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भारत
राजनीति
‘लव जिहाद’ साम्प्रदायिक धुर्विकरण की नयी मुहीम
महेश कुमार
03 Sep 2014

केंद्र में सत्ता हासिल करने के बाद अब भाजपा उत्तर प्रदेश  और बिहार में अपने पैर जमाना चाहती है ताकि वह केंद्र अपनी सत्ता को और मज़बूत कर सकेI इसके लिए अब उसे नए नारों की जरूरत है क्योंकि विकास और ‘अच्छे दिन’ का नारा आम जनता की नज़रों में पूरी तरह विफल हो चूका हैI लोक सभा चुनावों के बाद हुए उप-चुनावों में भाजपा की बुरी गत हुयी है और यह भाजपा के लिए बड़े संकट की घडी हैI बड़े स्तर पर निजीकरण को बढ़ावा देने और बड़े पूंजीपतियों और बहुराष्ट्रीय निगमों को मोटी-मोटी सौगातें बाँटने के वायदे, मुनाफे से लत-पत सार्वजनिक महकमों में बड़े स्तर पर विनिवेश ने देश की अर्थव्यवस्था का मार्ग पूंजीवादी लूट-खसोट की और अग्रसर कर दिया हैI इसमें आम आदमी के विकास का कोई स्थान नहीं हैI महंगाई, बेरोज़गारी और भरष्टाचार फिर से अपना फन फैलाए खड़ा हैI कृषि का संकट और गहरा रहा हैI गाँव का जीवन कठिन होता जा रहा हैI कुल मिलाकर विकास और ‘अच्छे दिन’ का ढकोसला ओंधे मुहं गिर गया है और जनता अपने आपको ठगा सा महसूस कर रही हैI इसीलिए हाल ही के चुनावों में जनता ने भाजपा को चेतावनी दी है कि झूठे वायदों का हिसाब किताब भी चुनावों में ही होगाI

लव-जिहाद का नारा क्यों?

लव जिहाद का नारा एक सोची समझी साजिश का हिस्सा हैI सबसे पहले यह मुद्दा केरल और कर्नाटक के सीमाई जिलों में आर.एस.एस. और श्रीराम सेना ने उठाया था, यही कारण था की इस नारे की आड़ में उन युवाओं पर हमले किये गए जो वैलेंटाइन दिवस मनाने के लिए रेस्तराओं में गएI उन पर बड़ी बेरहमी से हमले किये गएI हिन्दू धर्म की रक्षा के नाम पर सार्वजनिक तौर पर लड़कियों के बाल पकड़कर उने घसीटा गया और उनपर शारीरिक हमले किये गएI विभिन्न चेनलों पर इस तरह की घटनाएं दिखाई गयीI लेकिन यह हमले अक्सर नौजवानों पर जारी रहेI इतिहास इस बात का गवाह है कि हर तरह के साम्प्रदायिक दंगों में महिलाओं का इस्तेमाल किया जाता रहा हैI हिन्दू धर्म के मठाधीश हमेशा से ही महिलाओं के सवालों की आड़ में साम्प्रदायिक उन्माद फैलाने की कोशिश करते रहे हैI वे हमेशा अपने ब्यान में कहते हैं कि हमारी महिलायें असुरक्षित हैं और अकलियत के लोग हमारी महिलाओं को बहला-फुसलाकर उनका धर्म परिवर्तन करवाते हैंI लव जिहाद के नारे को इसी कड़ी में दुबारा से पुनर्जीवित किया गया हैI  चूँकि इस्लामिक आतंकवाद अंतर्राष्ट्रीय पैमाने पर फैला हुआ है इसलिए लव-जिहाद का नारा पाने आप में काफी गंभीर असर डाल सकता हैI यह लोगों की जेहनियत में तो जिंदा रहेगा ही साथ देश में साप्रदायिक विभाजन करने में भी मुख्य भूमिका निभा सकता हैI कई हिन्दू जाती संगठनों ने सर्कुलर निकालकर अपनी जाती की युवतियों को मोबाइल रखने के लिए मना कर दिया है ताकि वे युवाओं के संपर्क में न रह सकेI उनका मानना है की ऐसा करने से युवतियां दुसरे धर्म तो क्या वे अपने धर्म के युवाओं के भी सम्पर्क में हनी रहेंगी और अंतर-जातीय विवाह का भी खतरा टल जाएगाI राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ हमेशा से ही अन्तर-जातीय विवाहों का विरोधी रहा हैI वे हमेशा इस तरह की शादियों  के खिलाफ हिन्दू युवाओं या हिन्दू युवतियों के परिवारों को धमकी देते रहे हैंI आर.एस.एस. और  भाजपा हमेशा से ही अंतर-जातीय विवाहों का विरोधी रहा है और उसने हमेशा इसे हिन्दू धर्म पर खतरे के रूप में देखा हैI क्योंकि ये दोनों ही संगठन वर्ण व्यवस्था के हिमायती हैंI इसलिए ये यह कतई नहीं चाहेंगें की समाज में युवा खासकर लड़कियां अपनी मर्जी से अपना जीवन साथी चुनेI इसलिए भाजपा साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए ‘लव जिहाद’ जैसे नारों उपयोग कर रही हैI

