NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
मोदी सरकार ने 2.72 लाख करोड़ रुपये के क़र्ज़ माफ़ किये
इस बीच 'बुरा' ऋण 8.85 लाख करोड़ रुपये बढ़ गया है।
सुबोध वर्मा
05 Apr 2018
Translated by महेश कुमार
Banks Loan

मोदी सरकार की आर्थिक नीति बढ़ती बेरोज़गारी, कृषि और औद्योगिक उत्पादन को घातक स्तर पर पहुँचा दिया है, क्रेडिट विकास स्थिरता और जीएसटी संग्रह के नीचे जाने से हालत गंभीर हो गए हैं। लेकिन इस अपंगता की एक विशेषता शायद पूरी नीतिगत दृष्टिकोण को परिभाषित करती है वह है बढ़ती गैर-उत्पादक परिसंपत्तियां (एनपीए) - बैंकों में खराब ऋण जिसे “बैड लोन” (बुरा ऋण) भी कहा जाता है।

क्यों 'बुरा' ऋण और क़र्ज़ माफ़ी महत्वपूर्ण हैं? जबकि सरकार अफसोस करती है कि उसके पास महत्वपूर्ण कल्याणकारी योजना के लिए या आवश्यक सेवाओं पर खर्च करने के लिए कोई संसाधन नहीं हैं। वित्त मंत्रालय ने इसलिए शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च करने के लिए लगातार मनरेगा (एमजीएनआरईजीएस) (ग्रामीण क्षेत्रों में नौकरी की गारंटी) या सामाजिक सुरक्षा जैसी योजनाओं पर कटौती की है इसलिए सरकार ने उन सेवाओं को जिसे उसे चलाना था मूल्यवान संसाधनों को बचाने के नाम पर निजी मुनाफाखोरों को सौंप दिया है। और फिर, जब इन कॉर्पोरेट उधारकर्ताओं की बात आती है, तो सरकार उनके क़र्ज़ माफ़ करने में कोई गुंजाइश नहीं रखती है या आम तौर पर वसूली में ढील बरतती है।

वास्तव में, सरकार 3 अप्रैल को (प्रश्न संख्या .050) पर संसद में यह माना कि 2015/16 और 2017-18 के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 182 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की और निजी बैंकों में 234 प्रतिशत बढ़ोतरी दर्ज की गई थी।

"ऋण को माफ़ किया जाता है, जैसा की वे कहते हैं, कर लाभ और पूंजी अनुकूलन के लिए। राज्य वित्त मंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने 27 मार्च को राज्य सभा (प्रश्न सं .300) क जवाब में आंकड़े देते हुए बताया कि ऐसे ऋणों माफ़ के उधारकर्ताओं को पुनर्भुगतान के लिए उत्तरदायी रहेंगे।

मंत्री कपटी है जब वह कहता है कि उधारकर्ता अपने ऋण को माफ़ किये जाने के बाद पुनर्भुगतान के लिए उत्तरदायी बने रहेंगे। चूंकि उनके बयान में संलग्नक की सूची भी शामिल है,जिसमें उन्होंने माफ़ क़र्ज़ मून से 29, 343 करोड़ रुपये वसूल किए हैं। यह करीब 11 प्रतिशत  राशि बैठती है। वसूली आम तौर पर किसी भी आपसी समझौते से पहले या बाद में कार्यवाही डेट वसूली ट्रिब्यूनल या कई अन्य योजनाओं / कानूनों के तहत शुरू की जाती है।

राज्य सभा के दूसरे उत्तर में (प्रश्न संख्या .073), 3 अप्रैल को, मंत्री ने यह भी कहा था कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा दिसंबर, 2017 के अंत में 9063 'गायब बकाएदारों' को घोषित कर दिया गया था। ये खाताधारक ऋणी हैं जिन्होंने ने किसी भी कारणों के चलते भुगतान करने से इनकार कर दिया है।  इसमें शामिल धन की राशि, अर्थात्, इन डिफॉल्टरों को दिए गए ऋणों में 1,10,050 करोड़ शामिल है। ध्यान दें कि किसी व्यक्ति या संस्था को 'विवादास्पद चूककर्ता' घोषित करना किसी भी तरह से यह मतलब नहीं है कि ऋण की वसूली का कुछ मौका बाकी है। वास्तव में, सभी संभावनाओं में, बैंक बकाया राशि को अलविदा कह सकता है।

28 मार्च को राज्यसभा में दिए गए एक अन्य उत्तर में (प्रश्न संख्या .380), सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के मंत्री गिरीराज सिंह ने बताया कि इस क्षेत्र में 82,756 करोड़ रुपये के एनपीए हैं। यह कॉर्पोरेट क्षेत्र द्वारा एनपीए का दसवां हिस्सा है। इसके बारे में 90 प्रतिशत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का है, यह बड़े कॉर्पोरेट उधारकर्ता हैं – जिसमें नीरव मोदी, दीपक कोछार, विजय माल्या, आदि हैं जो क़र्ज़ के विशाल पर्वत पर बैठे हैं और इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है। और, हम जानते हैं कि इन ऊँचे सौदागरों के साथ क्या होता है-वे भारत से रफूचक्कर होकर कभी भी वापस नहीं आयेंगे और वे सरकारी खजाने से मिले धन जुगाली करते रहेंगे।

Bank
Bank Loan
Narendra modi
GST
NPAs

Related Stories

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

ध्यान देने वाली बात: 1 जून से आपकी जेब पर अतिरिक्त ख़र्च

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

भाजपा के लिए सिर्फ़ वोट बैंक है मुसलमान?... संसद भेजने से करती है परहेज़


बाकी खबरें

  • hafte ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोदी सरकार के 8 साल: सत्ता के अच्छे दिन, लोगोें के बुरे दिन!
    29 May 2022
    देश के सत्ताधारी अपने शासन के आठ सालो को 'गौरवशाली 8 साल' बताकर उत्सव कर रहे हैं. पर आम लोग हर मोर्चे पर बेहाल हैं. हर हलके में तबाही का आलम है. #HafteKiBaat के नये एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार…
  • Kejriwal
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: MCD के बाद क्या ख़त्म हो सकती है दिल्ली विधानसभा?
    29 May 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस बार भी सप्ताह की महत्वपूर्ण ख़बरों को लेकर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन…
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष:  …गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
    29 May 2022
    गोडसे जी के साथ न्याय नहीं हुआ। हम पूछते हैं, अब भी नहीं तो कब। गोडसे जी के अच्छे दिन कब आएंगे! गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
  • Raja Ram Mohan Roy
    न्यूज़क्लिक टीम
    क्या राजा राममोहन राय की सीख आज के ध्रुवीकरण की काट है ?
    29 May 2022
    इस साल राजा राममोहन रॉय की 250वी वर्षगांठ है। राजा राम मोहन राय ने ही देश में अंतर धर्म सौहार्द और शान्ति की नींव रखी थी जिसे आज बर्बाद किया जा रहा है। क्या अब वक्त आ गया है उनकी दी हुई सीख को अमल…
  • अरविंद दास
    ओटीटी से जगी थी आशा, लेकिन यह छोटे फिल्मकारों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा: गिरीश कसारावल्ली
    29 May 2022
    प्रख्यात निर्देशक का कहना है कि फिल्मी अवसंरचना, जिसमें प्राथमिक तौर पर थिएटर और वितरण तंत्र शामिल है, वह मुख्यधारा से हटकर बनने वाली समानांतर फिल्मों या गैर फिल्मों की जरूरतों के लिए मुफ़ीद नहीं है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License