उत्तर प्रदेश पुलिस ने ‘नागरिक सत्याग्रह पदयात्रा’ पर निकले कुछ युवाओं को गाजीपुर जिले से गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तारी करते वक्त पुलिस ने कहा कि इन लोगों के पास पदयात्रा करने की इजाजत नहीं थी इसलिए इनको गिरफ्तार किया गया है। जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है उनमें मनीष शर्मा, प्रियेश पांडे, प्रदीपिका सारस्वत, नीरज राय, अनंत शुक्ल, मुरारी, राज अभिषेक शामिल हैं। प्रदीपिका सारस्वत एकमात्र महिला पदयात्री हैं। यह पदयात्रा चौरी-चौरा से शुरू हुई थी और इसे दिल्ली के राजघाट में खत्म होना था।

पदयात्री मनीष शर्मा के अनुसार, 'यह यात्रा चौरी-चौरा से इसलिए शुरू की गई थी क्योंकि यह वो ही जगह थी जहां से 1922 में यानी लगभग सौ साल पहले अंग्रेजों के खिलाफ हुई हिंसा के कारण गांधी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया था। उस दिन ऐसे आज़ाद हिंदुस्तान की तासीर तय हो गई थी जहां हिंसा के लिए कोई जगह नहीं थी। फिर चाहे वो हमारा शोषक, हमारा दुश्मन ही क्यों न हो।'
लगभग दस लोगों की समहू में अकेली महिला सदस्य प्रदीपिका सारस्वत ने गिरफ्तार होने से पहले बताया कि बीते तीन-चार दिनों से पुलिस उनके आसपास मंडरा रही थी। उनसे यात्रा को लेकर सवाल-जवाब भी किए जा रहे थे। प्रदीपिका एक लेखक और पत्रकार हैं और उनके लेख देश के विभिन्न समाचार माध्यमों में छपते रहते हैं।
प्रदीपिका को कश्मीर समस्या पर अपनी यात्रा वृतांत के लिए जाना जाता है। गिरफ्तार होने से पहले प्रदीपिका अपने फेसबुक पर लिखती हैं कि, 'कल शाम से लोकल इंटेलीजेंस और पुलिस यात्रियों के चक्कर काट रही है। तस्वीरें खींच रही है, वीडियो बना रही है। राज्य इतना डरा हुआ है कि चंद लोगों को शांति और सौहार्द की बात करते हुए नहीं देख पा रहा है।'

पदयात्रियों की इस गिरफ्तारी बारे में गाजीपुर (सदर) के एसडीएम से पूछने पर उन्होंने बताया कि इन सभी लोगों ने पदयात्रा के लिए कोई अनुमति नहीं ली थी। चंद लोगों की पदयात्रा से प्रशासन को क्या समस्या है, इस पर उनका कहना था कि फिलहाल तो 151और 107/16 के तहत गिरफ्तारी की जा रही है और मामले में जांच करके आगे की कार्रवाई की जाएगी।
गिरफ्तार होने वाले लोगों की सूची में प्रियेश पांडेय, अतुल यादव, मुरारी कुमार, मनीष शर्मा, सुश्री प्रदीपिका सारस्वत, शेष नारायण ओझा, नीरज राय, अनन्त प्रकाश शुक्ला, राज अभिषेक का नाम शामिल है। इसमें से अधिकतर लोग बीएचयू के छात्र हैं।
एक दिन पहले कुछ जरूरी काम से पदयात्रा छोड़ कर वाराणसी आने वाले बीएचयू के छात्र विकास सिंह बताते हैं, 'छात्रों, सामाजिक कार्यकर्ताओं की साझी पहलकदमी से शुरू हुई यह यात्रा समाज में बढ़ रही असहिष्णुता, हिंसा, घृणा और कट्टरता के ख़िलाफ़ भाई चारे, प्रेम, सद्भाव और सहिष्णुता की अपील के साथ सड़कों पर गुजर रही थी। नागरिक सत्याग्रह पदयात्रा की शुरुआत चौरी-चौरा के शहीद स्मारक से गत 2 फरवरी 2020 को हुई है। लगभग 200 किमी की पदयात्रा करके ये सत्याग्रही मऊ से आगे बढ़कर आज गाजीपुर पंहुचे थे।'

इस यात्रा की रूपरेकखा कमेटी के सदस्य और बीएचयू के छात्र धनंजय बताते हैं कि, 'यात्रा का प्रथम चरण बनारस में 16 फरवरी 2020 को बनारस में सम्पन्न होना तय था। आगे के लिए बनारस से कानपूर के लिए दूसरे चरण की यात्रा की तैयारी और कार्यकर्ताओ में संवाद का कार्यक्रम बनारस पड़ाव में करना पूर्वनिश्चित था। बनारस में प्रेसवार्ता और सामाजिक सांस्कृतिक सहमना संस्थाओं और व्यक्तियों से चर्चा करने की भी योजना रही। किन्तु बनारस में प्रधानमंत्री जी के आगमन का कार्यक्रम भी 16 फरवरी को ही था।
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए धनंजय कहते हैं कि, 'ऐसे में सड़कों पर जाम होना और प्रशासनिक व्यस्तता होना स्वाभाविक था। ऐसी असामान्य असहज स्थिति में सत्याग्रहियों का लक्ष्य जो की अमन और भाईचारे का संवाद करना था, प्रभावित होता तो सत्याग्रहियों ने यह तय किया है की बनारस 14 फरवरी 2020 की रात तक पंहुचने की कोशिश करेंगे। रात्रिविश्राम के बाद 15 फरवरी को ही सर्वसेवा संघ राजघाट में जयप्रकाश नारायण की मूर्ति के समक्ष श्रद्धासुमन प्रकट करते हुए पत्रकारों से वार्ता करके राजा तालाब की ओर आगे बढ़ जाते। उन्होने कहा कि, 'कानून व्यवस्था और शांति के प्रति जो पदयात्री स्वयं अति सचेत थे , उनका शांतिभंग की धाराओं में जेल जाना अजीबो-गरीब है।'