NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
पर्यावरण
स्वास्थ्य
भारत
जानलेवा दिल्ली की हवा, 75 प्रतिशत बच्चों को सांस लेने में परेशानी
413 बच्चों पर ये स्वास्थ्य सर्वेक्षण किया गया जिसमें से 75.4% ने सांस फूलने की शिकायत की, 24.2% ने आंखों में खुजली, 22.3% बच्चों ने नियमित तौर पर छींकने या नाक बहने की शिकायत की और 20.9% बच्चों ने सुबह के समय खांसी होने की शिकायत की।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
14 Oct 2021
delhi pollution
'प्रतीकात्मक फ़ोटो'

सर्दी शुरू होने के साथ ही दिल्ली की हवा प्रदूषित होने लगती है। इससे दिल्लीवासियों को सांस संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। द इनर्जी एंड रिसोर्सेस इंस्टिच्यूट (टेरी) द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया है कि यहां 75 प्रतिशत बच्चों को सांस लेने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

विभिन्न वायु प्रदूषण पारिस्थितिकी के साथ यह अध्ययन भारत भर के छह शहरों दिल्ली (मेगासिटी), लुधियाना (अधिक औद्योगिकृत शहर), पटियाला (कृषि और बायोमास जलने वाला शहर), पंचकुला (पीएम2.5 वाला शहर), विशाखापत्तनम (तटीय क्षेत्र) और जैसलमेर (रेगिस्तान) में किया गया था। शोधकर्ताओं ने अक्टूबर 2019 में वायु गुणवत्ता के स्तर का विश्लेषण किया।

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार 413 बच्चों पर स्वास्थ्य सर्वेक्षण किया गया जिसमें से 75.4% ने सांस फूलने की शिकायत की, 24.2% ने आंखों में खुजली, 22.3% बच्चों ने नियमित तौर पर छींकने या नाक बहने की शिकायत की और 20.9% बच्चों ने सुबह के समय खांसी होने की शिकायत की।

सर्वे में 14-17 साल के बच्चे शामिल

टेरी की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दिल्ली की हवा में प्रमुख प्रदूषक पीएम2.5 की उच्च सांद्रता है जिसको लेकर दावा है कि यह दिल्लीवासियों विशेष रूप से बच्चों में श्वसन और हृदय संबंधी बीमारियों का कारण है।

शोधकर्ताओं ने भारी धातुओं को पीएम2.5 के एक प्रमुख घटक के रूप में भी पहचान की है जिसके परिणामस्वरूप संभावित स्वास्थ्य प्रभाव हो सकते हैं। अक्टूबर 2019 में शहर के पीएम 2.5 में जिंक की सांद्रता 379 एनजी/एम3 (नैनोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर) थी। सितंबर 2020 में यह बढ़कर 615 एनजी/एम3 (नैनोग्राम प्रति घन मीटर) हो गया।

इसी तरह, दिल्ली की हवा में लेड की मात्रा 2019 में 233 एनजी/एम3 (नैनोग्राम प्रति घन मीटर) थी जो 2020 में बढ़कर 406 एनजी/एम3 (नैनोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर) हो गई। इसमें आर्सेनिक कंटेंट 3 एनजी/ एम3 था।

हवा में कैडमियम और आर्सेनिक

विशेषज्ञों के अनुसार, इनमें से कुछ धातुएं मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक हैं और इनके नियमित संपर्क में आने से स्वास्थ्य के लिए घातक परिणाम हो सकते हैं। हवा में कैडमियम और आर्सेनिक की बढ़ी हुई मात्रा ने स्थानीय लोगों को गुर्दे की समस्याओं, कैंसर और उच्च रक्तचाप, मधुमेह व हृदय रोगों जैसे जोखिम में डाल दिया।

टेरी एसोसिएट फेलो (एन्वायरमेंट एंड हेल्थ) कन्हैया लाल के हवाले से लिखा गया कि "पीएम 2.5 का स्तर - 60 ug/m3 से कम- एक स्वीकार्य मानदंड माना जाता है लेकिन अगर हवा में जहरीली धातुओं की उच्च सांद्रता है तो इससे आपका स्वास्थ्य खतरे में पड़ सकता है।"

