NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
क्या मध्यप्रदेश में बीजेपी का शासन बच्चों और महिलाओं के जीवन के लिये खतरा है?
पिछले 15 वर्षों के दौरान, राज्य में बलात्कार के मामलों में 532 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।
शिल्पा शाजी
10 Jul 2018
Translated by महेश कुमार
CHILDABUSE

मध्यप्रदेश में नाबालिगों के खिलाफ बलात्कार की चौंकाने वाली घटनाएँ जारी हैं, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के आँकड़ों से पता चलता है कि हाल ही में राज्य में जो बलात्कार के मामले सामने आये हैं उन्हें दरअसल एक बृहत्तर परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिएI पिछले 15 वर्षों के दौरान, राज्यों में बलात्कार के मामलों में 532 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।

 

राज्य की सबसे हाल की घटनाओं में से कुछ हैं- खजुराहो में 6 जुलाई और 7 जुलाई को तीन नाबालिग लड़कों ने 14 वर्षीय लड़की के साथ कथित रूप से बलात्कार किया। सतना ज़िले में एक और घटना में चार वर्षीय लड़की के साथ कथित तौर पर 23 वर्षीय व्यक्ति ने बलात्कार किया जो उसके अपने परिवार के सदस्य था। इससे पहले 26 जून को मंदसौर ज़िले के दो लोगों ने एक आठ वर्षीय लड़की के साथ बलात्कार किया था और उसे क्रूरता से घायल भी कर दिया था।

राज्य में पिछले 15 वर्षों में नाबालिगों और महिलाओं के खिलाफ हमले में तेज वृद्धि दर्ज की है। एनसीआरबी के आँकड़ों का कहना है कि 2001 में नाबालिगों के खिलाफ बलात्कार के 390 मामले दर्ज किए गए थे और 2016 में यह संख्या बढ़कर 2,467 हो गई थी यानी 532 प्रतिशत की वृद्धि। अगर हम यौन अपराधों के खिलाफ बच्चों के संरक्षण अधिनियम (पीओसीएसओ) के तहत नाबालिगों के खिलाफ बलात्कार और यौन दुर्व्यवहार के मामलों की कुल संख्या पर ध्यान दें तो यह वृद्धि अधिक चौंकाने वाली है। 2016 में 360 से बढ़कर 4,717 हो गयी। 2001 से 2016 के बीच देशभर में दर्ज बच्चों के खिलाफ यौन दुर्व्यवहार के कुल 1,53,701 मामलों में से 23,659 मामले अकेले मध्यप्रदेश में हुए थे।

इससे पहले दिसंबर में, विधायिका ने एक बिल पारित किया जिसमें 12 साल तक के नाबालिगों के साथ बलात्कार के लिए दोषी को मृत्युदंड का प्रस्ताव था। हालांकि, राज्य में नाबालिग और महिलाएँ अब भी असुरक्षित हैं। राज्य विधानसभा में पेश किये गये आँकड़ों से इस क्रूर स्थिति की वास्तविकता और स्पष्ट होती है। पिछले मार्च में, विधानसभा को सूचित किया गया था कि 62 महिलाओं का कथित रूप से बलात्कार किया गया था, 43 महिलाओं की हत्या कर दी गई थी और नवंबर 2017 से कम से कम 10 को ज़िन्दा जला दिया गया।

इससे भी ज़्यादा चौंकाने वाले आँकड़े नवंबर 2017 और 15 फरवरी 2018 के बीच के हैं, इस दौरान 33 नाबालिगों के साथ बलात्कार किया गया।

यदि हम राज्य में बच्चों के खिलाफ किए गए अपराधों की घटनाओं और उसकी दर पर विचार करते हैं तो 2004 में 3,656 मामले दर्ज किए गए थे। जबकि 2016 मे वे 13,746 पर पहुँच गएI

एनसीआरबी आँकड़ों के मुताबिक, आईपीसी की धारा 376 के तहत बलात्कार के मामलों पर विचार करते हुए और देश भर में पीओसीएसओ की धारा 4 और 6 के तहत 2015 में 10,854 मामले दर्ज किए गए थे। हालांकि, 2016 में 19,765 ऐसे मामलों की सूचना मिली थी। 2016 में, मध्य प्रदेश में 2,467 के रूप में उच्चतम संख्या के साथ सबसे अधिक मामले सामने आए। महाराष्ट्र 2,292 और उत्तर प्रदेश में 2,115 के मामले सामने आये।

