NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
बहुसंख्यकवादी प्रवृत्तियों पर सवाल उठाया जाना बेहद ज़रूरी: न्यायमूर्ति चंद्रचूड़
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि बहुसंख्यकवादी प्रवृत्तियों पर सवाल उठाया जाना बेहद ज़रूरी इसलिए है, क्योंकि यह राष्ट्र एक-एक नागरिक से की गयी कुछ प्रतिबद्धताओं और उनके अधिकारों के वादे के दम पर बना था और एकजुट हुआ था।
संगम
20 Jul 2021
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि बहुसंख्यकवादी प्रवृत्तियों पर सवाल उठाया जाना बेहद ज़रूरी इसलिए है, क्योंकि यह राष्ट्र एक-एक नागरिक से की गयी कुछ प्रतिबद्धताओं और उनके अधिकारों के वादे के दम पर बना था और एकजुट हुआ था।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, “धार्मिक स्वतंत्रता का वादा, लोगों के बीच बराबरी का वादा, लिंग, जाति या धर्म से परे जाकर राज्य के अनुचित हस्तक्षेप के बिना भाषण और कहीं भी आने-जाने की मौलिक स्वतंत्रता का वादा और जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के स्थायी अधिकार का वादा है। बहुसंख्यकवादी प्रवृत्तियां जब भी और जिस तरह भी सर उठाती हैं, हमारे संवैधानिक वादे की इसी पृष्ठभूमि में उन पर सवाल उठाया जाना बेहद ज़रूरी है।”

उन्होंने कहा कि संविधान ने न सिर्फ़ हमें औपनिवेशिक अधीनता से मुक्त नागरिकों में बदल दिया, बल्कि एक ऐसी राजव्यवस्था से मुक़ाबला करने की बड़ी चुनौती भी स्वीकार की, जो जाति, पितृसत्ता और सांप्रदायिक हिंसा की दमनकारी व्यवस्थाओं से त्रस्त थी।

वह भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) न्यायमूर्ति वाई वी चंद्रचूड़ की 101वीं जयंती समारोह के लिए आजोयित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। ग़ौरतलब है कि वाई वी चंद्रचूड़, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के पिता थे। यह कार्यक्रम पुणे स्थित एक प्रमुख शैक्षिक ट्रस्ट शिक्षा प्रसार मंडली (SPM) के सहयोग से आयोजित किया गया था।

जलवायु बचाने की लड़ाई लड़ रही कार्यकर्ता ग्रेटा थुनबर्ग की सक्रियता की सराहना करते हुए न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि उनका उदाहरण हमें दिखाता है कि बड़े बदलाव लाने के लिहाज़ से किसी व्यक्ति की बहुत छोटी उम्र का होना या उसका मामूली होना मायने नहीं रखता।

निजता के अधिकार के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी ने लोगों के जीवन में प्रौद्योगिकी के दखल को तेज़ कर दिया था और यह हमारे समाज के आकार और ढांचे को निर्धारित करती है।

उन्होंने कहा,“ निजता का यह अधिकार हमारे अपने निर्णय लेने की हमारी स्वतंत्र क्षमता, सूचना तक पहुंच और राज्य या निजी निगरानी से आज़ादी में सन्निहित है।”

जस्टिस वाई वी चंद्रचूड़ को याद करते हुए जस्टिस उदय उमेश ललित ने कहा कि वह पहली बार नागपुर में आयोजित एक सेमिनार में उनसे मिले थे। बाद में उन्होंने बतौर एक छात्र सुप्रीम कोर्ट की अपनी पहली यात्रा को याद किया, जहां उन्होंने न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ को कोर्ट नंबर-1 में विशेष न्यायालय विधेयक की सुनवाई की अध्यक्षता करते हुए देखा था। वह ख़ुद को भाग्यशाली मानते हैं कि पूर्व सीजेआई के सामने सर्वोच्च न्यायालय में उन्होंने अपने पहले केस के लिए बहस की थी।

जस्टिस ललित ने कहा कि उनके (जस्टिस वाई वी चंद्रचूड़) के कई फ़ैसले और राय इस समय भी भारत के क़ानूनों को परिभाषित करते हैं। एक उदाहरण का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, “राम जेठमलानी ने संसद में एक विधेयक पेश किया था कि आपातकाल के दौरान हुई ज़्यादतियों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतों का गठन किया जाये। भारत के राष्ट्रपति ने उस बिल के औचित्य पर सर्वोच्च न्यायालय से सलाहकारी राय मांगी थी। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा था कि इस विधेयक का खंड 7 विशेष न्यायालयों के सेवानिवृत्त और मौजूदा न्यायाधीशों, दोनों ही की नियुक्ति की बात करता है। उन्होंने कहा कि सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की नियुक्ति को कार्यपालिका आसानी से अपने हिसाब से तय कर सकती है और इस तरह, अदालतों की निष्पक्ष प्रकृति इससे प्रभावित होती है। इस तरह, इसके ख़िलाफ़ उनकी वह सिफ़ारिश सभी अधिनियमों में एक सुसंगत परपंरा रही है, चाहे पोटा (आतंकवाद रोकथाम अधिनियम), टाडा (आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियां), एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) और इसी तरह के अधिनियमों तहत ही विशेष अदालतें क्यों न बनायी गयी हों।”

