NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
क्या सरकार ने धर्म और समाज के तथाकथित ठेकेदारों के सामने घुटने टेक दिए हैं ?
इस पूरे विवाद में जिस इतिहास से छेड़ छाड़ की बात की जा रही है वो अपने आप में लोक कथाओं पर आधारित है। 
ऋतांश आज़ाद
17 Nov 2017
padmavati

पद्मावती फिल्म पर बवाल लगातार बढ़ता जा रहा है।  इसके केंद्र में  एक राजपूत संस्था करणी सेना है ,  जिसके राजस्थान प्रमुख का कहना है कि अगर ये फिल्म रिलीज़ हुई तो वह इसकी मुख्य अभिनेत्री दीपिका पादुकोण की नाक काट देंगे। करणी सेना ने कहा है कि अगर 1 दिसंबर को ये फिल्म रिलीज़ हुई तो वो देश भर में  उग्र प्रदर्शन करेंगे और साथ ही उन्होंने भारत बंद का आवाहन  किया है । करणी सेना का आरोप है कि इस फिल्म में एतिहासिक तत्थ्यों से छेड़ छाड़ की गयी है। उन्होंने  खास तौर पर दो बातों पर आपत्ति जताई है।  एक ये कि उनके हिसाब से फिल्म में एक स्वप्न दृश्य है जिसमें पद्मावती और ख़िलजी के बीच  रोमांस दिखाया गया है और दूसरी ये कि फिल्म में पद्मावती  को नाचते हुए दिखाया गया है। उनके हिसाब से इन दोनों चीज़ों से उनकी पूजनीय रानी का अपमान होता है। 

 करणी सेना ने इससे पहले जनवरी में जयपुर के जयगढ किले में चल रही पद्मावती फिल्म की शूटिंग में तोड़ फोड़ करी थी और फिल्म के निर्देशक संजय लीला भंसाली को थप्पड़ भी जड़ा था।  मार्च में भी करणी सेना ने चित्तौड़गढ़  में  इसी तरह का हंगामा किया था।  राजस्थान की बीजेपी सरकार के कई मंत्रियों ने कहा है कि इतिहास से इस तरह  छेड़ छाड़ से लोगों की भावाएं आहत हो सकती है। उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी अदियानाथ ने भी फ़िल्म रिलीज़ पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि इससे हंगामा हो सकता है और कानून व्यवस्था को बनाये रखने में तकलीफ हो सकती है। यूपी सरकार ने इसी मुद्दे पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को चिठ्ठी लिखी है।

इसी दौरान राजस्थान सरकार ने कहा है कि फिलहाल इस फिल्म पर रोक नहीं लगायी जाएगी।  सरकार ने आगे कहा है कि उन्होंने सूचना  एवं  प्रसारण मंत्रालय को चिट्ठी लिख कर कहा है कि फिल्म में कथिक तौर पर इतिहास को तोड़ मरोड़ कर के दिखाया गया है और इसके खिलाफ़ काफ़ी जन आक्रोश है।  इसीलिए सरकार की  मंत्रालय से दरख्वास्त है कि वह सेंसर बोर्ड से अनुरोध करें कि फिल्म प्रमारण का निर्णय लेते समय वो जन भावनाओ का ख्याल रखें । आज चितौड़गाढ़ किले को इसी विरोध में बंद कर दिया गया है। 

ये पहली बार नहीं है कि करणी सेना ने किसी फिल्म का विरोध  किया हो इससे पहले भी उन्होंने जोधा अकबर फिल्म को राजस्थान में रिलीज़ नहीं होने दिया था।  जोधा अकबर सीरियल की शूटिंग के दौरान भी करणी सेना ने तोड़ फोड़ की  थी। उनका कहना था कि  जोधा ऐतिहासिक किरदार नहीं है और ये फिल्म राजपूती  शान के खिलाफ है।  इस  मुद्दे पर इतिहासकार इरफ़ान हबीब  का कहना था कि जोधा नामक कोई ऐतिहासिक किरदार तो नहीं है लेकिन इस  बात के प्रमाण हैं  कि आमेर की एक राजपूत राजकुमारी  का विवाह अकबर से हुआ था , जिनका नाम बदलकर बाद में मरियम उज़ ज़मानी किया गया था।  
 
इस पूरे विवाद में जिस इतिहास से छेड़ छाड़ की बात की जा रही है वो अपने आप में लोक कथाओं पर आधारित है।  इतिहासकारों की माने तो अलाउद्दीन खिलजी 14 वीं शताब्दी में दिल्ली सल्तनत का सुलतान था जिसने 1303 में चित्तौड़ पर आक्रमण किया और वहाँ के राजा रतन सिंह को हराया ।  खिलजी की मौत 1316 में हुई और उसके समय में रानी पद्मावती का कोई ज़िक्र नहीं पाया जाता है।  रानी पद्मावती एक काल्पनिक किरदार है जिसे अवध के सूफी कवी मलिक मोहम्मद जायसी ने गढ़ा और लोक प्रिय बनाया ।  इस किरदार का जन्म 1540 में  जायसी की कविता पद्मावत से हुआ जिसके अनुसार  पद्मावती को पाने के लिए अलाउद्दीन ख़िलजी  ने चित्तौड़  पर हमला किया , पर पद्मावती ने उसके हाथ लगने के बजाये जौहर करना स्वीकार किया। ये कहानी खिलजी के शासन काल से करीबन 224  साल बाद रची गयी और धीरे धीरे जन चेतना में सम्मलित हो गयी।  इतिहासकर इरफ़ान हबीब ने कहा है कि ये कहानी बहुत सी और लोक कथाओं जैसी है जिनका इतिहास ने कोई सीधा वास्ता नहीं।  सवाल ये  है कि फिर इतिहास के साथ छेड़ छाड़ का सवाल ही कैसे उठता है ?  क्या भारत में अब काल्पनिक पात्रों पर भी बोलने की आज़ादी नहीं है ? क्या सरकार ने धर्म और समाज के तथाकथित  ठेकेदारों के सामने घुटने टेक दिए हैं ? क्या अभिव्यक्ति की आज़ादी अब बस कागज़ी बात है ? 

