NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अर्थव्यवस्था
मोदी के राज में खाली पड़े हैं 60 लाख से अधिक पद
खाली पड़े पदों की यह बड़ी तादाद - स्कूल शिक्षकों से लेकर पुलिसकर्मियों तक जाती है – यह मोदी सरकार द्वारा खर्च को कम करने का परिणाम है।
सुबोध वर्मा
28 Jan 2019
Translated by महेश कुमार
सांकेतिक तस्वीर

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली नरेंद्र मोदी सरकार और राज्य सरकारें आने वाले चुनावों को मद्देनज़र रखते हुए, नौकरी में आरक्षण के सवाल पर खेल रही हैं, जबकि संसद के सवालों के जवाब के माध्यम से पता चलता है कि विभिन्न कार्यक्रमों और निकायों में  60 लाख सरकारी पद खाली पड़े है। इनमें 10 लाख से अधिक प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक के पद हैं, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और IIT / IIM में लगभग दो लाख शिक्षक के पद, 2.2 लाख से अधिक डॉक्टर और स्वास्थ्य सेवा कर्मचारी के पद, 5.38 लाख से अधिक राज्य पुलिसकर्मी और देश भर में निचली अदालतों में 5,000 से अधिक न्यायाधीश के पद शामिल हैं।

GOVT VACANCIES_0.jpg

पिछले एक साल में राज्यसभा और लोकसभा में सांसदों द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में विभिन्न मंत्रियों द्वारा दिए गए अलग-अलग उत्तरों से यह आंकडा इकट्ठा किया गया है। (यह प्रश्न संख्या राज्यसभा में: 380, 310, 4614, 2335, 2672, 1870, 1344, 1397, 111, 1015, 387, 420, 575 और लोकसभा में 1693 है)। कुछ मामलों में, आंकड़े अपडेट किए गए हैं क्योंकि ताजा आंकड़े स्वास्थ्य कर्मियों (ग्रामीण स्वास्थ्य सर्वेक्षण, 2018) और पुलिस कर्मियों (ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट) विभाग से उपलब्ध हुए हैं।


मोदी सरकार समेकित आंकड़ों को पेश करने के बारे में खासी चुप है और राज्य की रिक्तियों की संख्या घोषित करने से इनकार करती है, क्योंकि उसका मानना है कि यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। जबकि 4.12 लाख रिक्त नौकरियों के पद केंद्र सरकार में खाते में खाली पड़े हैं, मार्च 2016 तक के आंकडे हैं, संबंधित मंत्री ने राज्यसभा (Q.No.420) के बारे में हाल ही में 13 दिसंबर, 2018 को बताया था। हालांकि, एम. कृष्णन, महासचिव कन्फेडरेशन ऑफ़ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज़ एंड वर्कर्स (CCGEW) ने न्यूज़क्लिक को बताया कि ये आंकडे अभी भी 2019 की शुरुआत तक वैध है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इन रिक्त पदों में दो सबसे बड़े नियोक्ता, पोस्ट एंड टेलीग्राफ (P & T) विभाग और रेलवे शामिल नहीं हैं । अलग-अलग उत्तरों में, केंद्र सरकार के इन दो विभागों में रिक्तियां क्रमशः 57,000 और 2.45 लाख से अधिक बताई गईं है।

शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे प्रमुख क्षेत्रों से सबसे चौंकाने वाले रिक्त पदों  के आंकड़े मौजूद हैं। बहुत ही कम फंडिंग और फंड कटौती के कारण, लाखों शिक्षक स्कूलों और कॉलेजों से गायब हैं, और यहां तक कि प्रतिष्ठित संस्थानों से भी, जैसे कि भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT)। यह कोई आश्चर्य नहीं है कि मोदी के शासन के दौरान पढ़ाई/सीखने के स्तर में गिरावट आई है, जैसा कि सबसे हाल ही में ‘असर’ (शिक्षा रिपोर्ट की वार्षिक स्थिति) से पता चला है। शिक्षा प्रणाली की यह कमी भारत के भविष्य को एक बड़े अंधेरे में डाल रही है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कार्यक्रम में समान रूप से लापरवाही भरा दृष्टिकोण दिखाई दे रहा है जो भारतीय लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने वाला मुख्य कार्यक्रम है। रूरल हेल्थ सर्वे बताता है कि 2.23 लाख प्रमुख स्वास्थ्य कर्मियों के पद केवल ग्रामीण क्षेत्रों में ही खाली पड़े हैं। इसमें कुछ 18,000 विशेषज्ञ के पद, 11,000 सामान्य चिकित्सक के पद, 13,000 नर्स और 18,000 तकनीशियन के पद, इसके अलावा अन्य पैरामेडिकल स्टाफ के खाली पड़े पद शामिल हैं। कुछ 2.2 लाख आंगनवाड़ी श्रमिकों और सहायकों के पद शामिल हैं, जो पोषण और चाइल्ड केयर सेवाएं प्रदान करते हैं, जिन्हे नियुक्त नहीं किया गया हैं।