2003 में विधानसभा चुनावों में एक ज़िम्मेदार सरकार बनने का वादा कर बीजेपी सत्ता में आई थी। हालांकि "ज़िम्मेदार" शासन 2003 से राज्य की सत्ता में काबिज़ है लेकिन तभी से महिलाओं के खिलाफ अपराध भी लगातार बढ़ रहे हैं। 2004 में, महिलाओं के खिलाफ किए गए अपराधों के 15,203 मामले एमपी में दर्ज किए गए थे। एक दशक बाद, 2016 में, देश भर में कुल मामलों में से 7.8 प्रतिशत मामले यानि 26,604 मामले दर्ज किए गए।

रिकॉर्ड दिखाते हैं कि 2003 में सत्ता में आने के बाद से नाबालिगों और महिलाओं के खिलाफ हमले बीजेपी शासन के तहत बढ़ गए हैं।

मध्यप्रदेश में नाबालिगों के खिलाफ बलात्कार की चौंकाने वाली घटनाएँ जारी हैं, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के आँकड़ों से पता चलता है कि हाल ही में राज्य में जो बलात्कार के मामले सामने आये हैं उन्हें दरअसल एक बृहत्तर परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिएI पिछले 15 वर्षों के दौरान, राज्यों में बलात्कार के मामलों में 532 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।

 

राज्य की सबसे हाल की घटनाओं में से कुछ हैं- खजुराहो में 6 जुलाई और 7 जुलाई को तीन नाबालिग लड़कों ने 14 वर्षीय लड़की के साथ कथित रूप से बलात्कार किया। सतना ज़िले में एक और घटना में चार वर्षीय लड़की के साथ कथित तौर पर 23 वर्षीय व्यक्ति ने बलात्कार किया जो उसके अपने परिवार के सदस्य था। इससे पहले 26 जून को मंदसौर ज़िले के दो लोगों ने एक आठ वर्षीय लड़की के साथ बलात्कार किया था और उसे क्रूरता से घायल भी कर दिया था।

राज्य में पिछले 15 वर्षों में नाबालिगों और महिलाओं के खिलाफ हमले में तेज वृद्धि दर्ज की है। एनसीआरबी के आँकड़ों का कहना है कि 2001 में नाबालिगों के खिलाफ बलात्कार के 390 मामले दर्ज किए गए थे और 2016 में यह संख्या बढ़कर 2,467 हो गई थी यानी 532 प्रतिशत की वृद्धि। अगर हम यौन अपराधों के खिलाफ बच्चों के संरक्षण अधिनियम (पीओसीएसओ) के तहत नाबालिगों के खिलाफ बलात्कार और यौन दुर्व्यवहार के मामलों की कुल संख्या पर ध्यान दें तो यह वृद्धि अधिक चौंकाने वाली है। 2016 में 360 से बढ़कर 4,717 हो गयी। 2001 से 2016 के बीच देशभर में दर्ज बच्चों के खिलाफ यौन दुर्व्यवहार के कुल 1,53,701 मामलों में से 23,659 मामले अकेले मध्यप्रदेश में हुए थे।

इससे पहले दिसंबर में, विधायिका ने एक बिल पारित किया जिसमें 12 साल तक के नाबालिगों के साथ बलात्कार के लिए दोषी को मृत्युदंड का प्रस्ताव था। हालांकि, राज्य में नाबालिग और महिलाएँ अब भी असुरक्षित हैं। राज्य विधानसभा में पेश किये गये आँकड़ों से इस क्रूर स्थिति की वास्तविकता और स्पष्ट होती है। पिछले मार्च में, विधानसभा को सूचित किया गया था कि 62 महिलाओं का कथित रूप से बलात्कार किया गया था, 43 महिलाओं की हत्या कर दी गई थी और नवंबर 2017 से कम से कम 10 को ज़िन्दा जला दिया गया।

इससे भी ज़्यादा चौंकाने वाले आँकड़े नवंबर 2017 और 15 फरवरी 2018 के बीच के हैं, इस दौरान 33 नाबालिगों के साथ बलात्कार किया गया।

यदि हम राज्य में बच्चों के खिलाफ किए गए अपराधों की घटनाओं और उसकी दर पर विचार करते हैं तो 2004 में 3,656 मामले दर्ज किए गए थे। जबकि 2016 मे वे 13,746 पर पहुँच गएI

