NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस: कोर्ट ने नितीश कुमार के खिलाफ CBI जाँच के आदेश दिए
लोकसभा चुनाव से पहले कोर्ट का यह फैसला नितीश कुमार के लिए एक गंभीर राजनैतिक संकट के रूप में देखा जा रहा है |
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
16 Feb 2019
Muzaffarpur Shelter Home Case

यौन अपराधों से बच्चों का विशेष संरक्षण (POCSO) अदालत ने शुक्रवार को मुजफ्फरपुर में 34 नाबालिग लड़कियों के यौन शोषण मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को मुख्यमंत्री सहित दो वरिष्ट अधिकारीयों के खिलाफ जाँच करने का आदेश दिया | यह मामला 10 दिन पहले ही उच्चतम न्यायालय ने स्थानांतरित किया था |

अदालत के आदेश के मुताबिक, मुजफ्फरपुर के जिला अधिकारी धर्मेंद्र सिंह और सामाजिक कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव अतुल प्रसाद के खिलाफ जांच का आदेश दिया गया है।

अदालत के आदेश को राजनीतिक हलकों में लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार के लिए एक बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है।

इस आदेश के बाद विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) , हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (एचएएम)  और वामपंथी दलों ने  नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कुमार के इस्तीफे की मांग की है।

याद दिला दें कि राजद और अन्य विपक्षी दलों ने बार-बार नीतीश कुमार पर आश्रय गृह बलात्कार मामले में शामिल होने का आरोप लगाया था।

सीपीएम के राज्य सचिव अवधेश कुमार ने कहा कि मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में सीबीआई के पोस्को न्यायालय द्वारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं कल्याण विभाग के अधिकारियों के खिलाफ जांच के आदेश के बाद , बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।

 

आगे वो कहते है कि सीपीआईएम सहित तमाम वामपंथी दलों की मान्यता रही है कि मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में वर्षों से बच्चियों के साथ हो रहा यौन एवं शारीरिक उत्पीड़न तथा उनकी गुमशुदगी जैसा जघन्य अपराध बगैर राजनीतिक संरक्षण के नहीं हो सकता था। मुजफ्फरपुर शेल्टर होम के संचालक अपराधी गिरोह के साथ मुख्यमंत्री एवं उनके अन्य सहयोगियों की जो मित्रता थी, वह बिहार की जनता से छुपी नहीं रही है | अब जबकि न्यायालय द्वारा मुख्यमंत्री एवं अधिकारियों की जांच का आदेश दिया गया है, इस आदेश के बाद सब कुछ दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा |

 

अवधेश कुमार ने न्यायालय के आदेश को बिहार की जनता की जीत बताते हुए कहा कि जांच की कार्यवाही तभी पारदर्शिता के साथ चल सकती है जब मुख्यमंत्री सहित कल्याण विभाग के अधिकारी तत्काल इस्तीफा दें।

 

कथित यौन शोषण का मामला

2018 में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) द्वारा तैयार एक सोशल ऑडिट रिपोर्ट सार्वजनिक हुई, जिसके बाद इस मामले में मुख्य आरोपी बृजेश ठाकुर द्वारा  चलाए जा रहे एनजीओ के अंतर्गत मुजफ्फरपुर आश्रय गृह में 34 नाबालिग लड़कियों के साथ हुए यौन शोषण का मामला  मई 2018 में सामने आया |  जिसके बाद बिहार समाज कल्याण विभाग ने एक प्राथमिकी दर्ज कराई  थी ।

अश्विनी के वकील सुधीर कुमार ओझा, जिन्होंने अश्विनी की ओर से न्यायालय में याचिका दायर की थी, उन्होंने न्यूजक्लिक को फोन पर बताया कि वो इस मामले में नवंबर 2018 में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए थे | जिसके बाद डॉ० अश्वनी ने बिहार के मुख्यमंत्री सहित तीनों के खिलाफ जांच की मांग करते हुए अदालत में एक याचिका दायर की थी। इस याचिका में शिकायत की कि सीबीआई इस मामले में तथ्यों को दबाने या छिपाने की कोशिश कर रही है, जिसमें दो आईएएस अधिकारियों और नीतीश कुमार की भूमिका की जांच होनी चाहिए।

ओझा ने कहा कि अदालत ने यह भी आदेश दिया था कि डॉ० अश्वनी का एक बयान धारा 164 के तहत अदालत में दर्ज किया जाएगा।

