NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
क्या सच में वाराणसी में मोदी को मिला है डिस्टिंक्शन?
कहने की ज़रूरत नहीं कि जब नरेंद्र मोदी मतदाताओं डिस्टिंक्शन देते हैं तो वह खुद उनके लिए भी अपने आप हो जाता है। क्या वास्तव में ऐसा है? क्या नरेंद्र मोदी की जीत वाराणसी में ऐसी है जिसे डिस्टिंक्शन कहा जा सके?
प्रेम कुमार
27 May 2019
Modi
फोटो साभार: Time Now

नरेंद्र मोदी ने वाराणसी और उत्तर प्रदेश की जनता के प्रति अपनी और पार्टी की जीत के प्रति आभार जताया है। चुनाव की सभी कसौटियों पर उन्होंने डिस्टिंक्शन के साथ मतदाताओं को पास घोषित किया है। नामांकन से लेकर चुनाव अभियान ख़त्म होने तक कई छोटी-बड़ी बातों को उन्होंने अपने समर्थकों के साथ स्मरण किया। पार्टी कार्यकर्ताओं की कुर्बानियों को भी उन्होंने याद किया और कहा कि केरल, त्रिपुरा, बंगाल, और जम्मू-कश्मीर में बीजेपी के कार्यकर्ता जान दे रहे हैं। बीजेपी में लगातार तीन चुनाव जीतने का उदाहरण रखते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा कि अगर अब भी राजनीतिक विश्लेषक नहीं समझ पाते हैं तो इसका मतलब ये है कि वे 20वीं सदी में जी रहे हैं।

मोदी को 15.91 फीसदी अधिक वोट मिले

कहने की ज़रूरत नहीं कि जब नरेंद्र मोदी मतदाताओं डिस्टिंक्शन देते हैं तो वह खुद उनके लिए भी अपने आप हो जाता है। क्या वास्तव में ऐसा है? क्या नरेंद्र मोदी की जीत वाराणसी में ऐसी है जिसे डिस्टिंक्शन कहा जा सके? सच ये है कि नरेंद्र मोदी को 2014 के मुकाबले महज 15.91 फीसदी अधिक वोट मिले हैं। उन्हें कुल 63.62 फीसदी वोट मिले हैं।  जबकि समाजवादी पार्टी को महागठबंधन प्रत्याशी के तौर पर 84 फीसदी से ज्यादा वोट मिले हैं (अगर 2014 में एसपी-बीएसपी के वोटों को जोड़कर देखें) वहीं कांग्रेस उम्मीदवार अजय राय का वोट प्रतिशत 101 प्रतिशत से भी ज्यादा बढ़ गया है।

2019 में नरेंद्र मोदी को 4 लाख 79 हज़ार 505 वोटों से जीत मिली है जबकि पिछले चुनाव में उनकी जीत का अंतर था 3 लाख 71 हज़ार 784. इस तरह वोटों के रूप में जीत का अंतर 1,08,721 बढ़ गया है।

एक और बात जो गौर करने की है वो ये कि नरेंद्र मोदी को कितने वोट विगत चुनाव के मुकाबले ज्यादा मिले। 2019 में नरेंद्र मोदी को 6,74,666 वोट मिले हैं। 2014 में उन्हें 5,82,022 वोट मिले थे। इस तरह उन्हें 92,644 वोट अधिक मिले। अगर इसे प्रतिशत रूप में व्यक्त किया जाए, तो उन्हें मिले वोटों में 15.91 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।

2019 में समाजवादी पार्टी की ओर से शालिनी यादव ने 1,95,159 वोट हासिल किए। 2014 में एसपी और बीएसपी के वोटों को जोड़ दें तो यह वोट 1,05, 870 था। इसका मतलब ये हुआ कि समाजवादी पार्टी को महागठबंधन में आने के बाद 89,289 वोट अधिक मिले। प्रतिशत रूप में देखें तो यह बढ़ोतरी 84.33 फीसदी की रही।

