NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
मध्यप्रदेश 10-दिन का गाँव बंद : विरोध के पहले सप्ताह में तीन किसानों ने आत्महत्या की
चूंकि आंदोलन पिछले साल के मंदसौर की घटना के विरोध में है, इसलिए राज्य सरकार ने किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए कई कदम पहले ही उठाए हैं।
काशिफ़ काकवी
02 Jun 2018
मध्यप्रदेश

दिन राज्य में, मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ऋषि कुमार शुक्ला का फोन शुक्रवार की सुबह एक किसान की आत्महत्या की अफवाह के बाद से लगातार बज रहा है। यह विरोध कुख्यात मंदसौर फायरिंग घटना की पहली सालगिरह की याद में किया जा रहा है, जहाँ कथिततौर पर पुलिस गोलीबारी से छह किसान मारे गए थे।

हालांकि, एक बार जब पुलिस ने मृतक को खजुरी काला का निवासी  और एक दैनिक श्रमिक के के रूप में  दौलत सिंह (60) के रूप में मृतक की पहचान की तो किसान की मौत की खबर नकली साबित हुई। वह निराशा में था और उनका एम्स भोपाल में उनका इलाज चल रहा था।

लेकिन 31 मई, को रायसेन जिले में कर्ज से ग्रसित किसान की आत्महत्या करने वाले खबर सही  थी। और यह एक सप्ताह में तीसरी ऐसी घटना है।

 

रायसेन जिला पुलिस के मुताबिक, दिलीप ढकाद, (50), नारागांव कला गांव, बरेली तहसील के निवासी ने 29 मई को देर रात कुछ कीटनाशक खा लिया। उसके रिश्तेदारों ने उन्हें देखा, उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वह ज़हर से मर गया।

रायसेन पुलिस ने कहा कि दिलीप ने 3 लाख रुपये का ऋण लिया था, लेकिन केवल 20,000 रुपये मिले थे। उन्होंने कर्ज़ चुकाने के लिए खेत का एक टुकड़ा बेचने के लिए कई संभावित खरीदारों से भी संपर्क किया था।

आत्महत्या से 'गाँव बंद' या 'किसान अवकाश' विरोध पर इसका भारी प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। 10 दिनों के दौरान, किसान और ग्रामीण मंडी, विशेष रूप से शहरी लोगों को सब्जियों, फलों, दूध आदि जैसे कृषि उत्पादों की आपूर्ति नहीं करेंगे।

आंदोलन के दौरान सब्जियों, दूध और अन्य कृषि उत्पादों की कमी से डरते हुए, इंदौर, भोपाल, उज्जैन, रतलाम, शाजापुर, सीहोर और कई अन्य जिलों के निवासियों ने इन वस्तुओं पर भंडार लगाया है।

हालांकि, इंदौर और भोपाल के जिला अधिकारियों ने किसानों से मंडियों को अपनी आपूर्ति जारी रखने का अनुरोध किया है, अन्यथा उनके खराब होने वाले सामान सड़ सकते हैं।

भोपाल जिला के मजिस्ट्रेट सुदाम खाडे ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "मैंने अधिकारियों को रविवार को मंडियों को खुले रखने के लिए निर्देश दिया है और आपूर्ति को बनाए रखने के लिए किसानों के साथ संवाद किया है।"

10 दिनों के बंद के दौरान घटना को रोकने के उपाय

'गाँव बंद या ‘किसान अवकाश’ आंदोलन मंदसौर के पिछले साल के विरोध के अनुभव के आधार पर, राज्य सरकार ने किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए कई सावधानी पूर्वक कदम उठाए हैं। पुलिस के अनुसार, किसी भी घटना को रोकने के लिए राज्य के 35 जिलों में एक अतिरिक्त बल तैनात किया गया है। लगभग 10,000 जिलों, छाती सुरक्षा गार्ड और अतिरिक्त वाहन भी संबंधित ज़िलों में भेजे गए हैं।

पिछले साल, किसानों के विरोध के दौरान, किसानों ने सड़क पर प्याज़ और उनके अन्य उत्पादन को फेंक  दिया था। उन्होंने अपने ऋण की छूट और उत्पाद के लिए उचित मूल्य की माँग की। आंदोलन के दौरान पुलिस ने छह किसानों को कथित रूप से मार डाला था जिस से  स्थिति बद्दतर हो गई; हालांकि, जाँच चल रही है।

