NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
'मोदी मॉडल' सांप्रदायिकता समर्थित धर्मांधता और पूँजीपतियों का रक्षक है: बुद्धदेव भट्टाचार्जी
पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि पीएम मोदी और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने लोगों के हितों का त्याग कर दिया है और दोनों ही सांप्रदायिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
संदीप चक्रवर्ती
07 May 2019
Translated by महेश कुमार
budhdheb bhattacharji

अस्वस्थ होने की वजह से पिछले पांच वर्षों से सार्वजनिक जीवन से दूर रहने वाले, पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दोनों को ही "शांतिपूर्ण और धर्मनिरपेक्ष" पश्चिम बंगाल में "सांप्रदायिक" भावनाओं को भड़काने के लिए जिम्मेदार ठहराया है जिसे इस चुनावों में व्यापक हिंसा में बदलते हुए देखा जा सकता है।

“यह तृणमूल कांग्रेस ही (टीएमसी) है जिसने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को पश्चिम बंगाल में आमंत्रित किया था, और उनके साथ पहले गठबंधन किया और राज्य के सांप्रदायिक हालात खराब करने में मदद की। हमारा काम इस राजनीति को उखाड़ फेंकना है और राज्य में हिंदू-मुस्लिम एकता को कायम करना है। '' यह बातें उन्होंने अपनी पार्टी, भारत कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के मुखपत्र के साथ हुए एक साक्षात्कार में कही।

मोदी द्वारा अपने पूंजीपति (क्रोनी कैपिटलिस्ट) मित्रों के पक्ष में काम करने की आलोचना करते हुए भट्टाचार्जी ने कहा कि:“ इस अवसरवादी पूंजीपतियों के चौकीदार को हर कीमत पर बाहर किया जाना चाहिए।”

अनुभवी वामपंथी नेता, जो माकपा की पोलित ब्यूरो के सदस्य रहे हैं, एक गंभीर सांस की बीमारी से जूझ रहे हैं, और पिछले कुछ समय से सक्रिय सार्वजनिक जीवन से दूर हैं, उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है ' मोदी मॉडल' को कुचला जाए और वामपंथी आदर्शों जैसे धर्मनिरपेक्षता, और स्वतंत्र आर्थिक रास्ते के वास्तविक विकल्प को चुना जाए।"

उन्होंने कहा कि इस चुनाव में, वामपंथियों को एक जन-समर्थक विकल्प को पेश करना चाहिए, जैसा कि उन्होंने 2004 में किया था। उस समय, सांप्रदायिक ताकतों पर भी लगाम लगाई गई थी और एक धर्मनिरपेक्ष विकल्प का गठन किया गया था और संसद में वामपंथी ताकत बढ़ गई थी। उन्होंने कहा कि यह वास्तविकता, वर्तमान चुनाव में भी मौजूद है।

भट्टाचार्जी ने कहा कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री दोनों "सोचे समझे कदम उठा रहे हैं ताकि सांप्रदायिक भावनाएं आहत हों," आगे कहा कि ऐसा कर वे यानी  "भाजपा और टीएमसी राज्य को सांप्रदायिक रूप से ध्रुवीकरण करने के लिए सभी हदें पार कर रहे हैं।"

उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में, सभी जगह नकारात्मक माहौल बना हुआ है। “हर जगह एक तरह की महामारी और एक उजाड़ से हालत बने हुए है, खासकर राज्य के युवाओं के बीच। एक तरफ, उद्योग, कृषि पतन की ओर है, एक दूसरी तरफ, लालच और भड़काने वाले नारे हैं। पश्चिम बंगाल में असामाजिक लोगों का बोलबाला है, ”उन्होंने कहा कि वामपंथी ताकतों का काम युवाओं को सही रास्ते पर वापस लाना है।

उन्होंने कहा कि इसके लिए पंचायतों की सफलता को फिर से स्थापित किया जाना चाहिए, कृषि उत्पादन को बढ़ाने की जरूरत है और कृषि को आधुनिक बनाने की भी जरुरत है। पूर्व सीएम ने कहा कि नयी नौकरियों को पैदा करने की जरूरत है और इसके लिए औद्योगीकरण, मुफ्त शिक्षा और स्वास्थ्य इसकी पूर्व शर्तें हैं।
राज्य में भाजपा के ‘उत्थान’ पर टिप्पणी करते हुए, भट्टाचार्जी ने कहा:“ हां, कुछ खतरा बढ़ा है, और कुछ स्थानों पर, खतरा पहले से ही मौजूद है। हमारा काम इस ‘खुद को नेस्तनाबूद’ करने वाले मोड से लोगों को वापस लाना है। टीएमसी की खूनी राजनीति से भाजपा की सांप्रदायिक आग की राजनीति में छलांग लगाने का कोई फायदा नहीं है।”

राज्य में चुनाव के संचालन पर असंतोष व्यक्त करते हुए, उन्होंने कहा कि अभी तक, जिस तरह के चुनाव हुए हैं, उससे कुछ सवाल उठे हैं।