अगर कांग्रेस की बात करें तो कांग्रेस के प्रत्याशी अजय राय को 2014 में 75,614 वोट मिले थे। 2019 में उनके वोट डबल हो गये। उन्हें 1,52,528 वोट मिले। इस तरह अजय राय को 76,914 वोट पिछले चुनाव के मुकाबले अधिक मिले हैं। प्रतिशत रूप में व्यक्त करें तो उनका वोट 101.7 फीसदी वोट की बढ़ोतरी नज़र आती है।

जाहिर है कि चुनाव परिणाम भी राजनीतिक पंडितों को बिल्कुल झुठला रहे हों, ऐसा नहीं है। वाराणसी में वैसे भी किसी राजनीतिक पंडित ने नरेंद्र मोदी की शान में कोई उल्टी बात नहीं कही थी। उनकी जीत हर कोई देख रहा था। सच ये है कि जीत का अंतर बहुत बड़ा होने का अनुमान लगाया गया था, जो सच साबित नहीं हुआ।

राजनीतिक पंडित ही क्यों बीजेपी के पंडित भी 20वीं सदी वाले ही निकले

यह भी सच है कि राजनीतिक विश्लेषक देश में मोदी लहर की बात को नकार रहे थे। ऐसे लोगों को 20वीं सदी का पंडित प्रधानमंत्री ने करार दिया है। मगर, क्या खुद बीजेपी के पंडित ऐसा ही नहीं कह रहे थे? बीजेपी नेता राम माधव ने कहा था कि अगर बीजेपी 271 सीटें जीत लेती हैं तो बहुत संतोषजनक बात होगी। यहां तक कि सुब्रह्मण्यम स्वामी ने एनडीए को भी अपने दम पर बहुमत आने की बात विश्वास के साथ नहीं कही थी। ऐसे में राजनीतिक पंडितों पर एकतरफा दोषारोपण कोई प्रशंसनीय बात नहीं कही जा सकती। उनके लिए प्रधानमंत्री की ओर से ‘20वीं सदी का पत्रकार या विश्लेषक’ कहा जाना वास्तव में अफसोसजनक है।

वोट देने में सुस्त रही वाराणसी

वाराणसी की जनता भी 2019 में वोट डालने के लिहाज से उदासीन रही। ऐसा लगा ही नहीं कि देश को प्रेरित करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह निर्वाचन क्षेत्र हो। वाराणसी में 2014 में 58.35 प्रतिशत वोट पड़े थे। 2019 में 56.97 फीसदी मतदाताओं ने वोट डाले। यह महज प्रचंड गर्मी की वजह से नहीं हो सकता जिसका बारम्बार प्रधानमंत्री जिक्र कर रहे थे। प्रचंड गर्मी वाराणसी से अलग दूसरे निर्वाचन क्षेत्रों में भी थी।

वोटों की संख्या के लिहाज से देखें तो वाराणसी में 2014 में 10 लाख 29 हज़ार 816 वोट पड़े थे। इस बार इसमें 1.38 प्रतिशत की गिरावट आयी। संख्यात्मक रूप में महज 29,008 वोट अधिक पड़े। कुल 10 लाख 58 हज़ार 824 वोटरों ने वोट किया। इन वोटों में से भाजपा के नरेंद्र मोदी को 6 लाख 74 हज़ार 664 वोट, सपा की शालिनी यादव को 1, 95, 159 वोट और कांग्रेस के अजय राय को 1 लाख 52 हज़ार 528 वोट मिले।

यूपी में अगर डिस्टिंक्शन मिला, तो सीटें भी घटीं

सम्भव है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी के बजाय उत्तर प्रदेश में मिली जीत को डिस्टिंक्शन बताना चाह रहे हों। निश्चित रूप से 80 में से 62 लोकसभा सीटें जीत लेना डिस्टिंक्शन वाली सफलता है। मगर, यह सफलता 2014 के मुकाबले फीकी है। तब बीजेपी ने 80 में से 71 और एनडीए ने 80 में से 73 सीटें जीती थीं। इसलिए यह डिस्टिंक्शन भी जश्न मनाता नहीं दिखता। दोबारा बड़ी जीत बिल्कुल जश्न मनाती कही जा सकती है।