न्यायमूर्ति ललित के मुताबिक़, न्यायमूर्ति वाई वी चंद्रचूड़ द्वारा दिये गये तीन और फ़ैसले भारत के संवैधानिक इतिहास में मील के पत्थर थे। वे फ़ैसले थे- ओल्गा टेलिस बनाम बॉम्बे नगर निगम, मिनर्वा मिल्स लिमिटेड बनाम भारत संघ, और संकल्प चंद शेठ बनाम भारत संघ।

अधिवक्ता सदानंद फड़के ने उन्हें सभी पुणेवासियों का गौरव बताया। उन्होंने गर्व महसूस करते हुए कहा कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने उनके ट्रस्ट के नूतन मराठी विद्यालय से अपनी शिक्षा शुरू की थी और पुणे में आईएलएस लॉ कॉलेज में अपनी शिक्षा पूरी की। उन्होंने बतौर एक आम आदमी उनकी तारीफ़ की और एक क़िस्सा सुनाया कि उन्होंने एक बार पुणे के सदाशिव पेठ की सड़क पर लकड़ी के बल्ले से फ़ौलादी हाथों से उन्हें क्रिकेट खेलते हुए तब देखा था, जब पदोन्नत होकर सुप्रीम कोर्ट जाने वाले थे।

जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ का जन्म 12 जुलाई 1920 को पूना (अब पुणे) में हुआ था। उन्होंने बॉम्बे (अब मुंबई) स्थित एलफ़िंस्टन कॉलेज से इतिहास और अर्थशास्त्र के स्नातक किया था और बाद में प्रतिष्ठित आईएलएस लॉ कॉलेज, पुणे से कानून की डिग्री हासिल की थी। वह 1943 में बॉम्बे हाई कोर्ट में बतौर एक वकील दाखिल हुए थे। बाद में उन्हें बॉम्बे हाई कोर्ट में बतौर न्यायाधीश नियुक्त किया गया और 1972 में सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत हुए। वह सात साल और चार महीने तक भारत के मुख्य न्यायाधीश रहे,यह कार्यकाल किसी भी मुख्य न्यायाधीश का अबतक का सबसे लम्बा कार्यकाल है और वह 1985 में सेवानिवृत्त हो गये थे।

साभार: द लीफ़लेट

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

Majoritarian Tendencies Must be Questioned, Says Justice DY Chandrachud; Nation Forged on a Promise of Commitments Made to Every Citizen

Justice DY Chandrachud
Religious Freedom
Majoritarian Tendencies
freedom of speech
Right to privacy
POTA
TADA

Related Stories

क्या ज्ञानवापी के बाद ख़त्म हो जाएगा मंदिर-मस्जिद का विवाद?

भारत में ‘वेंटिलेटर पर रखी प्रेस स्वतंत्रता’, क्या कहते हैं वैकल्पिक मीडिया के पत्रकार?

सात बिंदुओं से जानिए ‘द क्रिमिनल प्रोसीजर आइडेंटिफिकेशन बिल’ का क्यों हो रहा है विरोध?

त्वरित टिप्पणी: हिजाब पर कर्नाटक हाईकोर्ट का फ़ैसला सभी धर्मों की औरतों के ख़िलाफ़ है

प्रेस की आजादी खतरे में है, 2021 में 6 पत्रकार मारे गए: रिपोर्ट 

क्या पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर के लिए भारत की संप्रभुता को गिरवी रख दिया गया है?

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग: आख़िर तुम किस मर्ज़ की दवा हो?

खोज ख़बरः गुप्त मतदान और लोकतंत्र पर हमला है आधार को वोटर i-card से जोड़ने वाला क़ानून

डेटा संरक्षण विधेयक की ख़ामियां और जेपीसी रिपोर्ट की भ्रांतियां

बीजेपी के हिन्दू राष्ट्र में सवाल पूछना मना है?


बाकी खबरें

  • संदीपन तालुकदार
    वैज्ञानिकों ने कहा- धरती के 44% हिस्से को बायोडायवर्सिटी और इकोसिस्टम के की सुरक्षा के लिए संरक्षण की आवश्यकता है
    04 Jun 2022
    यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें जैव विविधता संरक्षण के लिए अपने  लक्ष्य निर्धारित करना शुरू कर चुकी हैं, जो विशेषज्ञों को लगता है कि अगले दशक के लिए एजेंडा बनाएगा।
  • सोनिया यादव
    हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?
    04 Jun 2022
    17 साल की नाबालिग़ से कथित गैंगरेप का मामला हाई-प्रोफ़ाइल होने की वजह से प्रदेश में एक राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया
    04 Jun 2022
    राज्य में बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दो दिन पहले इन कर्मियों के महासंघ की ओर से मांग न मानने पर सामूहिक इस्तीफ़े का ऐलान किया गया था।
  • bulldozer politics
    न्यूज़क्लिक टीम
    वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!
    04 Jun 2022
    बुलडोज़र क्या है? सत्ता का यंत्र… ताक़त का नशा, जो कुचल देता है ग़रीबों के आशियाने... और यह कोई यह ऐरा-गैरा बुलडोज़र नहीं यह हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र है, इस्लामोफ़ोबिया के मंत्र से यह चलता है……
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’
    04 Jun 2022
    यूं तो आरएसएस पौधे नहीं ‘शाखा’ लगाता है, लेकिन उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक करोड़ पौधे लगाने का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License