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अपराध
भारत
मालेगांव विस्फोट: प्रज्ञा ठाकुर समेत सभी आरोपियों को हर हफ्ते अदालत में होना होगा पेश 
मुंबई की एनआईए कोर्ट ने भोपाल से बीजेपी की उम्मीदवार प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत धमाके के सभी सातों आरोपियों को सप्ताह में 1 दिन कोर्ट रूम में पेश होने का आदेश दिया है। 

न्यूजक्लिक रिपोर्ट
17 May 2019
फाइल फोटो
(फोटो साभार: सोशल मीडिया)

मालेगांव धमाकों के आरोपियों के कोर्ट में मौजूद नहीं रहने पर मुंबई की स्पेशल एनआईए कोर्ट ने सख्त नाराजगी जताई। कोर्ट ने भोपाल लोकसभा सीट से बीजेपी की उम्मीदवार प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत सभी सातों आरोपियों को सप्ताह में एक बार उसके समक्ष पेश होने का आदेश दिया है।

सुनवाई के दौरान आरोपियों के बार-बार गैर हाजिर होने से नाराज एनआईए अदालत के न्यायाधीश विनोद पाडलकर ने यह आदेश दिया। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि ठोस कारणों के बिना मांगी गई छूट का अनुरोध खारिज कर दिया जाएगा।

इस समय अदालत मामले के गवाहों के बयान दर्ज कर रही है। मामले की आगे की सुनवाई 20 मई को होगी। पुरोहित और ठाकुर के अलावा मेजर (सेवानिवृत्त) रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी भी इस मामले में आरोपी हैं।

अदालत ने पिछले साल अक्टूबर में सातों आरोपियों के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों, आपराधिक षड्यंत्र और हत्या एवं अन्य के लिए मामले में आरोप तय किए थे।

आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून की धाराओं के तहत सुनवाई चल रही है। आरोपियों के खिलाफ विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की प्रासंगिक धाराओं के तहत भी आरोप लगाए गए हैं।

बता दें इसमें से एक आरोपी प्रज्ञा ठाकुर को कोर्ट ने स्वास्थ्य संबंधी कारणों के चलते जमानत दी थी। जमानत मिलने के बाद बीजेपी ने प्रज्ञा को मध्य प्रदेश के भोपाल लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया था। शुरुआती जांच में यह बात सामने आई थी कि इन धमाकों में एक मोटरसाइकिल प्रयोग की गई थी, जो प्रज्ञा सिंह ठाकुर के नाम पर थी।

इससे पहले पिछले साल सितंबर में ब्लास्ट के आरोपी कर्नल पुरोहित की आरोप तय करने पर स्टे की मांग खारिज कर दी थी। मौजूदा चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने मालेगांव ब्लास्ट मामले की एसआईटी से जांच कराने की याचिका पर सुनवाई से ही इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह अपनी इस अर्जी को ट्रायल कोर्ट में ही दाखिल करें।

उल्लेखनीय है कि मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को एक मस्जिद के निकट हुए विस्फोट में छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक लोग घायल हो गए थे।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ )

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