NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
मोदी सरकार रोज़गार के आँकड़ों को बढ़ाचढ़ा कर पेश कर रही है !
सूक्ष्म-उद्यमों (पीएमईजीपी) की स्थापना के लिए बने प्रमुख कार्यक्रम के तहत अनुमानित रोजगार को अत्यधिक बढ़ा चढ़ा कर पेश किया गया है।
सुबोध वर्मा
26 Dec 2018
Translated by महेश कुमार
MSME

लोकसभा में सांसदों के एक समूह द्वारा रखे गए एक सवाल के जवाब में, श्रम और रोजगार मंत्री संतोष गंगवार ने 17 दिसंबर को कहा कि प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) ने 2014-15 के बाद से 17.6 लाख नौकरियां पैदा की हैं। उन्होंने 30 नवंबर, 2018 तक के वर्षवार आंकड़े दिए हैं।

ये आंकड़े काफी बढ़ा-चढ़ा कर पेश किए गए प्रतीत होते हैं और इनका कोई स्पष्ट आधार नज़र नहीं आता है। श्रम मंत्री संसद को इन संदिग्ध आंकड़ों के बारे में रिपोर्ट कर रहे हैं जो और भी उल्लेखनीय है। इसी तरह का दावा MyGov.in पोर्टल के ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया सेक्शन में किया गया है जो सरकार की उपलब्धियों को प्रचारित करता है। वहां यह दावा किया जा रहा है कि "पिछले तीन वर्षों में" 11.3 लाख नौकरियां पीएमईजीपी के तहत पैदा हुयी हैं। संभवत: यह अवधि 2015-16 से 2017-18 के बीच की है।

पीएमईजीपी वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, 2014-15 और 24 दिसंबर, 2018 के दौरान कुल 1,44,596 परियोजनाओं को पीएमईजीपी के तहत क्रेडिट (कर्ज़) की सब्सिडी दी गई थी। कार्यक्रम के तहत, सूक्ष्म उद्यमी छोटे उद्यमों को स्थापित करने के लिए परियोजनाओं के लिए आवेदन करते हैं, और जिला स्तरीय टास्क फोर्स कमेटी (डीएलएफटीसी) द्वारा इसे मंजूरी देने के बाद और बैंकों द्वारा, उन्हें 25 प्रतिशत राशि कर्ज़ की सब्सिडी के रूप में दी जाती है जबकि शेष राशि को कर्ज़ के रूप में वितरित किया जाता है।

इन उद्यमों में कितने व्यक्ति कार्यरत हैं, इसका कोई भी रिकॉर्ड किसी के भी पास उप्लब्ध नहीं है – न ही  डीएलटीएफसी, न ही बैंकों और न ही खादी और ग्रामोद्योग कॉर्पोरेशन (केवीआईसी) के पास, जो इस कार्यक्रम के लिए नोडल एजेंसी नियुक्त है। इसके अलावा, इस बात का भी कोई रिकॉर्ड नहीं है कि जिन व्यक्तियों को नियुक्त किया गया है, वे नए प्रवेशकर्ता हैं या बस एक नौकरी से दूसरे में स्थानांतरित हुए हैं। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि सरकार ने दावा किया है कि इस कार्यक्रम द्वारा नई नौकरियां पैदा की जा रही हैं।

तो, सरकार उत्पन्न रोजगार के मामले में इस संख्या तक कैसे पहुंचती है? ऐसा करने का एकमात्र तरीका यह हो सकता है– कि इन संख्याओं को गढ़ने के अलावा- अगर वे 2017 में किए गए एक नमूना सर्वेक्षण पर भरोसा कर रहे हैं तो इस नतीज़े पर पहुंचा जा सकता है।

यह अध्ययन गुड़गांव स्थित प्रबंधन विकास संस्थान (एमडीआई) नामक एक संस्थान द्वारा किया गया है। प्रेस सूचना ब्यूरो की आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, एमडीआई ने 2012-13 और 2015-16 के बीच पीएमईजीपी के तहत स्थापित उद्यमों के 5 प्रतिशत नमूने के आकार का एक सर्वेक्षण किया है। इसने लगभग 10,108 इकाइयों के आँकड़ों पर काम किया है। और यह अध्ययन 2017 में किया गया था।

एमडीआई ने पाया कि इन पीएमईजीपी उद्यमों में औसत रोजगार 7.62 व्यक्तियों का था और प्रति कर्मचारी निर्माण की लागत 96,209 रुपये थी।

क्या श्रम मंत्री ने प्रति यूनिट 7.62 का औसत रोजगार लिया है और क्या इसकी पूरी अवधि के लिए गणना की है? यह भी संदिग्ध लग रहा है!

