NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
साहित्य-संस्कृति
भारत
राजनीति
मोदी जी का डिजिटल कैमरा, ईमेल और इंटरनेट
वैसे तो राजा साहेब का हर एक साक्षात्कार आपको हँसने-मुस्कुराने, ठहाके लगाने को मजबूर करता है पर हाल फिलहाल के साक्षात्कारों में यह और बढ़ गया है।
डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
19 May 2019
सांकेतिक तस्वीर
Image Courtesy : 24viralpage.com

-- जम्बूद्वीप के भारत खण्ड में वर्तमान में एक राजा राज्य करता है। है तो वह प्रधानमंत्री पर हम उसे राजा ही कह सकते हैं। प्रधानमंत्री की बेवकूफियों की शर्मिंदगी जनता को उठानी पड़ती है क्योंकि उसने उसे चुना है पर राजा की बेवकूफियों की शर्मिंदगी उठाने से आम जनता बच सकती है कि यह तो ऊपर से आया है, हम क्या करें, हमारा भाग्य ही ऐसा है। इस शर्मिंदगी से बचने के लिए ही मैं अपने प्रधानमंत्री जी को राजा साहेब कह रहा हूँ।

तो हाल में ही राजा साहेब को साक्षात्कार देने का बहुत ही ज्यादा शौक पैदा हुआ है। पर वे चुनींदा पत्रकारों को ही साक्षात्कार देते हैं। मैंने भी एक बार साक्षात्कार के लिए एप्लाई किया था, प्रश्नों की फेहरिस्त भेजी थी, पर मौका नहीं मिल सका। पर वे लोग भाग्यशाली होते हैं जिन्हें राजा साहेब से साक्षात्कार का मौका मिलता है। राजा साहेब का साक्षात्कार मिलना लाइफ टाइम अचीवमेंट है। यह जीवन भर की जी हजूरी का परिणाम है।

tirchi najar after change new_15.png

वैसे तो राजा साहेब का हर एक साक्षात्कार आपको हँसने- मुस्कुराने,  ठहाके लगाने को मजबूर करता है पर हाल फिलहाल के साक्षात्कारों में यह और बढ़ गया है। राजा साहेब का कोई भी साक्षात्कार आपको कुछ भी सोचने पर विवश नहीं करता। अगर सोचने पर विवश करता है तो वह यह कि क्या ये वही हैं जिन्हें हमने चुना था। और क्या यह साक्षात्कार हम चुटकले सुनने के लिए देख रहे हैं। पर राजा साहेब जानते हैं कि पिछले पांच साल में जिन्दगी और कितनी दूभर हो गई है। सो साहेब चाहते हैं  कि लोग हँसें-मुस्करायें और ठहाके लगायें, चाहे साक्षात्कार देखने/सुनने के बहाने ही सही। इससे देश का खुशहाली सूचकांक (हैप्पीनेस इंडैक्स) भी बढ़ सकने की संभावना है जो लगातार गिरता ही जा रहा है।

अभी अपने पिछले ही साक्षात्कार में राजा साहेब ने बताया बालाकोट के सर्जिकल स्ट्राइक से पहले वे सेना के अफसरों के साथ मीटिंग कर रहे थे। सैन्य अफसरों ने कहा कि सर मौसम खराब है, बादल छाए हुए हैं और बारिश हो रही है। क्यों न हम यह अटैक एक दो दिन के लिए टाल दें। इस पर राजा साहेब ने कहा कि विज्ञान मैं भी जानता हूँ। बादल छाए हुए हैं और बादलों के कारण हमारे विमान छुप जायेंगे और पाकिस्तानी रेडार हमारे विमानों को देख नहीं पायेंगे। इस लिए हमें आज ही आक्रमण करना है। हा हा हा। यह कौन हंसा, हमारे राजा साहेब, वे सैन्य अधिकारी जो मिटिंग में थे, साक्षात्कार देखने/सुनने वाले दर्शक या फिर सभी।

तो उसी साक्षात्कार में साहेब ने बताया कि सन् 1987-88 में उन्होंने आडवानी जी की एक सभा की कलर फोटो डिजीटल कैमरे से ली थी। अब सारे के सारे लोग इस डिजिटल कैमरे की सच्चाई को ढूंढने में लग गये। लोगों ने खोज कर पता किया कि डिजिटल कैमरा उस काल में सिर्फ कुछ वैज्ञानिकों आदि के पास ही था। आम आदमी को डिजिटल कैमरे की बिक्री तो 1990 के बाद शुरू हुई। पर हमारे राजा साहेब किसी वैज्ञानिक से कम हैं क्या! उनका विज्ञान का ज्ञान अदभुत है। यह हम सब लोग पहले से ही जानते हैं। 

उन्होंने उस सभा की सिर्फ डिजिटल कैमरे से फोटो ही नहीं ली थी, बल्कि गुजरात के उस छोटे से कस्बे से वह फोटो अपनी इमेल के साथ अटैच कर दिल्ली भेज दी थी। अगले ही दिन वह रंगीन फोटो दिल्ली के अखबार में छप भी गई। आडवानी जी को बहुत ही आश्चर्य हुआ। यहां पर भी वही पेच, भारत में इमेल उस समय सिर्फ कुछ रिसर्च संस्थाओं को ही उपलब्ध था। और यहां पर भी वही उत्तर, हमारे राजा साहेब बहुत ही  बडे़ रिसर्च स्कॉलर हैं। रिसर्च स्कॉलर तो छोड़ो, वे तो अपने आप में ही रिसर्च इंस्टीट्यूट हैं। तो इसलिए राजा साहेब के पास ईमेल भी था और इंटरनेट भी। यह बात अलग है कि उस समय भारत में ही इंटरनेट नहीं था, 1995 में आया था।

