NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
मणिपुरी राष्ट्रवाद को गलत तरीके से मनाना
एक ही दिन में भाजपा के मुख्यमंत्री ने ब्रिटिश राज के सहयोगी महाराजा चंद्राकृति की याद में यादगार पार्क बनाने की बुनियाद रखी और साथ ही ब्रिटिश के विरुद्ध हुए विद्रोह को भी मनायाI
विवान एबन
30 Dec 2017
Translated by महेश कुमार
मणिपुर राष्ट्रवाद

भाजपा नेतृत्व वाली सरकार लगता है कि मणिपुर में पूर्वोत्तर के विभिन्न समाजों और उनके जटिल इतिहास के बीच तेज़ी से लोकप्रियता पाने का कठिन रास्ता अख्तियार करने कोशिश कर रही हैI 19 दिसंबर को, मणिपुर के मुख्यमंत्री बिरेन सिंह ने म्यांमार के साथ व्यापार के लिए ज़ू गैल शताब्दी स्मरणोत्सव में भाग लेते हुए भिहियांग गांव में एक नए मार्ग बनाने की घोषणा कीI इससे पहले, उन्होंने दो किलोमीटर दूर चिवू गाँव में महाराजा चंद्रराकृति स्मारक पार्क की नींव रखी थीI जो लोग मणिपुर के इतिहास से परिचित हैं उनके लिए यह एक विरोधाभासी कार्य हैI

'ज़ू गल' - ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक बड़ा संघर्ष था, जिसे आम तौर पर औपनिवेशिक स्रोतों में एंग्लो-कूकी युद्ध के रूप में जाना जाता हैI यह कूकी लोगों का 1917 में बांग्लादेश के दक्षिणी मणिपुर और चटगाँव पहाड़ी इलाकों (सीएचटी) के बीच स्थित क्षेत्रों में ब्रिटिश के खिलाफ विद्रोह थाI ज़ू गल, ज़ू लोगों का विद्रोह था जो व्यापक कूकी परिवार का हिस्सा थे, और यह विद्रोह प्रथम विश्व युद्ध के दौरान श्रम कोर में सेवा करने के लिए ज़ू पुरुषों की ब्रिटिश द्वारा जबरदस्ती भर्ती के खिलाफ थाI 1905 में बंगलादेश के विभाजन के विरोध में बंगाल के राष्ट्रवादियों ने एंग्लो-कूकी विद्रोह को काफी हद तक बढ़ावा दिया थाI वे (बंगाल के क्रांतिकारी) कूकी नेताओं से मिले और उन्हें ब्रिटिशों के खिलाफ विद्रोह करने के लिए प्रोत्साहित कियाI

दूसरी तरफ महाराजा चंद्रराकृति ने जू लोगों के संबंध में एक अलग ही भूमिका निभाईI 1871 और 1872 के वर्षों के दौरान, भारत की ब्रिटिश सरकार ने आज के मिज़ोरम की लुशाई पहाड़ियों में चिन-कूकी-ज़ू लोगों के खिलाफ दंडात्मक 'लुशाई अभियान' की शुरुआत कीI इसका उद्देश्य असम के कछार इलाके में ब्रिटिश प्रतिष्ठानों के खिलाफ पहाड़ी जनजातियों द्वारा हमले किये जाने के बाद क्षेत्र को शांत करना थाI ब्रिटिश ने दो सैन्य टुकड़ी भेजी, एक सीएचटी (चटगांव) की तरफ से और दूसरी को मणिपुर के रास्ते सेI मणिपुर के महाराजा चंद्रराकृति ने अंग्रेजों की ब्रिटिश सेना को सहायता करने के लिए उसमें शामिल होने के लिए 2000 मैती सैनिक भेजे थेI उस समय, चुराचंदपुर में बीहियांग गाँव का शासन खौ थांग के अंतर्गत था और जो एक ज़ू सरदार थाI ब्रिटिश सेना ने बिहियांग में विद्रोही लोगों को हराया और गो खांग थांग को गिरफ्तार कर लिया, जिसके बाद उन्हें चंद्रराकृति के सैनिकों ने मार डालाI
इसलिए, एक ही दिन ब्रिटिश सहयोगी राजा का जश्न मनाना और साथ ही उन स्थानीय लोगों का जश्न मनाना जो ब्रिटिशों के खिलाफ लड़े थे - यह ऐसा कारनामा है जिसे भाजपा जैसी पार्टी ही अंजाम दे सकती हैI

मणिपुर के शाही राजवंश हमेशा से मैती समुदाय से रहे हैं, जो कि मणिपुर की प्रमुख आबादी हैं और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहती हैI मणिपुर के आसपास की पहाड़ियों में विभिन्न 'आदिवासी' समुदायों से बसी हैंI उत्तरी पहाड़ियों में मुख्य मुख्या रूप से नागा जनजाति की आबादी है, जबकि दक्षिणी पहाड़ी पर ज्यादातर चिन, कूकी, ज़ोमी और मिजो जनजातियों की आबादी रहती हैंI 1710 में पामेबा के शासनकाल के दौरान मैती समुदाय वैष्णवी हिंदू बने, जबकि ब्रिटिश शासन के दौरान ईसाई मिशनरियों द्वारा धर्म परिवर्तन के कारण 'जनजाति' (आदिवासी) समुदाय ज्यादातर ईसाई बनेI मैती समुदाय के भीतर एक आंदोलन है जो पूर्व हिंदू धर्म सनमहतिवाद में वापस लौटना चाहता है, हालांकि, ज्यादातर मैती अभी भी हिन्दू हैंI

