NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
क्या राजस्थान बन रहा है मॉब लिंचिंग का गढ़ ?
इसी बीच अकबर के क़त्ल के मामले में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने निंदा करते हुए कहा है कि गुनहगारों को कड़ी सुनाई जाएगी। लेकिन जिस तरह राज्य में लिंचिंग के मामलों में पुलिस और सरकार का रवैया रहा है, उससे सरकार पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
21 Jul 2018
mob lynching

20 जुलाई को राजस्थान के अलवर ज़िले में अकबर नाम के एक व्यक्ति को गाय तस्करी के नाम पर मौत के घाट उतार दिया गया। पुलिस के मुताबिक ये घटना 20 जुलाई देर रात अलवर ज़िले के रामगढ़ पुलिस थाने के अधिकार क्षेत्र में हुई। पुलिस का कहना है कि अकबर और उनके साथी असलम देर रात 12 से 1 बजे के बीच में रात को पैदल 2 गाय ले जा रहे थे, तभी गाँव वालों ने उन्हें रोककर पूछताछ करनी शुरू कर दी। इसी दौरान मामला गंभीर हुआ और दोनों वहाँ से भागने लगे, गाँव वाले उन्हें पकड़ने में कामयाब हुए और फिर उन्होंने अकबर  को पीट-पीट कर मार डाला। पुलिस का कहना  है कि उनके साथी असलम वहाँ से भागने में कामयाब रहा। ऐसा माना जा रहा है कि गाँव वालों ने इन दोनों लोगों को गाय तस्कर समझा था। लेकिन पुलिस ने कहा है कि ये साफ़ नहीं है कि यह दोनों तस्कर थे या नहीं। मामले में अब तक दो गिरफ्तारियाँ की गयी हैं। 

पुलिस का कहना है कि दोनों गायों को पास की किसी गौशाला  में छोड़ दिया गया है। उन्होंने IPC Sections 302 (murder), 143 (unlawful assembly), 341 (wrongful restraint), 323 (voluntarily causing hurt), 34 (acts done by several persons in furtherance of common intention),की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज़ कर लिया है। एक नज़र में देखने के लगता है कि गौ रक्षा  के नाम पर देश और प्रदेश में हो रही हत्याओं की कड़ी में यह एक और हत्या है।  

हमें याद करना होगा कि अलवर वही इलाका है जहाँ पिछले साल 3 अप्रैल को एक पशु व्यापारी पहलू खान का भी इसी तरह क़त्ल हुआ था और इसके बाद 10 नवंबर को उमर खान की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी। इस इलाके के बारे में बताते हुए NFIW की राज्य सचिव निशा सिद्धू ने कहा कि इस ये इलाका हरियाणा से सटा हुआ है। यहाँ मेव मुस्लिम समुदाय के लोग बड़ी संख्या में हैं और इनमें से ज़्यादातर चरवाहें हैं और पशुपालन का काम करते हैं, यही वजह है कि उनके पास बड़ी संख्या में पशु होते हैं। कुछ पशु व्यापारी हरियाणा से यहाँ पशु लेने भी आते हैं, जिस तरह पहलू खान के मामले में हम देखते हैं कि उन्होंने यहाँ से एक गाय 50,000 रुपये में खरीदी थी और उसे लेकर वह अपने घर वापस जा रहे थे। इनमें से ज़्यादातर की माली हालत बहुत ख़राब है और क्योंकि उनकी आजीविका पशुओं से जुडी हुई है इसीलिए इस बात की संभावना बहुत कम कि वह उन्हें क़त्ल खाने में बेचें या तस्करी करें। उन्होंने कहा  कि इनके मुस्लिम होने और पशुओं के साथ जुड़े होने की वजह से ही ये लोग हिंदुत्ववादियों के लिए एक आसान निशाना बन गए हैं। 

अगर पिछले साल से देखा जाए तो राज्य में अब तक मॉब लिंचिंग के 7 मुख्य मामले सामने आये हैं। सबसे पहले पहलू खान थे जिन्हें 3 अप्रैल को तथाकथित गौ रक्षकों द्वारा अलवर ज़िले में मारा गया। उनकी मौत के सभी आरोपियों को छोड़ दिया गया और उन्ही के बेटों और साथियों पर गाय तस्करी के मामले दर्ज़ कर लिए गए।

इसके बाद 16 जून  को प्रतापगढ़ में CPI(ML) के कार्यकर्त्ता ज़फर खान की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी गयी क्योंकि उन्होंने 'स्वच्छ भारत' के तहत शौच करती महिलाओं की फोटो लेने के खिलाफ अवाज़ा उठाई थी। इस मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई पुलिस ने कहा उनकी मौत दिल के दौरे से हुई।

