NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
'खाते में 15 लाख' की तरह अब सवर्णों के लिए आरक्षण का जुमला!
आम समझ ये है कि नौकरियों और उच्च शिक्षा में सवर्ण वर्ग के लिए 10 फीसदी आरक्षण का फैसला हर खाते में 15 लाख के जुमले की तरह साबित होगा।
मुकुल सरल
07 Jan 2019
फाइल फोटो
Image Courtesy: Financil Express

(त्वरित टिप्पणी)

लोकसभा चुनाव से ऐन पहले मोदी सरकार ने एक और जुमला फेंका है! नौकरियों और उच्च शिक्षा में सवर्ण वर्ग के लिए 10 फीसदी आरक्षण का जुमला। लेकिन आम समझ ये है कि ये भी बिल्कुल हर खाते में 15 लाख के जुमले की तरह साबित होगा।

मोदी कैबिनेट ने सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए 10 फीसदी आरक्षण का प्रस्ताव पास किया है। इसके लिए 8 लाख वार्षिक पारिवारिक आय सीमा और 5 एकड़ से कम भूमि और अगर आवासीय मकान है तो वो 1000 वर्ग फीट से कम होने की शर्त रखी गई है।

इसी के साथ तथाकथित मुख्यधारा के मीडिया ने इसे मोदी सरकार का मास्टर स्ट्रोक कहकर प्रचारित करना शुरू कर दिया है। लेकिन सवर्ण यानी सामान्य वर्ग को फिलहाल ये आरक्षण मिलना संभव नहीं है।

आरक्षण का फैसला सिर्फ कैबिनेट निर्णय से नहीं हो सकता। कैबिनेट मीटिंग में प्रस्ताव पास होने के बाद इसे संविधान में संशोधन के लिए सदन के सामने रखा जाएगा। सरकार ने घोषणा की है कि वह संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में संशोधन के लिए संसद में प्रस्ताव लाएगी। लेकिन जिस तरह के समीकरण हैं उसमें इसे पास करना संभव नहीं है। लोकसभा में इसे एकबारगी पास किया जा सकता है लेकिन राज्यसभा में ये मुमकिन नहीं हो पाएगा। और न इसे सुप्रीम कोर्ट मानेगा। सिर्फ एक चुनावी संदेश की दृष्टि से इसका थोड़ा महत्व है। इस मंशा को इसलिए भी समझा जा सकता है कि इसे शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन मंगलवार, 8 जनवरी को संसद में पेश करने की तैयारी है।

क्या कहता है संविधान

सरकारी सेवाओं और संस्थानों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं रखने वाले पिछड़े समुदायों तथा अनुसूचित जातियों और जनजातियों से सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए संविधान में आरक्षण की व्यवस्था की गई है। संविधान निर्माताओं का मानना था कि जाति व्यवस्था के कारण अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति ऐतिहासिक रूप से पिछड़ी रही और उन्हें भारतीय समाज में सम्मान तथा समान अवसर नहीं दिया गया। इसी वजह से सरकारी सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं तथा सरकारी/सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए 15% और 7.5% के आरक्षण की व्यवस्था की गई। बाद में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए भी आरक्षण शुरू किया गया। ओबीसी को कुल 27% आरक्षण दिया गया है। इस प्रकार इन वर्गों के लिए कुल मिलाकर 49.5 फीसदी आरक्षण वर्तमान में लागू है।

नहीं हो सकता 50% से अधिक आरक्षण

संविधान की इस सब व्यवस्था के बाद भी आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता। सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर कई मौकों पर आदेश देते हुए स्पष्ट किया है कि इससे समान अवसर की संविधान की गारंटी का उल्लंघन होगा। इसी वजह से सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की अधिकतम सीमा तय की है। हालांकि, राज्य कानूनों ने इस 50% की सीमा को पार कर लिया है, लेकिन उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।

आरक्षण को लेकर कुछ बातें और स्पष्ट करनी ज़रूरी हैं।

संविधान के तहत आर्थिक तौर पर आरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं है। हमारा संविधान धर्म और संप्रदाय के आधार पर भी आरक्षण देने से रोकता है। संविधान के मुताबिक एससी-एसटी और ओबीसी को आरक्षण ज़रूर मिला है लेकिन ये जाति आधारित नहीं है, और न ये गरीबी उन्मूलन का कोई प्रोग्राम है, बल्कि ये सामाजिक न्याय की एक व्यवस्था है। यानी आरक्षण ऐतिहासिक तौर पर सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन के आधार पर दिया गया है।  

नौकरियां हैं कितनी?

