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भारत
राजनीति
मध्य प्रदेश : भाजपा के खिलाफ जा रहा है व्यापारी वर्ग!
व्यापारी समुदाय ने आरोप लगाया है कि जीएसटी और नोटबंदी जैसी आर्थिक नीतियों ने व्यापारियों की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी है।
काशिफ़ काकवी
27 Oct 2018
Translated by महेश कुमार
shivraj chauhan

भोपाल। मध्य प्रदेश के व्यापारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित केंद्र सरकार और राज्य सरकार की आर्थिक नीतियों से नाखुश हैं। असफल आर्थिक नीतियों के चलते राज्य के व्यापारिक समुदाय ने 28 नवंबर को होने वाले निर्धारित आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को हराने का फैसला लिया है।

राज्य की वित्तीय राजधानी इंदौर के व्यापारी भाजपा के समर्थकों के रुप में जाने जाते थे। इस बात का सबसे बड़ा प्रमाण है कि इंदौर डिवीजन की नौ विधानसभा सीटों में से बीजेपी ने आठ सीटें जीती थीं। हालांकि, राज्य की सबसे मजबूत लॉबी को भाजपा से मिली निराशा के कारण, इस बार, तस्वीर गंभीर दिख रही है।

अहिल्या चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (एसीसीआई) के महासचिव सुशील सुरेका ने दावा किया कि कम अवधि में दो सबसे बड़े आर्थिक सुधार- डेमोनेटिज़ेशन (नोटबंदी) और गुड एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) ने व्यापारी समुदाय की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी है और उन्हें कमजोर स्थिति में धकेल दिया है।

सुरेका का कहना है कि "अकेले, मध्य प्रदेश में कारोबार में 40 से 50 प्रतिशत की गिरावट और बेरोजगारी में 15 से 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। सैकड़ों छोटी व्यावसायिक दुकानें या तो बंद हो गयी हैं या बंद होने के कगार पर हैं।” उन्होंने कहा कि केवल दो क्षेत्रों में अभी भी तेजी बरकरार हैं – वह है, ऑटोमोबाइल और मोबाइल।

सुरेका, जो एमपी वैट (वैल्यू एडेड टैक्स) एक्ट के आर्किटेक्ट्स में से एक और जीएसटी विशेषज्ञ हैं, उनके मुताबिक इस आदेश की वजह से व्यापारियो को जिस जटिलता का सामना करना पड़ रहा है उसकी वजह से जीएसटी का मूल विचार - 'एक राष्ट्र, एक कर'- कहीं खो गया है।

जीएसटी अनुपालन में जटिलताओं पर टिप्पणी करते हुए सुरेका ने कहा, "व्यापारी जीएसटी का समर्थन और पालन करना चाहते हैं, लेकिन प्रक्रियात्मक जटिलताओं ने इस नई अप्रत्यक्ष व्यवस्था के आकर्षण को खराब कर दिया है। और अब उन्हें एकाउंटेंट पर अपनी कमाई बहुत बड़ा हिस्सा खर्च करना पड रहा हैं। "

व्यापारियों ने दावा किया कि नरेंद्र मोदी सरकार ने पुरानी और जटिल व्यापार नीतियों में बदलाव लाने का एक सुनहरा मौका गंवा दिया है, और व्यवसाय को आसान बनाने के लिए एकल खिड़की नीतियों और कराधान प्रणाली को पेश करने के बाद उन्होंने जटिल जीएसटी को पेश किया है।

इंदौर में, कैलाश मुगर जो क्लॉथ मार्केट मर्चेंट एसोसिएशन (सीएमएमए) के सचिव है ने कहा कि "इससे पहले सरकारें बीजेपी की तरह कभी भी समस्याग्रस्त नहीं थीं। हमें भाजपा सरकार से बहुत उम्मीद थी। लेकिन न तो सरकार ने कोई व्यापार अनुकूल नीतियां बनाई हैं और न ही व्यापारियों की समस्याओं को सुनने और उन्हें ठीक करने की कोशिश की है।”

उन्होंने आगे दावा किया कि राज्य सरकार ने विशेष रूप से इंदौर में कुछ भी नहीं विकसित किया है, नतीजतन, वस्त्र केंद्र को व्यापार बाजार में बदल दिया गया है।

निराश व्यापारियों को मनाने के उद्देश्य से भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने हाल ही में इंदौर का दौरा किया था। इसके तुरंत बाद, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें लुभाने के लिए इंदौर का दौरा किया लेकिन व्यापार समुदाय पीछे हटने को तैयार नहीं है।