“हालांकि इसमें आंशिक सुधार हुआ है, तथ्य यह है कि हालात को सत्ता पक्ष और पुलिस बल के एक वर्ग द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है। लेकिन जो बात चौंकाती है, वह यह है कि लोगों के प्रतिरोध की शारीरिक भाषा बदल रही है और वह एक उथल-पुथल मचा रही है। उन्होंने कहा कि यही के रास्ता है जिसके जरीए आतंक और अराजकता की ताकतों को हराया जा सकता है।

वामपंथियों की भूमिका पर, भट्टाचार्जी ने कहा कि लाखों लोगों की हुई जबरदस्त ब्रिगेड रैली और पिछले कुछ वर्षों में राज्य में वाम दलों ने जो संघर्ष किया है, वह इन चुनावों में दिखाई देगा। उन्होंने कहा  "हमने पिछले कुछ वर्षों में बड़े पैमाने पर हुए आंदोलनों के तरीकों का सावधानीपूर्वक विश्लेषण किया है, और तदनुसार हमने अपनी रणनीति को भी संशोधित किया है,"

मीडिया द्वारा पेश किए जा रहे बीजेपी और टीएमसी के बीच आपसी ('बाइनरी') लड़ाई पर टिप्पणी करने के लिए, भट्टाचार्जी ने कहा कि राज्य के लोगों ने वाम मोर्चा सरकार को देखा है, और टीएमसी सरकार को भी देखा लिया है और लोग दोनों के काम के बीच अंतर करने में काफी सक्षम हैं।

“मैं लोगों से एक तुलनात्मक विश्लेषण करने की अपील करना चाहूंगा, खासकर युवा वर्ग से, जिन्हें  इन दोनों सरकारों के काम का गहन आत्मनिरीक्षण और मूल्यांकन करना चाहिए। मुझे यकीन है कि उनका मूल्यांकन सकारात्मक होगा, और टीएमसी से पैदा होने वाले खतरे को राज्य में हरा दिया जाएगा, ”उन्होंने कहा।

पश्चिम बंगाल के पूर्व सीएम ने कहा कि यह एक तथ्य है कि टीएमसी के सत्ता में आने के बाद पिछले कुछ वर्षों में लोगों के जीवन स्तर और राज्य के सामाजिक-सांस्कृतिक संकेतकों में तेजी से गिरावट आई है।उन्होंने कहा कि, 'ये ऐसे कुछ तथ्य हैं जिनके आधार पर भाजपा ने राज्य में घुसपैठ की है। इसलिए, राज्य में टीएमसी को व्यापक रूप से पराजित किया जाना चाहिए और भाजपा की बढ़त को रोका जाना चाहिए। देश भर में, इस तरह के अवसरवादी "चौकीदारों" को हर कीमत पर हराया जाना चाहिए।
 

general election 2019
West Bengal Elections
bengal former cm
BJP
TMC
budhadeb bhatachaarjee
mamta banerjee

Related Stories

राज्यपाल की जगह ममता होंगी राज्य संचालित विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति, पश्चिम बंगाल कैबिनेट ने पारित किया प्रस्ताव

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !


बाकी खबरें

  • itihas ke panne
    न्यूज़क्लिक टीम
    मलियाना नरसंहार के 35 साल, क्या मिल पाया पीड़ितों को इंसाफ?
    22 May 2022
    न्यूज़क्लिक की इस ख़ास पेशकश में वरिष्ठ पत्रकार नीलांजन मुखोपाध्याय ने पत्रकार और मेरठ दंगो को करीब से देख चुके कुर्बान अली से बात की | 35 साल पहले उत्तर प्रदेश में मेरठ के पास हुए बर्बर मलियाना-…
  • Modi
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: मोदी और शी जिनपिंग के “निज़ी” रिश्तों से लेकर विदेशी कंपनियों के भारत छोड़ने तक
    22 May 2022
    हर बार की तरह इस हफ़्ते भी, इस सप्ताह की ज़रूरी ख़बरों को लेकर आए हैं लेखक अनिल जैन..
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : 'कल शब मौसम की पहली बारिश थी...'
    22 May 2022
    बदलते मौसम को उर्दू शायरी में कई तरीक़ों से ढाला गया है, ये मौसम कभी दोस्त है तो कभी दुश्मन। बदलते मौसम के बीच पढ़िये परवीन शाकिर की एक नज़्म और इदरीस बाबर की एक ग़ज़ल।
  • diwakar
    अनिल अंशुमन
    बिहार : जन संघर्षों से जुड़े कलाकार राकेश दिवाकर की आकस्मिक मौत से सांस्कृतिक धारा को बड़ा झटका
    22 May 2022
    बिहार के चर्चित क्रन्तिकारी किसान आन्दोलन की धरती कही जानेवाली भोजपुर की धरती से जुड़े आरा के युवा जन संस्कृतिकर्मी व आला दर्जे के प्रयोगधर्मी चित्रकार राकेश कुमार दिवाकर को एक जीवंत मिसाल माना जा…
  • उपेंद्र स्वामी
    ऑस्ट्रेलिया: नौ साल बाद लिबरल पार्टी सत्ता से बेदख़ल, लेबर नेता अल्बानीज होंगे नए प्रधानमंत्री
    22 May 2022
    ऑस्ट्रेलिया में नतीजों के गहरे निहितार्थ हैं। यह भी कि क्या अब पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन बन गए हैं चुनावी मुद्दे!
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License