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भारत
राजनीति
क्या काँग्रेस सच में आरएसएस पर पाबंदी लगाने का वादा कर रही है?
काँग्रेस ने वादा किया है कि वह राज्य सरकार के उस निर्णय को रद्द करेगी जिसमें सरकार ने उनके स्टाफ को आरएसएस की शाखाओं में हिस्सा लेने की अनुमति दी थी। साथ ही यह वादा किया गया है कि सरकारी संस्थानों में शाखाओं पर पाबंदी लगाई जाएगी।
काशिफ़ काकवी
14 Nov 2018
Translated by ऋतांश आज़ाद
Congress manifesto

मध्य प्रदेश चुनावों में काँग्रेस पार्टी के ‘वचन-पत्र’ के नाम से घोषणापत्र जारी किए जाने बाद मध्य प्रदेश बीजेपी ने 11 नवम्बर को एक ट्वीट किया जिसके बाद न्यूज़ चैनलों और सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया। काँग्रेस पर आरोप लगने लगे कि उसने यह वादा किया है कि अगर वह सरकार बनाती है तो वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर पाबंदी लगा देगी।
कुछ घंटों बाद बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने मीडिया से कहा- “आरएसएस एक अनुशासित सामाजिक और सांस्कृतिक संगठन है और यह बात कोर्ट ने भी मानी है। लेकिन काँग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में इस पर रोक लगाने का वादा किया है।”
उन्होंने कहा “यह काँग्रेस के नेतृत्व के दोहरे चरित्र को दिखाता है जो एक तरफ खुद को हिन्दू समर्थक कहते हैं और दूसरी तरफ अल्पसंख्यकों के वोट पाने के लिए आरएसएस को अल्पसंख्यक विरोधी दिखाकर उस पर पाबंदी लगाना चाहते हैं।’’
उन्होंने कहा कि “अगर काँग्रेस में हिम्मत है तो वह आरएसएस पर पाबंदी लगाकर दिखाये।’’ इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद न्यूज़ चैनलों और सोशल मीडिया पर यह खबर फैलने लगी कि “काँग्रेस ने वादा किया है कि अगर वह मध्य प्रदेश में सत्ता में आते हैं तो आरएसएस और उसकी शाखाओं पर पाबंदी लगा देंगे।”
जल्द ही यह खबर ट्वीटर और फ़ेसबुक पर हर जगह फैलने लगी और साथ ही #CongressFearsRSS  हैशटैग भी चर्चित हो गया।
लेकिन किसी ने भी न तो तथ्यों को जाँचने की कोशिश की और न ही किसी काँग्रेस के नेता से पूछा की उनके घोषणा पत्र में यह लिखा है या नहीं।
दरअसल राज्य की राजधानी भोपाल में शनिवार को ज्योतिरादित्य सिंधिया, कमलनाथ, दिगविजय सिंह और काँग्रेस के दूसरे नेताओं ने काँग्रेस का घोषणापत्र (वचन-पत्र) जारी किया था। दूसरे वादों के अलावा यह भी वादा किया गया था कि वह राज्य सरकार के उस निर्णय को रद्द करेंगे जिसमें सरकार ने उनके स्टाफ को आरएसएस के शाखाओं में हिस्सा लेने की अनुमति दी थी। साथ ही यह वादा किया गया है कि सरकारी संस्थानों में शाखाओं पर पाबंदी लगाई जाएगी।

Congress manifesto RSS.jpg
लेकिन इस मामले ने राज्य में चुनावी हलचल के बीच तूल पकड़ लिया और बीजेपी ने इसे इस तरह पेश किया कि काँग्रेस ने आरएसएस और उसकी शाखाओं पर पाबंदी की बात की है। बीजेपी ऐसा करने में कामयाब भी रही। सच तब सामने आया जब कमलनाथ और दूसरे नेताओं ने ट्वीटर पर बीजेपी के दावों की मुखालफत की। कई ट्वीट करके बीजेपी के आरोपों को गलत बताया गया और आरोप लगाया गया कि बीजेपी मुद्दे से भटकाने और हिन्दू वोटों के ध्रुविकरण का प्रयास कर रही है।
काँग्रेस ने पहले 1981 और फिर 2000 में एमपी सिविल सर्विसेस रूल्स 1966 के अंतर्गत सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की शाखाओं में जाने पर पाबंदी लगाई थी। इस कानून की धारा 5(1) के तहत सरकारी कर्मचारियों पर किसी भी राजनीतिक पार्टी के संगठन से जुड़ने पर पाबंदी लगाई गई थी। उनके राजनीतिक विरोध प्रदर्शन और चंदा इकट्ठा करने पर भी रोक लगाई गयी थी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस पाबंदी को अगस्त, 2006 में हटा दिया था लेकिन यह बात अगले महीने सितंबर, 2006 में ही सबके सामने आई। इस दो लाइन के आदेश में लिखा था कि सिविल सर्विसेस नियम आरएसएस पर लागू नहीं होता है।

MP ADESHPATR.jpg
इस मुद्दे पर बात करते हुए काँग्रेस की प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा “घोषणा पत्र में काँग्रेस ने वादा किया है कि वह राज्य सरकार के उस आदेश को रद्द करेगी जिसमें सरकारी इमारतों में आरएसएस की शाखाएं चलाने और कर्मचारियों को उसमें हिस्सा लेने की इजाज़त दी गयी है। इसमें आरएसएस पर पाबंदी लगाने की कोई बात नहीं की गयी है। ये लोग फिर से झूठ फैला रहे हैं जिससे असली मुद्दों से ध्यान भटकाया जा सके।”
बता दें कि सरकारी दफ्तरों में आरएसएस की शाखाओं और कर्मचारियों के उसमें शामिल होने पर पाबंदी उमा भारती के कार्यकाल में थी और शिवराज सिंह चौहान के पहले कार्यकाल के शुरुआती दौर में भी रही।

Congress manifesto
Congress VACHAN-PATRA
madhya pradesh elections
Assembly elections 2018
BJP-RSS

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