हर दल की कुर्बानियों को याद करना जरूरी

इसके अलावा बात बीजेपी कार्यकर्ताओं की कुर्बानियों की तो वास्तव में आभार रैली में दूसरों पर उंगलियां उठाकर नरेंद्र मोदी ने सद्भावना का परिचय नहीं दिया है। अगर बीजेपी के कार्यकर्ता देश के कई हिस्सों में मारे जा रहे हैं तो यह चिन्ताजनक है। मगर, क्या सीपीएम के कार्यकर्ता पश्चिम बंगाल में मारे जा रहे हैं तो वो चिन्ताजनक नहीं है? क्या कांग्रेस के कार्यकर्ता कश्मीर में मारे जा रहे हैं तो उस पर चिन्ता नहीं की जानी चाहिए? त्रिपुरा में मूर्तियां तोड़ने की घटनाएं क्या चिन्ताजनक नहीं थीं? देश में मॉब लिंचिंग की घटनाएं भी चिन्ताजनक हैं और नफ़रत की तमाम घटनाएं भी। केवल बीजेपी कार्यकर्ताओं की सुध लेकर नव निर्वाचित प्रधानमंत्री एकांगी दृष्टिकोण ही पेश करते नज़र आ रहे हैं। यह सबसे अधिक चिन्ताजनक है।

Narendra modi
BJP
RSS
BJP government
Modi Govt
varanasi
General elections2019
lok sabha election
political analyst
UttarPradesh
SP-BSP Alliance
SP-BSP-RLD

Related Stories

बदायूं : मुस्लिम युवक के टॉर्चर को लेकर यूपी पुलिस पर फिर उठे सवाल

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

ज्ञानवापी मस्जिद के ख़िलाफ़ दाख़िल सभी याचिकाएं एक दूसरे की कॉपी-पेस्ट!

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है


बाकी खबरें

  • विजय विनीत
    ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां
    04 Jun 2022
    बनारस के फुलवरिया स्थित कब्रिस्तान में बिंदर के कुनबे का स्थायी ठिकाना है। यहीं से गुजरता है एक विशाल नाला, जो बारिश के दिनों में फुंफकार मारने लगता है। कब्र और नाले में जहरीले सांप भी पलते हैं और…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत
    04 Jun 2022
    केरल में कोरोना के मामलों में कमी आयी है, जबकि दूसरे राज्यों में कोरोना के मामले में बढ़ोतरी हुई है | केंद्र सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए पांच राज्यों को पत्र लिखकर सावधानी बरतने को कहा…
  • kanpur
    रवि शंकर दुबे
    कानपुर हिंसा: दोषियों पर गैंगस्टर के तहत मुकदमे का आदेश... नूपुर शर्मा पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं!
    04 Jun 2022
    उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था का सच तब सामने आ गया जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दौरे के बावजूद पड़ोस में कानपुर शहर में बवाल हो गया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है
    04 Jun 2022
    केंद्र ने कश्मीरी पंडितों की वापसी को अपनी कश्मीर नीति का केंद्र बिंदु बना लिया था और इसलिए धारा 370 को समाप्त कर दिया गया था। अब इसके नतीजे सब भुगत रहे हैं।
  • अनिल अंशुमन
    बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर
    04 Jun 2022
    जीएनएम प्रशिक्षण संस्थान को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की घोषणा करते हुए सभी नर्सिंग छात्राओं को 24 घंटे के अंदर हॉस्टल ख़ाली कर वैशाली ज़िला स्थित राजापकड़ जाने का फ़रमान जारी किया गया, जिसके ख़िलाफ़…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License