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“…मैंने इसलिए दिया मोदी जी को वोट!”
मैंने सोचा, मैं तो हिन्दू हूँ, सवर्ण भी और पुरुष भी। मुझे इन मुद्दों से क्या। दलित पिटें तो पिटें, मुसलमान मरें तो मरें। महिलाओं पर अत्याचार हो तो हो, आदिवासी बेदखल हों तो हों। किसान आत्महत्या करें तो करें। इस बार थोड़ा सा स्वार्थी हो जाते हैं। एक चुनाव की ही तो बात है, सो इस बार मोदी जी को ही वोट दे दिया।
डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
26 May 2019
सांकेतिक तस्वीर
Image Courtesy : AajAbhi

जश्न का समय है। जीत का समय है। विजय गीत का समय है। और बधाई देने का समय है। भाजपा को और उसके सहयोगियों को हार्दिक बधाई। लोकसभा चुनाव के नतीजों ने दिखा दिया है कि कम से कम हाल फिलहाल मोदी और भाजपा का कोई भी विकल्प नहीं है। हम सबने मोदी जी और भाजपा को दुबारा से अपने शासक के रूप में चुन लिया है। मैंने भी इस बार मोदी जी को ही वोट दिया। मोदी जी ही जीते इसलिए मेरा वोट बेकार नहीं गया, तो मुझे भी बधाई। चुनाव आयोग और बहुत सारे सैलिब्रिटीज बार-बार अपील करते रहे कि आपको अपना वोट बेकार नहीं करना है। जीतने वाले को इसलिए दिया जिससे वोट जाया न हो। कांग्रेस या आप को वोट देता तो बहुत ही अफसोस होता कि वोट बेकार चला गया। 

पिछली बार, 2014 में चुनावों में वोट भाजपा को नहीं दिया था तो बेकार चला गया था, पर इस बार मोदी जी को देकर वोट की लाज रख ली। पिछली बार हमारे यहां से भाजपा का कोई उम्मीदवार चुनाव में खडा़ हुआ था पर इस बार हमारे यहां से स्वयं मोदी जी खड़े हुए थे। हमारे यहां से ही नहीं, सभी जगह से मोदी जी ही स्वयं खड़े हुए थे, इसलिए मोदी जी को ही वोट दिया।

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वोट तो मैं चौदह के चुनाव में भी भाजपा को ही देना चाहता था पर कुछ मित्रों ने बरगला लिया। कहने लगे भाजपा सांप्रदायिक पार्टी है। पर अब पता चला कि भाजपा कैसी भी हो, मोदी जी अच्छे हैं, वायदा निभाते हैं। इसलिए इस बार मोदी जी को वोट दे दिया। भाजपा को देना होता तो शायद इस बार भी नहीं देते।

मोदी जी ने चौदह के चुनाव से पहले कहा था कि हर एक के खाते में पंद्रह लाख रुपये डालेंगे। चुनाव जीतने, प्रधानमंत्री बनने के बाद, मोदी जी ने मुकेश अंबानी से, नीता अंबानी से, रतन टाटा से, राहुल बजाज से और भी बहुतों से व्यक्तिगत रूप से पूछा कि आपको पंद्रह लाख रुपए अपने बैंक खाते में चाहियें। मोदी जी की मुकेश और नीता अंबानी से यह बात पूछते हुए की फोटो भी उन दिनों काफी वायरल हुई थी। पर इन सब लोगों ने मना कर दिया। मोदी जी का वायदा था कि यदि पंद्रह लाख रुपये डलवायेंगे तो सबके खाते में नहीं तो किसी के भी नहीं। अंबानी-अडानी-टाटा ने पैसे डलवाने से मना कर दिया तो किसी के खाते में नहीं डलवाये। मुझे लगा, वायदा हो तो ऐसा, नहीं तो न ही हो। इस बार मैंने मोदी जी को इसीलिए वोट दिया।

