NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
मुज़फ्फरपुर सुधारगृह कांड: बिहार सरकार ने मुख्य आरोपी के अखबार को दिये थे लाखों के विज्ञापन
जाँच के दौरान यह सामने आय है कि बृजेश ठाकुर के पास न तो 60000 कॉपियाँ छपने के लिए मशीन है और न ही कर्मचारी हैं |
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
01 Aug 2018
bihar

बिहार के मुज़फ्फरपुर बालिका गृह में बच्चियों के यौन शोषण का मुख्य आरोपी एक हिंदी  अखबार चलाता था,जिसका नाम प्रातः कमल था |इस मामले मे चौकाने वाला खुलासा हुआ है ,जिसमें पता चला है कि 300 कॉपियाँ छपती हैं परन्तु उसका वितरण 60000 से ज़्यादा का दिखाया गया है । इसी आधार पर ठाकुर सरकार से लाखों के विज्ञापन हासिल किया करता था |

ठाकुर  मुज़फ्फरपुर बालिका सुधार गृह यौन शोषण के आरोप में दस और लोगों के साथ आरोपी है और अभी वह जेल में है  | इस सुधारगृह में 7 वर्ष से 14 वर्ष की बच्चियों के साथ  ठाकुर की सरपरस्ती में सालों से बलात्कार और यौनशोषण हो रहा था |पीड़ितों ने यह भी आरोप लगाया है कि आश्रय गृह प्रशासन से बार-बार अनुरोध किए जाने के बावजूद उन्हें अपने परिवार से संपर्क नहीं करने दिया गया था। राज्य के सामाजिक कल्याण विभाग की शिकायत के बाद उन्हें मंगलवार को भी गिरफ्तार किया गया था। उसके एनजीओ सेवा संकल्प विकास समिति द्वारा चलाए गए एक और आश्रय घर से 11 महिलाएं गायब होने की खबर है।

अब इस मामले की जाँच सीबीआई कर रही है पुलिस ने सीबीआई को अपनी पर्यवेक्षण(सुपरविज़न) रिपोर्ट में यह बात बताई है कि  प्रातःकमल 300 कॉपियाँ प्रकाशित करता हैं |हालांकि, राज्य सूचना एवं जनसंपर्क विभाग (आईपीआरडी) के आंकड़ों के अनुसार, समाचार पत्र 60,862कॉपियों का दैनिक वितरण करता है।जाँच के दौरान यह भी सामने आय है कि बृजेश ठाकुर के पास न तो 60000 कॉपियाँ छपने के लिए मशीन है और न ही कर्मचारी हैं |

हालांकि, स्थानीय पत्रकारों ने दैनिक विज्ञापन के नियमित प्रवाह पर प्रश्न उठाए हैं। न्यूज़क्लिक से बात करते हुए, एक अनुभवी पत्रकार ज्ञानेश्वर वत्सयान ने कहा कि ब्रजेश ठाकुर "आईपीआरडी-डीएवीपी के खेल" के लाभार्थी रहे हैं। वह यहाँ निष्क्रिय समाचार पत्रों के  गठजोड़ का जिक्र कर रहे थे। जिन्हें सूचना जनसंपर्क विभाग, बिहार और केंद्र सरकार के विज्ञापन निदेशालय और दृश्य प्रचार के भ्रष्ट नौकरशाहों की मदद से नियमित विज्ञापन मिल रहे हैं ।

कशिश न्यूज़ के संपादक और वरिष्ठ पत्रकार संतोष सिंह ने कहा कि स्थानीय समाचार पत्रों के लिए नियमित सरकारी विज्ञापन प्राप्त करना बहुत मुश्किल है। सिंह ने कहा, "उन्हें इस पैमाने के विज्ञापन प्राप्त करने के लिए रिश्वत  देना होता है । सरकारों ने स्थानीय समाचार पत्रों को समर्थन देने के लिए योजनाएं शुरू की हैं,  परन्तु यह भी सत्य है कि किसी सामान्य समाचार पत्र के लिए  इस योजना का लाभ लेना इतना आसान नहीं है और यह बात किसी से छुपी नहीं है कि ठाकुर का सरकारी तंत्र पर कितना अधिक प्रभाव था | ठाकुर पैसे पाने के लिए अपने उसी  प्रभाव का इस्तेमाल किया करता था ।"

