NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
समाज
साहित्य-संस्कृति
भारत
राजनीति
"मन की असली बात"
“सर्जिकल स्ट्राईक के बाद, माहौल कुछ मनमुताबिक हुआ है तो मन कुछ हल्का हुआ है, बहला है, दु:ख कम हुआ है, और चुनाव भी घोषित हो गये हैं, तो किसान भाइयों, आज मैं आपसे अपने मन की असली बात करता हूँ।”
डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
17 Mar 2019
mann ki baat
सांकेतिक तस्वीर। साभार : गूगल

इस बार मैं "मन की असली बात" किसान भाइयों से करना चाहता हूँ। किसानों के बारे मैं इतना चिंतित रहता हूँ, इतना दुखी रहता हूँ कि बोल भी नहीं पाता हूँ। हज़ारों किसानों ने आत्महत्या कर ली, सल्फास खा कर मर गए, पेड़ पर लटक गए पर मैं दुख के मारे कुछ भी नहीं बोल पाया। किसान भाइयों, मैं आपके दुख से बहुत ही दुखी हूँ। अब किसी तरह से, सर्जिकल स्ट्राईक के बाद, माहौल कुछ मनमुताबिक हुआ है तो मन कुछ हल्का हुआ है, बहला है, दु:ख कम हुआ है, और चुनाव भी घोषित हो गये हैं, तो किसान भाइयों, आज मैं आपसे अपने मन की असली बात करता हूँ। 

मेरे प्यारे किसान भाइयों, मैंने पिछले चुनाव से पहले वायदा किया था कि आपको आपकी फसल का वाजिब दाम दिलवाऊंगा, पर मैंने वह पूरा किया नहीं। यह बात मुझे 2014 के चुनावों से पहले भी मालूम थी और अब भी मालूम है और आने वाले चुनावों के बाद भी मालूम रहेगी। इन चुनावों में भी मैं बहुत से ऐसे वायदे करुंगा  जिनके बारे में मुझे स्वयं पता होगा कि मैं उन वायदों को पूरा नहीं करूंगा।  

tirchi najar after change new_5.png

अब फसल का वाजिब दाम दिलाने के वायदे की ही बात लें। अगर, किसान भाइयों, आपकी फसल के वाज़िब दाम आपको दिलवाऊं, तो शहरों में महंगाई कहाँ तक पहुँच जायेगी। और मुझे शहरवासियों की भी चिंता करनी है। बल्कि कहा जाये तो उनकी चिंता आपकी चिंता से ज्यादा करनी है क्योंकि वे आप लोगों से बड़े उपभोक्ता हैं। अगर उनकी कमाई का बड़ा भाग दाल-भात, गेहूं और सब्जियाँ आदि खरीदने में ही चला जायेगा तो मैं जो इतनी बड़ी-बड़ी इंडस्ट्रीज लगवा रहा हूँ, उनका सामान कौन खरीदेगा। जो मैं विदेशों में जा कर वहां के बड़े-बड़े लोगों की खुशामद करता हूँ कि वे भारत आएं, यहाँ पैसा लगाएं, इंडस्ट्री खोलें, और खूब सारा पैसा कमा कर ले जाएँ, वे यहां आयेंगे क्या। जब खरीददार ही ख़तम हो जायेंगे तो भारत में पैसा लगाने कौन आएगा। अब आप खुद बताओ, मैं आप किसान भाइयों के बारे में सोचूँ या भारत माता के विकास के बारे में सोचूँ। 

