इस एपिसोड में भाषा सिंह बात कर रही हैं कि किस तरह से मीडिया प्राइम टाइम बहसों में पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, लेखकों के खिलाफ मीडिया ट्रायल करती है और अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करती है।
इन दिनों मीडिया द्वारा शहरी माओवाद का सिक्का रोज़ाना उछाला जा रहा है। इस एपिसोड में भाषा सिंह इस विषय पर बात कर रही हैं कि किस तरह से मीडिया प्राइम टाइम बहसों में पत्रकारों ,मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ,लेखकों के खिलाफ मीडिया ट्रायल करती है और अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करती है। नफरतों से भरी भाषा और ऐसी हिंसा इन मीडिया घरानों के ऑनलाइन जगहों जैसे ट्विटर और व्हाट्सएप पर दिखती रहती है। भाषा सिंह इस बात पर भी नज़र फेर रही हैं कि किस तरह से अफवाहों के आधार पर निर्दोषों को मॉब लींचिंग का शिकार बनाना इस देश के लिए साधारण बात होती जा रही है। कितनी तेजी से हम खुद को खून के प्यासी भीड़ मानसिकता में बदलते जा रहे हैं जो बिना किसी जांच-परख और इंसानी विवेक के किसी की जान लेने पर उतारू होती जा रही है ।
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