पिछले चार साल में मोदी की अगुवाई वाली भाजपा सरकार ने मुस्लिमों, दलितों,आदिवासियों महिलाओं और सिविल सोसाइटी के लोगों को विभिन्न घटनाओं में जिस तरह से प्रताड़ित किया है, वह मोदी सरकार की निम्न स्तर की सहनशीलता को दर्शाता है।
जिस तरह से इस समय में मॉब लिंचिंग आम जीवन का सामान्य हिस्सा बनता जा रहा है,वह किसी चौंकाने वाले परिघटना से भी परे है। भारत ने इस तरह की बर्बरता को इतनी स्वीकार्यता के साथ इससे पहले कभी नहीं देखा था। पिछले चार साल में मोदी की अगुवाई वाली भाजपा सरकार ने मुस्लिमों, दलितों,आदिवासियों महिलाओं और सिविल सोसाइटी के लोगों को विभिन्न घटनाओं में जिस तरह से प्रताड़ित किया है, वह मोदी सरकार की निम्न स्तर की सहनशीलता को दर्शाता है। इस सरकार ने धार्मिक बहुलता और अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों की लड़ाई के प्रति बहुत कम सहनशीलता दिखाई है। आख़िरकार मेनस्ट्रीम की मीडिया के लिए ऐसे सवालों को न उठाना और सरकार को जवाबदेह न बनाना क्यों आसान बनता जा रहा है? भारत की बहुलता यहां के लोगों,संस्कृतियों ,धर्मों ,व्यवसायों ,भाषाओँ और जीनें के ढंगों में छुपी हुई है। इसका उत्सव मनाना चाहिए और इसका सम्मान करना चाहिए। हमारे भविष्य का रास्ता न ही लिंचिंग है और न ही नफरत है।
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