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"मन की असली बात"
“सर्जिकल स्ट्राईक के बाद, माहौल कुछ मनमुताबिक हुआ है तो मन कुछ हल्का हुआ है, बहला है, दु:ख कम हुआ है, और चुनाव भी घोषित हो गये हैं, तो किसान भाइयों, आज मैं आपसे अपने मन की असली बात करता हूँ।”
डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
17 Mar 2019
mann ki baat
सांकेतिक तस्वीर। साभार : गूगल

इस बार मैं "मन की असली बात" किसान भाइयों से करना चाहता हूँ। किसानों के बारे मैं इतना चिंतित रहता हूँ, इतना दुखी रहता हूँ कि बोल भी नहीं पाता हूँ। हज़ारों किसानों ने आत्महत्या कर ली, सल्फास खा कर मर गए, पेड़ पर लटक गए पर मैं दुख के मारे कुछ भी नहीं बोल पाया। किसान भाइयों, मैं आपके दुख से बहुत ही दुखी हूँ। अब किसी तरह से, सर्जिकल स्ट्राईक के बाद, माहौल कुछ मनमुताबिक हुआ है तो मन कुछ हल्का हुआ है, बहला है, दु:ख कम हुआ है, और चुनाव भी घोषित हो गये हैं, तो किसान भाइयों, आज मैं आपसे अपने मन की असली बात करता हूँ। 

मेरे प्यारे किसान भाइयों, मैंने पिछले चुनाव से पहले वायदा किया था कि आपको आपकी फसल का वाजिब दाम दिलवाऊंगा, पर मैंने वह पूरा किया नहीं। यह बात मुझे 2014 के चुनावों से पहले भी मालूम थी और अब भी मालूम है और आने वाले चुनावों के बाद भी मालूम रहेगी। इन चुनावों में भी मैं बहुत से ऐसे वायदे करुंगा  जिनके बारे में मुझे स्वयं पता होगा कि मैं उन वायदों को पूरा नहीं करूंगा।  

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अब फसल का वाजिब दाम दिलाने के वायदे की ही बात लें। अगर, किसान भाइयों, आपकी फसल के वाज़िब दाम आपको दिलवाऊं, तो शहरों में महंगाई कहाँ तक पहुँच जायेगी। और मुझे शहरवासियों की भी चिंता करनी है। बल्कि कहा जाये तो उनकी चिंता आपकी चिंता से ज्यादा करनी है क्योंकि वे आप लोगों से बड़े उपभोक्ता हैं। अगर उनकी कमाई का बड़ा भाग दाल-भात, गेहूं और सब्जियाँ आदि खरीदने में ही चला जायेगा तो मैं जो इतनी बड़ी-बड़ी इंडस्ट्रीज लगवा रहा हूँ, उनका सामान कौन खरीदेगा। जो मैं विदेशों में जा कर वहां के बड़े-बड़े लोगों की खुशामद करता हूँ कि वे भारत आएं, यहाँ पैसा लगाएं, इंडस्ट्री खोलें, और खूब सारा पैसा कमा कर ले जाएँ, वे यहां आयेंगे क्या। जब खरीददार ही ख़तम हो जायेंगे तो भारत में पैसा लगाने कौन आएगा। अब आप खुद बताओ, मैं आप किसान भाइयों के बारे में सोचूँ या भारत माता के विकास के बारे में सोचूँ। 

प्रिय किसान भाइयों, सिर्फ यही एक वजह नहीं है कि मैं किसानों को उनकी फसल के वाजिब दाम नहीं दिला रहा हूँ। इसके पीछे और भी कई वजह हैं। आप सब लोग तो जानते ही हैं, मैं भारत माता को असीम ऊंचाइयों तक ले जाना चाहता हूँ। बहुत सारे कारखाने लगाना चाहता हूँ। बहुत सारे बड़े-बड़े कारखाने। अम्बानी, अडानी और टाटा के सहयोग से कारखाने। देसी विदेशी पैसे से कारखाने। और उन सब कारखानों के लिए चाहिए जमीन, बहुत सारी जमीन। और वो जमीन है आपके पास। अगर आपको खेती से अच्छी आमदनी होने लगे तो आप वो जमीन बेचोगे? नहीं बेचोगे न। तो इसीलिए खेती में आमदनी नहीं बढ़ानी है। देश की उन्नति के लिए, बड़ी से बड़ी इंडस्ट्रीज लगाने के लिए जरूरी है कि खेती में आमदनी बढ़े नहीं, बल्कि घटे। इसीलिए सरकार खेती में लागत बढ़ाती जा रही है बिजली महंगी, बीज महंगा, खाद भी महंगी। पर सरकार फसलों के दाम लागत के अनुपात में नहीं बढ़ा रही है। जिससे किसान भाई, आपकी आमदनी न बढ़े और आप अपनी जमीन कम से कम दामों पर बेच दें। भारत माता असीम ऊंचाइयों को छुए, नये नये कारखाने लगें, इसलिए किसान भाइयों आपका बलिदान जरूरी है।

