NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
'मुकम्मल नहीं हुई ईद मेरी, ईदी में तेरा मिलना बाक़ी है मां’
#Eid_Away_From_Home : दिल्ली के जंतर-मंतर पर सोमवार को बड़ी संख्या में कश्मीरी युवा और नागरिक समाज के लोगों ने इकट्ठा होकर ईद के बहाने अपना दु:ख साझा किया और कश्मीर के हालात को लेकर विरोध दर्ज कराया।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
12 Aug 2019
Eid

'मुकम्मल नहीं हुई ईद मेरी, ईदी में तेरा मिलना बाकी है मां 
तेरे संग बाते करना, हंसना, खिलना बाकी है मां 
बाकी है तेरी सर में गोद रखकर रोना अभी, तुझे देखना कुछ न कहना
होठों का सिलना बाकी है मां....'


सोमवार को दिल्ली के जंतर मंतर पर एक कश्मीरी युवा ने अपने दिल के जज़्बात जब इस कविता के माध्यम से जाहिर किए तो वहां मौजूद सैकड़ों लोग भावुक हो गए। दरअसल दिल्ली के जंतर-मंतर पर सोमवार को बड़ी संख्या में कश्मीरी युवा और नागरिक समाज के लोगों ने इकट्ठा होकर ईद मनाई। हालांकि कार्यक्रम में शामिल कश्मीरियों का कहना था कि जो हालात उनके राज्य का है उसमें वो ईद कैसे मना सकते हैं। वो इस कार्यक्रम के बहाने अपना दु:ख बांटने आए हैं और विरोध दर्ज कराना चाहते हैं। 

 

WhatsApp Image 2019-08-12 at 5.31.31 PM.jpeg
आपको बता दें कि दिल्ली में ऐसे सैकड़ों कश्मीरी, खासतौर से स्टूडेंट्स रह रहे हैं जो अपने घरवालों से पिछले कई दिनों से बात तक नहीं कर पाए हैं। क्योंकि कश्मीर में पिछले काफी दिनों से मोबाइल, टीवी, इंटरनेट बंद हैं इसलिए इस बार ईद मनाने के लिए उनका घर जाना भी मुमकिन नहीं हो पा रहा है। ऐसे में सभी लोग जंतर-मंतर पर इकट्ठा होकर ईद मनाने आए। 

इस दौरान लेखिका अरुंधति राय, प्रसिद्ध थियेटर कलाकार और निर्देशक एम के रैना, फिल्म मेकर संजय काक, एक्टिविस्ट शबनम हाशमी, शायर और वैज्ञानिक गौहर रज़ा, प्रोफेसर अपूर्वानंद, सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर, पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता , मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा समेत बड़ी संख्या में नागरिक समाज से जुड़े लोग भी मौजूद रहे। 

जंतर मंतर पर इस कार्यक्रम में शामिल होने वाली शारिका अमीन ने कहा,'हम यहां ईद मनाने नहीं आए हैं। हम ईद मना भी नहीं सकते हैं। हमें नहीं पता हमारा परिवार किस हालात में है। ईद के दिन हर साल मैं सबसे पहले अपनी मां से बात करती थी। इस बार भी हमारी बहुत सारी तैयारी थी। बहन के लिए खरीदारी की थी, लेकिन हालात इतने बुरे हैं कि हमें नहीं पता कि घर पर ईद कैसे मनाई जा रही है। तो हम यहां ईद कैसे मना सकते हैं।'

कुछ ऐसा ही कहना फैजान का है। वे कहते हैं,'ऐसे हालात में हम ईद कैसे मना सकते हैं। हमारी घरवालों से बात नहीं हुई है। हमारी ईद से जुड़ी ढेर सारी यादें हैं। ये कितना दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमें यहां ऐसे हाल में ईद मनानी पड़ रही है। ऐसे माहौल में आप त्यौहार नहीं मनाते हैं। आप सिर्फ इकट्ठा होकर एक दूसरे के दु:ख को कम करते हैं।'

वो आगे कहते हैं, 'कश्मीर में ऐसे हालात नहीं हैं कि हम लोग वहां ईद पर जा सकते, अगर चले भी जाते तो ईद वाला माहौल तो वहां भी नहीं ही है। इसके अलावा कई लोगों के मां-बाप ने उनके ईद पर घर न आने के लिए भी कहा है, सोचिए आखिर कैसी मजबूरी रही होगी जब एक मां अपने बच्चे को ईद पर घर आने से मना करती है।'

इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोग खाने का सामान लेकर इकट्ठा हुए और साथ में खाकर एक दूसरे को ईद की मुबारकबाद दी। 

jantar mantar.jpeg

इस दौरान मौजूद सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर ने कहा,'कश्मीर के लोग बहुत मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। हमें उनके साथ खड़े होने की जरूरत है। हिंदुस्तान की एक बड़ी आबादी को उनके साथ खड़े होने की जरूरत है। आर्टिकल 370 से लेकर संविधान पर डिबेट हो सकती हैं। लेकिन अभी कश्मीरियों को यह बताना बहुत जरूरी है कि हम उन्हें अपना परिवार मानते हैं और इस मुश्किल घड़ी में उनके साथ हैं।'

इसे भी पढ़ेें : एएमयू छात्रों ने ईद की ‘दावत’ का किया बहिष्कार

eid
Jantar Mantar
protest on jantar mantar
#Eid_Away_From_Home
Eid away from home
Jammu and Kashmir
New Delhi

Related Stories

मुस्लिम विरोधी हिंसा के ख़िलाफ़ अमन का संदेश देने के लिए एकजुट हुए दिल्ली के नागरिक

दिल्ली दंगों के दो साल: इंसाफ़ के लिए भटकते पीड़ित, तारीख़ पर मिलती तारीख़

डीजेबी: यूनियनों ने मीटर रीडर्स के ख़िलाफ़ कार्रवाई वापस लेने की मांग की, बिलिंग में गडबड़ियों के लिए आईटी कंपनी को दोषी ठहराया

दिल्ली: एसएससी जीडी भर्ती 2018 के अभ्यर्थियों की नियुक्ति की मांग को लेकर प्रदर्शन

दिल्ली: अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ बढ़ते हमलों के विरोध में सीपीआई(एम) का प्रदर्शन

दिल्ली: अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ते हमलों के विरोध में माकपा का प्रदर्शन

कश्मीर में प्रवासी मज़दूरों की हत्या के ख़िलाफ़ 20 अक्टूबर को बिहार में विरोध प्रदर्शन

राहुल समेत कई विपक्षी नेताओं ने ‘किसान संसद’ पहुंचकर जताया समर्थन

दिल्ली बलात्कार कांड: जनसंगठनों का कई जगह आक्रोश प्रदर्शन; पीड़ित परिवार से मिले केजरीवाल, राहुल और वाम दल के नेता

महिला किसान संसद, CM येदियुरप्पा का इस्तीफ़ा और अन्य ख़बरें


बाकी खबरें

  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: ये कहां आ गए हम! यूं ही सिर फिराते फिराते
    29 May 2022
    उधर अमरीका में और इधर भारत में भी ऐसी घटनाएं होने का और बार बार होने का कारण एक ही है। वही कि लोगों का सिर फिरा दिया गया है। सिर फिरा दिया जाता है और फिर एक रंग, एक वर्ण या एक धर्म अपने को दूसरे से…
  • प्रेम कुमार
    बच्चे नहीं, शिक्षकों का मूल्यांकन करें तो पता चलेगा शिक्षा का स्तर
    29 May 2022
    शिक्षाविदों का यह भी मानना है कि आज शिक्षक और छात्र दोनों दबाव में हैं। दोनों पर पढ़ाने और पढ़ने का दबाव है। ऐसे में ज्ञान हासिल करने का मूल लक्ष्य भटकता नज़र आ रहा है और केवल अंक जुटाने की होड़ दिख…
  • राज कुमार
    कैसे पता लगाएं वेबसाइट भरोसेमंद है या फ़र्ज़ी?
    29 May 2022
    आप दिनभर अलग-अलग ज़रूरतों के लिए अनेक वेबसाइट पर जाते होंगे। ऐसे में सवाल उठता है कि कैसे पता लगाएं कि वेबसाइट भरोसेमंद है या नहीं। यहां हम आपको कुछ तरीके बता रहें हैं जो इस मामले में आपकी मदद कर…
  • सोनिया यादव
    फ़िल्म: एक भारतीयता की पहचान वाले तथाकथित पैमानों पर ज़रूरी सवाल उठाती 'अनेक' 
    29 May 2022
    डायरेक्टर अनुभव सिन्हा और एक्टर आयुष्मान खुराना की लेटेस्ट फिल्म अनेक आज की राजनीति पर सवाल करने के साथ ही नॉर्थ ईस्ट क्षेत्र के राजनीतिक संघर्ष और भारतीय होने के बावजूद ‘’भारतीय नहीं होने’’ के संकट…
  • राजेश कुमार
    किताब: यह कविता को बचाने का वक़्त है
    29 May 2022
    अजय सिंह की सारी कविताएं एक अलग मिज़ाज की हैं। फॉर्म से लेकर कंटेंट के स्तर पर कविता की पारंपरिक ज़मीन को जगह–जगह तोड़ती नज़र आती हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License