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भारत
राजनीति
क्या इंटरनेट बैन है मणिपुर विश्वविद्यालय की समस्या का हल?
यूनिस्को की रिपोर्ट पर गौर करें तो दुनिया के सभी देशों में इंटरनेट बैन करने के मामले में भारत अव्वल नंबर पर रहा है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
21 Jul 2018
Internet Ban in Manipur University

मणिपुर विश्वविद्यालय के छात्रों और पुलिस के बीच शुक्रवार को झड़प होने के बाद मणिपुर सरकार ने पाँच दिनों के लिए इंटरनेट और एस.एम.एस सेवा पर  प्रतिबंध लगा दिया है। गौरतलब है कि मणिपुर विश्वविद्यालय के छात्रों ने कुलपति आद्दा प्रसाद पांडे को पद से हटाने के लिए मंगलवार  को दो दिन के लिए राज्य बंद की घोषणा की थी जिसके बाद राज्य भर में इसका असर देखा गया।

बंद के दौरान सभी अन्तर्राज्यीय और अंतर-ज़िला बस व टैक्सी एवं ऑटो रिक्शा सेवाएँ बंद रहीं। बाज़ार, होटल एवं मॉल सहित तमाम व्यापारिक प्रतिष्ठान भी बंद रहे।  हड़ताल के चलते स्कूल, कॉलेज और शैक्षणिक संस्थान भी ठप्प रहे। वहीं राजधानी के प्रमुख स्थानों पर बड़ी संख्या में सुरक्षाबल तैनात किए गए थे।

यह भी पढ़ें- मणिपुर विश्वविद्यालय: कुलपति के खिलाफ छात्र और शिक्षक भूख हड़ताल पर

मणिपुर राज्य के गृह सचिव के.एच रघुमानी सिंघ ने ओडर लैटर में कहा है कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल राज्य की जनता को भड़काने के लिए किया जा रहा है। जिस कारण राज्य भर में कानून व्यवस्था के लिए ख़तरा खड़ा हो रहा हैI

गौरतलब है कि मणिपुर विश्वविद्यालय के छात्र पिछले 43 दिनों से धरने पर हैं। 30 मई के बाद से वहाँ पढ़ाई ठप्प है। छात्रों की माँग है कि कुलपती आद्दा प्रसाद पांडे को तत्काल प्रभाव उनके पद से हटाया जाए। छात्रों का आरोप है कि कुलपती महीने में  केवल 10 दिन ही कैंपस में आते है जिसके कारण विश्वविद्यालय के कई ज़रूरी कामों में  देरी हो रही है। वहीं छात्रों ने कुलपती पर विश्वविद्यालय के भगवाकरण का भी आरोप लगाया था।

यह पहली बार नहीं है जब समस्या का समाधान करने की बजाए सरकार ने जन-संचार के माध्यम जैसे कि इंटरनेट, एस.एम.एस सेवाओं पर ही प्रतिबंध लगाया दिया गया हो। हाल ही में त्रिपुरा सरकार ने भी मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने लिए कोई उचित कदम उठाने के बजाए इंटनेट को प्रतिबंधित करके अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश की थी।

हाल ही में जारी हुई यूनिस्को की रिपोर्ट पर गौर करें तो दुनिया के सभी देशों में इंटरनेट बैन करने के मामले में भारत अव्वल नंबर पर रहा है। 2017-18 में जारी यूनिस्को की रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिणी एशियाई देशों में इंटरनेट बैन के कुल 97 मामले सामने आए हैं, जिनमें 82 मामलें अकेले भारत के हैं। वहीं इस रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में इंटरनेट बैन के कुल 12 मामले ही सामने आए हैं। पाकिस्तान के अलावा बांग्लादेश, श्रीलंका और अफगानिस्तान से एक-एक मामले सामने आए हैं।

भारत के इन 82 इंटरनेट बैन मामलों में आधे से ज़्यादा मामले कश्मीर के हैं। जहाँ सेना ने आतंकवादी गतिविधियों पर नियंत्रण पाने के नाम पर कई शहरों में इंटरनेट बैन किया। पिछले साल घाटी में आतंकवदी और अन्य नागरिकों के मारे जाने के बाद होने वाले दंगों पर लगाम लगाने के बहाने से आमूमन कई बार इंटरनेट बैन किया गया। रिपोर्ट के अनुसार कश्मीर घाटी में 31 दिनों तक वीडियो और फोटो के शेयर करने पर भी रोक लगाई गई थी।

कश्मीर के अलावा कई ऐसे भी राज्य हैं जहाँ सांप्रदायिक तनावों को देखते हुए इंटरनेट बैन किया गया। इंटरनेट बैन के 10 से ज़्यादा मामले राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों के हैं। बिहार के नवादा जिले में तो 40 दिनों तक लगातार इंटरनेट सेवाएँ बंद कर दी गयीं थीं। वहीं पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में अलग गोरखालैंड राज्य के माँग को लेकर हुई हिंसा की वजह से 45 दिनों तक इंटरनेट सेवा बाधित की गई थी।

ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या सरकार इन्टरनेट सेवा बंद कर असल मुद्दों को सुलझा पाने में अपनी नाकामी को छिपाने की कोशिश कर रही है?

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