अब किसान भाइयों, जमीन मिल जाने के बाद, इंडस्ट्रीज को बनाने के लिए, उनमे काम करने के लिए लोग चाहियें, चाहिए या नहीं। आर्किटेक्ट चाहियें, इंजीनियर चाहियें, अफसर चाहियें, मैनेजर चाहियें। वे सब तो शहरों से आ जायेंगे। पर मजदूर कहां से आयेंगे। मजदूरों के बिना तो ये फ़ैक्टरियाँ न बनेंगी न चलेंगी। और किसान भाइयों, वे मजदूर कहाँ से आएंगे, आपके गावों से ही न। किसान भाइयों, आप ही के बच्चों को उन फैक्टरियों में नौकरी मिलेगी और जरूर मिलेगी। पर अगर किसानी में अच्छी कमाई होने लगे, तो क्या कोई फैक्टरियों में मजदूरी करने आएगा। नहीं आएगा न। फैक्ट्रियां चलें, कारखाने चलें, कम तनख़्वाह में कारखानों को मजदूर मिलें, मेरा भारत वर्ष ऊंचाई के नए आसमान छुए, इसलिए जरूरी है किसान भाइयों, कि किसानी में आमदनी न हो।

किसान भाइयों, आपने चुन कर मुझे अपना प्रधान सेवक बनाया है। और अब यह भारत का प्रधान सेवक पूरे विश्व का प्रधान सेवक बन चुका है। मैं ऐसे-ऐसे देशों में हो आया हूँ, जहाँ का नाम आपने कभी सुना भी नहीं होगा। क्या किसान भाइयों ने मोज़ाम्बिक नाम के देश का नाम सुना है। नहीं न। जब मैं वहां गया तो वहां के किसानों का हाल मुझसे देखा नहीं गया। दिल भर आया उनकी दरिद्र हालत देख कर। मैंने उनसे वायदा किया कि वे दाल पैदा करें, भारत उनकी सारी पैदावार खरीद लेगा, वो भी अच्छे दामों पर। आप भी उनकी गरीबी देखते तो आपसे भी नहीं रहा जाता। अब आपके द्वारा चुना गया मैं, विश्वनेता बन गया हूँ तो मस्तक किसका ऊँचा होगा। आपका ही न और भारत माता का। इसीलिए किसान भाइयों, देश का मस्तक ऊँचा करने के लिए, मोज़ाम्बिक के बेचारे गरीब किसानों को दाल का अधिक दाम देना पड़े और आपको कम, तो भी आप मेरे साथ ही तो रहेंगे न और वोट भी मुझे ही देंगे न। इसलिए भी जरूरी है किसान भाइयों, कि आपको आपकी फसल की पूरी कीमत न दी जाये। 

किसान भाइयों, मुझे पता है, आप लोगों ने मुझसे मिलने, अपनी तकलीफें बतलाने की, दिल्ली में आने की कई बार कोशिश की। पर मैंने आप लोगों को दिल्ली के बार्डर पर ही बलपूर्वक रोक दिया। मुझे आपकी कठिनाइयों के बारे में पहले से ही भलीभांति पता है। मुझे पता था कि आप लोग बहुत दूर से, कोई सौ किलोमीटर से तो कोई दो सौ किलोमीटर से। और कोई कोई तो पांच सौ या हजार किलोमीटर दूर से भी, सिर्फ और सिर्फ मुझसे मिलने और अपना दुख दर्द बताने चले आ रहे थे। फिर भी मैंने जबरन क्यों रोका। मुझसे आपकी थकान देखी नहीं जाती थी। मुझे लगा, आपकी जितनी भी सेवा कर सकूं, अच्छा है। इस लिए दस-पंद्रह किलोमीटर पहले आपकी यात्रा रोक दी। आप नहीं माने, तो जबरन रोकी। पर सब आपके भले के लिए ही किया, आपको फालतू की और थकान न हो इसीलिए ऐसा किया। वैसे भी, आप दिल्ली में आते तो दिल्ली के लोगों को भी बुरा भी लगता। उनका जीवन अस्त वयस्त हो जाता। उनका खयाल भी तो रखना ही था न। 

किसान भाइयों, मैं जानता और मानता हूँ कि आप लोग बहुत बड़े देशभक्त हैं। आप कभी नहीं चाहेंगे कि आप के किसी कृत्य से देश का नाम नीचा हो। अब मैं आपके सामने सारी बात रख चुका हूँ। मैं जानता हूँ, अब सारी बात जान-समझ कर आप कभी भी नहीं चाहेंगे कि आपको आपकी फसल की अधिक कीमत मिले। ऐसा नहीं है कि सरकार के पास पैसा नहीं है। पर आप देशभक्त हैं। आप जान दे देंगे, आत्महत्या कर लेंगे, पर अब आप फसल की कीमत बढ़ने की इच्छा कभी नहीं करेंगे। और हाँ ! 2019 के इस चुनाव में वोट मुझे ही देना। आप लोगों के इसी सहयोग से मैं भारत माता को और ऊपर ले जाऊंगा। भारत माता की जय। किसान भाइयों की जय । 

इस बार का नारा : जय जवान, जय किसान। सरकार की नीति, जय धनवान।

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