NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
गण ने किया तंत्र पर दावा : देश भर में किसान उतरे सड़कों पर, दिल्ली में निकली ट्रैक्टर परेड
गणतंत्र दिवस पर दिल्ली ही नहीं मध्य प्रदेश, बिहार, गुजरात सहित देश भर में किसानों ने ट्रैक्टर परेड निकाली। इस दौरान दिल्ली में कुछ स्थानों पर किसानों और पुलिस के बीच झड़प भी हुई। लाल क़िले भी किसान पहुंचे और अपना किसानी झंडा फहराया।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
26 Jan 2021
26 जनवरी

पंजाब में क़रीब 8 महीने से, और राजधानी दिल्ली के साथ देश भर में 2 महीने से चल रहे किसान आंदोलन के लिए 72वां गणतंत्र दिवस ऐतिहासिक साबित हुआ है। किसानों ने पूरी दिल्ली में ट्रैक्टर परेड निकाली, पुलिस बैरिकेड तोड़े, लाल क़िले पर चढ़ कर किसानी का झंडा फहराया और एक तरह से मोदी सरकार को चेतावनी दे डाली, कि किसान अपनी मांग मनवाए बिना वापस जाने वाले नहीं हैं। राजधानी दिल्ली के कुछ इलाक़ों में सरकार द्वारा इंटरनेट बंद कर दिया, जिसमें प्रदर्शन स्थल बने सारे बॉर्डर भी शामिल थे।

हालांकि जब कुछ किसान पुलिस द्वारा तय रूट पर न जा कर दिल्ली के अंदर घुस आए, तब पुलिस ने उनपर बेरहमी से आँसू गैस के गोले दागे, और लाठीचार्ज किया। इसी सिलसिले में आईटीओ पर एक किसान की मौत भी हो गई। पुलिस का कहना है कि उसकी मौत तेज़ चल रही गाड़ी से गिरने से हुई है।

टिकरी बॉर्डर पर पुलिस बैरिकेड हटने का इंतज़ार करते किसान

न्यूज़क्लिक ने आपको दिन भर लाइव कवरेज दी है। आइये एक बार नज़र डालते हैं कि 26 जनवरी को कैसे गणतंत्र, जनतंत्र में तब्दील हो गया।

टिकरी बॉर्डर से चले किसानों का पीरागढ़ी के फ़्लाइओवर पर नागरिकों ने फूल बरसा कर स्वागत किया।

लाल क़िला

पुलिस के रूट से हट कर दिल्ली की तरफ़ बढ़े किसान लाल क़िले तक पहुँच गए। लाल क़िले के अंदर घुसे हज़ारों किसानों को देखना एक ऐतिहासिक मंज़र था। इसी बीच एक युवा किसान लाल क़िले की प्राचीर पर चढ़ गया और, निशान साहिब(गुरुद्वारे पर लागने वाला झंडा) के साथ किसानी का झंडा उस जगह पर फहराया जहाँ से देश के प्रधानमंत्री भाषण देते हैं।

एक निहंग सिख ने लाल क़िले पर न्यूज़क्लिक से कहा कि यह वही हो रहा है जो किसान चाहते थे। उन्होंने कहा, "आज हमें सारी दुनिया देख रही है। किसानों ने आज मोदी सरकार के ख़िलाफ़ एक जीत हासिल कर ली है।"

सिंघू : यह प्रदर्शन आठ महीने से शांतिपूर्वक चला है, हिंसा से आंदोलन ख़त्म नहीं होगा

सिंघू बॉर्डर पर मौजूद किसान संगठनों के नेताओं ने कहा कि उन्होंने 8 महीने से यह आंदोलन शांतिपूर्वक चलाया है, और आज की हिंसा की वजह से इन आंदोलन पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

