वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने बताया उस समय का आँखों-देखा हाल जब शाहीन बाग़ प्रदर्शन में पत्रकार दीपक चौरसिया के साथ अभद्रता हुई। भाषा ने पूछा कि क्या जानबूझकर इस तरह का माहौल खड़ा किया दीपक की टीम ने, जिससे मीडिया से नाराज़ आंदोलनकारी भड़क जाएँ? क्या यह टीआरपी बटोरने का स्टंट था? दीपक ने यह क्यों नहीं बताया कि उन्हें सुरक्षित बाहर किसने निकाला?