NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
मौके और दस्तूर के मुताबिक राजस्थान में एक बार फिर राज बदलने की तैयारी
आगामी 7 दिसम्बर को होने वाले राजस्थान विधानसभा चुनावों के लिए सभी राजनीतिक दल कमर कस रहे हैं। सरकार के खिलाफ गुस्से और ओपिनियन पोल के नतीजों से ऐसा लग रहा है कि बीजेपी कि मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। उम्मीदवारों की पहली सूची जारी होने के बाद शुरू हुई इस्तीफों की बारिश भी यही संकेत दे रही है।
ऋतांश आज़ाद
13 Nov 2018
rajasthan
image courtesy : money control

राजस्थान में हमेशा से ही एक बार काँग्रेस और एक बार बीजेपी सत्ता में आती रही है। ऐसा लग रहा है कि इस बार भी यही सिलसिला दोहराया जायेगा। इसके पीछे पांच साल में कामकाज के आधार पर सरकार से होने वाली नाराज़गी, नाउम्मीदी और विकल्पहीनता भी है। तभी कांग्रेस का विकल्प बीजेपी बन जाती है और बीजेपी का विकल्प कांग्रेस। वरना अपने-अपने काम के आधार पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों को जनता खारिज करती है।

हाल में दो ओपिनियन पोल (चुनाव पूर्व सर्वेक्षण) सामने आए हैं जो इस बात पर मुहर लगा रहे हैं। टाइम्स नाउ और सीएनएक्स के सर्वे के हिसाब से कुल 200 सीटों में से काँग्रेस को इस बार 110 से 120 सीटें मिल सकती हैं और बीजेपी को 70 से 80 सीटें। जबकि 2013 में राज्य में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी 163 सीटों पर विजयी रही थी और काँग्रेस सिर्फ 21 सीटें जीत पायी थी। यह बीजेपी कि एक ऐतिहासिक जीत थी।

यही सर्वे बता रहा है कि इस बार काँग्रेस को 43.5% और बीजेपी को 40.37% वोट मिलेंगे। यह सर्वे 67 सीटों में किया गया और इसमें 8040 लोगों से बात कि गयी। यह सर्वे बीएसपी को 1 से 3 सीट दे रहा है और बाकी पार्टियों को 7 से 9 सीटें।

इसके अलावा हाल ही में आया सी वोटर सर्वे भी काँग्रेस को ही विजयी घोषित कर रहा है। सी वोटर सर्वे के हिसाब से काँग्रेस को 200 में से 145 सीटें मिलेंगी और बीजेपी सिर्फ 45 सीटों पर सिमट जाएगी। इस सर्वे के मुताबिक काँग्रेस को 47.9% वोट मिलेंगे और बीजेपी की वोट दर सिर्फ 39.7% रह जाएगी । इसी तरह सीएसडीएस के सर्वे के हिसाब से राजस्थान में काँग्रेस को 110 सीटें मिलेगी और बीजेपी को 85।

इन सभी ओपिनियन पोल के नतीजों के हिसाब से इस बार बीजेपी की हालत काफी खस्ता लग रही है। चुनाव विशेषज्ञ योगेंद्र यादव का कहना है कि बीजेपी अपनी नाकामियों की वजह से हार रही है, वह इसीलिए नहीं हार रही क्योंकि काँग्रेस ने कुछ खास काम किया है।

इन दोनों पार्टियों के अलावा राज्य में तीसरे, चौथे और पांचवे मोर्चे तक बने हैं। एक मोर्चा है जिसका नेतृत्व कर रहे हैं हनुमान बेनीवाल जिन्होंने अपनी खुद की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का ऐलान किया है । 11 नवम्बर को की गयी एक रैली  में उन्होने सभी 200 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया। हनुमान बेनीवाल एक जाट नेता है और हाल में उन्होने राज्य भर में कई सभाएं की हैं जिनमें काफी भीड़ जुटी है। उन्होंने बेरोज़गार युवाओं को बेरोज़गारी भत्ता देने, किसानों की कर्ज़ माफी और दूसरी सुविधाएं प्रदान करने की बात की है। इनके साथ ही बीजेपी के बागी नेता घनश्याम तिवारी की भारत वाहिनी पार्टी भी गठबंधन करने की बात कर रही है।