तीसरी हत्या 10 नवंबर को हुई जब अलवर ज़िले की गोविंदगढ़ तहसील में उमेर खान को गाय ले जाते गोली मार कर हत्या कर दी गयी । इस हत्या के बाद आरोपियों ने उमर  की लाश को 15 किलोमीटर दूर एक रेलवे पटरी पर फेंक दिया जिससे जुर्म सिद्ध न हो सके। इस मामले में 7 में से दो आरोपियों को ही गिरफ्तार किया गया। लेकिन ताज्जुब की बात ये है कि  में उमर के दो साथी, जावेद और ताहिर जो खुद भी गोलियों के शिकार हुए थे, को गाय तस्करी के मामले में जेल में डाल दिया गया। पाँचवां मामला जयपुर का है जहाँ 3 फरवरी को मोहम्मद फैज़ल नाम के एक मज़दूर को बच्चा चोरी करने के झूठे आरोप में भीड़ ने पीट-पीट कर मार दिया। इस मामले में 2 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। छँटा मामला है राजसमंद का जहाँ 'लव जिहाद 'करने के आरोप में शम्भूलाल नामक एक शख्स ने एक मुस्लिम मज़दूर मोहम्मद अफ़राज़ुल को 6 दिसंबर को बुरी तरह से पीट पीट कर मार दिया और फिर ज़िंदा  जला दिया। इस सब का वीडियो बनाकर फैलाया गया ,हत्यारे शम्भुलाल ने इसके बाद आत्म समर्पण कर दिया था। सातवां मामला अकबर के क़त्ल का मामला है। 

इसी बीच अकबर के क़त्ल के मामले में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने निंदा करते हुए कहा है कि गुनहगारों को कड़ी सुनाई जाएगी। लेकिन जिस तरह राज्य में लिंचिंग के मामलों में पुलिस और सरकार का रवैया रहा है, उससे सरकार पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं। पहलू खान ,ज़फर खान और उमर खान के मामलों को पुलिस ने जिस तरह आरोपियों को बचाने का प्रयास किया है, उससे वसुंधरा जी के बयान का खोखलापन ज़ाहिर होता है। 

Image removed.

mob lynching
Alwar
Rajasthan
BJP
Vasundhara Raje

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !


बाकी खबरें

  • वसीम अकरम त्यागी
    विशेष: कौन लौटाएगा अब्दुल सुब्हान के आठ साल, कौन लौटाएगा वो पहली सी ज़िंदगी
    26 May 2022
    अब्दुल सुब्हान वही शख्स हैं जिन्होंने अपनी ज़िंदगी के बेशक़ीमती आठ साल आतंकवाद के आरोप में दिल्ली की तिहाड़ जेल में बिताए हैं। 10 मई 2022 को वे आतंकवाद के आरोपों से बरी होकर अपने गांव पहुंचे हैं।
  • एम. के. भद्रकुमार
    हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आईपीईएफ़ पर दूसरे देशों को साथ लाना कठिन कार्य होगा
    26 May 2022
    "इंडो-पैसिफ़िक इकनॉमिक फ़्रेमवर्क" बाइडेन प्रशासन द्वारा व्याकुल होकर उठाया गया कदम दिखाई देता है, जिसकी मंशा एशिया में चीन को संतुलित करने वाले विश्वसनीय साझेदार के तौर पर अमेरिका की आर्थिक स्थिति को…
  • अनिल जैन
    मोदी के आठ साल: सांप्रदायिक नफ़रत और हिंसा पर क्यों नहीं टूटती चुप्पी?
    26 May 2022
    इन आठ सालों के दौरान मोदी सरकार के एक हाथ में विकास का झंडा, दूसरे हाथ में नफ़रत का एजेंडा और होठों पर हिंदुत्ववादी राष्ट्रवाद का मंत्र रहा है।
  • सोनिया यादव
    क्या वाकई 'यूपी पुलिस दबिश देने नहीं, बल्कि दबंगई दिखाने जाती है'?
    26 May 2022
    एक बार फिर यूपी पुलिस की दबिश सवालों के घेरे में है। बागपत में जिले के छपरौली क्षेत्र में पुलिस की दबिश के दौरान आरोपी की मां और दो बहनों द्वारा कथित तौर पर जहर खाने से मौत मामला सामने आया है।
  • सी. सरतचंद
    विश्व खाद्य संकट: कारण, इसके नतीजे और समाधान
    26 May 2022
    युद्ध ने खाद्य संकट को और तीक्ष्ण कर दिया है, लेकिन इसे खत्म करने के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका को सबसे पहले इस बात को समझना होगा कि यूक्रेन में जारी संघर्ष का कोई भी सैन्य समाधान रूस की हार की इसकी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License