इस सप्ताह की शुरुआत में, एक चौंकाने वाली कदम में, जिला प्रशासन ने परेशानियों की पहचान की है और उनसे 'शांति अनुबंध' पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा है। एसपी, मंदसौर ज़िला अमित सिंह ने कहा, "करीब 1,200 लोगों की पहचान की गई है और शांति अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया है।"

चूंकि मंदसौर और नीमच मंदसौर किसानों के आंदोलन का केंद्र हैं, इसलिए ज़िले में स्थिति काफी संवेदनशील है। और उनसे अनुबंध पर हस्ताक्षर करा, प्रशासन यह सुनिश्चित करना चाहता है कि उपद्रवियों को पूरे 10 दिनों के आंदोलन के दौरान कोई परेशानी न पैदा कर सके|

 

मध्य प्रदेश
गाँव बंद
farmers protest
किसान आत्महत्या
Mandsaur protest

Related Stories

छोटे-मझोले किसानों पर लू की मार, प्रति क्विंटल गेंहू के लिए यूनियनों ने मांगा 500 रुपये बोनस

लखीमपुर खीरी हत्याकांड: आशीष मिश्रा के साथियों की ज़मानत ख़ारिज, मंत्री टेनी के आचरण पर कोर्ट की तीखी टिप्पणी

युद्ध, खाद्यान्न और औपनिवेशीकरण

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग

किसान-आंदोलन के पुनर्जीवन की तैयारियां तेज़

किसान आंदोलन: मुस्तैदी से करनी होगी अपनी 'जीत' की रक्षा

किसान आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी एक आशा की किरण है

यूपी चुनाव: किसान-आंदोलन के गढ़ से चली परिवर्तन की पछुआ बयार

यूपी चुनाव से पहले एसकेएम की मतदाताओं से अपील: 'चुनाव में बीजेपी को सबक़ सिखायें'

किसानों ने 2021 में जो उम्मीद जगाई है, आशा है 2022 में वे इसे नयी ऊंचाई पर ले जाएंगे


बाकी खबरें

  • रवि कौशल
    डीयूः नियमित प्राचार्य न होने की स्थिति में भर्ती पर रोक; स्टाफ, शिक्षकों में नाराज़गी
    24 May 2022
    दिल्ली विश्वविद्यालय के इस फैसले की शिक्षक समूहों ने तीखी आलोचना करते हुए आरोप लगाया है कि इससे विश्वविद्यालय में भर्ती का संकट और गहरा जाएगा।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    पश्चिम बंगालः वेतन वृद्धि की मांग को लेकर चाय बागान के कर्मचारी-श्रमिक तीन दिन करेंगे हड़ताल
    24 May 2022
    उत्तर बंगाल के ब्रू बेल्ट में लगभग 10,000 स्टाफ और सब-स्टाफ हैं। हड़ताल के निर्णय से बागान मालिकों में अफरा तफरी मच गयी है। मांग न मानने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल का संकेत दिया है।
  • कलिका मेहता
    खेल जगत की गंभीर समस्या है 'सेक्सटॉर्शन'
    24 May 2022
    एक भ्रष्टाचार रोधी अंतरराष्ट्रीय संस्थान के मुताबिक़, "संगठित खेल की प्रवृत्ति सेक्सटॉर्शन की समस्या को बढ़ावा दे सकती है।" खेल जगत में यौन दुर्व्यवहार के चर्चित मामलों ने दुनिया का ध्यान अपनी तरफ़…
  • आज का कार्टून
    राम मंदिर के बाद, मथुरा-काशी पहुँचा राष्ट्रवादी सिलेबस 
    24 May 2022
    2019 में सुप्रीम कोर्ट ने जब राम मंदिर पर फ़ैसला दिया तो लगा कि देश में अब हिंदू मुस्लिम मामलों में कुछ कमी आएगी। लेकिन राम मंदिर बहस की रेलगाड़ी अब मथुरा और काशी के टूर पर पहुँच गई है।
  • ज़ाहिद खान
    "रक़्स करना है तो फिर पांव की ज़ंजीर न देख..." : मजरूह सुल्तानपुरी पुण्यतिथि विशेष
    24 May 2022
    मजरूह सुल्तानपुरी की शायरी का शुरूआती दौर, आज़ादी के आंदोलन का दौर था। उनकी पुण्यतिथि पर पढ़िये उनके जीवन से जुड़े और शायरी से जुड़ी कुछ अहम बातें।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License