इस दर पर अगर गणना की जाती है तो कुल "उत्पन्न" रोजगार लगभग 11.56 लाख होगा, न कि 17.6 लाख, जैसा कि लोकसभा में दावा किया गया है। मंत्री सांसदों और आम जनता को यह विश्वास दिलाने की कोशिश कर रहे है कि इन नए उद्यमों में औसतन रोजगार प्रत्येक इकाई में 12 व्यक्ति कार्यरत हैं! जो सर्वेक्षण के अनुमान से 70 प्रतिशत अधिक बैठता है।

PMEGP.jpg

जिस भी तरीके से आप पासा फेंके, उसका निष्कर्ष यही निकलता है कि मोदी सरकार रोजगार सृजन के आंकड़े को अनावश्यक विस्तार दे रही है। ऐसा इसलिए है क्योंकि सीएमआईई (सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, देश में लगभग 8.9 प्रतिशत बेरोजगारी बढ़ी है और यह उनकी सबसे बड़ी विफलता है।

MSME
PMEGP
Employment
unemployment
Job Growth
LABOR MINISTER
lok sabha
MDI SURVEY
SANTOSH GANGWAR

Related Stories

डरावना आर्थिक संकट: न तो ख़रीदने की ताक़त, न कोई नौकरी, और उस पर बढ़ती कीमतें

उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा

मोदी@8: भाजपा की 'कल्याण' और 'सेवा' की बात

भारत में संसदीय लोकतंत्र का लगातार पतन

UPSI भर्ती: 15-15 लाख में दरोगा बनने की स्कीम का ऐसे हो गया पर्दाफ़ाश

मोदी के आठ साल: सांप्रदायिक नफ़रत और हिंसा पर क्यों नहीं टूटती चुप्पी?

जन-संगठनों और नागरिक समाज का उभरता प्रतिरोध लोकतन्त्र के लिये शुभ है

ज्ञानव्यापी- क़ुतुब में उलझा भारत कब राह पर आएगा ?

वाम दलों का महंगाई और बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ कल से 31 मई तक देशव्यापी आंदोलन का आह्वान

महंगाई की मार मजदूरी कर पेट भरने वालों पर सबसे ज्यादा 


बाकी खबरें

  • blast
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन
    05 Jun 2022
    हापुड़ में एक ब्लायलर फैक्ट्री में ब्लास्ट के कारण करीब 13 मज़दूरों की मौत हो गई, जिसके बाद से लगातार किसान और मज़दूर संघ ग़ैर कानूनी फैक्ट्रियों को बंद कराने के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही…
  • Adhar
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: आधार पर अब खुली सरकार की नींद
    05 Jun 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस सप्ताह की जरूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष
    05 Jun 2022
    हमारे वर्तमान सरकार जी पिछले आठ वर्षों से हमारे सरकार जी हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार जी भविष्य में सिर्फ अपने पहनावे और खान-पान को लेकर ही जाने जाएंगे। वे तो अपने कथनों (quotes) के लिए भी याद किए…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' का तर्जुमा
    05 Jun 2022
    इतवार की कविता में आज पढ़िये ऑस्ट्रेलियाई कवयित्री एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' जिसका हिंदी तर्जुमा किया है योगेंद्र दत्त त्यागी ने।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित
    04 Jun 2022
    देशभक्तों ने कहां सोचा था कि कश्मीरी पंडित इतने स्वार्थी हो जाएंगे। मोदी जी के डाइरेक्ट राज में भी कश्मीर में असुरक्षा का शोर मचाएंगे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License