NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
मुख्य सूचना आयुक्त का पद अगले महीने होगा खाली, उत्तराधिकारी का कोई ज़िक्र नहीं
साल 2014 से अदालत के हस्तक्षेप के बिना केंद्रीय सूचना आयोग में कोई नियुक्ति नहीं की गई।
विवान एबन
16 Oct 2018
Central Information Commission
मुख्य सूचना आयुक्त आर के माथुर (सबसे बाएँ) 2016 में अपने शपथ ग्रहण समारोह के दौरानI Image Credit: Central Information Commission website

केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के मुख्य सूचना आयुक्त राधा कृष्ण माथुर इस साल नवंबर के आख़िर तक सेवानिवृत हो जाएंगे। हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इस पद पर कौन नियुक्त होगा क्योंकि सरकार इसको लेकर बिल्कुल ख़ामोश है। यह उस प्रक्रिया का उल्लंघन जिसके तहत सीआईसी पद भरा जाता था। अतीत में इस पद के लिए शॉर्टलिस्ट किए गए लोगों सहित आवेदकों के नाम सार्वजनिक किए जाते थे। लेकिन ऐसा लगता है कि सरकार ने इस बार चयन प्रक्रिया में सार्वजनिक पारदर्शिता के विपरीत फैसला किया है। साथ ही साल 2016 से रिक्तियों में वृद्धि के बावजूद कोई नियुक्ति नहीं हुई है।

इस साल 27 जुलाई को भारत के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसरण में सरकार ने 27 अगस्त को हलफ़नामा दायर किया था। इस हलफ़नामे में कहा गया कि उसने27 जुलाई, 2018 को सीआईसी में रिक्त पदों को भरने के लिए एक विज्ञापन प्रकाशित किया था और आवेदन देने की आख़िरी तारीख़ 31 अगस्त, 2018 होगी। हालांकि, अदालत ने आवेदकों के साथ-साथ शॉर्टलिस्टेड आवेदकों के ब्योरे की मांग की थी लेकिन सरकार ने नाम देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि "किसी भी अन्य समकक्ष सरकारी उच्च पदों पर नियुक्तियों के लिए इस तरह की कोई प्रक्रिया नहीं अपनाई जाती है"।

इस प्रक्रिया को लेकर विद्यमान निराशाजनक ख़ामोशी के अलावा, इस बात का भी उल्लेख किया जाना चाहिए कि साल 2014 से सीआईसी की तब तक नियुक्ति नहीं की गई जब तक अदालत ने सरकार को फटकार नहीं लगाई। जब पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार सत्ता में थी तब 28 फरवरी 2014 को सीआईसी में रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए आवेदन मंगाए जाने के लिए एक विज्ञापन प्रकाशित किया गया था। इसी साल 21 अप्रैल को सर्च कमेटी की बैठक हुई और दो पदों के लिए दो पैनलों में विभाजित कुल छह नामों को सूचीबद्ध किया। हालांकि चुनावों के कारण इस संबंध में कोई अन्य कार्य नहीं किए गए। 22 मई 2014को राजीव माथुर को सीआईसी से मुख्य आईसी के पद पर प्रोन्नत किया गया। इसके चलते एक अतिरिक्त पद रिक्त हो गए।

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार के सत्ता में आने के दो महीने बाद 16 जुलाई 2014 को इन रिक्तियों को भरने के लिए एक नया विज्ञापन प्रकाशित किया गया। इसके तहत कुल 553 आवेदन प्राप्त हुए। हालांकि, राजीव माथुर अगले महीने सेवानिवृत्त हुए, जिसके कारण एक अन्य रिक्ति हो गई, जिसका मतलब है कि सीआईसी अपनी स्वीकृत क्षमता की तुलना में महज 60 प्रतिशत लोगों से ही काम कर रहा था। इसी साल 24 अक्टूबर को मुख्य आईसी पद के लिए एक विज्ञापन कार्मिक तथा प्रशिक्षण विभाग की वेबसाइट पर प्रकाशित किया गया था जिसके लिए 203 आवेदन प्राप्त हुए थे।

साल 2015 के जनवरी और फरवरी में सर्च कमेटी ने दो बार बैठक की जिसका मतलब है कि प्रारंभिक रिक्तियों के बाद से एक वर्ष बीत चुके थे लेकिन नियुक्तियां नहीं की गई। 8 अप्रैल 2015 को, आरके जैन, सेवानिवृत्त कमोडोर लोकेश बत्रा और सुभाष अग्रवाल द्वारा दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) को सीआईसी में रिक्तियों के संबंध में दिल्ली उच्च न्यायालय ने स्वीकार कर लिया। दिल्ली उच्च न्यायालय ने पाया कि "मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति न करने से सूचना अधिकार अधिनियम, 2005 के उद्देश्य को वास्तव में नुकसान पहुंचाया है और हम इस बिंदु पर हैं कि इस अदालत के लिए आवश्यक है कि उन प्रक्रियाओं की निगरानी करे जो रिक्त पदों को भरने के लिए किए जा रहे हैं जिससे कि समय-सीमा के भीतर सभी पदों पर नियुक्ति की जाए।"

दस महीने तक रिक्त रहने के बाद वरिष्ठ आईसी विजय शर्मा को 10 जून 2015 को मुख्य आईसी के रूप में नियुक्त किया गया था जबकि सुधीर भार्गव को आईसी के रूप में नियुक्त किया गया था। हालांकि दो नई नियुक्तियों के बावजूद आईसी में तीन रिक्त पद खाली पड़े थे। आख़िर में दिल्ली उच्च न्यायालय ने 6 नवंबर 2015 को दायर किए गए पीआईएल में अपना फ़ैसला दिया। अदालत ने इन रिक्तियों को भरने के लिए एक समय-सीमा तय कर किया।

