NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
#MeToo : मोदी का अकबर तो ‘महान’ निकला, सिलेबस में रहेगा या बाहर होगा
मोदी मंत्रिमंडल के अकबर की ‘महानता’ का संदर्भ यह नहीं है कि उसने किले बनवाए बल्कि अपने आस-पास जटिल अंग्रेज़ी का आभामंडल तैयार किया और फिर उसके किले में भरोसे का क़त्ल किया। महिला पत्रकारों के शरीर और मन पर गहरा ज़ख़्म दिया।
रवीश कुमार
09 Oct 2018
विदेश राज्यमंत्री एम जे अकबर
Image Courtesy: National Herald

पिछले चार साल से बीजेपी और संघ के लोग उस महान अकबर की महानता को कतरने में लगे रहे, कामयाब भी हुए, जो इतिहास का एक बड़ा किरदार था। सिलेबस में वो अकबर अब महान नहीं रहा। मगर अब वे क्या करेंगे जब मोदी मंत्रिमंडल का अकबर ‘महान’ निकल गया है। मोदी मंत्रिमंडल के अकबर की ‘महानता’ का संदर्भ यह नहीं है कि उसने किले बनवाए बल्कि अपने आस-पास जटिल अंग्रेज़ी का आभामंडल तैयार किया और फिर उसके किले में भरोसे का क़त्ल किया। महिला पत्रकारों के शरीर और मन पर गहरा ज़ख़्म दिया। इस अकबर का प्रधानमंत्री मोदी क्या करेंगे, हिन्दी भाषी हीनग्रंथी के शिकार अकबर की अंग्रेज़ी पर फ़िदा होंगे या अपनी सरकार के सिलेबस से बाहर कर देंगे। हम हिन्दी वाले ही नहीं, अंग्रेज़ी वाले भी बेमतलब की अलंकृत अंग्रेज़ी पर फ़िदा हो जाते हैं जिसका मतलब सिर्फ यही होता है कि विद्वता का हौव्वा खड़ा हो जाए। अकबर कुछ नहीं, अंग्रेज़ी का हौव्वा है।

भारत में इस तरह की अंग्रेज़ी बोलने वाले गांव से लेकर दिल्ली तक में बड़े विद्वान मान लिए जाते हैं। एम जे अकबर पत्रकारिता की दुनिया में वो नाम है जिसकी मैं मिसाल देता हूं। मैं हमेशा कहता हूं कि अकबर बनो। पहले पत्रकारिता करो, फिर किसी पार्टी के सांसद बन जाओ, फिर उस पार्टी से निकलकर उसके नेता के खानदान को चोर कहो और फिर दूसरी पार्टी में मंत्री बन जाओ। मुग़लों का अकबर महान था या नहीं लेकिन मोदी का अकबर वाकई ‘महान’ है। सोचिए आज विदेश मंत्री सुष्मा स्वराज इस अकबर से कैसे नज़र मिलाएंगी, विदेश मंत्रालय की महिला अधिकारी और कर्मचारी इस अकबर के कमरे में कैसे जाएंगी?

एम जे अकबर की 'महानता' का ज़िक्र इसलिए कर रहा हूं कि उन्होंने कोई पार्टी नहीं बदली है। राज्य मंत्री से कैबिनेट मंत्री नहीं बने हैं। आप जानते हैं कि भारत में महिला पत्रकार इस पेशे में अपने साथ हुए यौन शोषण का अनुभव साझा कर रही हैं। इसे अंग्रेज़ी के शब्द मी टू कहा जा रहा है यानी मेरे साथ भी ऐसा हुआ है, मैं भी बताना चाहती हूं। इसके तहत कई महिला पत्रकारों ने बक़ायदा व्हाट्स एप चैट की तस्वीर के साथ प्रमाण दिया है कि संपादक स्तर के पत्रकार ने उनके साथ किस तरह की अश्लील बातचीत की और उनके स्वाभिमान से लेकर शरीर तक को आहत किया। अकबर का पक्ष नहीं आया है, इंतज़ार हो रहा है, इंतज़ार प्रधानमंत्री के पक्ष का भी हो रहा है।

मी टू आंदोलन के तहत हिन्दुस्तान टाइम्स के राजनीतिक संपादक प्रशांत झा को, जिनकी किताब ‘भाजपा कैसे जीतती है’ काफी चर्चित रही है, इस्तीफा देना पड़ा है। प्रशांत झा के इस्तीफा पत्र से साफ नहीं हुआ कि उन्होंने अपना दोष मान लिया है और अब जांच होगी या नहीं क्योंकि इसका ज़िक्र ही नहीं है। इन्हीं सब संदर्भों में कई महिला पत्रकारों ने अपनी व्यथा ज़ाहिर की है। उनके मन और जिस्म पर ये दाग़ लंबे समय से चले आ रहे थे। मौक़ा मिला तो बता दिया। ऋतिक रौशन ने एक ऐसे निर्देशक के साथ काम करने से मना कर दिया है जिस पर यौन शोषण के आरोप हैं। टाइम्स आफ इंडिया के रेजिडेंट एडिटर के खिलाफ कार्रवाई हो रही है। प्रधानमंत्री मोदी क्या कर रहे हैं, जनता देख रही है।