प्रिय किसान भाइयों, सिर्फ यही एक वजह नहीं है कि मैं किसानों को उनकी फसल के वाजिब दाम नहीं दिला रहा हूँ। इसके पीछे और भी कई वजह हैं। आप सब लोग तो जानते ही हैं, मैं भारत माता को असीम ऊंचाइयों तक ले जाना चाहता हूँ। बहुत सारे कारखाने लगाना चाहता हूँ। बहुत सारे बड़े-बड़े कारखाने। अम्बानी, अडानी और टाटा के सहयोग से कारखाने। देसी विदेशी पैसे से कारखाने। और उन सब कारखानों के लिए चाहिए जमीन, बहुत सारी जमीन। और वो जमीन है आपके पास। अगर आपको खेती से अच्छी आमदनी होने लगे तो आप वो जमीन बेचोगे? नहीं बेचोगे न। तो इसीलिए खेती में आमदनी नहीं बढ़ानी है। देश की उन्नति के लिए, बड़ी से बड़ी इंडस्ट्रीज लगाने के लिए जरूरी है कि खेती में आमदनी बढ़े नहीं, बल्कि घटे। इसीलिए सरकार खेती में लागत बढ़ाती जा रही है बिजली महंगी, बीज महंगा, खाद भी महंगी। पर सरकार फसलों के दाम लागत के अनुपात में नहीं बढ़ा रही है। जिससे किसान भाई, आपकी आमदनी न बढ़े और आप अपनी जमीन कम से कम दामों पर बेच दें। भारत माता असीम ऊंचाइयों को छुए, नये नये कारखाने लगें, इसलिए किसान भाइयों आपका बलिदान जरूरी है।

अब किसान भाइयों, जमीन मिल जाने के बाद, इंडस्ट्रीज को बनाने के लिए, उनमे काम करने के लिए लोग चाहियें, चाहिए या नहीं। आर्किटेक्ट चाहियें, इंजीनियर चाहियें, अफसर चाहियें, मैनेजर चाहियें। वे सब तो शहरों से आ जायेंगे। पर मजदूर कहां से आयेंगे। मजदूरों के बिना तो ये फ़ैक्टरियाँ न बनेंगी न चलेंगी। और किसान भाइयों, वे मजदूर कहाँ से आएंगे, आपके गावों से ही न। किसान भाइयों, आप ही के बच्चों को उन फैक्टरियों में नौकरी मिलेगी और जरूर मिलेगी। पर अगर किसानी में अच्छी कमाई होने लगे, तो क्या कोई फैक्टरियों में मजदूरी करने आएगा। नहीं आएगा न। फैक्ट्रियां चलें, कारखाने चलें, कम तनख़्वाह में कारखानों को मजदूर मिलें, मेरा भारत वर्ष ऊंचाई के नए आसमान छुए, इसलिए जरूरी है किसान भाइयों, कि किसानी में आमदनी न हो।

किसान भाइयों, आपने चुन कर मुझे अपना प्रधान सेवक बनाया है। और अब यह भारत का प्रधान सेवक पूरे विश्व का प्रधान सेवक बन चुका है। मैं ऐसे-ऐसे देशों में हो आया हूँ, जहाँ का नाम आपने कभी सुना भी नहीं होगा। क्या किसान भाइयों ने मोज़ाम्बिक नाम के देश का नाम सुना है। नहीं न। जब मैं वहां गया तो वहां के किसानों का हाल मुझसे देखा नहीं गया। दिल भर आया उनकी दरिद्र हालत देख कर। मैंने उनसे वायदा किया कि वे दाल पैदा करें, भारत उनकी सारी पैदावार खरीद लेगा, वो भी अच्छे दामों पर। आप भी उनकी गरीबी देखते तो आपसे भी नहीं रहा जाता। अब आपके द्वारा चुना गया मैं, विश्वनेता बन गया हूँ तो मस्तक किसका ऊँचा होगा। आपका ही न और भारत माता का। इसीलिए किसान भाइयों, देश का मस्तक ऊँचा करने के लिए, मोज़ाम्बिक के बेचारे गरीब किसानों को दाल का अधिक दाम देना पड़े और आपको कम, तो भी आप मेरे साथ ही तो रहेंगे न और वोट भी मुझे ही देंगे न। इसलिए भी जरूरी है किसान भाइयों, कि आपको आपकी फसल की पूरी कीमत न दी जाये। 