लव जिहाद और दलित – आदिवासी

सवाल यह उठता है की हिन्दू धर्म तब खतरें में क्यों नहीं पड़ता जब दलित महिलाओं के साथ हिन्दू धर्म के ही लोग बलात्कार करतें हैं, उन्हें गाँव में नंगा घुमातें हैं, घरों में घुसकर उनके ही परिवार के सामने उन्हें ज़लील करते हैं? तब क्यों नहीं ये धर्म के ठेकेदार कोई वाहिनी बनाते कि हम अपनी दलित बहनों की रक्षा करेंगें? ऐसा ही आदिवासी महिलाओं के साथ किया जा रहा हैI हिन्दू धर्म के भीतर प्रभावशाली सामन्ती समूह जब दलित बस्तियों और गावों से दलितों को खदेड़ देते हैं तो क्यों नहीं इन हिन्दू धर्म के ठेकेदारों के दिल दहलतेI क्यों आज भी भगाना या टीसुन्दर जैसे काण्ड होते हैं? जब वोट की राजनीती का सवाल उठता है तो दलित और आदिवासी भी व्यापक हिन्दू समुदाय का हिस्सा बन जाता हैI और जैसे चुनाव ख़त्म होते हैं, दलित फिर दलित और आदिवासी फिर से आदिवासी बन जाते हैंI लव जिहाद का नारा तो वैसे भी नारी रक्षा के लिए दिया गया हैI फिर इसका इस्तेमाल कोई भी सेना देश के गावों में जाती है और सामंती ताकतों का सर नहीं फोडती है जो दलित और आदिवासी महिलाओं की अस्मिताओं के साथ खेलते हैं? भाजपा या आर.एस.एस ऐसा नहीं करेगी क्योंकि दलित और आदिवासी महिलाओं पर अत्याचार तो उन्ही के द्वारा चलाई जा रही वर्ण व्यवस्था के आधार पर ही हो रहा हैI

इश्क नहीं आसाँ

किसी शायर ने कहा है कि ‘यह इश्क नहीं आसाँ, एक आग का दरया है और इसे पार करके जाना है’ भाजपा और संघ ने इसे और भी मुश्किल बना दिया है, अब ऐसी स्थिति पैदा की जा रही है कि हर इंसान मोहब्बत करने से पहले पूंछेगा बता तेरी जात क्या? बता तेरा धर्म क्या? और मोदी सरकार की पूंजीपति परस्त नीतियाँ युहीं जारी रही तो इंसान यह भी पूंछेगा कि बता तेरी औकात क्या? हम तो यही कहेंगे कि प्यार को प्यार ही रहने दो, कोई और नाम न दोI क्योंकि प्यार गर बट जाएगा तो देश बट जाएगा, समाज बट जाएगाI

उत्तर प्रदेश – एक ख़ास एजेंडे पर

पिछले लोकसभा चुनाव के बाद से उत्तर प्रदेश में साम्प्रद्दायिक हिंसा की 650 से ज्यादा घटनाएँ घट चुकी हैंI भाजपा का मुख्य उद्देश्य अपनी राजनितिक शक्ति को मज़बूत बनाना हैI इसलिए वह उत्तर प्रदेश और बिहार को निशाने पर लिए हुए हैI लव जिहाद के नारे को इसलिए युIपी में पुनर्जीवित किया गया है ताकि वह सांप्रदायिक उन्माद के जरिए अपनी शक्ति और ज्यादा मज़बूत कर सकेI छोटे स्तर के साम्प्रदायिक दंगें करवाना, जातीय संगठनों के जरिए प्रभावशाली सामंती समूहों में घुसपैठ करना, व्यापारी और किसानों में साप्रदायिक विभाजन करनाI योगी आदित्यानाथ जैसे घोर साम्प्रदायिक व्यक्ति को भाजपा के उप-चुनाव के प्रचार की बागडोर देना, यह सब बड़ी ही रणनीति के तहत युIपीI में चल रहा हैI क्योंकि किसी भी बड़ी घटना के पहले संघ और उससे जुड़े सभी संगठन जनता के मूड को देख रहे हैं और इस बात का जायजा ले रहे हैं कि अगर कल कोई बड़ी घटना घटे तो उसका वे कितना फायदा उठा सकते हैंI यही वजह है कि भाजपा और संघ युIपीI पैर पसार कर बैठ गए हैं ताकि भविष्य में इसे भी एक मज़बूत संघी राज्य बनाया जा सकेI लव जिहाद तो सिर्फ एक बहाना है सत्ता के मुहाने तक पहुँचने के लिएI

 

डिस्क्लेमर:- उपर्युक्त लेख मे व्यक्त किए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत हैं, और आवश्यक तौर पर न्यूज़क्लिक के विचारो को नहीं दर्शाते ।

लव जिहाद
आरएसएस
भाजपा
साम्प्रदायिकता
राजनीति
चुनाव
उत्तर प्रदेश

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