मी टू अभियान के क्रम में पत्रकार रोहिणी सिंह ने ट्विट कर दिया कि यह कैसे हो सकता है कि महिला पत्रकार बड़े बड़े संपादकों के बारे में बता रही हैं मगर उसके बारे में चुप हैं जो इस वक्त सत्ता के केंद्र में बैठा है। रोहिणी सिंह ने किसी का नाम नहीं लिया मगर शायद उनकी ख़्याति ही कुछ ऐसी है कि सबने समझ लिया कि वो जो सिंहासन के बगल में स्टूल यानी छोटी कुर्सी पर बैठा है यानी विदेश राज्य मंत्री के पद पर बैठा है, वही है। वहीं है वो अकबर जो आज तक अपनी 'महानता' की आड़ में छिपा था।

पत्रकार प्रिया रमानी ने भी लिखा कि उन्होंने पिछले साल ‘वोग’ पत्रिका में अपने साथ हुए यौन शोषण का स्मरण लिखा था और कहानी की शुरूआत एम जे अकबर के साथ हुई घटना से की थी। प्रिया ने तब एम जे अकबर का नाम नहीं लिया था लेकिन 2017 की स्टोरी का लिंक शेयर करते हुए एम जे अकबर का नाम लिख दिया। कहा कि यह कहानी जिससे शुरू होती है वह एम जे अकबर है। प्रिया ने लिखा है कि उस रात वह भागी थी। फिर कभी उसके साथ अकेले कमरे में नहीं गई। ये वो अकबर है जो मोदी मंत्रिमंडल में विदेश मंत्रालय में कमरा लेकर बैठा है।

Firstpost वेबसाइट पर एक अनाम महिला पत्रकार की दास्तां पढ़कर आपकी आंत बाहर आ जाएगी। पता चलेगा कि एम जे अकबर महिलाओं को शिकार बनाने के लिए सिस्टम से काम करता था। प्लान बनाता था। उन्हें मजबूर करता था अपने कमरे में आने के लिए। आप इस कहानी को पूरा नहीं पढ़ पाएंगे। अकबर ने इस महिला पत्रकार को जो गहरा ज़ख़्म दिया है वो पढ़ने में जब भयानक है तो सहने और उसे स्मृतियों के कोने में बचा कर रखने में उस महिला पत्रकार को क्या क्या नहीं झेलना पड़ा होगा। जब भी वह एम जे अकबर का कहीं नाम देखती होगी, वो अपने ज़हन में वो काली रात देखती होगी। जब अकबर ने कमरे में अकेला बुलाया। उसे बर्फ निकालने के लिए भेजा और फिर अपने आपराधिक स्पर्श से उसे अधमरा कर दिया। उसके मुड़ते ही अकबर ने उसे जकड़ लिया था। वह किसी तरह छुड़ा कर भागी। सीढ़ियों पर सैंडल उतार कर फेंका और नंगे पांव मुंबई के उस होटल से भागी थी।

क्या इसे पढ़ने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एम जे अकबर को बर्ख़ास्त करेंगे? मेरे हिसाब से कर देना चाहिए या फिर आज शाम बीजेपी मुख्यालय में उन्हें सबके सामने लाकर कहना चाहिए कि मैं इस अकबर उप प्रधानमंत्री बनाता हूं। बताओ तुम लोग क्या कर लोगे। हुज़ूर पत्रकारों को जानते नहीं आप, सब ताली बजाएंगे। वाह वाह कहेंगे। यही आरोप अगर किसी महिला ने राहुल गांधी पर लगाया होता तो बीजेपी दफ्तर का दरबान तक प्रेस कांफ्रेंस कर रहा होता, मंत्री अपना काम छोड़ कर बयान दे रहे होते। जब से एम जे अकबर का नाम आया है तब से बीजेपी के नेताओं को प्रेस कांफ्रेंस ही याद नहीं आ रहा है।

लटियन दिल्ली में सत्ता के गलियारों में जिन पत्रकारों ने अपने निशान छोड़े हैं उनमें एक नाम अकबर का भी है। मोदी के सत्ता में आने के बाद झांसा दिया गया कि सत्ता की चाटुकारिता करने वाले पत्रकारितों को बाहर कर दिया गया। जनता देख ही नहीं सकी कि उस लटियन गुट का सबसे बड़ा नाम तो भीतर बैठा है। विदेश राज्य मंत्री बनकर। बाकी जो एंकर थे वो लटियन के नए चाटुकार बन गए। लटियन दिल्ली जीत गई। उसने बता दिया कि इसके कुएं में बादशाह भी डूब जाता है और प्यादा डूब कर पानी की सतह पर तैरने लगता है। अकबर तैर रहा है।