दिल्ली के चारों तरफ़ से दिल्ली में आए किसान

सिंघु बॉर्डर

सिंघु बॉर्डर से निकलने वाला जत्था संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर से बवाना-कंझावला खरखौदा चंडी होते हुए वापस सिंघु लौटा। सिंघु बॉर्डर किसान आंदोलन के सबसे मज़बूत केंद के रूप में उभरा है। यहां बड़ी संख्या में पंजाब और हरियाणा के किसान हैं।

टिकरी बॉर्डर

किसानों का एक बड़ा जत्था टिकरी बॉर्डर से दिल्ली में आ रहा था और नांगलोई-नजफगढ़-बादली-डासना होते हुए वापस टिकरी पंहुचने वाला था। ये भी काफी बड़ा जत्था है यहां पर हरियाणा और पंजाब के किसान हैं। टिकरी बॉर्डर के किसानों में से ही एक जत्था पीरागढ़ी से बाहरी मुद्रिका मार्ग लेकर दिल्ली में घुसा था।
 
ग़ाज़ीपुर बॉर्डर

ये जत्था दिल्ली की सीमा पर 28 नवंबर को पहुंचा था हालांकि शुरुआत में ये जत्था उतना विशाल नहीं था लेकिन अब यहां हज़ारों की संख्या में किसान हैं। यहां उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और अब तो उड़ीसा और मध्य प्रदेश से भी बड़ी संख्या में किसान यहां पहुंचे हैं।

शाहजहांपुर बॉर्डर

इस मोर्चे में राजस्थान के किसान बड़ी संख्या में हैं। हालंकि उनके साथ लगभग 24 अन्य राज्य महाराष्ट्र, केरल, गुजरात और हरियाणा के किसानों की संख्या भी काफी अच्छी है।

इंटरनेट-मेट्रो स्टेशन बंद

दिल्ली में जगह-जगह पर हुई हिंसा के बाद गृह मंत्रालय ने एक नोटिस जारी कर बताया कि राजधानी के सभी बॉर्डर, जो कि प्रदर्शन स्थल थे वहाँ इंटरनेट सुविधा बंद कर दी गई है। हिंसा के बाद ग्रीन लाइन के 11 मेट्रो स्टेशन साहित क़रीब 20 स्टेशन बंद कर दिये गए थे।

ट्रैक्टर रैली : महिलाओं के लिए ऐतिहासिक दिन

जनवादी महिला समिति, मध्य प्रदेश की राज्य अध्यक्ष नीना शर्मा ने न्यूज़क्लिक से कहा, "आज गणतंत्र दीवाल के मौक़े एक बहुत बड़ी ट्रैक्टर रैली हो रही है। महिलाएं भी इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में मौजूद हैं। यह महिलाओं के लिए भी ऐतिहासिक दिन है। आज़ादी की जंग में, महिलाओं ने एक अहम किरदार अदा किया था, आज किसान आंदोलन में भी उसी तरह महिलाएं एक अहम किरदार अदा कर कर रही हैं। कुछ महिलाएं अभी भी बहुत सी चुनौतियों का सामना कर रही है, उन्हें आगे आ कर इस किसान आंदोलन में शामिल होने की ज़रूरत है क्योंकि यह तीनों क़ानून उनकी ज़िंदगियों पर भी नकारात्मक प्रभाव डालेंगे।"

दिल्ली के अलावा सारे देश में भी तीनों कृषि क़ानूनों को वापस लेने की मांग और ट्रैक्टर परेड के समर्थन में किसानों ने ट्रैक्टर परेड और धरने किए।

यूपी के बागपत में किसानों पर लाठीचार्ज

उत्तर प्रदेश पुलिस ने बागपत में किसान यूनियन के सदस्यों पर लाठीचार्ज किया, यह किसान गणतंत्र दिवस की ट्रैक्टर परेड में शामिल होने के लिए दिल्ली जा रहे थे। हालांकि किसानों ने दिल्ली-सहारनपुर बार्डर पर पुलिस के बैरिकेड तोड़ दिये और वह दिल्ली के लिए आगे बढ़ गए।