एन बिरन सिंह 2017 में भाजपा टिकट पर चुने गए थेI उन्हें तनाव से जूझ रहा मणिपुर विरासत में मिला,  जोकि कांग्रेस से पूर्ववर्ती ओक्राम इबोबी सिंह के समय से जारी हैI इबोबी सिंह की सरकार ने 2015 में तीन विधेयक पारित किए: मणिपुर पीपुल्स बिल, मणिपुर भूमि राजस्व और भूमि सुधार (सातवां संशोधन) विधेयक, और मणिपुर की दुकानों और प्रतिष्ठानों (दूसरा संशोधन) विधेयक का संरक्षणI हाल के वर्षों में इन बिलों के विरुद्ध पहाड़ी-घाटी में काफी बड़ा तनाव देखा गयाI पहाड़ी लोगों ने इन विधेयकों को अपने पारंपरिक भूमि अधिकारों के दखल के प्रयासों के रूप में देखा और प्रमुख आबादी मैती समुदाय के पक्ष मेंI वर्ष 2016 में सात नए जिलों की सृजन से नागा और कुकीस के बीच पहाड़ियों को बाँट दिया गयाI वर्तमान में मैती समुदाय भारत सरकार और एन.एस.सी.एन. (आई.एम.) के बीच फ्रेमवर्क समझौते के बारे में आशंकित हैI

मणिपुर की वर्तमान सरकार भाजपा, नागा पीपुल्स फ्रंट (एन.पी.एफ.) और नेशनल पीपल्स पार्टी (एन.पी.पी.) के बीच एक का एक गठबंधन हैI भाजपा को 2012 के चुनाव में कांग्रेस की तुलना में पाँच सीटें कम हासिल हुई थी लेकिन वे गठबंधन को एकजुट करने में कामयाब रहेI पहाड़ी-घाटी विवाद को पाटने के प्रयास में बिरन सिंह ने एक व्यापक मणिपुरी राष्ट्रवाद की लगातार अपील की हैI

उस राजा के सम्मान में एक स्मारक पार्क के लिए आधारशिला का रखना जिसके आदेश पर ज़ू गल समुदाय के सरदार को मार डाला गया था, पहाड़-घाटी के विभाजन को पाटने का एक अजीब तरीका हैI यह भी अजीब है कि जो लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से ब्रिटिशों के सहयोगी रहे हैं वे भाजपा की आँखों के तारे हैंI जो भी हो, उस क्षेत्र की बहुत ही विचित्र और सतही समझ के आधार पर भाजपा अपनी तुच्छ राजनैतिक दृष्टि के मुताबिक़ राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण नीतियाँ बना रही हैंI
 

मणिपुर
मणिपुर भाजपा सरकार
ब्रिटिश विरोध
मणिपुर राष्ट्रवाद

Related Stories

पागलपंति मैराथन में सबसे आगे बिप्लब देब

इरोम शर्मिला: दमदार अनशन के 15 वर्ष


बाकी खबरें

  • भाषा
    महाराष्ट्र : एएसआई ने औरंगज़ेब के मक़बरे को पांच दिन के लिए बंद किया
    19 May 2022
    महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रवक्ता गजानन काले ने मंगलवार को कहा था कि औरंगजेब के मकबरे की कोई जरूरत नहीं है और उसे ज़मींदोज़ कर दिया जाना चाहिए, ताकि लोग वहां न जाएं। इसके बाद, औरंगाबाद के…
  • मो. इमरान खान
    बिहार पीयूसीएल: ‘मस्जिद के ऊपर भगवा झंडा फहराने के लिए हिंदुत्व की ताकतें ज़िम्मेदार’
    19 May 2022
    रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंदुत्ववादी भीड़ की हरकतों से पता चलता है कि उन्होंने मुसलमानों को निस्सहाय महसूस कराने, उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने और उन्हें हिंसक होकर बदला लेने के लिए उकसाने की…
  • वी. श्रीधर
    भारत का गेहूं संकट
    19 May 2022
    गेहूं निर्यात पर मोदी सरकार के ढुलमुल रवैये से सरकार के भीतर संवादहीनता का पता चलता है। किसानों के लिए बेहतर मूल्य सुनिश्चित करने की ज़िद के कारण गेहूं की सार्वजनिक ख़रीद विफल हो गई है।
  • एम. के. भद्रकुमार
    खाड़ी में पुरानी रणनीतियों की ओर लौट रहा बाइडन प्रशासन
    19 May 2022
    संयुक्त अरब अमीरात में प्रोटोकॉल की ज़रूरत से परे जाकर हैरिस के प्रतिनिधिमंडल में ऑस्टिन और बर्न्स की मौजूदगी पर मास्को की नज़र होगी। ये लोग रूस को "नापसंद" किये जाने और विश्व मंच पर इसे कमज़ोर किये…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में आज फिर कोरोना के मामलों में क़रीब 30 फ़ीसदी की बढ़ोतरी 
    19 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटो में कोरोना के 2,364 नए मामले सामने आए हैं, और कुल संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 4 करोड़ 31 लाख 29 हज़ार 563 हो गयी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License