अखिल भारतीय राज्य सरकार कर्मचारी महासंघ (AISGEF) के महासचिव श्रीकुमार के अनुसार, विभिन्न राज्य सरकारों में खाली पड़े रिक्त पदों को अगर मिलाएँ तो यह संख्या 30 लाख से अधिक की संख्या होगी।

"यह एक बहुत ही अनुदार अनुमान है - संख्या काफी अधिक हो सकती है," उन्होंने न्यूज़क्लिक को बताया।

जैसा कि पहले बताया गया था, कई राज्य सरकारें खासकर बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकारों ने घोषणा की थी कि वे सातवें वेतन आयोग द्वारा अनुशंसित वेतन स्तरों को पूरा करने के लिए कर्मचारी शक्ति को एक तिहाई से अधिक कम करने की योजना बना रहे थे।

तालिका में ऊपर उल्लेखित रिक्तियों के अलावा, सार्वजनिक क्षेत्र के अन्य उद्यमों, विभागों के स्वायत्त निकायों और सहायता प्राप्त निकायों की एक बड़ी संख्या है, जिन्होंने फंड कटौती का सामना किया है और इसलिए बड़ी तादाद में कर्मचारियों को बाहर कर दिया गया है।

Employment
unemployment
vacant seats
VACANCIES
Modi Govt
Narendra modi

Related Stories

डरावना आर्थिक संकट: न तो ख़रीदने की ताक़त, न कोई नौकरी, और उस पर बढ़ती कीमतें

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ः 60 दिनों से हड़ताल कर रहे 15 हज़ार मनरेगा कर्मी इस्तीफ़ा देने को तैयार
    03 Jun 2022
    मनरेगा महासंघ के बैनर तले क़रीब 15 हज़ार मनरेगा कर्मी पिछले 60 दिनों से हड़ताल कर रहे हैं फिर भी सरकार उनकी मांग को सुन नहीं रही है।
  • ऋचा चिंतन
    वृद्धावस्था पेंशन: राशि में ठहराव की स्थिति एवं लैंगिक आधार पर भेद
    03 Jun 2022
    2007 से केंद्र सरकार की ओर से बुजुर्गों को प्रतिदिन के हिसाब से मात्र 7 रूपये से लेकर 16 रूपये दिए जा रहे हैं।
  • भाषा
    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत उपचुनाव में दर्ज की रिकार्ड जीत
    03 Jun 2022
    चंपावत जिला निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री को 13 चक्रों में हुई मतगणना में कुल 57,268 मत मिले और उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाल़ कांग्रेस समेत सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो…
  • अखिलेश अखिल
    मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 
    03 Jun 2022
    बिहार सरकार की ओर से जाति आधारित जनगणना के एलान के बाद अब भाजपा भले बैकफुट पर दिख रही हो, लेकिन नीतीश का ये एलान उसकी कमंडल राजनीति पर लगाम का डर भी दर्शा रही है।
  • लाल बहादुर सिंह
    गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया
    03 Jun 2022
    मोदी सरकार पिछले 8 साल से भारतीय राज और समाज में जिन बड़े और ख़तरनाक बदलावों के रास्ते पर चल रही है, उसके आईने में ही NEP-2020 की बड़ी बड़ी घोषणाओं के पीछे छुपे सच को decode किया जाना चाहिए।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License