किसान भाइयों, मुझे पता है, आप लोगों ने मुझसे मिलने, अपनी तकलीफें बतलाने की, दिल्ली में आने की कई बार कोशिश की। पर मैंने आप लोगों को दिल्ली के बार्डर पर ही बलपूर्वक रोक दिया। मुझे आपकी कठिनाइयों के बारे में पहले से ही भलीभांति पता है। मुझे पता था कि आप लोग बहुत दूर से, कोई सौ किलोमीटर से तो कोई दो सौ किलोमीटर से। और कोई कोई तो पांच सौ या हजार किलोमीटर दूर से भी, सिर्फ और सिर्फ मुझसे मिलने और अपना दुख दर्द बताने चले आ रहे थे। फिर भी मैंने जबरन क्यों रोका। मुझसे आपकी थकान देखी नहीं जाती थी। मुझे लगा, आपकी जितनी भी सेवा कर सकूं, अच्छा है। इस लिए दस-पंद्रह किलोमीटर पहले आपकी यात्रा रोक दी। आप नहीं माने, तो जबरन रोकी। पर सब आपके भले के लिए ही किया, आपको फालतू की और थकान न हो इसीलिए ऐसा किया। वैसे भी, आप दिल्ली में आते तो दिल्ली के लोगों को भी बुरा भी लगता। उनका जीवन अस्त वयस्त हो जाता। उनका खयाल भी तो रखना ही था न। 

किसान भाइयों, मैं जानता और मानता हूँ कि आप लोग बहुत बड़े देशभक्त हैं। आप कभी नहीं चाहेंगे कि आप के किसी कृत्य से देश का नाम नीचा हो। अब मैं आपके सामने सारी बात रख चुका हूँ। मैं जानता हूँ, अब सारी बात जान-समझ कर आप कभी भी नहीं चाहेंगे कि आपको आपकी फसल की अधिक कीमत मिले। ऐसा नहीं है कि सरकार के पास पैसा नहीं है। पर आप देशभक्त हैं। आप जान दे देंगे, आत्महत्या कर लेंगे, पर अब आप फसल की कीमत बढ़ने की इच्छा कभी नहीं करेंगे। और हाँ ! 2019 के इस चुनाव में वोट मुझे ही देना। आप लोगों के इसी सहयोग से मैं भारत माता को और ऊपर ले जाऊंगा। भारत माता की जय। किसान भाइयों की जय । 

इस बार का नारा : जय जवान, जय किसान। सरकार की नीति, जय धनवान।

tirchi nazar
Satire
Political satire
Narendra modi
mann ki baat
kisan
farmer crises
farmer suicide
agricultural crises

Related Stories

बात बोलेगी: मुंह को लगा नफ़रत का ख़ून

सद्भाव बनाम ध्रुवीकरण : नेहरू और मोदी के चुनाव अभियान का फ़र्क़

एक व्यापक बहुपक्षी और बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता

हम भारत के लोगों की असली चुनौती आज़ादी के आंदोलन के सपने को बचाने की है

हम भारत के लोग : इंडिया@75 और देश का बदलता माहौल

हम भारत के लोग : हम कहां-से-कहां पहुंच गये हैं

संविधान पर संकट: भारतीयकरण या ब्राह्मणीकरण

झंझावातों के बीच भारतीय गणतंत्र की यात्रा: एक विहंगम दृष्टि

आज़ादी के अमृत महोत्सव वर्ष में हमारा गणतंत्र एक चौराहे पर खड़ा है

हम भारत के लोग: झूठी आज़ादी का गणतंत्र!


बाकी खबरें

  • blast
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन
    05 Jun 2022
    हापुड़ में एक ब्लायलर फैक्ट्री में ब्लास्ट के कारण करीब 13 मज़दूरों की मौत हो गई, जिसके बाद से लगातार किसान और मज़दूर संघ ग़ैर कानूनी फैक्ट्रियों को बंद कराने के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही…
  • Adhar
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: आधार पर अब खुली सरकार की नींद
    05 Jun 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस सप्ताह की जरूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष
    05 Jun 2022
    हमारे वर्तमान सरकार जी पिछले आठ वर्षों से हमारे सरकार जी हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार जी भविष्य में सिर्फ अपने पहनावे और खान-पान को लेकर ही जाने जाएंगे। वे तो अपने कथनों (quotes) के लिए भी याद किए…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' का तर्जुमा
    05 Jun 2022
    इतवार की कविता में आज पढ़िये ऑस्ट्रेलियाई कवयित्री एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' जिसका हिंदी तर्जुमा किया है योगेंद्र दत्त त्यागी ने।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित
    04 Jun 2022
    देशभक्तों ने कहां सोचा था कि कश्मीरी पंडित इतने स्वार्थी हो जाएंगे। मोदी जी के डाइरेक्ट राज में भी कश्मीर में असुरक्षा का शोर मचाएंगे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License