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भारत
राजनीति
मॉब लिंचिंग के शिकार जुनैल को कैसे मिलेगा इंसाफ?
‘सुशासन’ राज में एक और मॉब लिंचिंग हो गई। धर्मान्धों ने बूढ़े जुनैल को मारकर जला डाला, लेकिन इसकी रिपोर्ट तक दर्ज नहीं की गई। रिपोर्ट तो छोड़िए माहौल न बिगड़े इसके नाम पर इस ख़बर को हर तरह से दबाने की कोशिश की गई।
अनिल अंशुमन
05 Nov 2018
वायरल तस्वीर

दशहरे के दिन रावण दहन देखते समय अमृतसर में रेल से हुए हादसे की ख़बरों के शोर में शायद ये खबर गुम ही कर दी जाती कि 20 अक्टूबर की शाम ‘सुशासन’ प्रदेश बिहार के सीतामढ़ी शहर में 70 वर्षीय बूढ़े जुनैल अंसारी को ‘मॉब लिंचिंग’ का शिकार बनाकर आग के हवाले कर दिया गया था। लेकिन ख़बरों के अनुसार इस दिन शहर के मधुबन, गौशाला चौक, नोनिया टोला और राजो पट्टी इलाकों में स्थिति 19 अक्तूबर के शाम ही तनावपूर्ण थी। 20 को प्रशासन की अनुमति नहीं मिलने के बावजूद ‘काली पूजन सामिति ‘ के लोग विवादित क्षेत्र से मूर्ति विसर्जन का जुलूस ले जाने पर आमादा थे। जिससे दूसरे समुदाय के लोग कड़ा ऐतराज़ जताते हुए विरोध कर रहे थे। विवाद बढ़ जाने के कारण कतिपय धर्मांध चौकड़ी द्वारा न सिर्फ दूसरे समुदाय के मुहल्लों पर पत्थरबाजी की गयी बल्कि बाज़ार में उनकी दुकानों को भी निशाना बनाया गया। प्रतिक्रया में दूसरे समुदाय के लोगों ने भी पत्थरबाजी की और पुलिस की मौजूदगी में यह सब काफी देर तक चलता रहा। इसी दौरान शाम में अपनी बेटी से मिलकर आ रहे 68 वर्षीय बुजुर्ग जुनैल अंसारी को गौशाला चौक के पास धर्मान्धों ने ‘मॉब लिंचिग’ कर आग के हवाले कर दिया। गौशाला चौक पर तैनात पुलिस जो पहले तो दूर से घटना होते देख रही थी, जुनैल के साथ हुई दरिंदगी के बाद घटनास्थल पर पहुंचकर उसकी अधजली लाश आनन-फानन में मुजफ्फरपुर मेडिकल अस्पताल भेज दिया। हालात पर काबू पाने कि कवायद के नाम पर प्रशासन ने इस खबर को सेंसर कर दिया। बाद में शहर की इंटरनेट सेवा भी स्थगित कर दी गयी।

सीतामढ़ी शहर से सटे जुनैल के गाँव भोरहां में शाम ढल जाने के बाद भी उनके घर नहीं पहुँचने से चिंतित परिजनों ने थाना में जाकर रिपोर्ट दर्ज करा दी। जुनैल के बड़े पोते के अनुसार उसके दादा रिश्तेदारी में गए हुए थे और घर लौट रहे थे लेकिन शाम तक घर नहीं पहुंचे तो घर के लोग चिंतित हो गए थे। शहर में तनाव होने के कारण बाहर जाकर उन्हें नहीं खोजना संभव नहीं था इसलिए वे पुलिस के पास गये थे लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। दूसरे दिन शहर में तनाव की स्थिति पर काबू पाने का दावा करते हुए कांड में एक लावारिस लाश बरामद होने मात्र की खबर छपावाकर प्रशासन निश्चिंत था कि जुनैल मॉब लिंचिंग कांड दब गया। लेकिन इंटरनेट सेवा बहाल होते ही 22–23 अक्तूबर को जुनैल के साथ हुई दरिंदगी की खबर फोटो के साथ सोशल मीडिया में वायरल होने लगी। जो जुनैल के गाँव के एक आदमी के मोबाइल में आई तो उसने जुनैल के घरवालों को जाकर दिखाया। हालांकि इस बीच वे दो-दो बार एसपी कार्यालय में जुनैल अंसारी के गुम होने की गुहार लेकर गए लेकिन हर बार घटना से इंकार लौटा दिया गया। 23 अक्टूबर वे मोबाइल में वायरल फोटो को लेकर पुलिस के पास गए और दबाव बनाया तो अधिकारियों को मजबूरन उन्हें 20 अक्टूबर को बरामद अधजली लाश की शिनाख्त के लिए मुज़फ्फरपुर मेडिकल अस्पताल भेजना पड़ा। लाश के काफी जल जाने के कारण घर के लोग जुनैल के कपड़ों से ही उनकी पहचान कर पाए। मौके पर मौजूद पुलिस अधिकारीयों ने माहौल बिगड़ जाने का हवाला देकर जुनैल की लाश गाँव ले जाने से मना कर मुजफ्फरपुर के कब्रिस्तान में ही जुनैल को दफनाने मजबूर कर दिया।