एनसीआरबी आँकड़ों के मुताबिक, आईपीसी की धारा 376 के तहत बलात्कार के मामलों पर विचार करते हुए और देश भर में पीओसीएसओ की धारा 4 और 6 के तहत 2015 में 10,854 मामले दर्ज किए गए थे। हालांकि, 2016 में 19,765 ऐसे मामलों की सूचना मिली थी। 2016 में, मध्य प्रदेश में 2,467 के रूप में उच्चतम संख्या के साथ सबसे अधिक मामले सामने आए। महाराष्ट्र 2,292 और उत्तर प्रदेश में 2,115 के मामले सामने आये।

2003 में विधानसभा चुनावों में एक ज़िम्मेदार सरकार बनने का वादा कर बीजेपी सत्ता में आई थी। हालांकि "ज़िम्मेदार" शासन 2003 से राज्य की सत्ता में काबिज़ है लेकिन तभी से महिलाओं के खिलाफ अपराध भी लगातार बढ़ रहे हैं। 2004 में, महिलाओं के खिलाफ किए गए अपराधों के 15,203 मामले एमपी में दर्ज किए गए थे। एक दशक बाद, 2016 में, देश भर में कुल मामलों में से 7.8 प्रतिशत मामले यानि 26,604 मामले दर्ज किए गए।

रिकॉर्ड दिखाते हैं कि 2003 में सत्ता में आने के बाद से नाबालिगों और महिलाओं के खिलाफ हमले बीजेपी शासन के तहत बढ़ गए हैं।

मध्यप्रदेश में नाबालिगों के खिलाफ बलात्कार की चौंकाने वाली घटनाएँ जारी हैं, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के आँकड़ों से पता चलता है कि हाल ही में राज्य में जो बलात्कार के मामले सामने आये हैं उन्हें दरअसल एक बृहत्तर परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिएI पिछले 15 वर्षों के दौरान, राज्यों में बलात्कार के मामलों में 532 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।

 

राज्य की सबसे हाल की घटनाओं में से कुछ हैं- खजुराहो में 6 जुलाई और 7 जुलाई को तीन नाबालिग लड़कों ने 14 वर्षीय लड़की के साथ कथित रूप से बलात्कार किया। सतना ज़िले में एक और घटना में चार वर्षीय लड़की के साथ कथित तौर पर 23 वर्षीय व्यक्ति ने बलात्कार किया जो उसके अपने परिवार के सदस्य था। इससे पहले 26 जून को मंदसौर ज़िले के दो लोगों ने एक आठ वर्षीय लड़की के साथ बलात्कार किया था और उसे क्रूरता से घायल भी कर दिया था।

राज्य में पिछले 15 वर्षों में नाबालिगों और महिलाओं के खिलाफ हमले में तेज वृद्धि दर्ज की है। एनसीआरबी के आँकड़ों का कहना है कि 2001 में नाबालिगों के खिलाफ बलात्कार के 390 मामले दर्ज किए गए थे और 2016 में यह संख्या बढ़कर 2,467 हो गई थी यानी 532 प्रतिशत की वृद्धि। अगर हम यौन अपराधों के खिलाफ बच्चों के संरक्षण अधिनियम (पीओसीएसओ) के तहत नाबालिगों के खिलाफ बलात्कार और यौन दुर्व्यवहार के मामलों की कुल संख्या पर ध्यान दें तो यह वृद्धि अधिक चौंकाने वाली है। 2016 में 360 से बढ़कर 4,717 हो गयी। 2001 से 2016 के बीच देशभर में दर्ज बच्चों के खिलाफ यौन दुर्व्यवहार के कुल 1,53,701 मामलों में से 23,659 मामले अकेले मध्यप्रदेश में हुए थे।

इससे पहले दिसंबर में, विधायिका ने एक बिल पारित किया जिसमें 12 साल तक के नाबालिगों के साथ बलात्कार के लिए दोषी को मृत्युदंड का प्रस्ताव था। हालांकि, राज्य में नाबालिग और महिलाएँ अब भी असुरक्षित हैं। राज्य विधानसभा में पेश किये गये आँकड़ों से इस क्रूर स्थिति की वास्तविकता और स्पष्ट होती है। पिछले मार्च में, विधानसभा को सूचित किया गया था कि 62 महिलाओं का कथित रूप से बलात्कार किया गया था, 43 महिलाओं की हत्या कर दी गई थी और नवंबर 2017 से कम से कम 10 को ज़िन्दा जला दिया गया।

