NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
समाज
राजनीति
एशिया के बाकी
लोकतंत्र समर्थक, भूमि तथा पर्यावरण कार्यकर्ता एशिया में सबसे ज़्यादा असुरक्षितः रिपोर्ट
एशियन फ़ोरम फ़ॉर ह्यूमन राइट्स एंड डेवलपमेंट की हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि एशिया महाद्वीप मानवाधिकार कार्यकर्ताओं (एचआरडी-मानवाधिकार रक्षकों) के लिए ख़तरनाक क्षेत्र बना हुआ है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
20 Jun 2019
लोकतंत्र समर्थक, भूमि तथा पर्यावरण कार्यकर्ता एशिया में सबसे ज़्यादा असुरक्षितः रिपोर्ट

रोज़ाना मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों पर हमले की ख़बरों के बीच हाल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि एशिया महाद्वीप मानवाधिकार कार्यकर्ताओं (एचआरडी-मानवाधिकार रक्षकों) के लिए ख़तरनाक क्षेत्र बना हुआ है।

एशियन फ़ोरम फ़ॉर ह्यूमन राइट्स एंड डेवलपमेंट की रिपोर्ट "डिफ़ेंडिंग इन नंबर्स" में हिंसा तथा दुर्व्यवहार के 688 मामलों को शामिल किया गया है जो 2017 और 2018 के बीच 18 देशों के मानवाधिकार संगठनों, स्थानीय समुदायों और मीडिया घरानों के लगभग 4,854 लोग प्रभावित हुए।

मानवाधिकारों की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत मिशेल फ़ोर्स्ट ने कहा, “पूरे एशिया में मानव अधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने को लेकर एचआरडी को धमकी दी जाती है, परेशान किया जाता है, सताया जाता है और कभी कभी तो उन्हें मार ही दिया जाता है। मानवाधिकार रक्षकों के लिए संयुक्त राष्ट्र के घोषणापत्र में दर्ज उनके कई अधिकारों का लगातार उल्लंघन किया जा रहा है। हालांकि वर्ष 2018 में इस घोषणापत्र के अपनाने की 20वीं वर्षगांठ मनाई गई है।”

इस रिपोर्ट के अनुसार, इस अवधि के दौरान सबसे सामान्य उल्लंघन 327 मामलों में न्यायिक उत्पीड़न के थे और 249 मामलों में (मनमानी) गिरफ़्तारी और हिरासत के मामले सामने आए। हिंसा (164 मामले); डराना- धमकाना (148 मामले); और निष्पक्ष मुक़दमा से इनकार (61 मामले) भी बार-बार होने वाले हिंसाओं में थे। रिपोर्ट में कहा गया है, "कई बार दोनों साथ साथ हुए और एचआरडी को क़ानूनी लड़ाई या ज़्यादा गंभीर मामलों में समय, ऊर्जा तथा संसाधनों की दिशा बदलने के लिए एचआरडी पर दबाव डालकर उनको अपने कार्य को करने से रोकने के लिए एक दूसरे को सहयोग किया।"

human chart.jpg

भारत, बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, नेपाल, पाकिस्तान, फ़िलीपींस, थाईलैंड और वियतनाम सहित नौ देशों में ऐसे मामले सामने आए हैं जहाँ मानव अधिकारों के लिए किए गए उनके काम के परिणामस्वरूप एचआरडी को मार दिया गया था। उक्त समय सीमा में कुल 61 ऐसे मामले दर्ज किए गए। अन्य सामान्य हिंसाएँ जिन्हें एचआरडी के तहत शामिल किया जाना चाहिए: प्रशासनिक उत्पीड़न (39 मामले); यात्रा पर प्रतिबंध (36 मामले); जान के ख़तरे (30 मामले); और अपहरण (30 मामले)।

इन मामलों में एचआरडी में लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं और भूमि तथा पर्यावरण कार्यकर्ता सबसे ज़्यादा निशाना बनाए जाने वाले समूह थे। एशिया में बढ़ते दमनकारी संदर्भ को दर्शाते हुए दर्ज किए गए 688 मामलों में से 210 मामलों में लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ता पीड़ित थें जो कुल मामलों का 30% है। भूमि तथा पर्यावरण कार्यकर्ता जो सरकारी और ग़ैर-सरकारी कर्मियों के प्रमुख लक्ष्य हैं वे प्राकृतिक संसाधनों तक पहुँचने और मेगा विकास परियोजनाओं को लागू करने के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं वे एचआरडी के दूसरे सबसे प्रभावित समूह थे। फ़ोरम-एशिया के आंकड़ों के अनुसार उन्हें 688 मामलों में से 135 में पीड़ितों के रूप में चिह्नित किया गया है। यह कुल मामलों का लगभग 20% है।

asia activist.jpg

पिछले वर्षों की तरह सरकारी या ग़ैर-सरकारी कर्मी एचआरडी के उत्पीड़न और दुर्व्यवहार के घोर दोषी हैं। रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार सरकारी कर्मी जैसे कि पुलिस, न्यायपालिका और सशस्त्र बल दर्ज किए गए 688 मामलों में से 520 में शामिल थे। यह कुल मामलों का लगभग 75% है। ग़ैर-सरकारी कर्मी जो शामिल हैं लेकिन राष्ट्रीय तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियों, डेवलपमेंट फ़ाइनेंस इंस्टीट्यूशन (डीएफआई), सशस्त्र समूहों और चरमपंथी समूहों तक सीमित नहीं हैं वे 66 मामलों में दोषियों के तौर पर दर्ज किए गए। इन ग़ैर-सरकारी कर्मियों के लिए सरकार के साथ मिलकर घिनौनी हरकतें करना आम बात थी। 55 मामलों में दोषी अज्ञात थे।

Asian Forum for Human Rights and Development
Human rights Defenders
Condition of HRDs in India
attacks against human rights activists
attacks against environmental activists
attacks against journalists

Related Stories


बाकी खबरें

  • विजय विनीत
    ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां
    04 Jun 2022
    बनारस के फुलवरिया स्थित कब्रिस्तान में बिंदर के कुनबे का स्थायी ठिकाना है। यहीं से गुजरता है एक विशाल नाला, जो बारिश के दिनों में फुंफकार मारने लगता है। कब्र और नाले में जहरीले सांप भी पलते हैं और…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत
    04 Jun 2022
    केरल में कोरोना के मामलों में कमी आयी है, जबकि दूसरे राज्यों में कोरोना के मामले में बढ़ोतरी हुई है | केंद्र सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए पांच राज्यों को पत्र लिखकर सावधानी बरतने को कहा…
  • kanpur
    रवि शंकर दुबे
    कानपुर हिंसा: दोषियों पर गैंगस्टर के तहत मुकदमे का आदेश... नूपुर शर्मा पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं!
    04 Jun 2022
    उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था का सच तब सामने आ गया जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दौरे के बावजूद पड़ोस में कानपुर शहर में बवाल हो गया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है
    04 Jun 2022
    केंद्र ने कश्मीरी पंडितों की वापसी को अपनी कश्मीर नीति का केंद्र बिंदु बना लिया था और इसलिए धारा 370 को समाप्त कर दिया गया था। अब इसके नतीजे सब भुगत रहे हैं।
  • अनिल अंशुमन
    बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर
    04 Jun 2022
    जीएनएम प्रशिक्षण संस्थान को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की घोषणा करते हुए सभी नर्सिंग छात्राओं को 24 घंटे के अंदर हॉस्टल ख़ाली कर वैशाली ज़िला स्थित राजापकड़ जाने का फ़रमान जारी किया गया, जिसके ख़िलाफ़…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License