इस दौरान दोनों सम्प्रदायों के अमनपसंद नागरिक समाज के प्रयास से नगर में शांति और सद्भाव का माहौल कायम कर लिया गया था। प्रशासन ने कुछेक  बलवाइयों को पकड़ने का दावा तो किया लेकिन जुनैल मॉब लिंचिंग का मामला कहीं दर्ज नहीं हो सका। हालांकि सीतामढ़ी नागरिक संघर्ष समिति के लोगों ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को पत्र लिखकर 20 अक्टूबर को हुए काण्ड की जांचकर दोषियों को सज़ा देने की मांग की। जुनैल का मामला रफा-दफा होता देख मुजफ्फरपुर में रह रहे जुनैल के परिजनों के परिचितों ने 25 अक्टूबर को उन्हें मुजफ्फरपुर बुलाकर इंसाफ मंच के लोगों से मिलवाया। 29 अक्टूबर को मंच की जांच टीम ने सीतामढ़ी पहुंचकर मामले की छानबीन की। टीम के लोगों ने जुनैल अंसारी के गाँव उनके घरवालों तथा अन्य ग्रामीणों के अलावा घटनास्थल व आसपास के लोगों से मिलकर पूछताछ की। टीम के लोगों ने स्थानीय थाना प्रभारी से जुनैल का का केस नहीं दर्ज किये जाने के बारे में पूछा तो उन्होंने टका सा जवाब दिया कि – आपलोगों को जो भी जानना है जाइए एसपी साहब से पूछिये। टीम के लोगों ने जुनैल के घरवालों से जुनैल मॉब लिंचिंग का केस दर्ज करने के बारे में जानना चाहा तो उन्होंने बताया कि– स्थानीय विधायक (राजद) के लोग और सत्ताधारी दल के मुस्लिम नेताओं ने आकर दबाव दिया है कि बात आगे बढ़ाने से क्या फायदा होगा उलटे माहौल और बिगड़ेगा।

इंसाफ मंच की जांच टीम अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक कर जुनैल के परिजनों को इन्साफ दिलाने की तैयारी तो कर रही है लेकिन एक सवाल जो सीतामढ़ी के नागरिकों ने भी वहाँ होनेवाली सद्भावना सभाओं में उठाया कि ऐसा माहौल तो पहले कभी नहीं बनता था। ख़बरें बतातीं हैं कि पहली बार राज्य में इस साल रामनवमी में भागलपुर से शुरू हुई सांप्रदायिक हिंसा जो बाद में औरंगाबाद , समस्तीपुर, मुंगेर और नालंदा से लेकर कई अन्य इलाकों में फैली – वो अनायास नहीं हुईं है। सीतामढ़ी कांड उसी की एक कड़ी है और जानकारों के अनुसार ऐसी घटनाएं अभी और होनी हैं जो संभवतः 2019 के चुनाव तक किसी न किसी रूप में जारी ही रहेंगी। देखना है कि बिहार की जागरूक जनता इन सुनियोजित – सुविचारित और संगठित दंगाई राजनीति का क्या जवाब देती है। साथ ही बिहार में सत्तारूढ़ नितीश कुमार और भाजपा का सुशासन राज क्या जुनैल अंसारी कि हत्यारी ताकतों को सज़ा और जुनैल के परिजनों को इंसाफ देता है या नहीं?

(रिपोर्ट के ज़रूरी तथ्य ‘इंसाफ मंच’ जांच टीम के सूरज कुमार से प्राप्त किया गए हैं।)

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