1 दिसंबर 2015 को मुख्य आईसी विजय शर्मा सेवानिवृत्त हो गए। 16 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के ख़िलाफ़ सरकार की स्पेशल लीव पीटीशन (एसएलपी) को स्वीकार कर लिया। वर्तमान मुख्य आईसी आरके माथुर को 2 जनवरी 2016 को नियुक्त किया गया। 8 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को छः हफ्तों के भीतर इन रिक्तियों को भरने का निर्देश दिया। आखिरकार 25 फरवरी 2016 को डीपी सिन्हा, बिमल जुल्का और अमिताव भट्टाचार्य को आईसी नियुक्त किया गया। इस तरह सीआईसी ने अपनी पूर्ण स्वीकृत क्षमता प्राप्त कर लिया।

हालांकि रिक्तियों में वृद्धि के बावजूद तब से कोई नियुक्ति नहीं की गई है। 2 सितंबर 2016 को रिक्तियों को भरने के लिए एक विज्ञापन प्रकाशित किया गया था। 15 जनवरी 2018 तक कोई नियुक्ति नहीं की गई थी और रिक्तियां बढ़कर 4 हो गई थी। 26 अप्रैल 2018 को अंजलि भारद्वाज, सेवानिवृत्त कमोडोर बत्रा और अमृता जोहारी ने इन रिक्तियों को उद्धृत करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक पीआईएल दायर किया।

जो प्रवृत्ति दिखाई देती है वह ये कि लंबित शिकायतों के भारी बोझ के बावजूद सरकार सीआईसी में रिक्त पदों को भरने के मामले काफी सुस्त नज़र आ रही है। नियुक्तियों में देरी करना एक अन्य प्रवृत्ति है, नियुक्तियों के हर चरण में सरकार को अदालतों के फटकार की ज़रूरत पड़ती है। इस तरह सामान्य प्रक्रिया का जो मामला होना चाहिए वह अदालतों में याचिका दाखिल करने का विषय बन गया है।

Central Information Commission
Chief Information Commissioner
Modi government
right to information

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

आख़िर फ़ायदे में चल रही कंपनियां भी क्यों बेचना चाहती है सरकार?

तिरछी नज़र: ये कहां आ गए हम! यूं ही सिर फिराते फिराते

'KG से लेकर PG तक फ़्री पढ़ाई' : विद्यार्थियों और शिक्षा से जुड़े कार्यकर्ताओं की सभा में उठी मांग

मोदी के आठ साल: सांप्रदायिक नफ़रत और हिंसा पर क्यों नहीं टूटती चुप्पी?

कोविड मौतों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट पर मोदी सरकार का रवैया चिंताजनक

किसानों और सत्ता-प्रतिष्ठान के बीच जंग जारी है

ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेता


बाकी खबरें

  • Ramjas
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली: रामजस कॉलेज में हुई हिंसा, SFI ने ABVP पर लगाया मारपीट का आरोप, पुलिसिया कार्रवाई पर भी उठ रहे सवाल
    01 Jun 2022
    वामपंथी छात्र संगठन स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ़ इण्डिया(SFI) ने दक्षिणपंथी छात्र संगठन पर हमले का आरोप लगाया है। इस मामले में पुलिस ने भी क़ानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है। परन्तु छात्र संगठनों का आरोप है कि…
  • monsoon
    मोहम्मद इमरान खान
    बिहारः नदी के कटाव के डर से मानसून से पहले ही घर तोड़कर भागने लगे गांव के लोग
    01 Jun 2022
    पटना: मानसून अभी आया नहीं है लेकिन इस दौरान होने वाले नदी के कटाव की दहशत गांवों के लोगों में इस कदर है कि वे कड़ी मशक्कत से बनाए अपने घरों को तोड़ने से बाज नहीं आ रहे हैं। गरीबी स
  • Gyanvapi Masjid
    भाषा
    ज्ञानवापी मामले में अधिवक्ताओं हरिशंकर जैन एवं विष्णु जैन को पैरवी करने से हटाया गया
    01 Jun 2022
    उल्लेखनीय है कि अधिवक्ता हरिशंकर जैन और उनके पुत्र विष्णु जैन ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले की पैरवी कर रहे थे। इसके साथ ही पिता और पुत्र की जोड़ी हिंदुओं से जुड़े कई मुकदमों की पैरवी कर रही है।
  • sonia gandhi
    भाषा
    ईडी ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी को धन शोधन के मामले में तलब किया
    01 Jun 2022
    ईडी ने कांग्रेस अध्यक्ष को आठ जून को पेश होने को कहा है। यह मामला पार्टी समर्थित ‘यंग इंडियन’ में कथित वित्तीय अनियमितता की जांच के सिलसिले में हाल में दर्ज किया गया था।
  • neoliberalism
    प्रभात पटनायक
    नवउदारवाद और मुद्रास्फीति-विरोधी नीति
    01 Jun 2022
    आम तौर पर नवउदारवादी व्यवस्था को प्रदत्त मानकर चला जाता है और इसी आधार पर खड़े होकर तर्क-वितर्क किए जाते हैं कि बेरोजगारी और मुद्रास्फीति में से किस पर अंकुश लगाने पर ध्यान केंद्रित किया जाना बेहतर…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License