NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
मोदी जी, देश को स्वास्थ्य की चुनौती की नहीं, बल्कि अधिक अस्पतालों और डॉक्टरों की आवश्यकता है
मोदी जी, देश को स्वास्थ्य की चुनौती की नहीं, बल्कि अधिक अस्पतालों और डॉक्टरों की आवश्यकता है
रवि कौशल
22 Jun 2018
Translated by महेश कुमार
देश में स्वस्थ्य व्यवस्था का हाल

केंद्रीय ब्यूरो ऑफ हेल्थ इंटेलिजेंस ने, विभिन्न राज्य सरकारों और एजेंसियों के आंकड़ों को एकत्रित करने के बाद, मंगलवार को वार्षिक राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफ़ाइल 2018 की रपट को जारी किया गया। यह रपट देश की स्वास्थ्य स्थिति के पुननिर्माण करने और, प्रोफ़ाइल सोशल मीडिया पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा व्यक्त 'फिट इंडिया' की कहानी को चुनौती देती है। प्रोफाइल के नज़दीकी अवलोकन से कई मुद्दों और चुनौतियों का पता चलता है जो भारत को एक बीमार देश की श्रेणी खड़ा करता है।

यह बताता है कि 2015-16 में केंद्र ने स्वास्थ्य पर सकल घरेलू उत्पाद का [1,40,000 करोड़ रुपये] जोकि केवल 1.02 प्रतिशत है, खर्च किया था। दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र के देशों में इस बाबत भारत का प्रदर्शन बहुत ही भी खराब रहा जहां यह मालदीव, थाईलैंड, भूटान और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों से भी कम खर्च करता है। जबकि मालदीव सकल घरेलू उत्पाद का 9 .4 प्रतिशत खर्च करता हैं जबकि  स्वास्थ्य पर, थाईलैंड, भूटान और श्रीलंका का सार्वजनिक व्यय क्रमशः 2.9, 2.5 और 1.6 प्रतिशत खर्च हैं।

रिपोर्ट

आंकड़ों से पता चलता है कि अगर भारत सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल वाले देशों के क्लब में शामिल होना चाहता हैं तो भारत को लंबा सफर तय करना होगा। स्वीडन 9 प्रतिशत व्यय के साथ चार्ट में सबसे शीर्ष पर है, इसके बाद डेनमार्क, नीदरलैंड और नॉर्वे जैसे देशों हैं।

हेल्थकेयर रिकॉर्ड

इसी प्रकार, सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय में राज्य सरकार के योगदान के मुकाबले केंद्र की हिस्सेदारी 2009 -10 से लगातार घट रही है। 2009 -10 में यह 36 प्रतिशत रहा, जबकि  2016-17 में यह 29 प्रतिशत तक गिर गया। हालांकि, राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण योजना की घोषणा के कारण 2017-18 में यह 37 प्रतिशत हो गया। यह याद दिलाया जाना चाहिए कि स्वास्थ्य पर निजी व्यय अभी भी सरकारी व्यय के तीन गुना बन हुआ है। धन में कमी के कारण एक क्रुद्ध स्वास्थ्य सेवा प्रणाली बनी हुई है।

प्रोफाइल से पता चला है कि देश के मरीजों की जरूरतों को पूरा करने के लिए सरकारी अस्पतालों में आधारभूत संरचना की कमी है। सरकारी अस्पतालों में बिस्तरों की कुल संख्या 7,10,761 कम है, जबकि देश की आबादी 1.2 अरब है; प्रति सरकारी अस्पताल बिस्तर पर राष्ट्रीय औसत 1,844 व्यक्ति का स्तर सबसे ऊँचा रहा स्तर है।

बिहार जिसमें 8,000 लोगों की औसत के साथ प्रति व्यक्ति सरकारी अस्पताल बिस्तर सबसे अधिक संख्या हैं। सिक्किम ने अपने प्रदर्शन में सुधार किया है जिसमें प्रति सरकारी बिस्तर पर 419 लोगों की औसत सेवा है शामिल है।