 सिंह आगे कहते हैं कि ,ठाकुर के प्रभाव का अंदाज़ा  इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि वह न केवल बिहार सरकार के सूचना जनसंपर्क विभाग (आईआरपीडी) के एक मान्यता प्राप्त पत्रकार थे, बल्कि तीन सत्रों के लिए प्रेस मान्यता समिति के सदस्य भी थे। अपने प्रभाव का उपयोग करते हुए, ठाकुर ने शुरू में इस मामले को दबाने के लिए  किसी भी बड़े समाचार पत्र में यह  खबर नही आने  दी। मुजफ्फरपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष होने के नाते, उन्होंने घोटाले की रिपोर्टिंग को बंद करने के लिए अपने संपर्कों का प्रयोग किया जो विभिन्न समाचार पत्रों और चैनलों में थे ।

बिहार
muzzafarpur
Bihar Shelter Home Rape case
child abuse

Related Stories

बच्चों के ख़िलाफ़ अपराध के मामले में एमपी पहले और यूपी दूसरे स्थान परः एनसीआरबी

जमशेदपुर : बच्चों के यौन उत्पीड़न के आरोपी आश्रय गृह के निदेशक, वार्डन सहित चार लोग मध्य प्रदेश से गिरफ्तार

बाल यौन शोषण प्रकरण: महिलाएं हों या बच्चे यूपी में कोई सुरक्षित नहीं!

मुज़फ़्फ़रपुर शेल्टर होम पीड़िता से गैंगरेप : कौन है गुनाहगार? कुछ लोग या सरकार!

बाल यौन शोषण के मुकदमों के लिए जिलों में गठित हों विशेष अदालतें: सुप्रीम कोर्ट 

ओडिशा : आश्रयगृह में एचआईवी संक्रमित लड़कियों के यौन शोषण की जांच शुरू

क्या बच्चों के रहने लायक नहीं रहा यह देश?

मुज़फ़्फ़रपुर में मौत के शिकार बच्चों के न्याय के लिए पटना में कैंडल मार्च

फ़र्ज़ी देशभक्ति नकली इंसानियत

बच्चों के साथ होने वाले अपराध पर चुप्पी कब तक?


बाकी खबरें

  • srilanka
    न्यूज़क्लिक टीम
    श्रीलंका: निर्णायक मोड़ पर पहुंचा बर्बादी और तानाशाही से निजात पाने का संघर्ष
    10 May 2022
    पड़ताल दुनिया भर की में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने श्रीलंका में तानाशाह राजपक्षे सरकार के ख़िलाफ़ चल रहे आंदोलन पर बात की श्रीलंका के मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ. शिवाप्रगासम और न्यूज़क्लिक के प्रधान…
  • सत्यम् तिवारी
    रुड़की : दंगा पीड़ित मुस्लिम परिवार ने घर के बाहर लिखा 'यह मकान बिकाऊ है', पुलिस-प्रशासन ने मिटाया
    10 May 2022
    गाँव के बाहरी हिस्से में रहने वाले इसी मुस्लिम परिवार के घर हनुमान जयंती पर भड़की हिंसा में आगज़नी हुई थी। परिवार का कहना है कि हिन्दू पक्ष के लोग घर से सामने से निकलते हुए 'जय श्री राम' के नारे लगाते…
  • असद रिज़वी
    लखनऊ विश्वविद्यालय में एबीवीपी का हंगामा: प्रोफ़ेसर और दलित चिंतक रविकांत चंदन का घेराव, धमकी
    10 May 2022
    एक निजी वेब पोर्टल पर काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर की गई एक टिप्पणी के विरोध में एबीवीपी ने मंगलवार को प्रोफ़ेसर रविकांत के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया। उन्हें विश्वविद्यालय परिसर में घेर लिया और…
  • अजय कुमार
    मज़बूत नेता के राज में डॉलर के मुक़ाबले रुपया अब तक के इतिहास में सबसे कमज़ोर
    10 May 2022
    साल 2013 में डॉलर के मुक़ाबले रूपये गिरकर 68 रूपये प्रति डॉलर हो गया था। भाजपा की तरफ से बयान आया कि डॉलर के मुक़ाबले रुपया तभी मज़बूत होगा जब देश में मज़बूत नेता आएगा।
  • अनीस ज़रगर
    श्रीनगर के बाहरी इलाक़ों में शराब की दुकान खुलने का व्यापक विरोध
    10 May 2022
    राजनीतिक पार्टियों ने इस क़दम को “पर्यटन की आड़ में" और "नुकसान पहुँचाने वाला" क़दम बताया है। इसे बंद करने की मांग की जा रही है क्योंकि दुकान ऐसे इलाक़े में जहाँ पर्यटन की कोई जगह नहीं है बल्कि एक स्कूल…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License