NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को राहत नहीं
दो न्यायाधीशों से उलट न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि संविधान द्वारा दी गई स्वतंत्रता का कोई मतलब नहीं होगा, अगर पांचों मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के उत्पीड़न की अनुमति बगैर समुचित जांच के दी गई।
न्यूजक्लिक रिपोर्ट
28 Sep 2018
भीमा-कोरेगांव मामला

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज, शुक्रवार को 2-1 के बहुमत से महाराष्ट्र में भीमा कोरेगांव मामले में पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया। इसके साथ ही न्यायालय ने पुणे पुलिस को जांच आगे बढ़ाने की इजाजत देते हुए विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने से इंकार कर दिया।

न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर ने प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की तरफ से बहुमत के फैसले को पढ़ा और पांचों मानवाधिकार कार्यकर्ताओं -सुधा भारद्वाज, वरवर राव, गौतम नवलखा, वेर्नोन गोंसाल्विस, अरुण फरेरा की घर में नजरबंदी को चार हफ्तों के लिए बढ़ा दिया।
उन्होंने कहा कि पीठ के समक्ष पेश दस्तावेजों के अधार पर यह केवल राजनीतिक विचारों में असंतोष या मतभेद की वजह से गिरफ्तारी का मामला नहीं है।

दोनों न्यायाधीशों से उलट न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि संविधान द्वारा दी गई स्वतंत्रता का कोई मतलब नहीं होगा, अगर पांचों मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के उत्पीड़न की अनुमति बगैर समुचित जांच के दी गई।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने सबूतों को सार्वजनिक करने के लिए पुणे पुलिस की आलोचना की और इसे परेशान करने वाला आचरण बताया।

आपको बता दें कि महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में माओवादियों से कथित संबंधों को लेकर पुणे पुलिस ने पिछले महीने 28 अगस्त को कवि और वामपंथी विचारक वरवर राव, अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज, सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा, अरुण फरेरा और वेर्नोन गोंसाल्विस को गिरफ्तार किया था। जिसके विरोध में इतिहासकार रोमिला थापर समेत प्रभात पटनायक, माजा दारुवाला, सतीश देशपांडे और देवकी जैन जैसे सामाजिक कार्यकर्ता सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। उनका कहना था कि सरकार से असहमति के चलते ये गिरफ्तारियां हुई हैं। इसे लेकर कोर्ट ने तब ये अहम टिप्पणी की थी कि “असहमति लोकतंत्र का सेफ्टी वाल्व है और यदि आप इन सेफ्टी वाल्व की इजाजत नहीं देंगे तो ये फट जायेगा।”

अदालत ने इस बारे में महाराष्ट्र सरकार और राज्य पुलिस को नोटिस जारी किये थे और सभी गिरफ्तार कार्यकर्ताओं के घर में ही नज़रबंद रखने का आदेश दिया था। तब से ये सभी कार्यकर्ता अपने-अपने घर में नज़रबंद हैं।

(इनपुट आईएएनएस)

Bhima Koregaon
Supreme Court
arban naxal
Sudha Bharadwaj
gautam navlakha
varavara rao

Related Stories

ज्ञानवापी मस्जिद के ख़िलाफ़ दाख़िल सभी याचिकाएं एक दूसरे की कॉपी-पेस्ट!

आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट

समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल

मायके और ससुराल दोनों घरों में महिलाओं को रहने का पूरा अधिकार

जब "आतंक" पर क्लीनचिट, तो उमर खालिद जेल में क्यों ?

इतवार की कविता: भीमा कोरेगाँव

विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश : सेक्स वर्कर्स भी सम्मान की हकदार, सेक्स वर्क भी एक पेशा

तेलंगाना एनकाउंटर की गुत्थी तो सुलझ गई लेकिन अब दोषियों पर कार्रवाई कब होगी?

मलियाना कांडः 72 मौतें, क्रूर व्यवस्था से न्याय की आस हारते 35 साल


बाकी खबरें

  • वसीम अकरम त्यागी
    विशेष: कौन लौटाएगा अब्दुल सुब्हान के आठ साल, कौन लौटाएगा वो पहली सी ज़िंदगी
    26 May 2022
    अब्दुल सुब्हान वही शख्स हैं जिन्होंने अपनी ज़िंदगी के बेशक़ीमती आठ साल आतंकवाद के आरोप में दिल्ली की तिहाड़ जेल में बिताए हैं। 10 मई 2022 को वे आतंकवाद के आरोपों से बरी होकर अपने गांव पहुंचे हैं।
  • एम. के. भद्रकुमार
    हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आईपीईएफ़ पर दूसरे देशों को साथ लाना कठिन कार्य होगा
    26 May 2022
    "इंडो-पैसिफ़िक इकनॉमिक फ़्रेमवर्क" बाइडेन प्रशासन द्वारा व्याकुल होकर उठाया गया कदम दिखाई देता है, जिसकी मंशा एशिया में चीन को संतुलित करने वाले विश्वसनीय साझेदार के तौर पर अमेरिका की आर्थिक स्थिति को…
  • अनिल जैन
    मोदी के आठ साल: सांप्रदायिक नफ़रत और हिंसा पर क्यों नहीं टूटती चुप्पी?
    26 May 2022
    इन आठ सालों के दौरान मोदी सरकार के एक हाथ में विकास का झंडा, दूसरे हाथ में नफ़रत का एजेंडा और होठों पर हिंदुत्ववादी राष्ट्रवाद का मंत्र रहा है।
  • सोनिया यादव
    क्या वाकई 'यूपी पुलिस दबिश देने नहीं, बल्कि दबंगई दिखाने जाती है'?
    26 May 2022
    एक बार फिर यूपी पुलिस की दबिश सवालों के घेरे में है। बागपत में जिले के छपरौली क्षेत्र में पुलिस की दबिश के दौरान आरोपी की मां और दो बहनों द्वारा कथित तौर पर जहर खाने से मौत मामला सामने आया है।
  • सी. सरतचंद
    विश्व खाद्य संकट: कारण, इसके नतीजे और समाधान
    26 May 2022
    युद्ध ने खाद्य संकट को और तीक्ष्ण कर दिया है, लेकिन इसे खत्म करने के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका को सबसे पहले इस बात को समझना होगा कि यूक्रेन में जारी संघर्ष का कोई भी सैन्य समाधान रूस की हार की इसकी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License