लेकिन राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार ओम सैनी को अंदेशा है कि इस तरह के नेता या गठबंधन बीजेपी ने ही काँग्रेस के वोट काटने के लिए खड़ा किए हैं। उनका मानना है कि बीजेपी के खिलाफ लोगों का गुस्सा देखते हुए यह किया गया लगता है।

साथ ही न्यूज़क्लिक से बात करते हुए ओम सैनी ने कहा कि घनश्याम तिवारी कि पार्टी ज़्यादा कुछ नहीं कर पाएगी क्योंकि उच्च जातियाँ जिनमें यह पार्टी सेंध लगाने कि कोशिश कर रही है वह बीजेपी के साथ रही हैं। हनुमान बेनीवाल के बारे में भी उनका यही कहना है कि उनकी पार्टी वोट काटने से ज़्यादा कुछ नहीं करेगी।

राजस्थान चुनावों में तीसरी दावेदारी है राजस्थान लोकतान्त्रिक मोर्चा की जिसका नेतृत्व मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी कर रही है। शेखावटी इलाके में किसान आंदोलनों के बल पर उभरी वामपंथी ताकत को उम्मीद है कि इस बार चुनावों में उनका अच्छा प्रदर्शन रहेगा। माकपा के किसान सेना अमरा राम को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने के साथ ही इस मोर्चे ने सभी 200 सीटों पर लड़ने का ऐलान किया है। मोर्चे की सबसे बड़ी पार्टी माकपा अकेले 28 सीटों पर लड़ रही है। जानकारों की मानें तो शेखवाटी इलाके में 5 से 7 सीटों पर पार्टी मज़बूत स्थिति में है। इसकी वजह है पिछले साल से चल रहा सीकार का एतिहासिक किसान आंदोलन। जिसके दबाव में किसानों के 50000 रुपये के कर्ज़ को राजस्थान सरकार को माफ करना पड़ा। पिछले कई सालों से माकपा और किसान सभा के नेतृत्व में शेखवाटी इलाके में बिजली और पानी का आंदोलन भी चलता रहा है। यही वजह थी कि नवम्बर 2017 के किसान आंदोलन में हज़ारों लोग शामिल हुए और 13 दिनों तक सीकर ज़िले में चक्का जाम किया। 2008 में पार्टी 3 सीटों पर जीती थी लेकिन 2013 में सभी सीटों पर हाल का सामना करना पड़ा। किसान आंदोलन की सफलता के चलते पार्टी ये उम्मीद पर रही है कि इस बार विधानसभा में उनकी ताकत बढ़ेगी ।

इसके अलावा आम आदमी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी भी सभी 200 सीटों पर लड़ रही है। लेकिन जानकारों कि माने तो इनका ज़्यादा प्रभाव इन चुनावों में नहीं रहेगा। बीएसपी 2008 में 6 सीटें जीती थी और 2013 में 3 सीटें जीती थी, लेकिन ऐसा लग नहीं रहा कि पार्टी का प्रभाव कुछ ज़्यादा बढ़ेगा। जानकार बताते हैं कि बीएसपी का राजस्थान में कुछ खास काम नहीं रहा है और उनके विधायक पार्टियां बदलते रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी का राजस्थान में कोई वोट बैंक नहीं है।

वसुंधरा राजे की राजस्थान सरकार के खिलाफ आम जनता में नाराज़गी है। उसकी वजह है कि राजे शासन में न तो रोज़गार मिले हैं और न ही कृषि समस्या का समाधान हुआ है। ग्रामीण रोज़गार प्रदान करने कि नरेगा योजना को खत्म कर दिया गया है,  हज़ारों सरकारी स्कूलों को बंद कर दिया गया है और कर्ज़ों के तले किसान दबते जा रहे हैं। नोटबंदी के चलते निर्माण का काम रुक गया है जिससे दिहाड़ी मज़दूर बेरोज़गार हैं और जीएसटी ने छोटे व्यापार और एक्सपोर्ट कि कमर तोड़ दी है। इसके साथ ही स्वास्थ्य में निजीकरण बढ़ा है और राज्य में पब्लिक हेल्थ सेंटरों कि हालत खराब है। राज्य स्वास्थ्य सेवाओं में सबसे पिछड़े राज्यों में आता है। साथ ही राज्य सरकार पर खनन में भष्टाचार के आरोप भी हैं। यही वजह है कि जनता सरकार से त्रस्त है और बदलाव चाहती है ।