घर में चार साल से बड़ा बेटा पढ़-लिख कर बेकार बैठा है। कहीं नौकरी नहीं है, तो कहीं अप्लाई कर दिया है। जहां अप्लाई कर दिया है वहां परीक्षा टलती जा रही है। जहां परीक्षा हो गई है वहां परिणाम नहीं घोषित हो रहा है। जहां परिणाम घोषित हो गया है वहां जॉयन नहीं हो पा रहा है। यानी कोई न कोई अड़ंगा है यहां भी। मोदी जी ने पिछले चुनाव में वायदा किया था, दो करोड़ नौकरी हर साल का। मोदी जी वायदे के पक्के हैं। पूरी दो करोड़ नौकरी हर साल, न दस लाख, न पचास लाख, न एक करोड़, न डेढ़ करोड़। अब दो करोड़ नौकरी का इंतजाम नहीं हो पाया तो बिल्कुल भी नहीं दीं। घर में बेकार बैठे हुए नौजवान बेटे के बावजूद मोदी जी की यह बात मुझे काफी पसंद आयी। इसीलिए इस बार मैंने मोदी जी को वोट दिया।

छोटा भाई है। साथ ही रहता है। पहले छोटा मोटा व्यापार करता था। पांच छह मुलाजिम भी रखे हुए थे। अच्छी कमाई कर लेता था। पर नोटबंदी और उसके बाद जीएसटी ने उसकी और उस जैसे अन्य व्यापारियो की कमर ही तोड़ दी। अब घर पर बैठा है। जो उसके यहां काम करते थे, वे भी अपने घर बैठे हैं या गांव लौट गये हैं। जिस पंसारी के यहां से घर का सौदा आता था, उसकी दुकान भी बंद पडी़ है। पर हमारा क्या है, हम बिग बाजार से, रिलायंस फ्रैश से घर का सामान ले आते हैं। छोटी दुकानें बंद हो रही हैं तो क्या, बड़े बड़े स्टोर तो जगह जगह खुल रहे हैं। बड़े लोगों के लिए तो देश आगे बढ़ रहा है। इसीलिए मैंने मोदी को वोट दिया।

बातें और वायदे तो और भी थे। और मुद्दे भी थे। दलितों के थे, आदिवासियों के थे। नौजवानों के थे, विद्यार्थियों के थे। महिलाओं के भी थे और अल्पसंख्यकों के भी। और किसानों के तो हर जगह थे। हर जगह किसान आत्महत्या कर रहे हैं। पर मैंने सोचा, मैं तो हिन्दू हूँ, सवर्ण भी और पुरुष भी। मुझे इन मुद्दों से क्या। दलित पिटें तो पिटें, मुसलमान मरें तो मरें। महिलाओं पर अत्याचार हो तो हो, आदिवासी बेदखल हों तो हों। किसान आत्महत्या करें तो करें। इस बार थोड़ा सा स्वार्थी हो जाते हैं। एक चुनाव की ही तो बात है, सो इस बार मोदी जी को ही वोट दे दिया।

पर प्रमुख मुद्दा तो राष्ट्र का था। भारत ही नहीं रहेगा तो हम कहाँ रहेंगे। मुझे समझा दिया गया कि भारत के टुकड़े करने में मुस्लिम लीग और अतिवादी हिन्दू संगठनों का हाथ नहीं था बल्कि कांग्रेस और गांधी ने पाकिस्तान बनवाया। वो तो मोदी जी नहीं होते तो ये कांग्रेसी सरकारें भारत के और भी टुकड़े कर चुकी होती। आप कहेंगे कि मोदी जी तो पांच साल से ही प्रधानमंत्री बने हैं, उससे पहले तो अधिकतर कांग्रेस का ही शासन था पर देश कहां टूटा। पर मोदी जी 1950 में पैदा हो चुके थे। और महान पुरूष बाल काल से ही लीलायें दिखाना शुरू कर देते हैं। भगवान कृष्ण के बारे में याद नहीं है क्या। इसीलिए कांग्रेस चाह कर भी 1950 के बाद देश के टुकड़े नहीं कर पाई। अब मोदी जी आये हैं, उन्होंने राष्ट्र का मतलब समझाया है। शास्त्री, इंदिरा, वाजपेयी सबने अपने ढंग से पाकिस्तान को सबक सिखाया पर वे सब बेकार थे। सिर्फ मोदी ही जानते हैं, देश की सुरक्षा कैसे की जाये। राष्ट्र को बचाना है। सो इस बार मोदी जी को वोट दिया।

अंतिम कारणः न दल बड़ा न भईया, सबसे बड़ा रुपईया। और देखा, जाना और समझा कि मोदी जी ने सबसे अधिक पैसा खर्च किया है। खर्च किया पैसा बेकार न जाये, सो इस बार मोदी जी को वोट दिया।

(लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

tirchi nazar
Satire
Political satire
Narendra modi
2019 Lok Sabha elections
result 2019

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