विशेषज्ञों के अनुसार, दिल्ली की हवा में धातुओं के प्राथमिक स्रोत वाहनों से निकलने वाली हवा, खुले स्थानों पर आग जलाना और पड़ोसी राज्यों में औद्योगिक संचालन से निकलने वाले धुएं हैं। कन्हैया लाला ने कहा, "दिल्ली में अत्यधिक ट्रैफिक और इसके आसपास के क्षेत्रों में औद्योगिक गतिविधियों जैसे कारकों से हवा में भारी धातुओं का अंश बढ़ जाता है। आप जिस प्रदूषक के संपर्क में आते हैं उसके रासायनिक संरचना को समझना बहुत महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, आपके शहर में पीएम 2.5 का स्तर 60ug/m3 से कम हो सकता है जिसे एक स्वीकार्य मानक माना जाता है, लेकिन अगर हवा में जहरीली धातुओं की उच्च सांद्रता है तो आपका स्वास्थ्य अत्यधिक जोखिम में है।”

pollution
Air Pollution
Delhi

Related Stories

मध्यप्रदेशः सागर की एग्रो प्रोडक्ट कंपनी से कई गांव प्रभावित, बीमारी और ज़मीन बंजर होने की शिकायत

‘जलवायु परिवर्तन’ के चलते दुनियाभर में बढ़ रही प्रचंड गर्मी, भारत में भी बढ़ेगा तापमान

बिहार की राजधानी पटना देश में सबसे ज़्यादा प्रदूषित शहर

बनारस में गंगा के बीचो-बीच अप्रैल में ही दिखने लगा रेत का टीला, सरकार बेख़बर

दिल्ली से देहरादून जल्दी पहुंचने के लिए सैकड़ों वर्ष पुराने साल समेत हज़ारों वृक्षों के काटने का विरोध

साल 2021 में दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी थी : रिपोर्ट

विश्व जल दिवस : ग्राउंड वाटर की अनदेखी करती दुनिया और भारत

देहरादून: सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट के कारण ज़हरीली हवा में जीने को मजबूर ग्रामीण

हवा में ज़हर घोल रहे लखनऊ के दस हॉटस्पॉट, रोकने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने तैयार किया एक्शन प्लान

हर नागरिक को स्वच्छ हवा का अधिकार सुनिश्चित करे सरकार


बाकी खबरें

  • BJP
    अनिल जैन
    खबरों के आगे-पीछे: अंदरुनी कलह तो भाजपा में भी कम नहीं
    01 May 2022
    राजस्थान में वसुंधरा खेमा उनके चेहरे पर अगला चुनाव लड़ने का दबाव बना रहा है, तो प्रदेश अध्यक्ष सतीश पुनिया से लेकर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत इसके खिलाफ है। ऐसी ही खींचतान महाराष्ट्र में भी…
  • ipta
    रवि शंकर दुबे
    समाज में सौहार्द की नई अलख जगा रही है इप्टा की सांस्कृतिक यात्रा
    01 May 2022
    देश में फैली नफ़रत और धार्मिक उन्माद के ख़िलाफ़ भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) मोहब्बत बांटने निकला है। देशभर के गावों और शहरों में घूम कर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन किए जा रहे हैं।
  • प्रेम कुमार
    प्रधानमंत्री जी! पहले 4 करोड़ अंडरट्रायल कैदियों को न्याय जरूरी है! 
    01 May 2022
    4 करोड़ मामले ट्रायल कोर्ट में लंबित हैं तो न्याय व्यवस्था की पोल खुल जाती है। हाईकोर्ट में 40 लाख दीवानी मामले और 16 लाख आपराधिक मामले जुड़कर 56 लाख हो जाते हैं जो लंबित हैं। सुप्रीम कोर्ट की…
  • आज का कार्टून
    दिन-तारीख़ कई, लेकिन सबसे ख़ास एक मई
    01 May 2022
    कार्टूनिस्ट इरफ़ान की नज़र में एक मई का मतलब।
  • राज वाल्मीकि
    ज़रूरी है दलित आदिवासी मज़दूरों के हालात पर भी ग़ौर करना
    01 May 2022
    “मालिक हम से दस से बारह घंटे काम लेता है। मशीन पर खड़े होकर काम करना पड़ता है। मेरे घुटनों में दर्द रहने लगा है। आठ घंटे की मजदूरी के आठ-नौ हजार रुपये तनखा देता है। चार घंटे ओवर टाइम करनी पड़ती है तब…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License