ा-नुक़सान?
    03 Jun 2022
    हर साल GDP के आंकड़े आते हैं लेकिन GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफा-नुकसान हुआ, इसका पता नहीं चलता.
  • Aadhaar Fraud
    न्यूज़क्लिक टीम
    आधार की धोखाधड़ी से नागरिकों को कैसे बचाया जाए?
    03 Jun 2022
    भुगतान धोखाधड़ी में वृद्धि और हाल के सरकारी के पल पल बदलते बयान भारत में आधार प्रणाली के काम करने या न करने की खामियों को उजागर कर रहे हैं। न्यूज़क्लिक केके इस विशेष कार्यक्रम के दूसरे भाग में,…
  • कैथरिन डेविसन
    गर्म लहर से भारत में जच्चा-बच्चा की सेहत पर खतरा
    03 Jun 2022
    बढ़ते तापमान के चलते समय से पहले किसी बेबी का जन्म हो सकता है या वह मरा हुआ पैदा हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान कड़ी गर्मी से होने वाले जोखिम के बारे में लोगों की जागरूकता…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License