NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
मालिक समझौते से मुकरे, मज़दूरों ने वज़ीरपुर में कारखाने पर ताला मारा
सौजन्य: garamrolla.blogpost.in
02 Aug 2014

जून 29: वज़ीरपुर के इस्पात कारखाने में 6 जून से 27 तक चली हड़ताल ने कारखाना मालिकों और प्रबंधन को मजबूर कर दिया था कि वे मज़दूरों द्वारा सभी शर्तें माने और समझौते को लागू करें. लेकिन अगले ही दिन कारखाना मालिकों ने तय समझौते से मुह मोड़ लिया. नतीजतन मज़दूरों ने फैक्ट्री गेट को जाम कर दिया. बाद में 8 घंटे की लम्बी वार्ता के बाद कारखाना मालिक इस समझौते के लिए 28 जून को तैयार हो गए थे और सब को आश्वस्त किया था कि वे फैक्ट्री को चालू करेंगें और श्रम कानूनों का पालन करेंगें.

लेकिन मालिकों के मुकरने के परिणामस्वरुप मज़दूरों ने ‘गरम रोल्ला मज़दूर एकता समिति’ के नेतृत्व में फैक्ट्री गेट पर ताले मार दिए. यहाँ तक कि मज़दूर परिवारों से सम्बंधित महिलाएं और बच्चे भी ‘मज़दूर सत्याग्रह’ के लिए हज़ारों की तादाद में इकठ्ठा हो रहे हैं. समिति ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि अगर मालिक समझौते कि मुखालफ़त करते हैं तो कारखाने पर उनका कोई हक़ नहो होगा. साथ ही कारखाना मालिकों की गलती की वजह के चलते, श्रम विभाग को भी कोई हक़ नहीं है कि वे कारखाने को सील करे क्योंकि कारखाना मालिकों की गलती के लिए मज़दूरों सज़ा नहीं दी जा सकती हैं. इन हालात में, मज़दूरों के सामने कारखाने पर टाला मारने के सिवाय कोई ऑर रास्ता नहीं है. अभी मज़दूरों ने केवल कारखाने के गेट पर ही कब्ज़ा किया है कारखाने पर नहीं. लेकिन अगर मालिक लोग अपनी जिद नहीं छोड़ते हैं, तो मज़दूर खुद अपने दम पर फैक्टरी चलायेंगें और अपना कब्ज़ा जारी रखेंगें. ‘गरम रोल्ला मज़दूर एकता समिति’ से सनी ने कहा कि फैक्टरी कानून 1948 के अनुसार कारखाना मालिक और उनके प्रतिनिधि केवल कब्जेदार इसलिए कब्जेदार यह दायित्व है कि वह ठीक से श्रम कानूनों और फैक्टरी कानूनों का पालन करे. इन हालातों में अगर कब्जेदार इन कानूनों को लागू करने में असफल हो जाता है और सरकार भी इस उपक्रम को अपने दायरे में नहीं लेती है तो यह मज़दूरों की संवेधानिक और नैतिक जिम्मेदारी बन जाती है कि वे उस फैक्टरी को चलायें. जहाँ तक स्वामित्व का सवाल है, मज़दूर मालिकों को कानून के हिसाब से लाभांश प्रदान करेंगें. लेकिन मालिकों कि गलती के लिए सरकार और श्रम विभाग मज़दूरों को सज़ा नहीं दे सकता है.

 

‘गरम रोल्ला मज़दूर एकता समिति’ से रघुराज ने कहा मालिकों को यह याद रखना चाहिए कि वे मज़दूरों को तालाबंदी की धमकी न दें. वज़ीरपुर पुर के मज़दूर जाग चुके हैं, और अगर कारखाना मालिक अब भी नहीं जागे तो इस औधोगिक क्षेत्र से उनके परजीवी वर्ग की प्रासंगिकता को ही समाप्त कर दिया जाएगा. समिति कि कानूनी सलाहकार, शिवानी ने कहा कि मालिक लोग ‘वेट एंड वाच’ यानी इंतज़ार करो का खेल खेल रहें हैं और अपनी दलाल यूनियन ‘इन्किलाब मज़दूर केंद्र’ के जरीय अफवाएं फैला रहे कि लम्बे इंतज़ार से मज़दूर हताश हो जायेंगें. लेकिन मज़दूर अपने आन्दोलन को एक बड़े उत्साह के साथ बड़ी ऊँचाइयों पर ले जा रहे हैं. शिवानी ने कहा कि जब तक मालिक फैक्टरी चलाने को तैयार नहीं होते और सरकार इसे अपने अधीन नहीं करती है, तो फैक्टरी को मज़दूरों की समिति के प्रबंधन तहत कर देना चाहिए. कारखाने को बंद करना कोई समस्या का समाधान नहीं है और मज़दूर ऐसा होने भी नहीं देंगें.

क्रान्तिकारी अभिवादन सहित

आपके सहयोग के इंतज़ार में       

रघुराज, सनी सिंह (सदस्य, प्रमुख समिति, गरम रोल्ला मज़दूर एक समिति)

शिवानी (कानूनी सलाहकार, गरम रोल्ला मज़दूर एक समिति)

 

 

डिस्क्लेमर:- उपर्युक्त लेख मे व्यक्त किए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत हैं, और आवश्यक तौर पर न्यूज़क्लिक के विचारो को नहीं दर्शाते ।


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ः 60 दिनों से हड़ताल कर रहे 15 हज़ार मनरेगा कर्मी इस्तीफ़ा देने को तैयार
    03 Jun 2022
    मनरेगा महासंघ के बैनर तले क़रीब 15 हज़ार मनरेगा कर्मी पिछले 60 दिनों से हड़ताल कर रहे हैं फिर भी सरकार उनकी मांग को सुन नहीं रही है।
  • ऋचा चिंतन
    वृद्धावस्था पेंशन: राशि में ठहराव की स्थिति एवं लैंगिक आधार पर भेद
    03 Jun 2022
    2007 से केंद्र सरकार की ओर से बुजुर्गों को प्रतिदिन के हिसाब से मात्र 7 रूपये से लेकर 16 रूपये दिए जा रहे हैं।
  • भाषा
    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत उपचुनाव में दर्ज की रिकार्ड जीत
    03 Jun 2022
    चंपावत जिला निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री को 13 चक्रों में हुई मतगणना में कुल 57,268 मत मिले और उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाल़ कांग्रेस समेत सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो…
  • अखिलेश अखिल
    मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 
    03 Jun 2022
    बिहार सरकार की ओर से जाति आधारित जनगणना के एलान के बाद अब भाजपा भले बैकफुट पर दिख रही हो, लेकिन नीतीश का ये एलान उसकी कमंडल राजनीति पर लगाम का डर भी दर्शा रही है।
  • लाल बहादुर सिंह
    गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया
    03 Jun 2022
    मोदी सरकार पिछले 8 साल से भारतीय राज और समाज में जिन बड़े और ख़तरनाक बदलावों के रास्ते पर चल रही है, उसके आईने में ही NEP-2020 की बड़ी बड़ी घोषणाओं के पीछे छुपे सच को decode किया जाना चाहिए।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License