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मुज़फ़्फ़रपुर शेल्टर होम मामला : सुप्रीम कोर्ट ने जांच पूरी करने के लिये सीबीआई को दिए तीन महीने
न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति एम आर शाह की अवकाश पीठ ने सीबीआई को इस शेल्टर होम में अप्राकृतिक यौनाचार के आरोपों की भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत और लड़कियों से हिंसा के वीडियो की रिकार्डिंग की भी जांच करने का निर्देश दिया है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
03 Jun 2019
Shelter Home

दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के बहुचर्चित आश्रय गृह कांड में हत्या के पहलू सहित सारी जांच तीन महीने के भीतर पूरी करने का केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सोमवार को निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति एम आर शाह की अवकाश पीठ ने सीबीआई को इस शेल्टर होम में अप्राकृतिक यौनाचार के आरोपों की भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत और लड़कियों से हिंसा के वीडियो की रिकार्डिंग की भी जांच करने का निर्देश दिया है।

पीठ ने इन घटनाओं में बाहरी व्यक्तियों की भूमिका की भी जांच का निर्देश दिया है जो इसमे संलिप्त थे और जिन्होंने इसमें रहने वाली संवासिनों को नशीला पदार्थ देने के बाद उनसे यौन हिंसा में सहयोग किया।

शीर्ष अदालत ने जांच एजेन्सी से कहा कि वह तीन महीने में जांच पूरी करके अपनी रिपोर्ट उसके समक्ष पेश करे।

टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की एक रिपोर्ट के बाद मुजफ्फरपुर में एक गैर सरकारी संस्था द्वारा संचालित एक आश्रय गृह में अनेक लड़कियों के कथित यौन शोषण और उनसे बलात्कार करने की घटनायें सामने आयी थीं।

न्यायालय ने इससे पहले सीबीआई को इस आश्रय गृह में 11 लड़कियों की कथित हत्या के मामले की जांच तीन जून तक पूरी करने और स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था।

जांच एजेन्सी ने न्यायालय से कहा था कि हत्या के पहलू की जांच पूरी करने के लिये उसे दिया गया दो सप्ताह का समय पर्याप्त नहीं है। जांच ब्यूरो ने कहा कि 11 लड़कियों की हत्या की गयी थी और उसके हलफनामे के अनुसार 35 लड़कियों के नाम एक समान थे जो किसी न किसी समय आश्रय गृह में रहीं थी।

जांच ब्यूरो ने अपने हलफनामे में दावा किया था कि मुख्य आरोपी बृजेश ठाकुर और उसके साथियों ने 11 लड़कियों की कथित रूप से हत्या की थी। जांच एजेन्सी ने यह भी कहा था कि मुजफ्फरपुर में एक श्मशान भूमि से उसने ‘हड्डियों की पोटली’ बरामद की है।

मुजफ्फरपुर आश्रय गृह कांड की जांच उच्चतम न्यायालय ने केन्द्रीय जांच ब्यूरो को सौंपी थी। जांच ब्यूरो ने इस मामले में बृजेश ठाकुर सहित 21व्यक्तियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया है।

शीर्ष अदालत ने इस साल फरवरी में इस मामले को बिहार की अदालत से दिल्ली के साकेत जिला अदालत में यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण कानून के तहत सुनवाई करने वाली अदालत में स्थानांतरित कर दिया था।

आपको बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को मामले की जांच पूरी कर अदालत की अवकाश पीठ के समक्ष 3 जून को स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश दिए थे।

मामले में सीबीआई के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय पहुंचीं निवेदिता झा ने आरोप लगाया था कि एजेंसी गुनाहगारों को बचाने के लिए महत्वपूर्ण तथ्यों को नजरअंदाज कर रही है।

सुनवाई के दौरान झा के वकील ने आरोप लगाया था कि सीबीआई जानबूझकर जांच की गति को धीमा कर रही है, मुकदमा शुरू हुए तीन महीने बीत गए लेकिन सीबीआई अभी भी मामले को स्पष्ट नहीं कर पाई है।

इस मामले में नीतीश सरकार पर भी उंगलियां उठती रही हैं और विपक्ष लगातार हमलावर है। आरजेडी और भाकपा-माले इसे लेकर काफी समय से नीतीश कुमार के इस्तीफे की भी मांग करते रहे हैं।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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