रोज़गार के मोर्चे पर मोदी सरकार लगातार आलोचना झेल रही है। 2014 के आम चुनावों में नरेंद्र मोदी ने हर साल एक करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था।

अगर मोदी सरकार सवर्ण वर्ग को नौकरियों में किसी तरह आरक्षण दे भी पाए तो भी सबसे बड़ा सवाल है कि सरकारी नौकरियां हैं कितनी। सरकार ने नये पदों का सृजन नहीं किया है, साथ ही पुराने पद भी कम कर दिए हैं।

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के नवीनतम सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार जनवरी, 2018 से बेरोज़गारी में बढ़ोतरी लगातार पांच प्रतिशत से बढ़कर 28 दिसंबर को 7.3 प्रतिशत हो गई है।

कुल मिलाकर ये एक चुनावी जुमले से ज़्यादा कुछ साबित नहीं होने जा रहा।

असल वजह

दरअसल इस समय मोदी सरकार रफ़ाल मुद्दे पर बुरी तरह घिरी हुई है। नोटबंदी के बाद आरबीआई विवाद ने उसकी साख को नुकसान पहुंचाया है। तीन राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी की हार ने उसे और बैकफुट पर ला दिया है। राम मंदिर का हल उसके पास फिलहाल कुछ है नहीं। उसी के समर्थक उसपर धोखा देने का आरोप लगाने लगे हैं।

इसके अलावा एससी/एसटी एक्ट को लेकर पहले सुप्रीम कोर्ट में लचर पैरवी और फिर दलित वर्ग की नाराज़गी से घबराकर उसके लिए अध्यादेश लाने से सवर्ण वर्ग की नाराज़गी झेल रही मोदी सरकार इस असंतोष को किसी तरह कम करना चाहती है।

इसके अलावा भी अभी किसानों ने सरकार को ललकारते हुए 2018 में बड़ा आंदोलन किया और अब 8-9 जनवरी को मज़दूरों की देशव्यापी हड़ताल हो रही है। इस हड़ताल को ऐतिहासिक माना जा रहा है क्योंकि इसमें अन्य कर्मचारी वर्ग भी शामिल हो रहा है। साथ ही किसानों ने भी मज़दूरों को समर्थन दिया है।

ऐसे में मोदी सरकार अब सवर्णों को आरक्षण का लालीपॉप देना चाहती है... आमतौर में सर्वण वर्ग में दलित और ओबीसी के आरक्षण को लेकर काफी अंसतोषण और भ्रम भी रहता है। बीजेपी सरकार शायद इसी का फायदा उठाना चाहती है। लेकिन अब देर हो चुकी है और ऐसे हथकंडों से कोई बात बनेगी, लगता नहीं है।

Reservation
Reservation Policy
upper castes reservation
economically backward
Constitution amend
government services
Higher education
Narendra modi
modi sarkar
chunavi rajniti
chunavi jumla
चुनावी जुमला

Related Stories

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

भाजपा के लिए सिर्फ़ वोट बैंक है मुसलमान?... संसद भेजने से करती है परहेज़

हिमाचल में हाती समूह को आदिवासी समूह घोषित करने की तैयारी, क्या हैं इसके नुक़सान? 


बाकी खबरें

  • covid
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में आज फिर एक हज़ार से ज़्यादा नए मामले, 71 मरीज़ों की मौत
    06 Apr 2022
    देश में कोरोना के आज 1,086 नए मामले सामने आए हैं। वही देश में अब एक्टिव मामलों की संख्या घटकर 0.03 फ़ीसदी यानी 11 हज़ार 871 रह गयी है।
  • khoj khabar
    न्यूज़क्लिक टीम
    मुसलमानों के ख़िलाफ़ नहीं, देश के ख़िलाफ़ है ये षडयंत्र
    05 Apr 2022
    खोज ख़बर में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने दिल्ली की (अ)धर्म संसद से लेकर कर्नाटक-मध्य प्रदेश तक में नफ़रत के कारोबारियों-उनकी राजनीति को देश के ख़िलाफ़ किये जा रहे षडयंत्र की संज्ञा दी। साथ ही उनसे…
  • मुकुंद झा
    बुराड़ी हिन्दू महापंचायत: चार FIR दर्ज लेकिन कोई ग़िरफ़्तारी नहीं, पुलिस पर उठे सवाल
    05 Apr 2022
    सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि बिना अनुमति के इतना भव्य मंच लगाकर कई घंटो तक यह कार्यक्रम कैसे चला? दूसरा हेट स्पीच के कई पुराने आरोपी यहाँ आए और एकबार फिर यहां धार्मिक उन्माद की बात करके कैसे आसानी से…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    एमपी : डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे 490 सरकारी अस्पताल
    05 Apr 2022
    फ़िलहाल भारत में प्रति 1404 लोगों पर 1 डॉक्टर है। जबकि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के मानक के मुताबिक प्रति 1100 लोगों पर 1 डॉक्टर होना चाहिए।
  • एम. के. भद्रकुमार
    कीव में झूठी खबरों का अंबार
    05 Apr 2022
    प्रथमदृष्टया, रूस के द्वारा अपने सैनिकों के द्वारा कथित अत्याचारों पर यूएनएससी की बैठक की मांग करने की खबर फर्जी है, लेकिन जब तक इसका दुष्प्रचार के तौर पर खुलासा होता है, तब तक यह भ्रामक धारणाओं अपना…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License