इस क्षेत्र में बढ़ती ईंधन की कीमतें और बढ़ती व्यावसायिक गतिविधियां व्यापारियों को पहले से ही परेशान कर रही हैं। उद्योगपति सरकार द्वारा वादे को पूरा न करने और लघु उद्योगों को अनदेखा करने के लिए सरकार को दोषी ठहरा रहे हैं। इस क्षेत्र में उद्योगों की सबसे खराब हालात के लिए सरकारी नीतियों के खिलाफ नाराजगी व्यक्त की है जो व्यापार गतिविधियों में गिरावट, रोजगार में गिरावट और खराब औद्योगिक आधारभूत संरचना का कारण बनी है।

मालवा चेम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष अजीत सिंह नारंग ने कहा, "हमने बार-बार राज्य और केंद्र सरकार के सामने अपनी मांग रखी, लेकिन उनमें से ज्यादातर अनसुनी कर दी गयी और हमें सिर्फ आश्वासन देकर रफा दफा कर दिया गया।

बीजेपी नेताओ ने व्यापारियों से मिलने किया मना

जब पूछताछ की गई कि बीजेपी के अध्यक्ष या मुख्यमंत्री चौहान ने हाल के दौरे के दौरान व्यापारियों से मिलने का प्रयास किया या नही, तो उन्होंने जवाब दिया कि वे केवल समान विचारधारा वाले लोगों या अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से मिले।

कैलाश मुगर ने कहा, "विडंबना यह है कि वे असली व्यापारियों से कभी नहीं मिलते हैं न ही व्यापारियों के संगठन से बात करते हैं और यहां तक कि उनकी समस्याओं पर चर्चा भी नहीं करते हैं। इसके बजाय, वे केवल उन व्यापारियों से मिलते हैं जो उनकी पार्टी से जुड़े हुए हैं और वे इस मुद्दे पर कभी भी अपनी चिंता व्यक्त नहीं करते है।"

आगामी विधानसभा चुनाव पर टिप्पणी करते हुए, एसीसीआई के महासचिव सुरेका ने कहा, "व्यापारिक समुदाय बीजेपी से नाराज है और एक मजबूत संभावना है कि विधानसभा चुनाव में हो सकता है कि उनका गुस्सा भाजपा के खिलाफ निकल कर आएगा।"

हालांकि व्यापारी लोग राज्य में कारोबार को नुकसान पहुंचाने में आर्थिक नीतियों की विफलता के बारे में शिकायत कर रहे हैं, जबकि राज्य सरकार के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के आंकड़े एक अलग ही तस्वीर चित्रित करते हैं। आँकड़े दर्शाते है कि पंजीकरण, निवेश और रोजगार में हर साल 30 से 35 प्रतिशत की बढ़त है।

निवेशक वार्ता: एक नकली जाल?

मध्यप्रदेश में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए, राज्य सरकार ने 2007 से 2016 तक पांच निवेशक शिखर सम्मेलन आयोजित किए, लेकिन उनके सभी मकसद विफल रहे।

2007 से चार शिखर सम्मेलनो में हस्ताक्षर किए गए 2,357 समझौते (एमओयू) में से केवल 92 परियोजनाएं ही शुरू हो पायी हैं जबकि 1,728 से अधिक कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं और शेष 537 रद्द कर दी गई हैं। वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन 2016 में, सरकार ने दावा किया था कि सरकार 2,630 कंपनियों से 5,62, 887 करोड़ की रुचि प्राप्त की हैं, लेकिन दो साल बाद भी जमीन पर कुछ दिखाई नहीं दे रहा है।

'मध्य प्रदेश का विश्लेषण: अर्थव्यवस्था, बुनियादी ढांचा और निवेश' नाम से एसोसिएटेड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एसोचैम) द्वारा किए गए एक अध्ययन में कहा गया है, "खराब भौतिक और सामाजिक बुनियादी ढांचे के विकास ने निजी क्षेत्र की भागीदारी को कम कर दिया है और सरकार द्वारा निवेश के मोर्चे पर एक निराशाजनक स्थिति है।"

अधिकारियों ने पर्यावरण मंजूरी के ना मिलने को विशेष रूप से खनन क्षेत्र में रद्दीकरण के लिए दोषी ठहराया है, कई उदाहरण सामने आए हैं जहां निवेशक या तो उद्योग स्थापित करने के लिए पर्याप्त गंभीर या सक्षम नहीं थे या सरकार अनुकूल वातावरण प्रदान करने में विफल रही थी।

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