ये कहानी बाकी लोक कथाओं की तरह समय के साथ इतिहास का हिस्सा मान ली गयी। इसे धीरे धीरे राजपूती शान का प्रतीक बनाकर पेश किया गया।  इस कहानी में मुख्य  घटना  इस बात को माना गया कि एक मुसलमान के द्वारा जीते जाने से बेहतर राजपूत रानी ने आग में झुलसना बहतर समझा।  आज की दक्षिणपंथी राजनीति के लिए ये अच्छा मुद्दा है क्यूंकि यहाँ मुस्लमान राजा को हवस का प्रतीक दिखाया गया है जबकि राजपूत रानी को एकआदर्श महिला।  ये इतिहास को जानबूझ कर सांप्रदायिक  एक चश्मे में दिखाने की राजनीति है जिसका इस्तेमाल पहले से होता आ रहा है।  इसी की तहत  मुसलमान शासकों को हमलावर दर्शाकर आज के मुसलमानों के प्रति घृणा पैदा की जाती है।  इसी राजनीति के तहत ही ताज महल को तेजो महल कहा जाता है , बाबरी मस्जिद को राम मंदिर और टीपू सुलतान को देश द्रोही कहा जाता है ।  इन बातों का इतिहास से कोई वास्ता नहीं है ये सिर्फ जन भावनाओं को भड़काने और हिन्दू बनाम मुस्लिम की राजनीति से प्रेरिक है।  

पद्मावती की कहानी में आदर्श महिला का चित्रण भी पुरुष प्रधान मानसिकता से प्रेरित है जहाँ जौहर और सती परंपरा  को एक महान परंपरा की तरह पेश किया जाता है। राजस्थान में  1987  में जब  रूप कंवर सती हुई तो उस पूरी घटना को भुनाने में इन्ही दक्षिण पंथी ताकतों का हाथ था ,जो आज जन भावना की दुहाई दे रहे हैं । चित्तौड़ में  कुछ दिन पहले हुए  "वन्दे मातरम " नामक एक कार्यक्रम में जौहर को एक महान परंपरा की तरह दर्शाया गया । वहाँ छोटी बच्चीयों  को रानियाँ बनाकर आग में कूदते हुए दिखाया गया  . ये  पूरा घटनाक्रम इसी खतरनाक राजनीति की तरफ़ समाज को धकेल रहा है। 

 

padmavati
karani sena
BJP
Rajasthan sarkar

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • वसीम अकरम त्यागी
    विशेष: कौन लौटाएगा अब्दुल सुब्हान के आठ साल, कौन लौटाएगा वो पहली सी ज़िंदगी
    26 May 2022
    अब्दुल सुब्हान वही शख्स हैं जिन्होंने अपनी ज़िंदगी के बेशक़ीमती आठ साल आतंकवाद के आरोप में दिल्ली की तिहाड़ जेल में बिताए हैं। 10 मई 2022 को वे आतंकवाद के आरोपों से बरी होकर अपने गांव पहुंचे हैं।
  • एम. के. भद्रकुमार
    हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आईपीईएफ़ पर दूसरे देशों को साथ लाना कठिन कार्य होगा
    26 May 2022
    "इंडो-पैसिफ़िक इकनॉमिक फ़्रेमवर्क" बाइडेन प्रशासन द्वारा व्याकुल होकर उठाया गया कदम दिखाई देता है, जिसकी मंशा एशिया में चीन को संतुलित करने वाले विश्वसनीय साझेदार के तौर पर अमेरिका की आर्थिक स्थिति को…
  • अनिल जैन
    मोदी के आठ साल: सांप्रदायिक नफ़रत और हिंसा पर क्यों नहीं टूटती चुप्पी?
    26 May 2022
    इन आठ सालों के दौरान मोदी सरकार के एक हाथ में विकास का झंडा, दूसरे हाथ में नफ़रत का एजेंडा और होठों पर हिंदुत्ववादी राष्ट्रवाद का मंत्र रहा है।
  • सोनिया यादव
    क्या वाकई 'यूपी पुलिस दबिश देने नहीं, बल्कि दबंगई दिखाने जाती है'?
    26 May 2022
    एक बार फिर यूपी पुलिस की दबिश सवालों के घेरे में है। बागपत में जिले के छपरौली क्षेत्र में पुलिस की दबिश के दौरान आरोपी की मां और दो बहनों द्वारा कथित तौर पर जहर खाने से मौत मामला सामने आया है।
  • सी. सरतचंद
    विश्व खाद्य संकट: कारण, इसके नतीजे और समाधान
    26 May 2022
    युद्ध ने खाद्य संकट को और तीक्ष्ण कर दिया है, लेकिन इसे खत्म करने के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका को सबसे पहले इस बात को समझना होगा कि यूक्रेन में जारी संघर्ष का कोई भी सैन्य समाधान रूस की हार की इसकी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License