किसान नेताओं का इल्ज़ाम है कि पुलिस ने कुछ ट्रैक्टर को रोकने की कोशिश की है लेकिन नाकामयाब रही क्योंकि किसानों की संख्या बहुत ज़्यादा थी। बड़ौत क्षेत्र में कई बैरिकेड तोड़ कर किसान हजारों ट्रैक्टर लेकर आगे बढ़ रहे थे।

ऐसी ही खबरें गौतम बुद्ध नगर से आईं, जहाँ किसानों के एक और जत्थे ने बैरिकेड तोड़ा और आगे बढ़े। इन दो बार्डर से किसान दिल्ली में प्रवेश कर रहे थे।

गुजरात : ट्रैक्टर परेड के समर्थन में किसानों का प्रदर्शन, भावनगर में 7 गिरफ़्तार

दमयंती धर/भावनगर : भावनगर के 7 किसानों को गिरफ़्तार किया गया जब क़रीब 200 किसान विभिन्न तालुकाओं से आकर भावनगर में जमा हुए और कृषि क़ानून वापस लेने की मांग करते हुए दिल्ली के प्रदर्शनकारी किसानों का समर्थन किया।

मध्य प्रदेश के बड़वानी में नर्मदा बचाओ आंदोलन के बैनर तले किसानों की रैली

बड़वानी : मध्य प्रदेश के बड़वानी ज़िले के किसानों ने नर्मदा बचाओ आंदोलन के बैनर तले बैलगाड़ियों पर 16 किलोमीटर लंबी रैली निकाली, जो ज़िले की कृषि उपज मंडी से अंजड़ तक गई।

तीनों कृषि क़ानूनों को ख़ारिज करने और दिल्ली की ट्रैक्टर परेड को समर्थन देने की मांग करते हुए सैंकड़ों किसानों ने रैली में भाग लिया है।

बड़वानी ज़िले नर्मदा नदी के किनारे पर बसा हुआ है, इस कृषि संपन्न ज़िले में मकई, कपास और धान मुख्य फ़सलें हैं।

मध्य प्रदेश के रीवा और सतना ज़िले में किसानों ने विशाल ट्रैक्टर रैली का आयोजन किया। रीवा में किसान क़रीब 11 बजे ट्रैक्टर ले कर सड़कों पर आए और कृषि मंडी से एसएफ़ चौक तक तिरंगा फहराते हुए रैली की। किसानों के पास प्रशासन की मंज़ूरी नहीं थी।

सतना के रामपुर बघेलां में किसानों ने राष्ट्रीय किसान महासंघ के बैनर तले रैली निकाली।

बिहार में ट्रैक्टर परेड और धरने किए गए

पटना : 26 जनवरी को पूरे बिहार में दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में और तीनों कृषि क़ानूनों को वापस लेने की मांग के साथ किसानों ने ट्रैक्टर परेड निकाली और धरने किए। राजधानी पटना में, फुलवारी शरीफ़ में कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया(माले) के विधायक गोपाल रविदास के नेतृत्व में पटना के एम्स से किटकोहड़ा ब्रिज तक रैली निकाली गई। बड़ी संख्या में दुपहिये और चार पहिये वाहनों, ऑटो वालों ने भी किसानों का समर्थन किया।
 
तेलुगू राज्यों में गूँजा कृषि क़ानून के विरोध का स्वर

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के विभिन्न राज्यों में हज़ारों की संख्या में किसान जमा हुए और कृषि क़ानून वापस लेने की मांग करते हुए दिल्ली के प्रदर्शनकारी किसानों का समर्थन किया।

केरल : हर पंचायत और नगर निगम में किसानों की परेड

26 जनवरी की किसान परेड के मद्देनज़र केरल के किसानों ने केरल संयुक्त कर्षक समिति के बैनर तले हर पंचायत, हर निगम में जमा हुए और और कृषि क़ानून वापस लेने की मांग करते हुए दिल्ली के प्रदर्शनकारी किसानों का समर्थन किया।