इस रपट ने ग्रामीण और शहरी भारत में अस्पतालों का एक असमान और दिलचस्प वितरण को भी दिखाया। जबकि ग्रामीण भारत में 19,810 सरकारी अस्पतालों के साथ 2,79,588 बिस्तर हैं, शहरी भारत में यह 3,772 अस्पतालों के साथ 4,31,173 बिस्तर हैं। यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि शहरी भारत में लगभग सभी बड़े अस्पताल मौजूद हैं।

जब लोगों को सरकारी डॉक्टरों की उपलब्धता की बात आती है तो इसमें भी देश का खराब प्रदर्शन है। आंकड़े स्पष्ट रूप से बताते हैं कि भारत में बड़ी आबादी की सेवा के लिए पर्याप्त चिकित्सकीय चिकित्सक नहीं हैं। इसमें कहा गया है कि भारतीय मेडिकल काउंसिल और राज्य चिकित्सा परिषदों ने 2017 तक 10,41,395 डॉक्टर पंजीकृत किए हैं। सरकारी चिकित्सक की राष्ट्रीय औसत 1911082 पर रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा सुझाए गए आदर्श अनुपात के मुताबिक 1:1000 व्यक्ति हैं। इसका मतलब है कि भारतीय सरकार ने अन्य देशों की तुलना में डॉक्टरों पर 11 गुना अधिक बोझ लादा है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफाइल के आंकड़े स्पष्ट रूप से सुझाव देते हैं कि भारत एक स्वस्थ और फिट देश के अपने सपने को प्राप्त करने से बहुत दूर है।

 

National Health Profile
Central Bureau of Health Intelligence
Expenditure on Health

Related Stories

बिहार : निजी अस्पताल ने बिल न चुकाने पर शव देने से किया मना, भाकपा माले का प्रदर्शन

काम के बोझ तले दबे डॉक्टर, जर्जर अस्पताल: बीमार होती सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था


बाकी खबरें

  • Ramjas
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली: रामजस कॉलेज में हुई हिंसा, SFI ने ABVP पर लगाया मारपीट का आरोप, पुलिसिया कार्रवाई पर भी उठ रहे सवाल
    01 Jun 2022
    वामपंथी छात्र संगठन स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ़ इण्डिया(SFI) ने दक्षिणपंथी छात्र संगठन पर हमले का आरोप लगाया है। इस मामले में पुलिस ने भी क़ानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है। परन्तु छात्र संगठनों का आरोप है कि…
  • monsoon
    मोहम्मद इमरान खान
    बिहारः नदी के कटाव के डर से मानसून से पहले ही घर तोड़कर भागने लगे गांव के लोग
    01 Jun 2022
    पटना: मानसून अभी आया नहीं है लेकिन इस दौरान होने वाले नदी के कटाव की दहशत गांवों के लोगों में इस कदर है कि वे कड़ी मशक्कत से बनाए अपने घरों को तोड़ने से बाज नहीं आ रहे हैं। गरीबी स
  • Gyanvapi Masjid
    भाषा
    ज्ञानवापी मामले में अधिवक्ताओं हरिशंकर जैन एवं विष्णु जैन को पैरवी करने से हटाया गया
    01 Jun 2022
    उल्लेखनीय है कि अधिवक्ता हरिशंकर जैन और उनके पुत्र विष्णु जैन ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले की पैरवी कर रहे थे। इसके साथ ही पिता और पुत्र की जोड़ी हिंदुओं से जुड़े कई मुकदमों की पैरवी कर रही है।
  • sonia gandhi
    भाषा
    ईडी ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी को धन शोधन के मामले में तलब किया
    01 Jun 2022
    ईडी ने कांग्रेस अध्यक्ष को आठ जून को पेश होने को कहा है। यह मामला पार्टी समर्थित ‘यंग इंडियन’ में कथित वित्तीय अनियमितता की जांच के सिलसिले में हाल में दर्ज किया गया था।
  • neoliberalism
    प्रभात पटनायक
    नवउदारवाद और मुद्रास्फीति-विरोधी नीति
    01 Jun 2022
    आम तौर पर नवउदारवादी व्यवस्था को प्रदत्त मानकर चला जाता है और इसी आधार पर खड़े होकर तर्क-वितर्क किए जाते हैं कि बेरोजगारी और मुद्रास्फीति में से किस पर अंकुश लगाने पर ध्यान केंद्रित किया जाना बेहतर…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License