यह मामला पिछले साल जुलाई में सीबीआई को सौंप दिया गया था। विपक्ष और मीडिया द्वारा बार –बार  दिखाने और बोलने के बाद कि बिहार की समाज कल्याण मंत्री के पति के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर के साथ घनिष्ठ संबंध हैं, इसके बाद अंतत बिहार की समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा को इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा था ।

ठाकुर को तब से पटियाला की एक जेल में स्थानांतरित कर दिया गया है, यहां तक ​​कि उनके करीबी सहयोगी और कुछ सरकारी अधिकारियों सहित अन्य आरोपियों को भी पटना और मुजफ्फरपुर की जेलों में रखा गया है। 

शीर्ष अदालत ने हाल ही में सीबीआई को राज्य भर में ऐसे सभी आश्रय घरों में यौन शोषण के आरोपों की जांच करने का निर्देश दिया था।

 

POCSO
BRIJESH THAKUR
Congress
RJD
CPIM
Sexual Abuse of Minors
Nitish Kumar
MUZAFFARPUR SHELTER HOME CASE

Related Stories

बिहार: पांच लोगों की हत्या या आत्महत्या? क़र्ज़ में डूबा था परिवार

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

हार्दिक पटेल भाजपा में शामिल, कहा प्रधानमंत्री का छोटा सिपाही बनकर काम करूंगा

राज्यसभा सांसद बनने के लिए मीडिया टाइकून बन रहे हैं मोहरा!

ED के निशाने पर सोनिया-राहुल, राज्यसभा चुनावों से ऐन पहले क्यों!

ईडी ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी को धन शोधन के मामले में तलब किया

त्रिपुरा: सीपीआई(एम) उपचुनाव की तैयारियों में लगी, भाजपा को विश्वास सीएम बदलने से नहीं होगा नुकसान

राज्यसभा चुनाव: टिकट बंटवारे में दिग्गजों की ‘तपस्या’ ज़ाया, क़रीबियों पर विश्वास

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

बिहार : दृष्टिबाधित ग़रीब विधवा महिला का भी राशन कार्ड रद्द किया गया


बाकी खबरें

  • भाषा
    चारा घोटाला: झारखंड उच्च न्यायालय ने लालू यादव को डोरंडा कोषागार मामले में ज़मानत दी
    22 Apr 2022
    लालू प्रसाद के खिलाफ रांची में चारा घोटाले का यह अंतिम मामला था और अब उनके खिलाफ पटना में ही चारा घोटाले के मामले विचाराधीन रह गये हैं। दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में…
  • अजय कुमार
    जहांगीरपुरी में चला बुल्डोज़र क़ानून के राज की बर्बादी की निशानी है
    22 Apr 2022
    बिना पक्षकार को सुने उस पर कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है। कानून द्वारा निर्धारित यथोचित प्रक्रिया को अपनाए बिना किसी तरह के डिमोलिशन की करवाई करना अन्याय है। इस तरह के डिमोलिशन संविधान के अनुच्छेद…
  • लाल बहादुर सिंह
    संकट की घड़ी: मुस्लिम-विरोधी नफ़रती हिंसा और संविधान-विरोधी बुलडोज़र न्याय
    22 Apr 2022
    इसका मुकाबला न हिन्दू बनाम हिंदुत्व से हो सकता, न ही जातियों के जोड़ गणित से, न केवल आर्थिक, मुद्दा आधारित अर्थवादी लड़ाइयों से। न ही महज़ चुनावी जोड़ तोड़ और एंटी-इनकंबेंसी के भरोसे इन्हें परास्त किया…
  • अनिल अंशुमन
    झारखंड: पंचायत चुनावों को लेकर आदिवासी संगठनों का विरोध, जानिए क्या है पूरा मामला
    22 Apr 2022
    कई आदिवासी संगठन पंचायती चुनावों पर रोक लगाने की मांग को लेकर राजभवन पर लगातार धरना दे रहें हैं। 
  • अनिल जैन
    मुद्दा: हमारी न्यायपालिका की सख़्ती और उदारता की कसौटी क्या है?
    22 Apr 2022
    कुछ विशेष और विशिष्ट मामलों में हमारी अदालतें बेहद नरमी दिखा रही हैं, लेकिन कुछ मामलों में बेहद सख़्त नज़र आती हैं। उच्च अदालतों का यह रुख महाराष्ट्र से लेकर पश्चिम बंगाल, पंजाब, दिल्ली और दूसरे…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License