 2019 के आम चुनाव भी नज़दीक हैं और पिछली बार बीजेपी राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों में से 24 जीती थी। इस बार अगर विधानसभा में बीजेपी हार जाती है तो यह तय है कि प्रदेश से आने वाली लोकसभा सीटों में भी भारी कमी आएगी। 

आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा उम्मीदवारों की पहली सूची जारी होने के बाद से पार्टी में इस्तीफों का दौर शुरू हो चुका है, क्योंकि कई दिग्गज नाम चुनाव के लिए टिकट पाने में विफल रहे हैं। इनमें राज्य सरकार में मंत्री सुरेंद्र गोयल, नागौर से विधायक हबीबुर रहमान, पार्टी के पूर्व महासचिव कुलदीप धनकड़ शामिल हैं। स्वास्थ्य मंत्री काली चरण सराफ, परिवहन मंत्री यूनुस खान और उद्योग मंत्री राजपाल सिंह शेखावत का भी नाम उम्मीदवारों की सूची में नहीं है और आशंका है कि ये सभी भाजपा से किनारा कर सकते हैं।

किसी को ये लग सकता है कि बहुत लोग भाजपा का टिकट पाना चाहते हैं इसलिए इन लोगों को टिकट नहीं मिल पाया, लेकिन यहां आपको बता दें कि इन लोगों का टिकट काटा गया है, क्योंकि पार्टी को साफ लग रहा है कि मौजूदा मंत्रियों यानी सरकार के खिलाफ लोगों में बहुत गुस्सा है और अगर इन लोगों का टिकट न काटा गया तो पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। भाजपा का यही डर बता रहा है कि राजस्थान में भाजपा की क्या हालत है। 

Rajasthan
rajasthan Assembly elections
BJP
Congress
CPI(M)
Vasundhara Raje Government

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !


बाकी खबरें

  • Lenin
    अनीश अंकुर
    लेनिन: ‘‘कल बहुत जल्दी होता... और कल बहुत देर हो चुकी होगी... समय है आज’’
    22 Apr 2022
    लेनिन के जन्म की 152वीं सालगिरह पर पुनर्प्रकाशित: कहा जाता है कि सत्रहवी शताब्दी की अंग्रेज़ क्रांति क्रामवेल के बगैर, अठारहवीं सदी की फ्रांसीसी क्रांति रॉब्सपीयर के बगैर भी संपन्न होती लेकिन बीसवीं…
  • न्यूज़क्लिक टीम
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,451 नए मामले, 54 मरीज़ों की मौत 
    22 Apr 2022
    दिल्ली सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए, 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को बूस्टर डोज मुफ्त देने का ऐलान किया है। 
  • पीपल्स डिस्पैच
    नाटो देशों ने यूक्रेन को और हथियारों की आपूर्ति के लिए कसी कमर
    22 Apr 2022
    जर्मनी, कनाडा, यूके, नीदरलैंड और रोमानिया उन देशों में शामिल हैं, जिन्होंने यूक्रेन को और ज़्यादा हथियारों की आपूर्ति का वादा किया है। अमेरिका पहले ही एक हफ़्ते में एक अरब डॉलर क़ीमत के हथियारों की…
  • एम. के. भद्रकुमार
    सामूहिक विनाश के प्रवासी पक्षी
    22 Apr 2022
    रूसियों ने चौंकाने वाला दावा किया है कि, पेंटागन की जैव-प्रयोगशालाओं में तैयार किए गए डिजिटलीकृत प्रवासी पक्षी वास्तव में उनके क़ब्ज़े में आ गए हैं।
  • रश्मि सहगल
    उत्तराखंड समान नागरिक संहिता चाहता है, इसका क्या मतलब है?
    21 Apr 2022
    भाजपा के नेता समय-समय पर, मतदाताओं का अपने पक्ष में ध्रुवीकरण करने के लिए, यूसीसी का मुद्दा उछालते रहते हैं। फिर, यह केवल एक संहिता का मामला नहीं है, जो मुसलमानों को फिक्रमंद करता है। यह हिंदुओं पर…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License