Tractor Parade
republic day
Gujarat
minimum support price
Gujarat Farmers Protest
farmers in Delhi
Gujarat Kisan Sangharsh Samiti
AIKSCC
CPIM

Related Stories

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

दिल्ली दंगों के दो साल: इंसाफ़ के लिए भटकते पीड़ित, तारीख़ पर मिलती तारीख़

कोलकाता: बाबरी मस्जिद विध्वंस की 29वीं बरसी पर वाम का प्रदर्शन

एमएसपी भविष्य की अराजकता के ख़िलाफ़ बीमा है : अर्थशास्त्री सुखपाल सिंह

अल्पसंख्यकों पर हमलों के ख़िलाफ़ 1 दिसंबर को माकपा का देशव्यापी प्रदर्शन

पश्चिम बंगाल: वामपंथी पार्टियों ने मनाया नवंबर क्रांति दिवस

मुश्किलों से जूझ रहे किसानों का भारत बंद आज

भारत बंद को सफल बनाने के लिए हर वर्ग से समर्थन मिल रहा हैः सीपीआई (एम)

भारत बंद: ‘उड़ीसा में न्यूनतम समर्थन मूल्य ही अब अधिकतम मूल्य है, जो हमें मंज़ूर नहीं’

त्रिपुरा में भाजपा द्वारा वाम मोर्चे और मीडिया संस्थानों पर बर्बर हिंसा के ख़िलाफ़ दिल्ली में माकपा का रोष प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • itihas ke panne
    न्यूज़क्लिक टीम
    मलियाना नरसंहार के 35 साल, क्या मिल पाया पीड़ितों को इंसाफ?
    22 May 2022
    न्यूज़क्लिक की इस ख़ास पेशकश में वरिष्ठ पत्रकार नीलांजन मुखोपाध्याय ने पत्रकार और मेरठ दंगो को करीब से देख चुके कुर्बान अली से बात की | 35 साल पहले उत्तर प्रदेश में मेरठ के पास हुए बर्बर मलियाना-…
  • Modi
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: मोदी और शी जिनपिंग के “निज़ी” रिश्तों से लेकर विदेशी कंपनियों के भारत छोड़ने तक
    22 May 2022
    हर बार की तरह इस हफ़्ते भी, इस सप्ताह की ज़रूरी ख़बरों को लेकर आए हैं लेखक अनिल जैन..
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : 'कल शब मौसम की पहली बारिश थी...'
    22 May 2022
    बदलते मौसम को उर्दू शायरी में कई तरीक़ों से ढाला गया है, ये मौसम कभी दोस्त है तो कभी दुश्मन। बदलते मौसम के बीच पढ़िये परवीन शाकिर की एक नज़्म और इदरीस बाबर की एक ग़ज़ल।
  • diwakar
    अनिल अंशुमन
    बिहार : जन संघर्षों से जुड़े कलाकार राकेश दिवाकर की आकस्मिक मौत से सांस्कृतिक धारा को बड़ा झटका
    22 May 2022
    बिहार के चर्चित क्रन्तिकारी किसान आन्दोलन की धरती कही जानेवाली भोजपुर की धरती से जुड़े आरा के युवा जन संस्कृतिकर्मी व आला दर्जे के प्रयोगधर्मी चित्रकार राकेश कुमार दिवाकर को एक जीवंत मिसाल माना जा…
  • उपेंद्र स्वामी
    ऑस्ट्रेलिया: नौ साल बाद लिबरल पार्टी सत्ता से बेदख़ल, लेबर नेता अल्बानीज होंगे नए प्रधानमंत्री
    22 May 2022
    ऑस्ट्रेलिया में नतीजों के गहरे निहितार्थ हैं। यह भी कि क्या अब पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन बन गए हैं चुनावी मुद्दे!
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License