NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
मध्य प्रदेश और राजस्थान में 'कमज़ोर' किये गए SC/ST act को लागू करने के आधिकारिक आदेश
जहाँ कोर्ट में एक तरफ समीक्षा याचिका विचारधीन है राज्यों को उस ACT में किये गए बदलावों को लागू करने की इतनी जल्दी क्यों है?
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
17 Apr 2018
Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट के 20 मार्च के आदेश जिसमें SC/ST Act में बदलाव किये गए थे और जिसपर केंद्र सरकार ने समीक्षा याचिका दायर की थी I सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को अब बीजेपी शासित तीन राज्यों में नए बदलावों के साथ लागू करने का आदेश दिया है I

सुप्रीम कोर्ट के उक्त आदेश के बाद दलित और आदिवासी संगठनों ने देश भर में विरोध प्रदर्शन किये थे I इसकी वजह ये थी कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में SC/ST एक्ट की तीन मुख्य बिन्दुओं को बदलने का आदेश दिया था I सुप्रीम कोर्ट ने कहा SC/ST एक्ट के अंतर्गत मामलों में अग्रिम ज़मानत का प्रावधान होना चाहिए, किसी भी सरकारी कर्मचारी को इस एक्ट के अंतर्गत गिरफ्तार करने से लिए पहले उच्च अधिकारियों से अनुमति ज़रूरी होगी और कोर्ट ने कहा कि पहले पुलिस अधिकारी ये तय कर लें कि अपराध हुआ है या नहीं उसके बाद ही FIR करें I  दलित नेताओं का कहना है कि इन तीनों ही बदलावों से SC/ST एक्ट एक लचर कानून बन जायेगा I

अब बताया जा रहा है कि बीजेपी शासित तीन राज्यों छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में सरकारों ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को अधिकारिक रूप से लागू करने के आदेश दे दिए हैं I

ये भी ख़बर आ रही है कि बीजेपी शासित हिमाचल प्रदेश और कांग्रेस शासित कर्नाटक में भी अनाधिकारिक तौर पर पुलिस अफसरों को कहा गया है कि act में किये गए बदलावों को लागू किया जाए I

हिमाचल प्रदेश में बीजेपी सरकार ने इस पर कानूनी सलाह माँगी है और पंजाब पुलिस फिलहाल इसपर मुख्य मंत्री अमरिंदर सिंह के निर्णय का इंतज़ार कर रही है I दूसरी तरफ केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में भी इस मामले में समीक्षा याचिका दायर की है I

लेकिन बदले हुए कानून को लागू किये जाने के सिर्फ एक दिन बाद ही छत्तीसगढ़ सरकार अपने निर्णय से पीछे हट गयी है I ये तब हुआ है जब विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने बीजेपी के दोहरे रवैये पर उसे घेरने की कोशिश की I

इसपर भूतपूर्व सचिव पी.एस कृष्णन का कहना है कि राज्य को शोषित तबकों जैसे दलितों और आदिवासियों के साथ खड़ा होना चाहिए उनके खिलाफ नहीं I न्यूज़क्लिक से बात करते हुए पी.एस कृष्णन ने कहा “जहाँ कोर्ट में एक तरफ समीक्षा याचिका विचारधीन है राज्यों को उस ACT में किये गए बदलावों को लागू करने की इतनी जल्दी क्यों है जिससे SC/ST के लोगों को तकलीफ हुई है I"

हाल ही में कृष्णन ने सामाजिक न्याय और  सशक्तिकरण के केंद्रीय मंत्री थावर चंद गहलोत को लिखा था कि सरकार को Ninth Schedule में POA act 1989 और POA Amendment Act 2015 को जोड़ना चाहिए , जिससे इस ACT को न्यायिक समीक्षा से बचाया जाए I

इसी दौरान तमिलनाडू में DMK के नेताओं ने SC/ST ACT के कमज़ोर किये जाने के विरोध में प्रदर्शन किये और 16 अप्रैल को केंद्र सरकार ने कहा कि act को बचाने के लिए Ninth Schedule को इसमें जोड़ा जाए I

2 अप्रैल को दलितों और आदिवासियों द्वारा भारत बंद किया गया था जिसमें काफी हिंसा भड़की थी और 11 लोगों (जिसमें 9 दलित थे ) की जाने गयीं थी I इसमें ज़्यादातर मौतें पुलिस की गोलियों से या उच्च जातियों के हमलों में हुई थी I

Supreme Court
SC/ST Act
BJP
Madhya Pradesh
Rajasthan

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

ज्ञानवापी मस्जिद के ख़िलाफ़ दाख़िल सभी याचिकाएं एक दूसरे की कॉपी-पेस्ट!

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल


बाकी खबरें

  • यमन पर सऊदी अत्याचार के सात साल
    पीपल्स डिस्पैच
    यमन पर सऊदी अत्याचार के सात साल
    30 Mar 2022
    यमन में सऊदी अरब के नेतृत्व वाला युद्ध अब आधिकारिक तौर पर आठवें साल में पहुंच चुका है। सऊदी नेतृत्व वाले हमले को विफल करने की प्रतिबद्धता को मजबूत करने के लिए हज़ारों यमन लोगों ने 26 मार्
  • imran khan
    भाषा
    पाकिस्तान में संकटग्रस्त प्रधानमंत्री इमरान ने कैबिनेट का विशेष सत्र बुलाया
    30 Mar 2022
    यह सत्र इस तरह की रिपोर्ट मिलने के बीच बुलाया गया कि सत्ताधारी गठबंधन के सदस्य दल एमक्यूएम-पी के दो मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया है। 
  • national tribunal
    राज वाल्मीकि
    न्याय के लिए दलित महिलाओं ने खटखटाया राजधानी का दरवाज़ा
    30 Mar 2022
    “नेशनल ट्रिब्यूनल ऑन कास्ट एंड जेंडर बेस्ड वायोंलेंस अगेंस्ट दलित वीमेन एंड माइनर गर्ल्स” जनसुनवाई के दौरान यौन हिंसा व बर्बर हिंसा के शिकार 6 राज्यों के 17 परिवारों ने साझा किया अपना दर्द व संघर्ष।
  • fracked gas
    स्टुअर्ट ब्राउन
    अमेरिकी फ्रैक्ड ‘फ्रीडम गैस’ की वास्तविक लागत
    30 Mar 2022
    यूरोप के अधिकांश हिस्सों में हाइड्रोलिक फ्रैक्चरिंग का कार्य प्रतिबंधित है, लेकिन जैसा कि अब यूरोपीय संघ ने वैकल्पिक गैस की आपूर्ति के लिए अमेरिका की ओर रुख कर लिया है, ऐसे में पिछले दरवाजे से कितनी…
  • lakhimpur kheri
    भाषा
    लखीमपुर हिंसा:आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने के लिए एसआईटी की रिपोर्ट पर न्यायालय ने उप्र सरकार से मांगा जवाब
    30 Mar 2022
    पीठ ने कहा, ‘‘ एसआईटी ने उत्तर प्रदेश सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) को जांच की निगरानी कर रहे न्यायाधीश के दो पत्र भेजे हैं, जिन्होंने मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने के वास्ते राज्य…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License