पर यहां एक मुश्किल और है। राजा साहेब तो पिछले पांच साल से राजा बने हैं। 1987-88 में तो वे एक सात-आठ साल पुरानी छोटी सी पार्टी के, जिसके उस समय मात्र दो सांसद थे, सदस्य हुआ करते थे। और एक छोटे से राजनैतिक दल के आम कार्यकारिणी सदस्य के पास डिजिटल कैमरा, ईमेल और एक छोटे से कस्बे में इंटरनेट कनेक्शन होने के मायने ही कुछ और हैं। बात साफ है, रामायण और महाभारत के काल में तो हम विज्ञान में, विमानन के क्षेत्र में, जैनेटिकस् में, प्लास्टिक सर्जरी में, इंटरनेट कनेक्शन में पश्चिम से हजारों साल आगे थे। पर अब भी पीछे नहीं हैं। जिस समय पश्चिम में वैज्ञानिक भी डिजिटल कैमरे, ईमेल और इंटरनेट के लिए तरस रहे होते हैं, हमारे देश में आम औ खास आदमी उसका इस्तेमाल कर रहा होता है। हम विज्ञान में आज भी यूरोप और अमेरिका से आगे हैं।

लिखते-लिखते : अभी अभी राजा साहेब ने अपनी पांच साल का पहला संवाददाता सम्मेलन संबोधित किया। पर उन्होंने किसी भी संवाददाता के प्रश्न का उत्तर नहीं दिया। सारे प्रश्नों के उत्तर अमित शाह ने दिये। दोनों को पता है कि अगर राजा साहेब बोले तो उनकी जानकारी की पोल खुल सकती है। 

(लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

tirchi nazar
Satire
Political satire
Narendra modi
Modi's digital camera
email and internet

Related Stories

तिरछी नज़र: सरकार-जी, बम केवल साइकिल में ही नहीं लगता

विज्ञापन की महिमा: अगर विज्ञापन न होते तो हमें विकास दिखाई ही न देता

तिरछी नज़र: बजट इस साल का; बात पच्चीस साल की

…सब कुछ ठीक-ठाक है

तिरछी नज़र: ‘ज़िंदा लौट आए’ मतलब लौट के...

बना रहे रस: वे बनारस से उसकी आत्मा छीनना चाहते हैं

तिरछी नज़र: ओमीक्रॉन आला रे...

तिरछी नज़र: ...चुनाव आला रे

चुनावी चक्रम: लाइट-कैमरा-एक्शन और पूजा शुरू

कटाक्ष: इंडिया वालो शर्म करो, मोदी जी का सम्मान करो!


बाकी खबरें

  • समीना खान
    ज़ैन अब्बास की मौत के साथ थम गया सवालों का एक सिलसिला भी
    16 May 2022
    14 मई 2022 डाक्टर ऑफ़ क्लीनिकल न्यूट्रीशन की पढ़ाई कर रहे डॉक्टर ज़ैन अब्बास ने ख़ुदकुशी कर ली। अपनी मौत से पहले ज़ैन कमरे की दीवार पर बस इतना लिख जाते हैं- ''आज की रात राक़िम की आख़िरी रात है। " (राक़िम-…
  • लाल बहादुर सिंह
    शिक्षा को बचाने की लड़ाई हमारी युवापीढ़ी और लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई का ज़रूरी मोर्चा
    16 May 2022
    इस दिशा में 27 मई को सभी वाम-लोकतांत्रिक छात्र-युवा-शिक्षक संगठनों के संयुक्त मंच AIFRTE की ओर से दिल्ली में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आयोजित कन्वेंशन स्वागत योग्य पहल है।
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: किसानों की दुर्दशा बताने को क्या अब भी फ़िल्म की ज़रूरत है!
    16 May 2022
    फ़िल्म सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी का कहना है कि ऐसा माहौल बनाना चाहिए कि किसान का बेटा भी एक फिल्म बना सके।
  • वर्षा सिंह
    उत्तराखंड: क्षमता से अधिक पर्यटक, हिमालयी पारिस्थितकीय के लिए ख़तरा!
    16 May 2022
    “किसी स्थान की वहनीय क्षमता (carrying capacity) को समझना अनिवार्य है। चाहे चार धाम हो या मसूरी-नैनीताल जैसे पर्यटन स्थल। हमें इन जगहों की वहनीय क्षमता के लिहाज से ही पर्यटन करना चाहिए”।
  • बादल सरोज
    कॉर्पोरेटी मुनाफ़े के यज्ञ कुंड में आहुति देते 'मनु' के हाथों स्वाहा होते आदिवासी
    16 May 2022
    2 और 3 मई की दरमियानी रात मध्य प्रदेश के सिवनी ज़िले के गाँव सिमरिया में जो हुआ वह भयानक था। बाहर से गाड़ियों में लदकर पहुंचे बजरंग दल और राम सेना के गुंडा गिरोह ने पहले घर में सोते हुए आदिवासी धनसा…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License