क्विंट वेबसाइट और टेलिग्राफ अखबार ने अकबर पर रिपोर्ट की है। अकबर टेलिग्राफ के संस्थापक संपादक थे। इन्हें पत्रकारिता में कई उपनाम से बुलाया जाता है। इस अकबर को किस किस संस्थान ने मौका नहीं दिया, जबकि इसके किस्से सबको मालूम थे। अकबर जब मोदी मंत्रिमंडल में गए तब भी इनका अतीत राजनेताओं के संज्ञान में था। मोदी और शाह को पता न हो, यह अपने आप को भोला घोषित करने जैसा है। फिर भी एम जे अकबर को मंत्री बनाया। अकबर को सब जानते हैं। उनकी अंग्रेज़ी से घबरा जाते हैं जो किसी काम की नहीं है।

जिस अकबर ने नेहरू की शान में किताब लिखी वह उस किताब के एक एक शब्द से पलट गया। अपनी लिखावट के प्रति उसका यह ईमान बताता है कि अकबर का कोई ईमान नहीं है। वह सत्ता के साथ है, खासकर उस सत्ता के साथ जो पचास साल तक रहेगी। मोदी चार राज्यों के चुनाव जीत कर आ जाएंगे और कह देंगे कि जनता हमारे साथ हैं। हमारे विरोधी मेरा विरोध करते हैं। ये सब बोलकर अकबर को बचा ले जाएंगे। मगर प्रधानमंत्री जी जनता तो आपके साथ अब भी है, इसका जवाब दीजिए कि अकबर क्यों आपके साथ है?

(रवीश कुमार के फेसबुक वॉल से साभार)

#MeToo Moment In India
#metoo
Media
M J AKBAR
ravish kumar
Modi Govt

Related Stories

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

डिजीपब पत्रकार और फ़ैक्ट चेकर ज़ुबैर के साथ आया, यूपी पुलिस की FIR की निंदा

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

राज्यसभा सांसद बनने के लिए मीडिया टाइकून बन रहे हैं मोहरा!

सरकारी एजेंसियाँ सिर्फ विपक्ष पर हमलावर क्यों, मोदी जी?

भाजपा के लिए सिर्फ़ वोट बैंक है मुसलमान?... संसद भेजने से करती है परहेज़

आर्यन खान मामले में मीडिया ट्रायल का ज़िम्मेदार कौन?

भारत में संसदीय लोकतंत्र का लगातार पतन

विशेष: कौन लौटाएगा अब्दुल सुब्हान के आठ साल, कौन लौटाएगा वो पहली सी ज़िंदगी

जन-संगठनों और नागरिक समाज का उभरता प्रतिरोध लोकतन्त्र के लिये शुभ है


बाकी खबरें

  • शारिब अहमद खान
    ईरानी नागरिक एक बार फिर सड़कों पर, आम ज़रूरत की वस्तुओं के दामों में अचानक 300% की वृद्धि
    28 May 2022
    ईरान एक बार फिर से आंदोलन की राह पर है, इस बार वजह सरकार द्वारा आम ज़रूरत की चीजों पर मिलने वाली सब्सिडी का खात्मा है। सब्सिडी खत्म होने के कारण रातों-रात कई वस्तुओं के दामों मे 300% से भी अधिक की…
  • डॉ. राजू पाण्डेय
    विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक
    28 May 2022
    हिंसा का अंत नहीं होता। घात-प्रतिघात, आक्रमण-प्रत्याक्रमण, अत्याचार-प्रतिशोध - यह सारे शब्द युग्म हिंसा को अंतहीन बना देते हैं। यह नाभिकीय विखंडन की चेन रिएक्शन की तरह होती है। सर्वनाश ही इसका अंत है।
  • सत्यम् तिवारी
    अजमेर : ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की दरगाह के मायने और उन्हें बदनाम करने की साज़िश
    27 May 2022
    दरगाह अजमेर शरीफ़ के नीचे मंदिर होने के दावे पर सलमान चिश्ती कहते हैं, "यह कोई भूल से उठाया क़दम नहीं है बल्कि एक साज़िश है जिससे कोई मसला बने और देश को नुकसान हो। दरगाह अजमेर शरीफ़ 'लिविंग हिस्ट्री' है…
  • अजय सिंह
    यासीन मलिक को उम्रक़ैद : कश्मीरियों का अलगाव और बढ़ेगा
    27 May 2022
    यासीन मलिक ऐसे कश्मीरी नेता हैं, जिनसे भारत के दो भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह मिलते रहे हैं और कश्मीर के मसले पर विचार-विमर्श करते रहे हैं। सवाल है, अगर यासीन मलिक इतने ही…
  • रवि शंकर दुबे
    प. बंगाल : अब राज्यपाल नहीं मुख्यमंत्री होंगे विश्वविद्यालयों के कुलपति
    27 May 2022
    प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा फ़ैसला लेते हुए राज्यपाल की शक्तियों को कम किया है। उन्होंने ऐलान किया कि अब विश्वविद्यालयों में राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री संभालेगा कुलपति पद का कार्यभार।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License