इससे भी ज़्यादा चौंकाने वाले आँकड़े नवंबर 2017 और 15 फरवरी 2018 के बीच के हैं, इस दौरान 33 नाबालिगों के साथ बलात्कार किया गया।

यदि हम राज्य में बच्चों के खिलाफ किए गए अपराधों की घटनाओं और उसकी दर पर विचार करते हैं तो 2004 में 3,656 मामले दर्ज किए गए थे। जबकि 2016 मे वे 13,746 पर पहुँच गएI

एनसीआरबी आँकड़ों के मुताबिक, आईपीसी की धारा 376 के तहत बलात्कार के मामलों पर विचार करते हुए और देश भर में पीओसीएसओ की धारा 4 और 6 के तहत 2015 में 10,854 मामले दर्ज किए गए थे। हालांकि, 2016 में 19,765 ऐसे मामलों की सूचना मिली थी। 2016 में, मध्य प्रदेश में 2,467 के रूप में उच्चतम संख्या के साथ सबसे अधिक मामले सामने आए। महाराष्ट्र 2,292 और उत्तर प्रदेश में 2,115 के मामले सामने आये।

2003 में विधानसभा चुनावों में एक ज़िम्मेदार सरकार बनने का वादा कर बीजेपी सत्ता में आई थी। हालांकि "ज़िम्मेदार" शासन 2003 से राज्य की सत्ता में काबिज़ है लेकिन तभी से महिलाओं के खिलाफ अपराध भी लगातार बढ़ रहे हैं। 2004 में, महिलाओं के खिलाफ किए गए अपराधों के 15,203 मामले एमपी में दर्ज किए गए थे। एक दशक बाद, 2016 में, देश भर में कुल मामलों में से 7.8 प्रतिशत मामले यानि 26,604 मामले दर्ज किए गए।

रिकॉर्ड दिखाते हैं कि 2003 में सत्ता में आने के बाद से नाबालिगों और महिलाओं के खिलाफ हमले बीजेपी शासन के तहत बढ़ गए हैं।

BJP
Madhya Pradesh government
NCRB
crimes against women
Child Rape
मध्यप्रदेश

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    क्या पुलिस लापरवाही की भेंट चढ़ गई दलित हरियाणवी सिंगर?
    25 May 2022
    मृत सिंगर के परिवार ने आरोप लगाया है कि उन्होंने शुरुआत में जब पुलिस से मदद मांगी थी तो पुलिस ने उन्हें नज़रअंदाज़ किया, उनके साथ दुर्व्यवहार किया। परिवार का ये भी कहना है कि देश की राजधानी में उनकी…
  • sibal
    रवि शंकर दुबे
    ‘साइकिल’ पर सवार होकर राज्यसभा जाएंगे कपिल सिब्बल
    25 May 2022
    वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कांग्रेस छोड़कर सपा का दामन थाम लिया है और अब सपा के समर्थन से राज्यसभा के लिए नामांकन भी दाखिल कर दिया है।
  • varanasi
    विजय विनीत
    बनारस : गंगा में डूबती ज़िंदगियों का गुनहगार कौन, सिस्टम की नाकामी या डबल इंजन की सरकार?
    25 May 2022
    पिछले दो महीनों में गंगा में डूबने वाले 55 से अधिक लोगों के शव निकाले गए। सिर्फ़ एनडीआरएफ़ की टीम ने 60 दिनों में 35 शवों को गंगा से निकाला है।
  • Coal
    असद रिज़वी
    कोल संकट: राज्यों के बिजली घरों पर ‘कोयला आयात’ का दबाव डालती केंद्र सरकार
    25 May 2022
    विद्युत अभियंताओं का कहना है कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 की धारा 11 के अनुसार भारत सरकार राज्यों को निर्देश नहीं दे सकती है।
  • kapil sibal
    भाषा
    कपिल सिब्बल ने छोड़ी कांग्रेस, सपा के समर्थन से दाखिल किया राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन
    25 May 2022
    कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे कपिल सिब्बल ने बुधवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के समर्थन से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया। सिब्बल ने यह भी बताया कि वह पिछले 16 मई…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License