जब मध्य प्रदेश में मानसून ने दस्तक दे दी है और किसान खरीफ की फसल की बुआई की तैयारी में जुटा है, तब प्रदेश सरकार ने मानसून से पूर्व न तो पर्याप्त मात्रा में खाद की व्यवस्था की है और न ही बीज ही उपलब्ध कराया है। बारिश के बाद तो कई ग्रामीण क्षेत्रों में बीज खाद पहुंचना ही असंभव हो जायेगा। किसानों का कहना है कि किसानों को हर बार की तरह इस बार भी धान के बीज के साथ ही खाद के लिए परेशान होना पड़ रहा है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की मध्यप्रदेश इकाई ने इस कमी को लेकर सरकार पर हमला बोला और कहा है कि खाद बीज की नकली किल्लत पैदाकर सरकारी संरक्षण में किसानों को लूटने की साजिश की जा रही है।
माकपा के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने उक्त बयान जारी करते हुए कहा है कि प्रदेश भर के किसान सोयाबीन, धान, बाजरा, मक्का, मूंग, मूंगफली, ज्वार आदि के बीज के लिए भटक रहें हैं। सरकार ने सरकारी खरीद केंद्रों पर जो बीज पहुंचाया है, वह ऊंट के मुंह में जीरा है, जो प्रभावशाली किसानों के बीच बंट कर रह जायेगा। आम किसानों को फसल की बोवनी करने के लिए निजी बीज केंद्रो से बीज खरीदने और लुटने पर मजबूर होना पड़ेगा।
माकपा नेता का कहना है कि किसानों की यह लूट राजनीतिक संरक्षण में प्रशासन और कालाबाजारियों की सांठगांठ से होती है। किसानों को न केवल बीज कालाबाजारी में खरीदने पड़ते हैं बल्कि नकली बीज भी मिलते हैं। यह कालाबाजारी सिर्फ बीज ही नहीं, बल्कि खाद भी नकली और कालाबाजारी में खरीदना पड़ती है।
जसविंदर सिंह ने कहा है कि आमतौर पर निजी दुकानों से मिलने वाले बीज और खाद की किसानों को रसीद भी नहीं मिलती है इसलिए यदि किसानों की फसल अंकुरित नहीं होती है या उसमें फूल और फली नहीं आती है तो किसान बीज कंपनी पर मुआवजे के लिए दावा भी नहीं कर सकते हैं।
माकपा ने मांग की है कि किसानों को नकली खाद और बीज की लूट से बचाने और खरीफ के फसल के भरपूर उत्पादन को सुनिश्चित करने के लिए सरकार तुरंत पहल करे और किसानों के लिए बीज और खाद की पर्याप्त व्यवस्था करे।